यौन उत्पीड़न वर्तमान समाज की एक गंभीर समस्या बन गई है। किसी भी तरह की यौन गतिविधि जिसमें आपकी सहमति न हो, उसको यौन उत्पीड़न कहा जाता है। यह पूर्ण रूप से आपकी इच्छा के विरुद्ध की गई यौन गतिविधि होती है। इसमें आपके साथ किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क बनाए जाने को शामिल किया जाता है। यह न सिर्फ महिलाओं, बल्कि बच्चों और पुरुषों के साथ भी हो सकता है। यौन उत्पीड़न के कई प्रकार होते हैं, जिसमें कई तरह की गतिविधियों को शामिल किया जाता है। यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति को विशेष तरह की सहायता की आवश्यकता होती है, जिसमें उनका परिवार अहम भूमिका निभाता है। इस तरह की स्थिति से यदि आप या आपका कोई परिचित गुजर रहा है, तो आपको क्या कदम उठाने चाहिए व किस तरह से उसकी या खुद की मदद करनी चाहिए, इस बारे में हम आपको आगे विस्तार से बता रहें हैं।
यौन उत्पीड़न क्या है? -
यौन उत्पीड़न हमारे समाज के विकृत मानसिकता वाले लोगों के द्वारा किया जाने वाला ऐसा काम है, जो समाज को दूषित करता है। जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं कि आपकी इच्छा व सहमति के बिना किसी दबाव में की गई यौन गतिविधि को यौन उत्पीड़न कहा जाता है। अधिकतर मामलों में यौन उत्पीड़न करने वाला आपका ही कोई पुराना जानकार होता है। इसके अलावा यौन उत्पीड़न करने वाला व्यक्ति आपके परिवार का सदस्य, कोई दोस्त, परिचित व अजनबी भी हो सकता है। कई मामलों में देखा जाता है कि समाज के कुछ प्रतिष्ठित या शक्तिसंपन्न व्यक्ति के द्वारा भी इस तरह की गतिविधियों को किया जाता है।
यौन उत्पीड़न आपके स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव डालता है। यह शारीरिक व भावनात्मक दोनों ही तरह से आपकी समस्या का कारण बनता है। अगर कोई आपके साथ यौन उत्पीड़न कर रहा है, तो आपको इसके विरुद्ध आवाज उठाने के लिए किसी की मदद की आवश्यकता होती है। ऐसा होने पर आप सबसे पहले किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद पुलिस की मदद व उचित चिकित्सीय सहायता लें। इसके अलावा अपने मन में उठने वाली भावनाओं को संयम में रखने के लिए काउंसिलिंग का सहारा लें। सबसे जरूरी बात यह है कि यौन उत्पीड़न के लिए आप खुद को जिम्मेदार न ठहराएं।
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यौन उत्पीड़न का भारत में वर्तमान स्वरूप? -
यौन उत्पीड़न मानवता के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों में से एक है। इस अपराध से किसी भी आयु वर्ग के लोग अछूते नहीं हैं। भारत के वर्तमान परिवेश में यौन उत्पीड़न का शिकार हुए अधिकतर लोगों में जागरुकता का अभाव होने के कारण, इस तरह के मामलों की शिकायत ही नहीं की जाती है, जबकि सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण भी परिवार के लोग इस तरह के मामलों को उजागर नहीं करते हैं। कई बार इस तरह के उत्पीड़न का शिकार हुआ व्यक्ति जांच के दौरान होने वाली परेशानियों से बचने के लिए, इन मामलों को सामने ही नहीं लाता है। जबकि, यौन उत्पीड़न की शिकायत करने के बाद पुलिस, डॉक्टर व फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम इस जांच को पूर्ण करके संबंधित व्यक्ति को न्याय दिलाने में मदद करते हैं। तो आइये यौन उत्पीड़न के मामलों में भारत की स्थिति पर निम्न आधार पर एक नजर डालें।
- दुनिया भर में यौन उत्पीड़न के मामलों के आधार पर भारत का चौथा स्थान है।
- भारत में हर एक घंटे में करीब यौन उत्पीड़न की तीन घटनाएं होती है।
- वहीं हर दिन औसतन यौन उत्पीड़न के 75 मामले दर्ज किए जाते हैं।
- वर्ष 2013 में यौन उत्पीड़न के करीब 95,731 मामले विचाराधीन थे।
यौन उत्पीड़न के प्रकार और इसमें शामिल गतिविधियां -
