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हेयरिंग मशीन का आविष्कार किसने और कब किया

 
hairing-machine

कान की सुनने वाली मशीन एक बैटरी चालित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे सुनने की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे कान के अंदर या कान के पीछे पहनने की जरूरत होती है। यह काफी छोटी होती है और तेज आवाज प्रदान करता है। नीचे बताया गया है कि हियरिंग एड काम कैसे करता है।
  • इसमें माइक्रोफोन लगा होता है जो कि आपके आस-पास की आवाज को पकड़ता है।
  • इसमें लगा एम्पलीफायर आवाज को तेज करता है और फिर रिसीवर इसे (एम्पलीफाइड साउंड) कान के अंदर भेजता है। 
सुनने की समस्या से ग्रस्त सभी लोगों में कान की मशीन से फायदा नहीं होता है, लेकिन पांच में से एक व्यक्ति की स्थि​ति में सुधार होता है। ज्यादातर यह उन लोगों में फायदेमंद होता है, जिनके कान के अंदरूनी हिस्से या उस तंत्रिका को नुकसान होता है, जो कान को मस्तिष्क से जोड़ता है। कान को नुकसान निम्नलिखित स्थितियों में हो सकता है :

हेयरिंग मशीन का आविष्कार-

हेयरिंग एड कम सुनने वालों या बहरे लोगों के सुनने की सहायता या बेहतर ढंग से सुनने के उद्देश्य से यंत्र रूप में बनाया गया। इसका मूल उद्देश्य था - सुनने की शक्ति बढ़ाना। हेयरिंग एड की शुरूआत 17वीं शताब्दी से सामने आती है जबकि तुरही आकार का आवरण कान पर लगा लिया जाता था। इसमें ऐसी व्यवस्था की गयी थी कि सुनने का एक मुख्य साधन कान से जुड़ा हुआ हो और तुरही रूप आवरण चारों ओर की अन्य ध्वनियों को रोक दे। टेलीफोन के आविष्कार के बाद इसकी बनावट और सुनने का साधन सरल हो गया। सन् 1898 ई० में हार्वे फ्लेचर नामक वैज्ञानिक ने जो हेयरिंग एड बनाया उसे कान के ऊपर पहनकर बहरा व्यक्ति साफ आवाज को ग्रहण कर लेता था।  उसके बाद उसमें सुधार होते गये तथा इसे छोटा आकार दिया जाता रहा। कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी आने के बाद यह और भी छोटे आकार में तथा सुविधाजनक हो गया। वर्तमान में जिन हेयरिंग एड का इस्तेमाल होता है, वे इलैक्ट्रॉनिक एम्पलीफायर काम्पोनेन्ट युक्त बैटरी चालित होते हैं।

हियरिंग ऐड टाइप्स - 

स्थितियों के अनुसार अलग-अलग कान की मशीन की जरूरत हो सकती है। ऐसे में ऑडियोलॉजिस्ट की मदद से पता करना चाहिए कि किस तरह की कान की मशीन आपके लिए सबसे अच्छा काम करेगी। आपके लिए सही उपकरण निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है :
  • आपको सुनने में दिक्कत किस प्रकार की है और यह कितनी गंभीर है
  • आयु
  • जीवनशैली
  • लागत - इन उपकरणों की कीमत सैकड़ों से हजारों या इससे महंगी भी हो सकती है।
हियरिंग ऐड या कान की मशीन मुख्य तौर पर दो प्रकार के होती हैं :
एनालॉग हियरिंग एड्स -
एनालॉग हियरिंग एड्स : यह ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करते हैं और फिर उन्हें तेज करके आपको सुनाते हैं। आमतौर पर यह कम खर्चीले होते हैं।
डिजिटल हियरिंग एड - 
डिजिटल हियरिंग एड : यह ध्वनि तरंगों को संख्यात्मक (न्यूमेरिकल) कोड में परिवर्तित करते हैं, फिर उन्हें तेज करके आपको सुनाते हैं। इस कोड में ध्वनि की दिशा और उसकी पिच या वॉल्यूम के बारे में जानकारी होती है। चाहे आप किसी रेस्तरां में हों, शांत कमरे में हों या स्टेडियम में हों, डिजिटल हियरिंग एड की मदद से ध्वनि को आवश्यकता के अनुसार एडजस्ट करना आसान हो जाता है। हालांकि, इसकी लागत एनालॉग हियरिंग एड की तुलना में अधिक है, लेकन परिणाम बेहतर होते हैं।

हियरिंग एड लगाने के फायदे - 

कान की मशीन की मदद से कुछ लोगों में सुनने की दिक्कत अस्थायी रूप से दूर हो सकती है। मार्केट में डिजिटल हियरिंग एड भी मौजूद हैं, जिनकी मदद से अधिक स्पष्टता से आवाजें सुनी जा सकती हैं। जब आप हियरिंग एड पहनते हैं तो न सिर्फ आप बड़ी सहजता से वातावरण में मौजूद आवाजों को सुन सकते हैं, बल्कि टेलीविजन, रेडियो जैसे मनोरंजन के माध्यमों का भी लुफ्त उठा सकते हैं। इसके अलावा आप सामान्य तरीके से लोगों से आमने-सामने बातें कर सकते हैं।

हियरिंग एड को एडजस्ट करना - 
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि हियरिंग एड आपकी सुनने की क्षमता को पहले जैसा नहीं बना सकता है। लेकिन जैसे-जैसे आप इसका उपयोग करते हैं, आप ध्वनियों के बारे में जागरुक होते जाएंगे।

शुरुआत में आपको धैर्य रखने की जरूरत है, क्योंकि इसकी आदत पड़ने में कुछ समय लग सकता है। सामान्य तौर पर उपकरण खरीदने के बाद आपको इसका परीक्षण (जैसे ट्रायल पीरियड) करने का मौका दिया जाएगा। यदि आपको यह कारगर नहीं लगता है, तो आपको इसे बदलने (रिप्लेस) के बारे में विचार करना चाहिए।

संबंधित समस्याओं (जैसा कि नीचे बताया गया है) से बचने के लिए अपने ऑडियोलॉजिस्ट से बात करें :
  • असहज महसूस करना
  • आवाज गूंजना
  • पीछे से शोर आना
  • मोबाइल इस्तेमाल के दौरान परेशानी


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