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महुआ के फायदे और नुकसान

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आदिवासी भारतीयों के लिए महुआ का पेड़ बहुत महत्व रखता है। आदिवासी लोग न सिर्फ खाने के लिए बल्कि ईंधन के रूप में भी महुआ का उपयोग करते हैं। क्या आपने कभी महुआ का नाम सुना है, अगर नहीं तो आज इस लेख में हम आपको महुआ के फायदों और नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं।

महुआ क्या है?

महुआ का वैज्ञानिक नाम मधुका लोंगिफोलिया है। यह पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है और लगभग 12 से 15 मीटर तक इसकी लंबाई पहुंच सकती है। इसमें मार्च के माह में सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं। यूं तो इसके फूल के असंख्य गुण हैं, लेकिन मध्य भारत में इस फूल का इस्तेमाल मशहूर पेय महुआ वाइन बनाने के लिए किया जाता है।

महुआ में औषधीय और चिकित्सकीय गुणों से भरपूर तत्‍व मौजूद हैं। यह मौसमी फ्लू, बुखार, मिर्गी, कैंसर जैसी तमाम समस्याओं का एक समाधान है। आयुर्वेद में यह बात कही गई है कि पूरे विश्व में महुआ का इस्तेमाल किया जाता है।

महुआ से जुड़े तथ्य

  • वैज्ञानिक नाम: मधुका लोंगिफोलिया
  • कुल: सेपोटेसी
  • सामान्य नाम: महुवा, महआ, माहवा, मोहूलो, लुप्पई और इप्पा
  • अंग्रेजी नाम: बटरनट ट्री
  • हिस्से: छाल, बीज और फूल
  • भौगोलिक विवरण: महुआ एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष है जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ-साथ मध्य और उत्तरी भारत के कई हिस्सो में पाया जाता है।

महुआ में पोषक तत्व

महुआ के बीज स्वस्थ वसा (हैल्दी फैट) का अच्छा स्रोत हैं। इसका इस्तेमाल मक्खन बनाने के लिए किया जाता है। महुआ के हर हिस्से में विभिन्न पोषक तत्व मौजूद हैं। आइए जानते हैं महुआ के बीजों में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में।

प्रत्येक 100 ग्राम के महुआ में पोषक तत्व
  • कुल वसा: 50 से 31 फीसदी
  • प्रोटीन: 16.9 फीसदी
  • कार्बोहाइड्रेट: 22 फीसदी
  • फाइबर: 3.2 फीसदी

महुआ का प्रयोग कैसे करें -

मक्खन बनाने के लिए महुआ के बीज का उपयोग पुराने समय से किया जा रहा है। सौंदर्य प्रसाधनों और फार्मेसी में कोको बटर की जगह तथा चॉकलेट और घी में मिलावट के लिए कुकिंग ऑयल की जगह इसका उपयोग किया जाता है।
  • मौसमी अनाज के विकल्प के रूप में महुआ के बीज से बने आटे से रोटी और पूड़ी बनाई जाती है।
  • चूंकि, महुआ के बीज वसा का अच्छा स्रोत होते हैं इसलिए शोध में इसके जैव ईंधन (बायोफ्यूल) के रूप में कार्य करने के संकेत मिले हैं।
  • शुगर की मात्रा ज्यादा होने के कारण महुआ के फूलों का इस्तेमाल भारतीय मिठाईयों जैसे कि बर्फी, खीर, हलवा और मीठी पूड़ी बनाने में किया जाता है। 
  • महुआ के फलों का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा महुआ के फूलों को पशु जैसे गाय के चारे के तौर पर भी दिया जाता है, इससे उनमें दूध का उत्पादन बढ़ता है।

महुआ के फायदे - 

महुआ के पेड़ में मौजूद औषधीय गुण असंख्य बीमारियों का इलाज करने में सहायक हैं। महुआ के फूल का रस हृदय रोग, लिकोरिया (योनि से सफेद पानी आना), मीनोरेजिया (मासिक धर्म में अधिक रक्त स्राव होना), पॉलीयूरिया (बार-बार पेशाब आना), ब्रोंकाइटिस और टाॅन्सिलाइटिस में फायदेमंद है।

महुआ की छाल का इस्तेमाल क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, डायबिटीज मेलिटस और ब्लीडिंग में किया जाता है। गठिया और बवासीर की दवाई के रूप में महुआ की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जड़ सूजन, दस्त और बुखार में बहुत असरकारक होती है।

आइए जानते हैं महुआ के कुछ ऐसे फायदों के बारे में जिनकी वैज्ञानिक रूप से भी पुष्टि हो चुकी है।

महुआ के फूल खाने के फायदे अल्सर में - 

गैस्ट्रिक जूस के अत्यधिक बनने की वजह से पेट की म्यूकस लाइनिंग (ये पेट में मौजूद पाचक रसों से पेट की सुरक्षा करने में मदद करती है) में अवरोध उत्पन्न होता है जिसके कारण पेट की अंदरूनी परत में घाव बनता है। अल्सर-रोधी गुणों के कारण महुआ को पेप्टिक अल्सर के लक्षणों से राहत पाने में असरकारी पाया गया है।

