गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

Allopathy का आविष्कार किसने किया ?

 
allopathy-ka

आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान को एलोपैथी (Allopathy) या एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति (Allopathic medicine) कहते हैं। यह नाम होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनीमेन ने दिया था जिनका यह नाम देने का आशय यह था कि प्रचलित चिकित्सा-पद्धति (अर्थात एलोपैथी) रोग के लक्षण के बजाय अन्य चीज की दवा करता है। (Allo = अन्य तथा pathy = पद्धति, विधि) एलोपैथी दिखने में बहुत रंग बिरंगी अनेक प्रकार के रंग दोषी दिखती हैं यह खाने में अनेक प्रकार का सद्भाव दिखाती है उन्हें बहुत दवाइयां कड़वी भी होती है यह दवाइयां लेने पर अपना असर एक-दो घंटे में ही दिखाना शुरू कर देती है कुछ दवाइयों को लंबे समय तक लेना पड़ता है एलोपैथिक दवाई अपना असर बहुत जल्दी दिखाती है और दवाईयों से हमें कोई भी एलोपैथिक दवाई डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेनी चाहिए। 

एलोपेथी क्या होता है ? 

एलोपेथी एक चिकित्सा प्रणाली है जिसके माध्यम से लोगों का इलाज किया जाता है। ऐलोपेथी का इलाज सामान्यतः कम समय मे ज्यादा फ़ायदेमंद रहता है। ऐलोपेथी पद्धति से इलाज निर्विवाद होता है। चिकित्सा के क्षेत्र मे इस प्रणाली के कुछ फायदे है तो कुछ नुकसान भी है जो की इस पद्धति को प्रभावित करते है। 

ऐलोपेथी के लाभ -

ऐलोपेथी के कुछ लाभ है जो इस प्रकार है – 
  • चिकित्सा प्रणाली मे ऐलोपेथी का इलाज निर्विवाद होता है इतना ही नही इस पद्धति से इलाज काफी तेजी से भी होता, कुछ केस ऐसे होते है जिसमे इलाज देरी से हो सकता है परन्तु ज्यादातर संभावना यह रहती है इस पद्धति से इलाज आसानी से एवं जल्दी होता है। 
  • ऐलोपेथी चिकित्सा प्रणाली पूर्ण रूप से विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है, इसमे नित्या कोई न कोई नही पद्यतियों का विस्तार होता रहता है इसलिए इस पद्धति को डायनामाईम पद्धति भी कहें तो गलत नही होगा। 
  • ऐलोपेथिक चिकित्सा प्रणाली का विकास काफी तेजी से हो रहा है इसमे कई नये नये पद्यतियों को विकास भी संभव हो रहा है इस वजह से ऐलोपेथिक इलाज आज के समय मे काफी चर्चा में रहता है। 
  • अब तक जो भी रोग विज्ञान ने खोजे है उनका ज्यादातर इलाज एलोपेथिक से ही संभव हो पाया है क्योंकि इसमे कम समय मे तेजी से इलाज होता है। 

ऐलोपेथी की हानियां -

ऐलोपेथी कीे कुछ हानिया भी है जो इस प्रकार है – 
  • ऐलोपेथी का सबसे मुख्य हानि यह है की यह अपने दवाइयों के असर से रोगो को दबा देती है उसे पूर्ण रूप से ठिक नही करती है। 
  • ऐलोपेथी मेडिसीन लेने से ऐसा दावा भी किया जाता है की इससे जो बिमारियां ठिक तो होती ही है परन्तु इसके साथ यह कुछ नई बिमारियों को भी जन्म देती है जो की शरीर के लिए हानिकारक भी होती है।
  • पेट संबंधित बिमारियों का इलाज भी ऐलोपेथी मे नही है या यू कहे की ह्रद्रय रोग इत्यादि जैसी घाटक बिमारियों का इलाज भी ऐलोपेथी मे नही है। 
  • ऐलोपेथी दवाइयाँ जितनी ज्यादा लेते है उतना ही शरीर के लिए हानिकारक है इसलिए डॉक्टर्स ज्यादातर ऐन्टीबायोटिक दवाइंया ही देते है। 
  • ऐलोपेथी दवाइयों का सीधा असर मानव के पाशन क्रियाओं पर पाता है। 
ऐलोपेथी चिकित्सा प्रणाली का आविष्कार किसने किया-
ऐलोपेाथी का आविष्कार जानने से पहले इस शब्द के बारे मे जानना काफी जरूरी है। ऐलोपेथी मे ऐला का अर्थ होता है ‘‘अन्य’’ ओर पेथी का अर्थ होता है ‘‘पद्धति’’ जिसका अर्थ होता है एक अन्य पद्धति जिसके माध्यम से इलाज किया जा सके। एक तरह से ऐसा माना जाये की आधुनिक चिकित्सा पद्धति को ही एलोपेथी चिकित्सा प्रणाली कहा जाता है जो गलत नही होगा। ऐलोपेथी चिकित्सा प्रणाली का यह नाम होम्योपेथी चिकित्सा प्रणाली के जन्म दाता डॉ. सेमुअल फ्रेंडिक हैनीमैन  ने दिया था, वे मुख्यतः जर्मनी राष्ट्र के थे। 

