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स्तन (ब्रेस्ट) संक्रमण के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, और बचाव के उपाय

 
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स्तन संक्रमण को मैस्टाइटिस (Mastitis) भी कहा जाता है। यह संक्रमण, स्तन के ऊतकों (Tissues) में होता है। यह संक्रमण स्तनपान कराने वाली महिलाओं में होने वाला सबसे आम संक्रमण होता है। जब बच्चा स्तनपान करता है तब उसके मुंह में उपस्थित बैक्टीरिया स्तन में चले जाते हैं जो संक्रमण का कारण बनते हैं। इसे लैक्टेशन मैस्टाइटिस (Lactation mastitis) कहा जाता है। स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में भी संक्रमण की आशंका होती है, लेकिन ये उनमें उतना आम नहीं है।

संक्रमण आमतौर पर स्तन में मौजूद फैटी टिशू को प्रभावित करता है, जिससे सूजन, गांठ और स्तनों में दर्द होता है। यद्यपि अधिकांश संक्रमण स्तनपान या रुकी हुयी दूध नलिकाओं के कारण होते हैं। बहुत कम लेकिन कभी कभी स्तन संक्रमण, स्तन कैंसर से भी सम्बंधित होता है।

यहाँ स्तन में संक्रमण के लक्षण, कारण, इलाज और इससे बचाव के उपाय बताये गए हैं -

स्तनों में संक्रमण होने के लक्षण - 
स्तन संक्रमण के लक्षण अचानक शुरू होते हैं जो इस प्रकार हैं:
  • असामान्य स्तन सूजन, जिसके कारण एक स्तन दूसरे से ज्यादा बड़ा हो जाता है।
  • स्तन असहजता।
  • स्तनपान करते समय दर्द या जलन होना।
  • स्तन में गांठ होना, अक्सर जिसमें दर्द होता है।
  • स्तनों का गर्म होना।
  • ठंड लगना।
  • निप्पल से मवाद निकलना।
  • कील के आकार के पैटर्न में स्तनों की त्वचा का लाल होना।
  • बगल या गर्दन के हिस्से में बढ़े लिम्फ नोड्स।
  • 101° फ़ारेनहाइट या 38.3 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार होना।
  • बीमार या सुस्ती महसूस करना।
आप स्तनों में किसी भी परिवर्तन को देखने से पहले फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकती हैं। इस प्रकार के लक्षणों का अनुभव होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

उत्तेजनात्मक स्तन कैंसर 
स्तन संक्रमण के लक्षण स्तन कैंसर के कारण भी हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम मामलों में होता है लेकिन अगर है तो यह बहुत गंभीर बीमारी है। जब स्तन नलिकाओं में असामान्य कोशिकाएं विभाजित होती हैं तब स्तन कैंसर होता है। ये असामान्य कोशिकाएं फिर स्तन की त्वचा में लसीका वाहिकाओं (लसीका तंत्र का वो हिस्सा, जो शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है) को रोकती हैं, जिससे त्वचा में लालिमा और सूजन आ जाती है और छूने पर उसमें दर्द होता है।
  • सूजन युक्त स्तन कैंसर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
  • स्तन की मोटाई या एक स्तन अधिक बड़ा होना।
  • प्रभावित स्तन में असामान्य गर्माहट महसूस होना।
  • स्तन के रंग में परिवर्तन, जैसे नीले, बैंगनी या लाल होना।
  • असहजता और दर्द।
  • स्तन की त्वचा में गड्ढे पड़ना।
  • हाथ या कॉलरबोन के नीचे लिम्फ नोड्स का बढ़ना।
स्तन कैंसर के अन्य रूपों के विपरीत, उत्तेजनात्मक स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के स्तनों में गांठ नहीं बनती है। इस स्थिति में अक्सर स्तन संक्रमण होने की दुविधा हो जाती है। इनमें से कुछ भी महसूस होने पर डॉक्टर से बात करें।

स्तनों में संक्रमण होने के कारण 
मैस्टाइटिस, स्तन के ऊतक का संक्रमण होता है जो स्तनपान के दौरान सबसे अधिक होता है। जब बैक्टीरिया, बच्चे के मुंह से दुग्ध नलिका में निप्पल की दरार के माध्यम से जाता है तब यह संक्रमण हो सकता है।

स्तन संक्रमण सबसे ज्यादा प्रसव के बाद एक से तीन महीने में होते हैं, लेकिन ये उन महिलाओं में भी हो सकता है जिनकी डिलीवरी तुरंत न हुयी हो, या फिर रजोनिवृत्ति के बाद भी हो सकता है। संक्रमण के अन्य कारणों में क्रोनिक मैस्टाइटिस और एक और दुर्लभ कैंसर हो सकता है जिसे इंफ्लेमेटरी कार्सिनोमा (Inflammatory carcinoma) भी कहते हैं।