ये हिस्टामाइन (पेट में एसिड के उत्पादन को कंट्रोल करने वाला तत्व) के स्राव को रोकता है जिससे इसके कारण होने वाली पेट से संबंधित दिक्कत में कमी आती है और अल्सर को ठीक होने में मदद मिलती है।

महुआ पेट के म्यूकस मेंब्रेन के ऊपर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो कि अत्यधिक एसिड बनने के नकारात्मक प्रभावों से बचाती है।

महुआ का लाभ दांतों के लिए - 
  • स्वस्थ मसूड़ों और टॉन्सिलाइटिस के लिए महुआ को लाभकारी माना गया है। इसके इस्तेमाल के लिए महुआ के पेड़ की छाल से निकले 4 मि.ली रस को 300 मि.ली पानी में मिलाएं।
  • मसूड़ों से खून निकलने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए इस मिश्रण से नियमित कुल्ला करें। (और पढ़ें - मसूड़ों से खून आने के घरेलू उपाय)
  • गंभीर टाॅन्सिलाइटिस और फेरिंजाइटिस (गले में सूजन) के लक्षणों से राहत पाने के लिए भी यह मिश्रण उपयोगी है।
  • लैब में हुए अध्ययनों के अनुसार महुआ की छाल में एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं, जिस वजह से यह दांतों से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी है। 
महुआ के औषधीय गुणों से पाएं ब्रोंकाइटिस से दूरी - 
ब्रोंकाइटिस की गंभीर स्थिति से आराम पाने के लिए महुआ के फूल से निकले रस को एक गिलास दूध के साथ मिलाकर पीएं। ब्रोंकाइटिस में श्वास नलियां जैसे मुंह और नाक में सूजन आ जाती है। बलगम बनने की वजह से पहले खांसी और फिर घरघराहट एवं सांस लेने में तकलीफ होती है।

महुआ के फूल बलगम को पतला कर इसे बाहर निकालने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुणों से युक्त जड़ी-बूटी होने के कारण महुआ सूजन को कम कर तुरंत आराम दिलाती है।

महुआ का उपयोग करें मिर्गी में - 
मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग है। यह बीमारी होने पर व्यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं। वैसे तो मिर्गी के लिए कई तरह की दवाईयां मौजूद हैं लेकिन आदिवासी लोग इस बीमारी के इलाज के लिए अब भी प्राकृतिक तरीकों का ही इस्तेमाल करते हैं। आपको बता दें कि महुआ मिर्गी से निपटने का एक बेहतरीन प्राकृतिक स्रोत है।

शोधों से यह पता चला है कि महुआ की पत्तियों का मेथनॉलिक (मेथनॉल से युक्‍त) अर्क गामा अमीनो ब्यूटिरिक (GABA) के रिलीज़ को बढ़ा देता है, GABA एक न्‍यूरोट्रांसमीटर है जो कि मिर्गी के मरीज़ों में उत्तेजित निओरोनल एक्टिविटी को रोकता है। यह न सिर्फ मिर्गी के दौरों में कमी लाता है बल्कि इससे मिर्गी के दौरे कम समय के लिए पड़ते हैं।


महुआ का प्रयोग रखे त्वचा को स्वस्थ - 
महुआ फूल के रस को कई तरह की त्वचा संबंधी समस्याओं में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें त्वचा को चिकना करने के गुण होते हैं जो खासकर खुजली से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

महुआ की पत्तियों पर तिल का तेल लगाकर, इसे गर्म करें और प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे एक्जिमा से राहत मिलती है।

पशुओं पर हुए अध्ययनों से पता चला है कि महुआ में सैपोनिन और फ्लेवोनोइड्स मौजूद होते हैं जिस वजह से ये जलन को कम करने में सहायक हैं। ये घटक घाव को ठीक करने में मदद करते हैं। एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि घाव और जलने पर दर्द से राहत पाने में महुआ असरकारी है।

महुआ खाने का फायदा बुखार में - 
बुखार आने का मतलब है कि शरीर संक्रमण के खिलाफ लड़ रहा है। बुखार की वजह से कभी-कभी जी मतली और कमजोरी भी आ जाती है। अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि महुआ की छाल के रस में ज्वर-रोधी, दर्द निवारक और सूजन-रोधी गुण होते हैं जो बुखार, दर्द और सूजन के लक्षणों को कम कर सकते हैं। महुआ पोषक तत्वों से भरपूर है और इसलिए बुखार में जल्दी रिकवर करने के लिए इसका सेवन किया जा सकता है।

महुआ का उपयोग डायबिटीज में - 
डायबिटीज मेटाबाॅलिक बीमारियों का एक समूह है जो हाइपरग्लाइसीमिया (हाई ब्‍लड शुगर) की स्थिति को दर्शाता है। यह शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों के कार्यों को प्रभावित करती है। वैसे तो डायबिटीज के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कई तरह की दवाईयां मोजूद हैं लेकिन आधुनिक दवाईयों से इस बीमारी में होने वाली समस्याओं से पूरी तरह से बचा नहीं जा सकता है।

