आधुनिक और अनियंत्रित जीवनशैली के नकारात्मक प्रभाव विभिन्न शारीरिक बीमारियों के रूप में सामने आ रहे हैं। साइनस ऐसी ही एक समस्या है, जिससे आज एक बड़ी आबादी ग्रसित है। चिकित्सा जगत में इसे ‘साइनोसाइटिस’ का नाम दिया गया है। यह नाक संबंधी रोग है, जो जुकाम, सांस लेने में तकलीफ व चेहरे की मांसपेशियों में दर्द के साथ शुरू होता है और आगे चलकर गंभीर रूप ले लेता है। ध्यान रहे कि हर सर्दी-जुकाम को साइनस नहीं कहा जा सकता है। इसके कुछ विशेष लक्षण होते हैं, जिनके विषय में आपको पता होना चाहिए। इस लेख के जरिए हम आपको साइनस के इलाज और इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराएंगे, ताकि आप इसकी पहचान और उपचार स्वयं करे सकें।
साइनस के कारण –
दरअसल, हमारे सिर में कई खोखले छिद्र (कैविटीज) होते हैं, जो सांस लेने में हमारी मदद करते हैं और सिर को हल्का रखते हैं। इन छिद्रों को साइनस या वायुविवर कहा जाता है। जब इन छिद्रों में किसी कारणवश गतिरोध पैदा होता है, तब साइसन की समस्या उत्पन्न होती है। ये छिद्र कई कारणों से प्रभावित हो सकते हैं और बैक्टीरिया, फंगल व वायरल इसे गंभीर बना देते हैं। एक्यूट साइनोसाइटिस दो से चार हफ्तों तक रहता है, जबकि क्रॉनिक साइनोसाइटिस 12 हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक रहता है। निम्नलिखित बिंदुओं के जरिए जानिए साइनस की समस्या उत्पन्न होने के सबसे अहम कारण :
जुकाम : साइनस का सबसे सामान्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक निरंतर बहती है या फिर बंद हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है। जुकाम एक प्रकार का संक्रामक होता है, जो किसी और के माध्यम से भी आपको चपेट में ले सकता है। जिन लोगों को लगातार जुकाम होता है, उन्हें साइनस होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है ।
प्रदूषण : साइनस की समस्या प्रदूषण के कारण भी हो सकती है। ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या बढ़ सकती है। ये हानिकारक कण सीधे हमारी श्वास नली पर प्रहार करते हैं। इससे धीरे-धीरे जुकाम, नाक का बहना व दर्द आदि समस्या होती है। इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
एलर्जी : देखा गया है कि बहुत से लोगों को नाक संबंधी एलर्जी की शिकायत रहती है। बाहर की दूषित वायु के संपर्क में आते ही यह समस्या बढ़ जाती है। नाक संबंधी एलर्जी मौसमी भी हो सकती है। सर्दियों के दौरान ऐसी समस्या ज्यादा देखी गई है। सर्दियों में नाक का बहना, नाम की नलियां बंद हो जाना, गले में दर्द, आवाज में बदलाव, सिरदर्द आदि आम हैं, लेकिन आप इन्हें हल्के में न लें। साइनस इन्हीं लक्षणों के साथ दस्तक देता है।
नाक की हड्डी बढ़ना : नाक की हड्डी बढ़ने के कारण भी साइनस की समस्या हो जाती है। दरअसल, बचपन या किशोरावस्था में नाक पर चोट लगने या दबने के कारण नाक की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है, जिससे नाक का आकार टेढ़ा दिखाई देता है। हड्डी का यह झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करता है, जिससे साइनस की समस्या हो सकती है। कोई भी कारण, जो श्वास छिद्रों में अवरोध पैदा करते हैं, उनसे साइनस की समस्या पैदा हो सकती है।
