सिम कार्ड आधुनिक जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। सिम कार्ड देखने में एक छोटी सी पीतल की चिप होती है। लेकिन ये सिम कार्ड ही है जो हमें एक दूसरे से संपर्क करने के काम आता है। आज दुनिया में करोड़ों सिम कार्ड एक्टिव हैं। SIM का Full Form होता है ग्राहक पहचान मॉड्यूल कार्ड- Subscriber Identification Module Card. ।
पहला सिम कार्ड 1991 में म्यूनिख स्मार्ट-कार्ड बनाने वाली कंपनी Giesecke & Devrient द्वारा विकसित किया गया था।
Giesecke & Devrient कंपनी जर्मनी के म्यूनिख (Munich) में स्थित है जिसे बैंकनोट प्रतिभूति और स्मार्ट कार्ड बनाने में महारत हासिल है। विभिन्न यूरोपीय देशों में जीएसएम सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से सिम कार्ड लॉंच किया गया था।
उस वक़्त यूरोप ने GSM प्रोटोकॉल को लागू कर लिया था। इस प्रोटोकॉल से कोई भी व्यक्ति न केवल अपने चुने हुए नेटवर्क से कनेक्ट कर सकता था बल्कि इसके द्वारा अन्य नेटवर्क पर मौजूद व्यक्तियों के नंबर पर भी फोन हो सकता था।
जब सिम का आविष्कार किया था तब केवल 300 सिम कार्ड ही बनाए थे जिन्हे फ़िनलैंड की वायरलेस नेटवर्क ऑपरेटर कंपनी रेडिओलिंजा (Radiolinja) को बेचा गया था। फ़िनलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री, हर्री होल्केरी ने 1 जुलाई 1991 को हेलसिंकी, फ़िनलैंड में दुनिया का पहला GSM कॉल किया था।
1991 में अपनी शुरुआत के बाद से ही सिम कार्ड में काफी बदलाव आए हैं। पहले यह क्रेडिट कार्ड के आकार का हुआ करता था। लेकिन अब अत्याधुनिक तकनीक के द्वारा डिज़ाइन किए गए नैनो-सिम का आकार बहुत छोटा हो गया है।
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