पशुओं पर हुए अध्ययनों से पता चला है कि महुआ की छाल से निकले अर्क में मधुमेह को रोकने वाले तत्व होते हैं। हालांकि, यह डायबिटीज में किस तरह काम करती है, इसका अब तक पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा पता चला है कि इन अर्कों की एक निर्धारित खुराक से शरीर में संचारित ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद मिल सकती है।

अन्य तथ्यों के अनुसार महुआ का अर्क इंसुलिन की कमी और हाई ब्लड ग्लूकोज का खतरा पैदा करने वाले कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाने में असरकारी है। महुआ को डायबिटीज से ग्रस्त पशुओं की किडनी के कार्य में सुधार लाने में उपयोगी पाया गया है। डायबिटीज से संबंधित नेफ्रोपैथी को महुआ से रोका जा सकता है।

महुआ का लाभ कृमि संक्रमण में
पेट में कीड़े होने से पैदा हुए संक्रमणों में कृमि संक्रमण सबसे सामान्य है। हालांकि, इस बीमारी से सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोग प्रभावित होते हैं लेकिन विकसित देशों में भी इसके कुछ मामले देखने को मिले हैं। यह बीमारी एनीमिया और आंतों से जुड़े विकारों के खतरे को बढ़ा देती है। अतः जल्द से जल्द इस समस्या का इलाज करवाना जरूरी है।

महुआ परजीवी संक्रमण से लड़ने में भी मदद करता है। अन्य पेड़ों के रस की तुलना में मधुका लोंगिफोलिया के दोनों मेथनॉलिक और एथनोलिक अर्क पेट में कीड़े होने से पैदा हुए संक्रमणों से लड़ने में मददगार पाए गए हैं।

एक शोध के अनुसार 60 मि.ग्रा महुआ के मेथनॉलिक अर्क की खुराक विषाक्तता और लकवे का इलाज या कीड़ों को मारती है। हालांकि, अभी इस विषय पर पर्याप्त शोध नहीं हुए हैं, इसलिए इंसानी शरीर पर इसके प्रभाव के बारे में ज्यादा कुछ कहा नहीं जा सकता है।

महुआ का फायदा लिवर में विषाक्‍ता होने में - 
शरीर के लिए लिवर एक महत्वपूर्ण अंग है। यह न सिर्फ खाना पचाने में मदद करता है बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकालता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर रखता है। महुआ लिवर के लिए अमृत है।

इसमें लिवर को सुरक्षा प्रदान करने वाले गुण होते हैं एवं यह लिवर की परतों को मजबूती देता है और खून में हानिकारक रसायनों के रिलीज़ को रोकता है, जो कि लिवर को नुकसान पहुंचने का संकेत है। इसके साथ ही यह लिवर को बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है।

महुआ का इस्‍तेमाल कैसे करें - 
  • महुआ के ताजा फूलों के रस से साइनस, सिरदर्द, पित्त दोष और आंखों में जलन से राहत मिलती है। (और पढ़ें - पित्त दोष क्या है)
  • स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए महुआ के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • 30 से 40 मि.ली की मात्रा में महुए के सूखे फूलों और दूध के मिश्रण को उबालकर पिएं। ये नसों की कमजोरी और न्यूरोमस्कुलर डिजीज से लड़ने में मदद करता है।
  • महुआ के फूलों से बने ताजा रस की 20 से 25 मि.ली की खुराक लेने से हिचकी, हाई ब्‍‍‍‍लड प्रेशर और खांसी कम होने में मदद मिलती है।
  • महुआ के फूलों को चीनी के साथ 30 मि.ली की खुराक में लेने से कम शुक्राणु बनने, शीघ्रपतन और स्‍तनपान के दौरान दूध न बनने की समस्‍या दूर होती है। महुआ की छाल का पाउडर ताकत और शक्‍ति को भी बढ़ाता है। 
  • महुआ के पेड़ की छाल से बने ठंडे अर्क की 30 से 40 मि.ली की खुराक लेने से पेशाब में जलन और शरीर में जलन महसूस होने की दिक्कत दूर होती है।
  • महुआ की छाल से तैयार 30 से 40 मि.ली काढ़ा लेने से दस्त और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के इलाज में उपयोगी है। 
  • महुआ की छाल को उबालकर तैयार गाढ़े काढ़े से रूमेटिज्म का इलाज किया जाता है। महुआ के बीज से निकला तेल रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण हुए दर्द और जलन से छुटकारा दिलाने में मददगार है।

महुआ के फल (कोलिया) की सब्जी -
कोलिया मध्य भारत और उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के राज्यों में खाई जाने वाली एक प्रसिद्ध सब्जी है। यह महुआ के वृक्ष के फलों से बनती है। कोलिया की सब्जी बनाने की विधिः

सामग्री:
  • कोलिया: 500 ग्राम (छिली हुई, बीज निकाली हुई और कटी हुई)
  • बेसन: 50 ग्राम
  • कटा प्याज: 1 (मध्यम आकार)
  • कटा टमाटर: 1 (मध्यम आकार)
  • पिसी हुई अदरक: 1 छोटा चम्मच और लहसुन का पेस्ट

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