अस्थमा : अस्थमा सांस संबंधी गंभीर बीमारी है, जो फेफड़ों व श्वास नलियों को प्रभावित करती है। अस्थमा से ग्रसित मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता, जिसके लिए उसे स्पेसर की आवश्यकता पड़ती है। इन हालातों में मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं। अगर अस्थमा के दौरान साइनस के लक्षण दिखाई दें, तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं ।
भोजन : खानपान में बरती गई लापरवाही भी साइनस का कारण बन सकती है। भोजन की अनियंत्रित मात्रा व पोष्टिक तत्वों की कमी से पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जो आगे चलकर साइनस की समस्या की जड़ बन सकता है। इसलिए जो खाएं, देख-समझ कर ही खाएं।
साइनस के लक्षण –
आपको साइनस है या नहीं? इस सवाल के जवाब के लिए आपको साइनस के विभिन्न लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि हर जुकाम या नाक में हो रहे दर्द को साइनस की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। आइए, जानते हैं साइनस के कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में
सिरदर्द : साइनस का सबसे सामान्य लक्षण सिरदर्द है। वायु विवर (साइनस कैविटीज) बंद होने या सूजन की वजह से सांस लेने में दिक्कत पैदा होती है और आपको सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, क्योंकि इससे आपके सिर और नसों पर दबाब पड़ता है। इस दर्द का अनुभव आप माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आसपास महसूस कर सकते हैं। कई बार यह दर्द असहनीय अवस्था में पहुंच जाता है ।
बुखार और बेचैनी : साइनस के दौरान मरीज को बुखार भी आ सकता है और बेचैनी या घबराहट भी हो सकती है या फिर बुखार आ सकता है। यह जरूरी नहीं कि साइनस के दौरान बुखार आए। फिर भी अगर आपको कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत साइनस का इलाज करवाएं
आवाज में बदलाव : साइनस के कारण नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है व दर्द होता है, जिसका असर आपकी आवाज पर भी पड़ता है। इस दौरान, आपकी आवाज सामान्य से थोड़ी भिन्न हो जाती है। आवाज में भारीपन या धीमापन आ जाता है। आवाज में हो रहे इस बदलाव के जरिए आप साइनस के लक्षण की पहचान कर सकते हैं।
आंखों के ऊपर दर्द : साइनस कैविटीज़ आपकी आंखों के ठीक ऊपर भी होते हैं, जहां सूजन या रुकावट के कारण दर्द शुरू हो जाता है। इस लक्षण से आप साइनस की पहचान कर सकते हैं।
सूंघने की शक्ति कमजोर होना : खोखले छिद्रों में अवरोध पैदा होने का कारण सूंघने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में नाक बंद हो जाती है और सूजन के कारण इंद्रियां अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं। इसलिए, किसी भी चीज को सूंघने की सामान्य क्षमता कम हो जाती है।
दांतों में दर्द : साइनस संक्रमण के कारण आपके दांतों में भी दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि साइनस कैविटीज़ में बनने वाला तरल पदार्थ मैक्सिलरी साइनस (ये खोखले छिद्र नाक के पास होते हैं) के पास ऊपरी दांतों पर दबाव डालता है। अगर आपको साइनस की वजह से दांतों में दर्द होता है, तो आपको इसके निवारण के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए ।
थकान : चिकित्सकों का मानना है कि अगर तेज जुकाम के साथ सिरदर्द, नींद न आना, नाक का बार-बार बंद होना और थकान महसूस होती है, तो यह लक्षण साइनस के हैं। इन चीजों का अहसास होते ही, आपको डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।