ऐलोपेथी के जन्म दाता के बारे मे सामान्य जानकारी -
डॉ सैमुएल हैनीमेन का जन्म 1755 ई मे हुआ था। डॉ सैमुएल यूरोप राष्ट्र जर्मनी के निवासी थे। डॉ सैमुएल के पिता एक पॉर्सिलेन पेन्टर थे जो की जर्मनी मे मुल निवासी थे। डॉ सैमुएल जर्मनी के एक गरीब परिवार मे जन्मे थे उन्होने अपनी पढाई सुविधाओं के अभाव मे की थी। डॉ सैमुएल होम्योपेथी, ऐलोपेथी के साथ – साथ कई अलग – अलग यूरोपियों भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होने एम.डी की डिग्री भी प्राप्त की थी और वे विज्ञान के भी जानकार माने जाते थे। वे बचपन से काफी गरीब थे एवं अपना जीवन यापन करने व ज़रूरतों को पूरी करने मे मे रसायन संबंधित कार्य करते एवं अंग्रेजी ग्रंथों का जर्मनी भाषा मे अनुवाद भी करते थे। एक बार जब अंगरेज डाक्‍टर कलेन की लिखी “कलेन्‍स मेटेरिया मेडिका” में वर्णित कुनैन नाम की जडी के बारे में अंगरेजी भाषा का अनुवाद जर्मन भाषा में कर रहे थे तब डॉ॰ हैनिमेन का ध्‍यान डॉ॰ कलेन के उस वर्णन की ओर गया, जहां कुनैन के बारे में कहा गया कि ‘’ यद्यपि कुनैन Maleria Rog को आरोग्‍य करती है, लेकिन यह स्‍वस्‍थ शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा करती है। डॉ हेनीमैन को होम्योपेथी चिकित्सा प्रणाली का पिता कहा जाता है उन्होने ने एलोपेथी चिकित्सा प्रणाली का नाम दिया था।

डॉ हैनीमैन जब ग्रंथों का अंग्रेजी मे अनुवाद कर रहे थे तब उनको एक ‘‘कुनैन’’ नामक औषधि के बारे मे पता चला जो की शरीर मे बने मलेरिया के लक्षण को खत्म करती है। अगर एक स्वस्थ व्यक्ति इस औषधि का सेवन करते है तो उस स्वस्थ व्यक्ति मे भी मलेरिया बिमारी के लक्षण उत्पत्र होने लगते है। इसके बाद जब वै स्वयं ने इस औषधी का सेवन करना चाहा ओर किया तो उनमे भी मलेरिया जैसी बिमारी के लक्षण दिखाई देने लगे। इसके बाद जैसे ही उन्होने इस दवाई को लेना बंद कर दिया तो मलेरिया के लक्षण स्वतः की गायब हो गये। डॉ हैनीमैन ने ऐसी और भी कई प्रकार की औषध्यिों का प्रयोग किया और उसके परिणाम भी निकले इसी प्रकार औषधियों का उपयोग होता गया एवं दवाईयां बनती गई। लेकिन ऐसे ही कुछ समय बाद इस प्रकार की दवाइयों पर रोक लगा दी। होमयोपेथी के जनक व ऐलोपेथी के नामकरणकर्ता सनं 1843 मे 88 वर्ष की उम्र मे दूनिया को अलविदा कह कर चले गये। किन इस संसार को होमियोपैथी चिकित्सा का वरदान देकर गए जिसका लाभ आज देश दुनिया के कई रोगियों को प्राप्त हो रहा है।

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"