स्वस्थ महिलाओं में, मैस्टाइटिस होना दुर्लभ होता है। हालांकि, डायबिटीज, क्रोनिक बीमारी, एड्स या इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से पीड़ित महिलाओं में ये अधिक होता है।

स्तनपान कराने वाली लगभग 1% -3% महिलाओं को मैस्टाइटिस होता है। स्तनों के ज़रूरत से ज्यादा भरने या खाली होने से समस्या और बढ़ सकती है।

स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में क्रोनिक मैस्टाइटिस होता है। रजोनिवृत्ति के चरण से गुजरने वाली महिलाओं में, स्तन संक्रमण, निप्पल के नीचे मौजूद नलिकाओं की क्रोनिक इन्फ्लेमेशन के कारण होता है।

शरीर में हार्मोनल परिवर्तन से दुग्ध नलिकाएं, मृत त्वचा कोशिकाओं और अपशिष्ट के कारण भर जाती हैं। इन रुकी हुयी नलिकाओं के कारण स्तनों में बैक्टीरिया संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है। संक्रमण कभी कभी एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा इलाज करने के बाद भी वापस आ सकता है।

ब्रेस्ट इन्फेक्शन का निदान - 
स्तनपान कराने वाली महिलाओं में, डॉक्टर शारीरिक परीक्षण और आपके बताये हुए लक्षणों के आधार पर समस्या का निदान करते हैं। डॉक्टर इसकी भी जांच करते हैं कि संक्रमण के कारण फोड़ा हो सकता है? जिसका निदान होने पर वो उसे सुखा देते हैं।

अगर संक्रमण बार बार वापस आता है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि किस प्रकार के बैक्टीरिया संक्रमण में मौजूद हैं, स्तन दुग्ध प्रयोगशाला में भेजा जाता है।

यदि आपको स्तन संक्रमण है और आप स्तनपान नहीं कराती हैं तो अन्य कारणों की जांच करने के लिए अन्य टेस्ट कराने पड़ सकते हैं। स्तन कैंसर की जांच के लिए परीक्षण में मैमोग्राम या स्तन ऊतकों की बायोप्सी हो सकती है। मैमोग्राफ एक इमेजिंग टेस्ट है। स्तन बायोप्सी में प्रयोगशाला परीक्षण के लिए स्तन से छोटे से ऊतक के नमूने को दिया जाता है, जिससे यह निर्धारित किया जाता है कि आपको कैंसर है या नहीं।

ब्रेस्ट संक्रमण का इलाज -
आमतौर पर 10 से 14 दिन का एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स इस संक्रमण के लिए सबसे प्रभावी उपचार है और ज्यादातर महिलाओं को 48 से 72 घंटे के अंदर राहत महसूस हो जाती है। हमेशा डॉक्टर द्वारा सलाह दी गयी दवाएं ही लेनी चाहिए ताकि संक्रमण फिर से न हो। आप एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के दौरान स्तनपान करा सकती हैं, लेकिन यदि नर्सिंग नहीं हो पा रही है, तो आप स्तन पंप करके अतिरिक्त दूध को निकालने का प्रयास भी कर सकती हैं।

यदि आपके स्तनों के गंभीर संक्रमण का कारण स्तन में होने वाला फोड़ा है, तो इसे चिकित्सकीय रूप से सुखाना पड़ सकता है। इससे स्तन जल्दी ठीक होंगे। आप स्तनपान करा सकती हैं, लेकिन पहले स्तन विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह कर लें कि फोड़े की देखभाल कैसे करें।

यदि डॉक्टर उत्तेजनात्मक स्तन कैंसर के देखते हैं, तो वे कैंसर के चरण (गंभीरता) के आधार पर उपचार शुरू कर देंगे। उपचार में आम तौर पर केमोथेरेपी (कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की प्रक्रिया), रेडिएशन थेरेपी (कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च शक्ति वाले एक्स-रे के उपयोग द्वारा) या स्तन और आसपास के लिम्फ नोड्स निकालने के लिए सर्जरी की जा सकती है।

ब्रेस्ट इन्फेक्शन से बचाव - 
कुछ महिलाएं, संक्रमण के लिए दूसरों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती हैं। खासकर जो पहली बार स्तनपान कराती हैं। सामान्य रूप से, स्तन कैंसर से बचने के लिए निम्न अच्छी आदतें होनी चाहिए:
  • दोनों स्तनों से समान रूप से स्तनपान कराएं।
  • अत्यधिक भराव और नलिकाओं के जमाव को रोकने के लिए पूरी तरह से स्तन खाली करें।
  • पीड़ा या निपल्स में होने वाली दरार को रोकने के लिए अच्छी स्तनपान तकनीक का प्रयोग करें।
  • काफी मात्रा में तरल पदार्थ पी कर डिहाइड्रेशन से बचें।
  • स्वच्छता के लिए हाथ धोएं, निपल्स को साफ रखें और अपने बच्चे को साफ सुथरा रखें।

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