यौन उत्पीड़न के कई प्रकार होते हैं। नीचे बताई जा रही सूची में यौन उत्पीड़न के मुख्य सभी प्रकार व उनकी गतिविधियों को शामिल किया गया हैं-
यौन उत्पीड़न में शामिल गतिविधियां-
- बलात्कार (Rape/ रेप) – सामने वाले की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाना।
- जबरन गुदामैथुन (एनल सेक्स) – सामने वाले से जबदस्ती करते हुए, उसके साथ एनल सेक्स व ओरल सेक्स करना।
- जबदस्ती व दबाव में संबंध बनाना – किसी से जबदस्ती करते हुए या उस पर दबाव डालकर योनि व एनल सेक्स करना।
वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape)
- किसी की मर्जी के बिना उसे गलत तरह से छूना।
- बच्चों के साथ यौन संपर्क बनाना।
कुछ अन्य यौन अपराध-
- यौन शोषण,
- इंटरनेट पर बच्चों को यौन क्रिया के लिए उकसाना,
- बच्चों के साथ अश्लीलता करना, इत्यादि।
यौन उत्पीड़न से संबंधित कानूनी प्रावधान -
कानूनी रूप से यौन उत्पीड़न में कई तरह की गतिविधियों को शामिल किया गया है। इससे संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 370 में कुछ नए वर्गों को जोड़ा गया है। इसमें बलात्कार की परिभाषा में भी कुछ बदलाव किये गए हैं। इसके अलावा रेप (बलात्कार) को भी कानून की अन्य धारा में विस्तार पूर्वक समझाया गया है। इसके साथ ही साथ फिलहाल एक विधेयक के द्वारा रेप शब्द को यौन उत्पीड़न शब्द से बदल दिया गया है, जबकि धारा 375 के रेप शब्द में बदलाव नहीं किया गया है।
उपरोक्त के साथ ही साथ जबरन शरीर के किसी भी अंग, किसी वस्तु या लिंग को योनि, मुंह व मूत्रमार्ग में प्रवेश करना/ करवाना बलात्कार की कानूनी परिभाषा में आता है। किसी के निजी अंगों को छूना व किसी के साथ जबदस्ती करना या फिर किसी भी तरह के शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने की क्रिया को भी यौन उत्पीड़न ही माना जाता है। यौन उत्पीड़न में एक नई धारा 376ए को भी सम्मिलित किया गया है। इसमें यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति को यदि कोई गंभीर चोट व किसी प्रकार से अंग की हानि होती है, तो ऐसे में दोषी को कम से कम बीस साल की सजा हो सकती है, जबकि इस सजा को उम्र कैद तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं कुछ विशेष मामलों में दोषी को मौत की सजा भी दी जा सकती है। ठीक इस प्रकार का कानून गैंपरेप के दोषियों के लिए भी बनाया गया है। इसके साथ ही साथ इसमें दोषी के द्वारा पीड़ित को मुआवजा भी चुकाना पड़ता है, जो पीड़ित के चिकित्सीय व्यय व पुनर्वास के लिए आवश्यक होता है।
यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या में इजाफा होने के बाद इससे संबंधित कानून में संशोधन किया गया और इसमें कुछ अन्य अपराधों को शामिल किया गया। जिसमें एसिड अटैक (किसी के ऊपर अचानक एसिड डालना), यौन शोषण, तांक-झांक करना व किसी को घूरना शामिल है।
एसिड से हमला करना –
किसी के ऊपर एसिड डालना। इसमें कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है। लेकिन इसको बढ़ाया भी जा सकता है। वहीं जुर्माने की राशि को भी एसिड अटैक के शिकार हुए व्यक्ति के चिकित्सीय व्यय के आधार पर बढ़ाया जा सकता है।
एसिड हमले का प्रयास करना –
कम से कम पांच वर्षों की सजा, जिसको बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
यौन शोषण –
इसमें तीन साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। इसके कुछ अन्य मामलों में एक साल तक की सजा का नियम भी तय किया गया है।
किसी महिला के कपड़े जबरन या दबाव में उतारना/ उतरवाना –
किसी महिला के साथ इस तरह के अपराध के लिए कम से कम तीन साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। इस सजा को सात सालों तक बढ़ाया जा सकता है।
यौन उत्पीड़न की स्थिति में परिवार की भूमिका -
यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति के साथ बेहद ही संयम से पेश आना चाहिए। इसमें परिवार के सदस्यों की अहम भूमिका होती है। यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति को सांत्वाना देना बेहद जरूरी होता है। इस स्थिति में परिवार के लोगों ने मिलकर इस समस्या को सुलझाना चाहिए। नीचे बताए जाने वाले तरीकों को अपनाकर आप इस समस्या से बाहर आ सकते हैं।
- पीड़ित व्यक्ति की बात ध्यान से सुनें और उनको अकेला न छोड़े।
- अगर पीड़ित को किसी तरह की चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता हो तो तुरंत किसी डॉक्टर के पास जाएं। इसके साथ ही साथ मामले को दर्ज कराने में भी पीड़ित की पूरी मदद करें।
- यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति की हर संभव सहायता करते हुए उनको आगे आने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा आप उनको इसके खिलाफ आगे की कार्यवाही करने के लिए सभी तरह के विकल्पों को बताएं।
- किसी तरह के काम को करने के लिए उन पर दबाव न डालें। जल्दबाजी से काम न लें। पीड़ित को इस हादसे से उभरने में समय लगेगा।
- इस समय उनकी पूरी देखभाल करें और उनका हर काम में सहयोग करें।
- घर के आस-पास स्थित यौन उत्पीड़न के मामलों में सहायक संस्थाओं का पता करें और उनकी मदद लें
यौन उत्पीड़न के शिकार को कैसे सांत्वना दें -
यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति के मन में कई तरह के सवाल एक साथ उठते हैं। वह इस हादसे के कारण सदमे में भी आ सकता है। इस तरह के हादसे का शिकार हुआ व्यक्ति समझ नहीं पाता कि उसको आगे क्या करना चाहिए। ऐसे में उनके परिवार वालों के अलावा उनके करीबियों को भी उन्हें इस हादसे से बाहर लाने में मदद करनी चाहिए। आपको पीड़ित को सांत्वना देने के लिए निम्न बिंदुओं पर गौर करना होगा:
उन पर विश्वास करें और उन्हें प्रोत्साहित करें-
यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति के लिए यह बेहद ही मुश्किल होता है कि वह हादसे की पूरी बात को किसी के आगे बता पाए। पीड़ित को हादसे के बारे में बताने में शर्म महसूस होती है। इसके अलावा उसको यह भी लगता हैं कि कहीं सामने वाला उनकी बात पर यकिन भी करेगा कि नहीं, इसलिए बेहद जरूरी है कि आप उनकी बातों पर विश्वास करें। इसके साथ ही उनसे ज्यादा सवाल न पूछें।
खुद को दोषी न समझें –
यौन उत्पीड़न के कई मामलों में पीड़ित खुद को ही दोषी माना लेते हैं। ऐसा तब होता है जब यौन उत्पीड़न करने वाला उनका ही कोई परिचित हो, लेकिन इस तरह की स्थिति में आप पीड़ित को समझाएं कि इस हादसे के लिए वह दोषी नहीं है।
पीड़ित को अकेला न छोड़ें -
जब पीड़ित आपको पूरी बात बताने के लिए तैयार हो तब उनकी बात को गौर से सुनें। हादसे की पूरी बात बताने के लिए उन पर दबाव न बनाएं। उनको इस हादसे से बाहर आने में थोड़ा समय जरूर लगेगा, मगर आप उनको अकेला न छोड़े, इससे उनके मन में किसी तरह की कोई गलत बात नहीं आएगी और वह धीरे-धीरे शांत हो जाएंगे।
शिकायत करने की प्रक्रिया को जानें -
अगर आप पीड़ित को सांत्वना देना चाहते हैं, तो आपको दोषी के खिलाफ शिकायत करने की प्रकिया के बारे में भी पूरी जानकारी प्राप्त करनी होगी। इसके साथ ही साथ पीड़ित के शिकायत करने के लिए तैयार होने पर आप उनको इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में बताएं ताकि उनको सही दिशा में आगे बढ़ने में कोई परेशानी न हो।
यौन उत्पीड़न से बचाव के उपाय -
यौन उत्पीड़न से बचाव के लिए आपको कई तरह की तैयारियां पहले से ही करनी होती है। इस स्थिति से बचने व निपटने के लिए कुछ योजानाओं को पहले से ही बनाया जाना उचित होता है। इसके लिए आपको क्या करना चाहिए, उस बारे में हम आपको कुछ उपाय दे रहें हैं।
आसपास के सुरक्षित स्थानों के बारे में जानें -