खांसी : तेज खांसी को भी साइनस का मुख्य लक्षण माना गया है। साइनस से गले व फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिससे मरीज खांसी की चपेट में आ जाता है। इसलिए, इन लक्षणों को हल्के में न लें ।
साइनस की पहचान कैसे करें, यह तो अब आप जान ही गए होगे। आगे हमे इस बीमारी को ठीक करने के कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं।
साइनस के घरेलू इलाज –
1. तेल
साइसन का उपचार विभिन्न प्राकृतिक तेलों से किया जा सकता है। इसमें लैवेंडर, पुदीना, नींबू, पाइन व लौंग आदि शामिल हैं। ये तेल काफी लाभदायक होते हैं, जिनसे छाती, नाक व सिर की मालिश करने से आराम मिलता है। नियमित रूप से इन तेलों का इस्तेमाल आपको काफी लाभ पहुंचाएगा। इन तेल को आसानी से घर में बनाया जा सकता है। नीचे जानिए नींबू, पुदीना और लौंग का तेल बनाने की विधियों के बारे में ।
सामग्री
- एक नींबू
- जैतून या नारियल का तेल (250 ml)
बनाने की विधि
नींबू से तेल बनाने के लिए नींबू के छिलके उतारें और किसी जार में नारियल या जैतून के तेल के साथ मिला कर धूप में कुछ दिन के लिए रख दें।
- बाद में उसे साफ कपड़े की मदद से छान लें।
- वहीं, लौंग का तेल बनाने के लिए भी आपको कुछ ऐसा ही करना होगा।
- पुदीने के 14-15 पत्ते
- जैतून/नारियल का तेल (250 एमएल)
बनाने की विधि
- सबसे पहले पुदीने के पत्तों को सूखने के लिए रख दें।
- पत्ते सूख जाने के बाद आप उन्हें बारीक काट लें।
- अब आप जैतून/नारियल के तेल को गर्म कर लें और फिर किसी जार में सूखे कटे पत्तों के साथ दो-चार दिन के लिए रख दें।
- बीच-बीच में जार को हिलाते रहें, ताकि पत्ते तेल के साथ अच्छी तरह मिल जाएं।
- दो-चार दिन बाद किसी साफ कपड़े की मदद से तेल को छान लें।
कैसे है लाभकारी
ये प्राकृतिक तेल साइनस की समस्या को बहुत हद तक दूर कर सकते हैं। इन तेल से आप अरोमाथेरेपी (खुशबूदार प्राकृतिक तेलों से की जाने वाली चिकित्सा पद्धति) । इस थेरेपी से आपका साइनस का दर्द काफी हद तक कम हो जाएगा। आप दिन में दो बार इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, ऐसे तेल आपको बाजार में भी मिल जाएंगे, लेकिन अच्छी गुणवत्ता के लिए आप इसे घर पर ही बनाएं। इस तरह आप साइनस का इलाज कर सकते हैं ।
2. सेब का सिरका
सेब का सिरका भी लाभदायक साइनस की दवा है। सेब के सिरके में वो औषधीय गुण होते हैं, जो आपको साइनस की समस्या से निजात दिला सकते हैं। सेब का सिरका एक सटीक घरेलू उपचार है। सेब का सिरका बनाना बेहद आसान है और इसे आप अपने घर में ही बना सकते हैं।
सामग्री
- सेब के टुकड़े ( जार के एक तिहाई)
- दो चम्मच चीनी
- साफ पानी (इतना की जार भर जाए )
- सबसे पहले आप सेब के टुकड़ों को एक लिटर के जार में डाल दें।
- दो चम्मच चीनी को एक कप पानी में घोल लें।
- चीनी के पानी को जार में डाल दें और ऊपर से और पानी डाल दें, इतना की जार भर जाए ।
- फिर उस जार को साफ कपड़े की मदद से ढककर तीन हफ्तों के लिए छोड़ दें।
- बाद में उसे साफ कपडे़ की मदद से अच्छी तरह छान लें।
- छाने गए तरल को फिर उसी जार में डाल दें और 3-4 हफ्तों के लिए छोड़ दें। इस प्रकार आप सेब का सिरका बना सकते हैं।
कैसे है लाभकारी
