प्राचीन भारत की एक लोककथा है। किसी राज्य में एक राजा था। वो बहुत ही धार्मिक और वीर था। राजा में कई गुण थे। एक दिन उसके दरबार में एक ज्योतिषी आया। किसी मंत्री ने बताया कि ये बहुत ही सिद्ध ज्योतिषी हैं, इनकी भविष्यवाणियां हमेशा सच होती है। राजा की उत्सुकता बढ़ गई। उसने ज्योतिषी को अपने महल में बुलवाया। महल में राजा ने अपनी कुंडली दिखाई। ज्योतिषी बहुत देर तक कुंडली का अध्ययन करता रहा फिर उसने राजा को कहा कि महाराज आपका तो जीवन ही बेकार है, आपके सारे रिश्तेदार आपके सामने ही मारे जाएंगे। आप अपने वंश में अकेले रह जाएंगे।
ज्योतिषी की बात सुन राजा को बहुत धक्का लगा। वो निराशा में चला गया। उसका काम में मन नहीं लगता। दरबार में भी अनमना सा रहने लगा। ये देख सारे मंत्री परेशान हो गए। लेकिन, किसी की हिम्मत नहीं हुई कि राजा से कुछ पूछ सके। एक दिन मणिराज नाम के एक समझदार मंत्री ने एकांत देखकर राजा से उसकी उदासी का कारण पूछ ही लिया। राजा ने कहा कि उस ज्योतिषी ने कहा है कि मेरा पूरा परिवार मेरे सामने ही खत्म हो जाएगा। इस बात से मुझे गहरा सदमा लगा है। मैं परिवार की सुरक्षा को लेकर परेशान हूं। मंत्री समझ गया कि राजा किसी कारण से परेशान है। उसने कहा महाराज में एक पंडित जगन्नाथ जी को जानता हूं, वे भी बहुत सिद्ध हैं। मेरे ख्याल से एक बार उनसे भी बात करना चाहिए।
राजा ने कहा ठीक है। उन्हें भी बुलवा लो। पंडित जगन्नाथ को बुलाया गया। मंत्री ने सारी परेशानी बताई। पुराने पंडित की भविष्यवाणी भी बताई। पंडित जगन्नाथ ने भी राजा की कुंडली देखी। उसने पाया कि पुराने पंडित ने सही भविष्यवाणी की। लेकिन, अब वो राजा को ये नहीं बता सकता था कि उसके सारे रिश्तेदार उसके सामने ही मर जाएंगे और वो कोई झूठ भी नहीं बोल सकता था। उसने दो घड़ी विचार किया। फिर चेहरे पर चमक लाकर बोला महाराज, आपकी कुंडली में तो दुःख का कोई योग है ही नहीं, आप लंबे समय तक राज करेंगे। आपका राज्य लगातार बढ़ेगा, सालों साल आप सिंहासन की शोभा बढ़ाएंगे। धन और आयु में भी आप अपने पूरे कुटुंब में सबसे आगे रहेंगे। आपकी जितनी आयु पूरे कुटुंब में किसी के भाग्य में नहीं होगी। आपकी कुंडली में मुझे कुछ गलत नहीं दिख रहा।
पंडित जगन्नाथ ने पुराने पंडित की बात दोहराई कि राजा के जीते-जी उसके सारे रिश्तेदार मर जाएंगे, ये कह कर की पूरे कुटुंब में उससे ज्यादा किसी की आयु नहीं। लेकिन राजा को पंडित की बात सुन काफी संतोष हुआ। उसे खूब सारा इनाम भी दिया।
कहानी का सार
जरूरी नहीं है कि कड़वा सच कड़वे तरीके से ही कहा जाए। कई बार बोलने का तरीका बात के असर को बदल देता है। अगर सच्चाई कड़वी है या कोई कठोर सत्य है तो उसे भी हल्के तरीके से बताया जा सकता है।
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