आसपास के सुरक्षित स्थानों से हमारा मतलब है कि आप जहां भी रहते हैं या नौकरी करते हैं, वहां पर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के घरों के बारे में आपको पता होना चाहिए। इसके अलावा आपको अपने घर के आसपास किसी ऐसी संस्था के बारे में भी पता होना चाहिए, जो यौन उत्पीड़ित लोगों की सहायता करती हो।
किसी कोड का प्रयोग करें –
कई बार आप अपनी मौजूदा स्थिति को खुलकर किसी के सामने नहीं बता पाते हैं, ऐसे में आपको इस तरह की स्थितियों के लिए कुछ कोड वर्ड यानि की कुछ विशेष संकेतों वाले शब्द बनाने होंगे। जिससे आप जब भी इस तरह की मुश्किल में हो तो तुरंत कोड वर्ड की सहायता से किसी की मदद ले सकें।
घर में सुरक्षित रहने के लिए क्या करें – अगर आपको परेशान करने वाला व्यक्ति आपके ही घर के पास या घर में रहता हो, तो अपने कमरे के बाहर टांगने वाली घंटियां व कुछ ऐसी वस्तु को लगा दें जिससे कोई भी कमरे में आए तो वह घंटियां आवाज करने लगें। इसके अलावा आप अपने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद करके ही सोएं व दरवाजे के पास किसी भारी चीज को रखें। इस तरह की स्थिति से बचने के लिए आपको अपने अभिभावकों से भी बात करनी चाहिए।
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ऑफिस जाने के लिए हर बार एक ही रास्ते का प्रयोग न करें –
अगर आपको यह लगें कि कोई व्यक्ति आपका पीछा कर रहा है, तो आपको घर से ऑफिस व ऑफिस से घर जाने वाले रास्ते को बदल देना चाहिए, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि आप जो भी रास्ता चुनें वो सुनसान न हो।
कुछ खास मोबाइल नंबरों को याद कर लें -
घर से बाहर जाने से पहले आप अपने मोबाइल को देखें कि वह पूरी तरह से चार्ज है या नहीं। इसके साथ ही किसी मुसीबत में फंसने से पहले आपको अपने एमरजेंसी नंबर में कुछ नजदीकियों के मोबाइल नंबरों को सेट करना होगा ताकि जब आपको उनकी जरूरत हो आप तुरंत उनको कॉल कर सकें। इसके अलावा किसी हादसे में मोबाइल के खो जाने पर आपको अपने करीबियों व परिचितों का मोबाइल नबंर याद होना चाहिए, जिससे आप समय रहते उनकी मदद लें सकें।
किसी यात्रा पर जानें से पहले रिश्तेदार या दोस्त को इस बारे में बताएं – अगर आप किसी यात्रा पर जानें वाले हैं तो इससे पहले आपको इस योजना के बारे में अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार, दोस्त या भाई-बहन को बताना चाहिए। इससे अलावा आपको उस स्थान का पूरा पता, फोन नंबर व यात्रा का ब्यौरा भी बताना चाहिए, ताकि किसी तरह की परेशानी होने पर आपके पास मदद पहुंचाई जा सके।
दोस्तों के साथ बाहर जाते समय बरतें सावधानी – अगर आप अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर घुमने जा रहीं हैं, तो किसी अन्य दोस्त को इस बात की सूचना अवश्य दें। कई बार दोस्तों के साथ भी आप असहज महसूस करने लगती हैं। वहीं रात की पार्टी में इस बात का भी ध्यान रखें कि आप जिस भी पेय पदार्थ का सेवन कर रहीं हैं वो सही हो। पार्टी के दौरान डांस करते समय या कहीं भी जाते समय अपना मोबाइल भी अपने पास ही रखें।
कहां से मिलेगी मदद -
यौन उत्पीड़न के अधिकतर मामले महिलाओं के साथ ही होते हैं। इस तरह के उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाएं राष्ट्रीय महिला आयोग से मदद ले सकती हैं। इसके अलावा बच्चों के यौन संरक्षण के लिए भी सरकार द्वारा कई तरह की नीतियां चलाई जा रहीं हैं। सरकारी संस्थाओं के अलावा कई निजी व गैर सरकारी संस्थाएं भी यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की सहायता के लिए कार्य कर रहीं हैं। यह संस्थाएं न सिर्फ लोगों को उनके उत्पीड़न के लिए दोषी व्यक्ति को सजा दिलाने में सहायता करती है, बल्कि कई जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित करती हैं।
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