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जनरेटर का आविष्कार किसने और कब किया ?

 
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आधुनिक विज्ञान आधारित साधनों में जेनरेटर की बहुत अधिक महत्ता। यह सीधे-सीधे बिजली (इलेक्ट्रिकल) का स्थान ग्रहण किये हुए है। इसकी सहायता से घरेलू विद्युत उपकरण के सभी सामान, बिजली की अनुपस्थिति में चलाए जा सकते हैं और बिजली भी। इससे भारी और हल्की मशीनों को चलाया जा सकता है।

जेनरेटर के आविष्कारक ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल फैराडे थे। माइकल फैराडे भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। इन्होंने विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव का आविष्कार किया। उन्होंने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का अध्ययन कर उसे नियमबद्ध करके डायनेमो तथा विद्युत मोटर का निर्माण किया।

माइकल फैराडे का जन्म 22 सितम्बर, 1791 ई० को हुआ। इनके पिता बहुत गरीब थे और लुहारी का कार्य करते थे। इन्होंने अपना जीवन लंदन में जिल्दसाज की नौकरी से प्रारंभ किया। समय मिलने पर रसायन एवं विद्युत भौतिकी पर पुस्तकें पढ़ते रहते थे।

सन् 1813 ई० में प्रसिद्ध रसायनज्ञ, सर हफ्री डेबी के व्याख्यान सुनने का इन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन व्याख्यानों पर फैराडे ने टिप्पणियां लिखीं और डेबी के पास भेजीं। सर हफ्री डेबी इन टिप्पणियों से बड़े प्रभावित हुए और अपनी अनुसंधानशाला में इन्हें अपना सहयोगी बना लिया। फैराडे ने लगन के साथ कार्य किया और निरंतर प्रगति कर सन् 1833 ई० में रॉयल इंस्टिट्यूट में रसायन के प्राध्यापक हो गए।

अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें की। सन् 1831 में विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त की महत्वपूर्ण खोज की। चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत-वाहक-बल उत्पन्न किया। इस सिद्धान्त पर भविष्य में जनित्र (generator) बना तथा आधुनिक विद्युत इंजीनियरी की नींव पड़ी।

इन्होंने विद्युतद्विश्लेषण पर महत्वूपर्ण कार्य किए तथा विद्युतद्विश्लेषण के नियमों की स्थापना की, जो फैराडे के नियम कहलाते हैं। विद्युतद्विश्लेषण में जिन तकनीकी शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उनका नामकरण भी फैराडे ने ही किया। क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी ये सफल हुए।

परावैद्युतांक, प्राणिविद्युत, चुम्बकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में फैराडे ने योगदान दिया। आपने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे उपयोगी पुस्तक 'विद्युत में प्रायोगिक गवेषणाएं' (Experimental Research in Electricity) है। फैराडे जीवन भर अपने कार्य में रत् रहे।

ये इतने नम्र थे कि इन्होंने कोई पदवी या उपाधि स्वीकार न की। रायल सोसाइटी के अध्यक्ष पद को भी अस्वीकृत कर दिया। धुन एवं लगन से कार्य कर महान वैज्ञानिक सफलता प्राप्त करने का इससे अच्छा उदाहरण वैज्ञानिक इतिहास में न मिलेगा। माइकल फैराडे की मृत्यु 25 अगस्त, 1867 ई० को हुई।

माइकल फैराडे के जेनरेटर के आविष्कार का विकासशील भारत में महत्वपूर्ण उपयोग है। शादी-ब्याह जैसे उत्सव में उत्तरस्तरीय लोग अपनी हैसियत के अनुसार लाखों खर्च करके सजावट करते हैं, इस अवसर के लिए एक अदद जेनरेटर का भी प्रबन्ध करके रखना आवश्यक समझते हैं। यह आवश्यकता इस सम्भावना को ध्यान में रखकर समझी जाती है कि न जाने कब बिजली चली जाए। बिजली जाते ही झट से जेनरेटर चालू कर पूर्ववत् बिजली की कमी पूरी कर ली जाती है। अब तो ऑटोमेटिक जेनरेटर का चलन भी आ गया। इधर बिजली गयी, उधर पलक झपकने से भी पूर्व ऑटोमेटिक जेनरेटर चालू हो गया और सजावट का रंग फीका पड़ने से बच गया। 

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