साइनस जैसे संक्रमण का उपचार करने में सेब का सिरका गुणकारी प्राकृतिक विकल्प है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको थोड़ा सिरका पानी में मिलकार गर्म करना होगा और फिर उसकी भाप लेनी होगी। इस प्रक्रिया को नियमित रूप से करने से आपको साइनेस की तकलीफ से राहत मिलेगी ।
3. लेमन बाम
साइनस की समस्या से निजात पाने के लिए लेमन बाम भी एक गुणकारी नुस्खा है। यह पुदिने के परिवार का ही एक बारहमासी पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम मेलिसा ओफ्फिसिनालिस है। इसका इस्तेमाल बुखार, जुकाम या फ्लू के उपचार के लिए किया जाता है। चूंकि, साइनस की समस्या भी जुकाम और नाक संबंधी लक्षणों के साथ पैदा होती है, इसलिए इसके निवारण के लिए आप लेमन बाम प्रयोग में ला सकते हैं।
सामग्री
- एक छोटा चम्मच लेमन बाम (तरल)
- या एक चम्मच लेमन बाम की सूखी पत्तियां
- एक कप गर्म पानी
- लेमन बाम का तेल
बनाने की विधि
- आप लेमन बाम का इस्तेमाल चाय के रूप में कर सकते हैं। चाय बनाने के लिए आप एक खाली कप में दो चम्मच लेमन बाम (तरल) या एक चम्मच लेमन बाम की सूखी पत्तियां डाल दें।
- अब ऊपर से गर्म पानी कप में डालें।
- 2-3 मिनट के बाद आप इसे छानकर पी सकते हैं।
- इसके अलावा, तेल के रूप में लेमन बाम का इस्तेमाल कर सकते हैं। बाजार में आपको लेमन बाम का तेल मिल जाएगा, जिसे आप गले और छाती पर लगा सकते हैं।
कैसे है लाभकारी
लेमन बाम एक सुंगधित सिट्रस पौधा है, जिसमें जीवाणु रोधक गुण पाए जाते हैं। साइनस की दवा के रूप में इसका इस्तेमाल कर आप साइनस संक्रमण से निजात पा सकते हैं ।
4. चाय
साइनस में होने वाली तकलीफ को गर्म चाय के माध्यम से भी बहुत हद तक दूर किया जा सकता है। साइनस के लक्षण और इसकी शुरुआत जुकाम, नाक बंद व नाक में दर्द के साथ होती है। अक्सर कहा भी जाता है कि गर्म चाय ठंड को दूर भगाती है।
सामग्री
- आधा चम्मच चायपत्ती
- आवश्यकता अनुसार अदरक
- 2 लौंग
- 2 तुलसी के पत्ते
- साफ पानी
- 2 चम्मच चीनी
बनाने की विधि
- चाय बनाने के लिए आप पहले चुल्हे/गैस पर चाय बनाने का बर्तन रखें, फिर उसमें एक कप से थोड़ा ज्यादा पानी डालें।
- पानी थोड़ा गर्म होने पर चायपत्ती, अदरक, लौंग और चीनी डालें। 4-5 बार उबाल बर्तन को उतार लें। कप में चाय डालें और धीरे-धीरे पीएं।
- आप तुलसी के पत्तों की चाय बना सकते हैं। जिसके लिए आप एक कप में तुलसी के दो पत्ते डाले और ऊपर से गर्म पानी डाल दें ।
कैसे है लाभकारी
अदरक, तुलसी या फिर लौंग का इस्तेमाल करके चाय पीने से आपके शरीर में गर्माहट आएगी, जिससे आप ठंड में जुकाम या अन्य संक्रमणों से बचे रहेंगे। हर्बल-टी का इस्तेमाल आप साइनस की दवा के रूप में कर सकते हैं ।
5. प्याज का रस
साइनस संक्रमण से निजात पाने के लिए आप प्याज के रस का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्याज में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, जो साइनस संक्रमण के इलाज के लिए उपयोगी माने गए हैं। साइनस का इलाज करने की यह एक असरदार दवा है।
सामग्री
- एक प्याज
- प्याज को साफ पानी में धोकर उसे काट लें।
- कटी प्याज को पानी (300 ml) में अच्छी तरह उबालें, जिससे कि प्याज का रस ठीक प्रकार पानी में घुल जाए।
कैसे है लाभकारी
साइनस के निवारण के लिए प्याज का इस्तेमाल दो प्रकार से किया जा सकता है। पहला, प्याज को काट कर उसे सीधे सूंघकर या फिर गर्म पानी में उबालकर, उसकी भाप नाक के मार्ग से लेकर। ऐसा करने से नाक की बंद नलियां खुल जाती हैं और दर्द काफी हद तक कम हो जाता है। आप प्याज के गर्म पानी को पी भी सकते हैं। इस प्रकिया के लिए आप तेज गंध वाले प्याज का ही चुनाव करें।
