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खतना क्या है, क्यों और कैसे किया जाता है

 
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खतना कुछ समुदायों में निभाई जाने वाली एक पंरपरा है। इस पंरपरा के तहत पुरूषों के लिंग के ऊपरी हिस्से को ढ़कने वाली त्वचा को हटा दिया जाता है। यह मुख्यतः दुनिया के कई देशों में नवजात शिशु के साथ की जाने वाली प्रथा है। खतना बच्चों के अलावा किशोर अवस्था में भी हो सकता है, लेकिन उस दौरान यह प्रक्रिया काफी मुश्किल हो जाती है। कुछ परिवार आज भी इस प्रक्रिया को प्रथा के रूप में निभाते आ रहें हैं। खतना हो जाने के बाद लिंग से हटाई गई त्वचा दोबारा नहीं आती है। कई लोगों इसके फायदे के बारे में बताते हैं, तो कई इस प्रथा को गलत मानते हैं। इस बात पर कई वर्षों से लोगों के बीच बहस चल रही है, जिसका सही निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।  

खतना क्यों किया जाता है - 

खतना एक धार्मिक प्रथा है, जो यहूदियों व मुस्लिम परिवारों के लोगों द्वारा निभाई जाती है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया व अफ्रिका के आदिवासी जनजाति के लोगों के बीच यह प्रथा काफी प्रचलित है। बल्कि कुछ लोग इसको पारिवारिक मूल्यों, स्वयं की स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित मानते हैं। कई बार इस तरह की क्रिया को चिकित्सीय कारणों के चलते भी संपन्न किया जाता है। चिकित्सीय कारणों की बात करें तो कई बार लिंग के ऊपर की त्वचा काफी सख्त हो जाती है, जिससे इसको आगे पीछे करने में मुश्किल होती है, तब इस त्वचा को हटा दिया जाता है। अफ्रिका देश के कुछ हिस्सों में कई तरह के यौन संचारित संक्रमण से बचने के लिए भी इस क्रिया को युवकों व पुरुषों के लिए जरूरी माना जाता है। बच्चों में खतना करने का निर्णय मां-बाप ही लेते हैं।

पुरुष में खतना - 

खतना में पुरुषों के लिंग के आगे के हिस्से को ढ़कने व सुरक्षित करने वाली त्वचा को हटा दिया जाता है। इसमें लिंग के ऊपरी भाग की त्वचा को पकड़कर अतिरिक्त त्वचा को हटाया जाता है। ऐसा विशेषकर बच्चे के जन्म के दौरान ही कर दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में 5 से 10 मिनट का समय लगता है। जबकि व्यस्कों के खतना में करीब एक घंटे का समय लगता है। इसको ठीक होने में करीब सप्ताह भर का समय लगता है। चिकित्सीय कारणों से भी खतना किया जाता हैं। कुछ संस्थाएं नवजात बच्चों के खतने को स्वास्थ्य लाभ के नजरिये से अच्छा बताती हैं। वहीं फाइमोसिस (Phimosis; लिंग के ऊतरी त्वचा को कठोर हो जाना) या किसी अन्य संक्रमण होने पर भी पुरुषों का खतना कर दिया जाता है।

महिलाओं का खतना - 

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पुरुषों की तरह ही महिलाओं का भी खतना होता है। इस प्रक्रिया में महिलाओं के जननांगों के बाहरी कुछ हिस्से को हटाया जाता है। इस तरह की क्रिया से महिलाओं के स्वास्थ्य को कोई लाभ नहीं मिलता है। महिलाओं में इस तरह की क्रिया में अधिक खून का रिसाव होता है। जिसके बाद महिलाओं के अंडाशय में गांठ, मूत्र त्यागने में परेशानी व संक्रमण तक हो सकता है। यह प्रक्रिया कई बार बच्चे के जन्म के समय परेशानी व नवजात शिशु की मृत्यु तक का कारण बन जाता है। यह 15 वर्ष या उससे कम आयु की लड़कियां के साथ की जाने वाली प्रथा है।

खतना के फायदे -

खतना करने के कई फायदे बताए जाते हैं, लेकिन चिकित्सीय रूप से  (Medically) इन्हें मान्यता नहीं दी गई है। खतना करने के कथित फायदे में निम्न को शामिल किया जाता है-
  • साफ करने में आसानी – खतना के बाद पुरुषों को अपने लिंग को धोने या साफ रखने में मुश्किल नहीं होती है। 
  • मूत्र-मार्ग के संक्रमणों को दूर करता है – खतना के बाद मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है। जबकि खतना रहित पुरुषों में इस तरह के जोखिम की संभावनाएं अधिक होती हैं। कुछ मूत्र मार्ग संक्रमण किडनी के समस्याएं भी उत्पन्न कर सकते हैं।
  • यौन संचारिय संक्रमण से बचाव – खतना के बाद पुरुषों में यौन संचारित संक्रमण होने का खतरा बेहद कम हो जाता है। इन पुरुषों को एचआईवी का खतरा भी कम होता है, लेकिन इसके बावजूद भी इनको यौन संबंध बनाते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
  • लिंग संबंधी समस्याओं से बचाव – बिना खतना किए हुए लिंग में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे कई मामलों मे लिंग की अग्र त्वचा बेहद ही कठोर हो जाती है। इसके अलावा इस हिस्से की त्वचा में कई अन्य तरह के संक्रमण होने की संभावनाएं बनी रहती है। 
  • लिंग के कैंसर होने की संभावनाएं कम होना – लिंग में होने वाले कैंसर का खतरा खतना वाले पुरुषों में कम होता है। वहीं ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer) का खतरा खतना प्रक्रिया से गुजरने वाली महिलाओं में भी कम ही देखा जाता है।

खतना के नुकसान - 

जिस तरह से सर्जिकल प्रक्रिया में कुछ नुकसान हो सकते हैं, ठीक उसी तरह के नुकसान इसमें भी होने की संभावनाएं होती है। इस दौरान सामने आने वाली परेशानियां निम्न है - 
  • दर्द होना।
  • खतना के बाद इस हिस्से में खून का बहना व संक्रमण होना।
  • लिंग के ऊपरी हिस्से में जलन होना।
  • इस हिस्से में सूजन आना।
  • लिंग में किसी अन्य तरह का चोट लगना। 
  • महिलाओं को मूत्र मार्ग में संक्रमण हो सकता है।
  • योनि में खुजली व संक्रमण होना।
  • बच्चे के जन्म के समय समस्याएं होना।
  • पीरियड्स सम्बन्धी समस्याएं होना। 

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