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यौन शिक्षा (Sex education) की जानकारी

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सेक्स एजुकेशन (यौन शिक्षा) का ज्ञान उतना ही जरूरी है, जितना कि दूसरे विषयों का ज्ञान होना जरूरी है। हमारे देश में कॉलेज तक में सेक्स एजुकेशन (यौन शिक्षा) के बारे में नहीं बताया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सेक्स एजुकेशन से जुड़ी भ्रांतियां, सेक्स संबंधी अंधविश्वास और इससे जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके आलावा वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए भी स्त्री-पुरुष दोनों को सेक्स के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसलिए हमने आपके लिए यह सेक्स शिक्षा गाइड तैयार की है इसमें हमने: सेक्स की जानकारी, किशोरों के लिए यौन शिक्षा, माता-पिता के लिए सेक्स एजुकेशन, विवाहित जोड़ो के लिए सेक्स एजुकेशन, और स्कूलों में सेक्स शिक्षा के बारे में बताया है। यहां पर हम आपको सेक्स एजुकेशन (सेक्स शिक्षा) के बारे में सम्पूर्ण जानकारियां दे रहे हैं।

परंपरागत रूप से हमारी संस्कृति में किशोरों को यौन संबंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती है। वास्तव में इस मुद्दे पर बात करना भी वर्जित माना जाता है। लोग मानते हैं कि शादी से पहले यौन क्रियाओं के बारे में जानना जरूरी नहीं होता है लेकिन समय बदलने के साथ ही यौन संबंधों को लेकर धारणा भी बदली है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों पर यौन शिक्षा दी जानी अनिवार्य है। एक आंकड़े के अनुसार एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों में से 34 प्रतिशत 12 से 19 आयु वर्ग के हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सेक्स एजुकेशन क्या होता है और इसके फायदे और नुकसान के बारे में बताएंगे। हर लड़के और लड़की को ज़रूर जाननी चाहिए सेक्स एजुकेशन से जुड़ी ये खास बातें।

सेक्स एजुकेशन (सेक्स शिक्षा) क्या है?

व्यक्ति के शरीर की यौन संरचना, यौन क्रियाएं, यौन प्रजनन, शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, सुरक्षित यौन संबंध, प्रेगनेंसी, माहवारी और बर्थ कंट्रोल के बारे में बच्चों और किशोर लड़के लड़कियों को बताना सेक्स एजुकेशन कहलाता है। भारतीय समाज में आमतौर पर घरों में बच्चों को यौन शिक्षा नहीं दी जाती है लेकिन बच्चों के साथ बढ़ते यौन उत्पीड़न और किशोरावस्था में बलात्कार की घटनाओं के कारण बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूलों में सेक्स एजुकेशन देने की शुरूआत की गयी है। कई स्थानों पर बच्चों को नुक्कड़ नाटक और विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित करके सेक्स एजुकेशन दी जाती है।

यौन शिक्षा एक ऐसी प्रोसेस है, जिसमें स्कूल में टीचर और घर में माता-पिता बढ़ते बच्चों को यौन संबंधी जानकारी देते हैं। ताकि वह अपनी यौन क्रिया, करीबी रिश्ते और यौन पहचान के बारे में जान सकें। यह क्रिया बच्चों को यौन संबंधों के प्रति एक अच्छी समझ पैदा करती है, जिससे भविष्य में वे यौन संबंधित फैसले लेने में सक्षम होते हैं।

सेक्स एजुकेशन के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यह निर्देश जारी किया गया था कि 12 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले बच्चों को स्कूल में सेक्स एजुकेशन दी जानी जरूरी है। एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है, कि जिन बच्चों को शिक्षकों द्वारा सेक्स एजुकेशन दी गई है, वे अपनी सही उम्र में जाकर शारीरिक संबंध बनाते हैं वो भी सुरक्षित तरीके से।

यौन शिक्षा मानव यौन व्यवहार से संबंधित मुद्दों पर एक निर्देश चिकित्सा है, जिसमें भावनात्मक जिम्मेदारियां और रिलेशनशिप, यौन गतिविधियां, यौन सहमति की उम्र, मानव यौन शरीर रचना विज्ञान, प्रजनन अधिकार, प्रजनन की आयु, जन्म नियंत्रण, सुरक्षित यौन संबंध और यौन संयम से संबंधित मामलों के बारे में जानकारी शामिल होती हैं।

भारत में क्यों जरूरी है यौन शिक्षा –

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यौन शिक्षा के महत्व पर कई बहस और चर्चाएं हो चुकी हैं, कि इसे स्कूल में लागू किया जाना चाहिए। कुछ लोग इसके खिलाफ हैं, तो कुछ लोगों ने इसकी जरूरत को समझते हुए हरी झंडी दे दी है। बच्चों के बीच यौन शिक्षा उन्हें कामुकता के बारे में सिखाती है, उनके शरीर में परिवर्तन होता है और यह सब उन्हें यौवन की शुरूआत होने से पहले पता होना चाहिए। सेक्स एजुकेशन बच्चों को उनके शरीर के बारे में कई बातें सिखा सकती है, वहीं उन्हें गुमराह भी कर सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में सेक्स के प्रति दिलचस्पी बढऩे का प्रमुख कारण है इंटरनेट।

इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील सामग्रियों और युवाओं की इंटरनेट की प्रति रूझान की वजह से बच्चों में सेक्स को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। आज भी हमारे समाज में अगर बच्चे पैरेंट्स से सेक्स से जुड़ा सवाल कर लें, तो पैरेंट्स शर्म से लाल हो जाते हैं और उन पर गुस्सा करते हैं। ऐसे में बच्चे इंटरनेट और मैग्जीन्स की मदद से सेक्स से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढते हैं। इसमें इन्हें जानकारी तो मिलती है, लेकिन आधी-अधूरी। कई बार तो इस अधूरी जानकारी की वजह से बच्चे शारीरिक संबंध भी स्थापित करने लगते हैं। इससे बेहतर है, कि स्कूल में सेक्स के प्रति बच्चे की जिज्ञासा को सही तरह से शांत किया जाए या फिर पैरेंट्स उन्हें उनकी उम्र के अनुसार सही भाषा में सेक्स एजुकेशन देने की कोशिश करें।

सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बच्चों को स्कूल में ही सेक्स से जुड़े पहलू समझा दिए जाएं, तो वह किसी प्रकार के बहकावे में नहीं आते। सेक्स के प्रति कोई भी गलत चीज उन्हें किसी भी तरह से प्रभावित नहीं कर सकती। खासतौर से लड़कियों के लिए सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है।

सही उम्र में सेक्स शिक्षा महत्वपूर्ण क्यों है? –

भारत में अभी भी सेक्स को वर्जित माना जाता है, लेकिन कोई भी इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता है कि यह मानव शरीर के लिए एक शारीरिक आवश्यकता है। इसलिए, सेक्स एजुकेशन की सभी को सही उम्र में जानाकारी होना जरूरी है क्योंकि यह वास्तव में लोगों के जीवन और समाज की मानसिकता को बदल सकती है। सेक्स शिक्षा सेक्स से जुड़ी मान्यताओं की खोज करने में मदद करती है और साथ ही यह एक व्यक्ति को अपने स्वयं के यौन स्वास्थ्य और संबंधों का प्रबंधन करने में सक्षम बनाती है।

सही उम्र में यौन शिक्षा प्रदान करना महत्वपूर्ण है जिसमें लिंग पहचान, यौन स्वास्थ्य, स्वच्छता, जन्म नियंत्रण, यौन संचारित संक्रमण, शरीर की छवि, निर्णय लेने आदि जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, यौन शिक्षा बचपन के दौरान संभवतः शुरू होनी चाहिए। जिस समय एक बच्चा अपने शरीर के गुप्त अंगों पर सवाल उठाने लगता है।

सेक्स एजुकेशन की आवश्यकता क्यों है –

विभिन्न कारणों से सेक्स एजुकेशन की आवश्यकता है सेक्स शिक्षा काफी कारणों से महत्वपूर्ण है जैसे:
  • किशोरावस्था के समय किशोरों को शारीरिक रूप से अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों को जानना चाहिए। यह केवल सही सेक्स एजुकेशन प्रदान करने से संभव हो सकता है।
  • सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों को भी मासिक धर्म के बारे में पता होना चाहिए ताकि दोनों लिंग आसानी से एक लड़की के शरीर में होने वाली प्राकृतिक घटना के रूप में इसे स्वीकार कर सकें। इसके अलावा, उन्हें सैनिटरी पैड और टैम्पोन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
  • गर्भावस्था, यौन संचारित रोग (एसटीडी) और मानव इम्यूनो वायरस (एचआईवी) के बारे में जागरूकता लाने के लिए सेक्स शिक्षा की आवश्यकता है ताकि युवा अधिक जिम्मेदार बन सकें और सेक्स के संबंध में बेहतर निर्णय ले सकें।
  • लड़कियों और लड़कों को गर्भनिरोधक और सुरक्षित सेक्स के बारे में पता होना चाहिए।
  • उन्हें बलात्कार, मारपीट, यौन सहमति और यौन शोषण के बारे में सिखाना भी महत्वपूर्ण है।

सेक्स एजुकेशन (यौन शिक्षा) का उद्देश्य –

  • बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने का सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि किशोरों को एसटीडी, एसआईवी जैसे यौन रोगों और कम उम्र में अनचाही प्रेगनेंसी से बचाया जा सके।
  • यौन शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को नियंत्रित करना, कंडोम के प्रयोग, सेक्स से परहेज और गर्भनिरोधक की उपयोगिता के बारे में बताना है।
  • सेक्स के प्रति बच्चों के नजरिये को बदलने, उन्हें जोखिमों से बचाकर सुरक्षा प्रदान करने, ज्ञान बढ़ाने और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सेक्स एजुकेशन दिया जाता है।
  • किशोरावस्था में प्रवेश करते ही कुछ लड़के नशे के आदी हो जाते हैं और फिर नशे की हालत में बलात्कार जैसी घटनाओं में लिप्त हो जाते हैं, इस तरह की स्थिति को रोकने के लिए स्कूल में बच्चों को सेक्स एजुकेशन दिया जाती है।