6: शहद
घर में रखी चुनिंदा कुछ प्राकृतिक चीजों से आप साइनस की समस्या से निजात पा सकते हैं, जिसमें शहद काफी गुणकारी माना गया है। अगर आपके खाने-पानी की चीजों में शहद किसी प्रकार शामिल है, तो यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होगा।
सामग्री
- दो चम्मच शहद
- एक चम्मच नींबू का रस
बनाने की विधि
- एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लें।
- इसके अलावा, शहद में नींबू का रस मिलाकर लें।
कैसे है लाभकारी
हनी में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन नाक और गले में होने वाले संक्रमण से आपका बचाव करेगा ।
7. हाइड्रोजन पेरोक्साइड
साइनस से निजात पाने के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड (यह पानी से थोड़ा गाढ़ा रंगहीन रासायनिक तरल है) एक सुरक्षित और प्रभावशाली माध्यम माना गया है। यह एक सस्ता उपाय है, जिसके लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सामग्री
- हाइड्रोजन पेरोक्साइड (पानी का एक चौथाई)
बनाने की विधि
- आपको 30 एमएल नोज स्प्रे बोतल में एक तिहाई पानी और पानी का एक चौथाई हाइड्रोजन पेरोक्साइड मिलाना होगा।
- इस प्रकार आप हाइड्रोजन पेरोक्साइड नोज स्पे घर में ही बना सकते हैं। बाजार से इस तरह की स्प्रे बोतल आराम से मिल जाती हैं।
कैसे है लाभकारी
बंद नाक को खोलने के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड एक सटीक साइनस का घरेलू उपचार है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड में जीवाणुरोधी तत्व पाए जाते हैं, जो नाक के संक्रमण को काफी हद तक दूर कर देते हैं। आप इसका प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर कर सकते हैं ।
8: टमाटर का रस
साइनस के घरेलू उपचार के अंतर्गत आप टमाटर के रस का इस्तेमाल कर सकते हैं। टमाटर, साइनस में होनी वाली दिक्कत को दूर भगाने का एक कारगर और आसान उपाय है।
सामग्री
- 2 टमाटर
- नमक( स्वाद अनुसार)
- लहसुन (1 कली)
- सूप बनाने के लिए पहले टमाटर और लहसुन को अच्छी तरह ग्राइंड कर लें।
- डेढ़ कप पानी में ग्राइंड किया टमाटर, नमक और लहसुन को अच्छी तरह मिला लें।
- फिर चुल्हे पर इस मिश्रण को 10 मिनट तक पकाएं।
कैसे है लाभकारी
टमाटर काफी गुणकारी होता है, जो नाक की सूजन को कम करने के साथ-साथ संक्रमण से भी बचाव करता है। यह क्वेरसेटिन का प्रमुख स्रोत होता है, जो प्राकृतिक एंटीहिस्टामाइन होता है। इसकी मदद से किसी भी तरह की सूजन को कम किया जा सकता है। इसलिए, अपने भोजन में टमाटर के सूप को जरूर स्थान दें (22)।
9. लहसुन
लहसुन भी साइनस संक्रमण को काफी हद तक कम करता है। इसका इस्तेमाल आप दो प्रकार से कर सकते हैं। एक सूप बनाकर या प्रतिदिन लहसुन की कलियों का सीधे सेवन करके।
सामग्री
- 4-5 लहसुन की कलियां
बनाने की विधि
- सूप बनाने के लिए आप गर्म पानी में लहसुन की कलियों को पीस कर डाल दें।
- हल्का गरम होने पर पिएं।
कैसे है लाभकारी
लहसुन का इस प्रकार नियमित सेवन आपके लिए फायदेमंद होगा। लहसुन काफी गर्म होता है, और यह आपको अंदरूनी रूप से गर्म रहने में मदद करेगा । लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, इसलिए यह बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में काफी कारगर है ।
10. चकोतरा
साइनस के घरेलू उपचार के अंतर्गत आप चकोतरा का चुनाव कर सकते हैं। यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक है, जो जीवाणुओं से लड़ने में काफी मददगार होता है। आप इसका इस्तेमाल साइनस के इलाज के लिए कर सकते हैं।
सामग्री
- चकोतरा का रस (10 बूंदें)
बनाने की विधि
- चकोतरा के रस की 10 बूंदों को साफ पानी (एक बड़ा कप) में मिलाकर दिन में तीन बार पिएं।
- इसकी कुछ बूंदों को नेति पात्र (एक पात्र, जिसमें पानी डालकर नाक की सफाई की जाती है) में जल के साथ मिलाकर प्रयोग में लाएं, जल्द फायदा मिलेगा)।
कैसे है लाभदायक
चकोतरा नींबू और संतरे की प्रजाति का ही एक फल होता है, जिसमें विटामिन-सी की मात्रा ज्यादा होती है। इसका प्रयोग कर आप साइनस की समस्या से निजात पा सकते हैं
11. वसाबी (हॉर्सरैडिश )
साइनस के आयुर्वेदिक इलाज के अंतर्गत आप वसाबी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें कई रोग निवारक गुण मौजूद होते हैं।
सामग्री
- एक वसाबी की जड़
बनाने की विधि
- इसका इस्तेमाल करने के लिए आप इसे छोटा-छोटा काट लें और पानी (जरूरत के हिसाब से) में उबालें।
- अब इस गर्म पानी को चाय की तरह पिएं।
- आप सीधे इसे चूस-चूस कर भी खा सकते हैं।
कैसे है लाभकारी
वसाबी में काफी सल्फर पाया जाता है, जो बंद नाक को खोलकर संक्रमण को कम कर देता है। इस प्रकार इसका सेवन साइनस के लक्षणों को खत्म कर आपको राहत का एहसास कराएगा
12. नारियल तेल
साइनस संक्रमण से बचाव के लिए आप नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते है। इस विधि को कोकोनट आयल पुलिंग के नाम से भी जाना जाता है।
सामग्री
- दो चम्मच नारियल का तेल
कैसे करें इस्तेमाल
- तेल को मुंह रखें और धीरे-धीरे जबड़ा हिलाते रहें।
- 10 मिनट बाद तेल को थूक दें।
- ऐसा आप प्रतिदिन सुबह और रात में करें।
कैसे है लाभकारी
यह साइनस का इलाज करने का एक प्राचीन और लाभकारी माध्यम है। अमूमन इसका इस्तेमाल दांत और मसूड़े संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है, लेकिन इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो साइनस के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें मौजूद जीवाणु नाशक तत्व साइनस संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं (25)।
13. डिटॉक्स स्नान
साइनस की परेशानी से निजात पाने के लिए आप डिटॉक्स स्नान का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- सामग्री
- एक कप सेंधा नमक
- आधा कप बेकिंग सोडा बेकिंग सोडा
- टी ट्री तेल की 6-8 बूंदें
- बनाने की विधि
- इस खास स्नान के लिए आप पहले टब को हल्के गर्म पानी से भर दें।
- इसके बाद पानी में एक कप सेंधा नमक, आधा कप बेकिंग सोडा और 6-8 बूंदें टी ट्री तेल की डाल दें।
- रोज इस पानी से 15-20 मिनट तक स्नान करें ।
कैसे है लाभदायक
डिटॉक्स स्नान में इस्तेमाल की गई चीजें काफी गुणकारी होती हैं, जिनमें जीवाणुरोधक तत्व पाए जाते हैं। इस खास स्नान के जरिए आप साइनस संक्रमण पर काबू पा सकते हैं।
14. भाप
साइनस के सबसे आम लक्षण जुकाम और नाम का बंद होना है, इसलिए इनके निवारण हेतु आप भाप का प्रयोग कर सकते हैं।
सामग्री
नींबू या तुलसी
का तेल ( 8-10 बूंदें)
गर्म पानी (आधा लीटर)
कैसे करें इस्तेमाल
असरदार भाप के लिए आप गर्म पानी में नींबू या तुलसी के तेल की 8-10 बूंदें को डालें।
फिर साफ कपड़े से सिर को अच्छी तरह ढकें और सांस लें।
यह प्रक्रिया दिन में दो-तीन बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
भाप बंद नाक खोलकर सिर का भारीपन और दर्द कम करने का कारगर उपाय है। हालांकि साइनस संक्रमण के लिए यह विधि कितनी कारगर है, इस पर सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन साइनस के दौरान होनी वाली तकलीफों को भाप के द्वारा कम किया जा सकता है।
साइनस से बचने के लिए कुछ और उपाय –
उपरोक्त बताए गए साइनस के घरेलू नुस्खों के अलावा आप अन्य उपायों और सुझावों को भी इलाज प्रक्रिया में शामिल कर सकते हैं।
पर्याप्त जल : शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर 3-4 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी का संचार शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है
खान-पान : असंयमित भोजन न सिर्फ साइनस, बल्कि संपूर्ण शरीर की समस्याओं की जड़ बन सकता है। इसलिए, खानपान और इससे जुड़ी बातों को गंभीरता से लें। ध्यान रहे, साफ और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आपके शरीर के सच्चे मित्र होते हैं।
वेंटिलेशन : शयन कक्ष या फिर जिस कमरे में ज्यादा समय बिताते हो, वहां खिड़कियां जरूरी होनी चाहिएं, ताकि बाहर की ताजा हवा आपके शरीर तक पहुंच सके। स्वच्छ हवा के अभाव में आप साइनस की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं। अगर आपके कमरे में एसी लगा हुआ है, तो आप बीच-बीच में उसे बंद कर खिड़कियों को जरूर खोलें। ज्यादा समय एसी में रहने की वजह से भी सांस संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है (29)।
आसपास की जगहों को साफ रखें : अपने कमरे और आसपास की जगहों को साफ रखें, ताकि कोई भी विषैला तत्व आप पर प्रहार न कर सके। आपकी आसपास की जगहें जितनी साफ होंगी, शारीरिक समस्याओं की संख्या उतनी तेजी से घटती चली जाएगी (30)।
आद्रता : आर्द्रता भी काफी हद तक आपके साइनस को प्रभावित करती है। आर्द्रता का गलत प्रभाव श्वसन संक्रमण और एलर्जी को बढ़ा सकता है। कमरे में अत्यधिक या कम आर्द्रता के कारण समस्या खड़ी हो सकती हैं। इसलिए, कमरे में इसका संतुलन (40 से 60 प्रतिशत) बनाकर रखें (31)। आर्द्रता को आप आर्द्रतामापी यंत्र के द्वारा नाप सकते हैं। यह यंत्र बाजार में आसानी से मिल जाएगा। अंग्रेजी में इसे इंडोर हाइड्रोमीटर कहते हैं।
जागरूकता : आप किसी भी समस्या का हल तभी निकाल सकते हैं, जब आपको उससे संबंधित जानकारी हो। साइनस की समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसलिए, बताए गए साइनस के लक्षणों को ठीक से समझ लें, ताकि मुसीबत के समय आप अपना इलाज स्वयं कर सकें।
साइनस की समस्या किसी को भी किसी भी समय हो सकती है। इसलिए, इससे बचने और इस पर काबू पाने के लिए साइनस के लक्षणों, साइनस के कारणों और इसके उपचार की जानकारी आपको होनी चाहिए। भूल से भी कोई भी आधुनिक दवा बिना डॉक्टर के कहे न लें। आपकी एक गलती कई अन्य बीमारियों को न्यौता दे सकती है। एक बार आप साइनस के लक्षणों को पहचानने में सफल हुए, तो इसका इलाज सही ढंग से कर पाएंगे। आपको यह लेख कैसा लगा और इन घरेलू उपचार से आपको किस प्रकार लाभ हुआ, इस बारे में नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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