स्कूलों में यौन शिक्षा –

स्कूलों में यौन शिक्षा में प्रजनन, यौन संचारित रोग, यौन अभिविन्यास, एचआईवी / एड्स, संयम, गर्भनिरोधक, गर्भावस्था, गर्भपात और गोद लेने जैसे विषय शामिल होने चाहिए। इसे 7 से 12 वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है, हालांकि इनमें से कुछ विषयों को कक्षा 4 के छात्रों को भी पढ़ाया जा सकता है। सेक्स शिक्षा कैसे सिखाई जानी चाहिए, इस पर विभिन्न कानून लागू किए गए हैं।

भारत के अधिकांश क्षेत्रों में, स्कूल यौन शिक्षा के लिए आयोजित कक्षाओं में अपने बच्चे की भागीदारी के बारे में माता-पिता की सहमति के लिए पूछते हैं। स्कूलों में यौन शिक्षा का प्राथमिक ध्यान बच्चे को किशोर गर्भावस्था और एसटीडी जैसे यौन स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक करना है। शोध बताते हैं कि अधिकांश परिवार अपने बच्चे को स्कूलों में यौन शिक्षा प्रदान करने के विचार का समर्थन करते हैं।

माता-पिता के लिए यौन शिक्षा –
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के साथ सेक्स के बारे में बात करने में सहज महसूस नहीं करते हैं। सेक्स के बारे में उनके बच्चे के प्रश्न का उत्तर देना उन्हें बहुत अजीब लगता है, हालाँकि, इस विषय को टाला नहीं जाना चाहिए। माता-पिता अपने बच्चे में शारीरिक परिवर्तनों के बारे में स्वस्थ भावनाओं को विकसित करने के लिए जिम्मेदार हैं। अपने बच्चे को यह बताना महत्वपूर्ण है कि जैसे-जैसे वे परिपक्व होंगे उनके शरीर कैसे बदलेंगा। आपके बच्चे के साथ पेनिस इरेक्शन, यौवन, मासिक धर्म और हस्तमैथुन जैसे विषयों पर चर्चा की जानी चाहिए।

हमेशा माता-पिता को अपने बच्चे के साथ यौन इच्छाओं और व्यवहार के बारे में बात करते समय आश्वस्त होना चाहिए। यदि इस तरह के विषयों पर बिना किसी हिचकिचाहट के चर्चा की जाती है, तो बच्चे को बड़े होने पर जिम्मेदार और स्वस्थ निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। माता-पिता को अपने बच्चों को गर्भधारण, यौन संचारित रोगों और जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में भी सिखाना चाहिए।

सेक्स एजुकेशन (सेक्स शिक्षा) के फायदे –
आज के समय में हर बच्चे को सही उम्र में सेक्स एजुकेशन देना बेहद जरूरी है। कुछ माता पिता अपने बच्चों के साथ इतने खुले होते हैं कि वे घर में ही बच्चों को यौन शिक्षा देते हैं जबकि कुछ बच्चों को इसके बारे में स्कूल में जानकारी दी जाती है। आइये जानते हैं कि सेक्स एजुकेशन के क्या फायदे होते हैं।

यौन शिक्षा के फायदे नॉलेज बढ़ाने के लिए –
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सेक्स एजुकेशन या यौन शिक्षा देने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे अपने शरीर, प्रजनन क्षमता, स्तनों के विकास, दाढ़ी मूंछ आना सहित किशोरावस्था में शरीर में होने वाले अन्य बदलावों के बारे में पता चलता है। इस तरह सेक्स एजुकेशन मिलने के बाद छात्रों का ज्ञान बढ़ता है और उन्हें कम से कम अपने शरीर के बारे और उनमें समय के साथ होने वाले परिवर्तन के बारे में पता चल पाता है। इसके अलावा हार्मोन परिवर्तन के कारण लड़के या लड़कियों की तरफ आकर्षित होने के कारणों के बारे में भी पता चलता है।

सेक्स एजुकेशन के फायदे यौन समस्याओं से बचने के लिए –
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छात्रों को स्कूल में सेक्स एजुकेशन देने से उनके ऊपर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है और उन्हें यौन समस्याओं से बचने में आसानी होती है। वास्तव में किशोरावस्था में बच्चे कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें पूरे जीवन भुगतना पड़ता है। ऐसे में उचित समय पर बच्चों को यौन शिक्षा देने से वे यौन समस्याओं से बच सकते हैं। इसके अलावा बच्चे निर्णय लेने में भी सक्षम हो पाते हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है।

यौन शिक्षा के फायदे दूसरों से बात करने के लिए –
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कहा जाता है कि जब किसी चीज के बारे में पहले से ही थोड़ी जानकारी होती है तो उस विषय पर बात करना बेहद आसान होता है। स्कूलों में बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने का बड़ा फायदा यह होता है कि माता पिता भी अपने बच्चों से इस बारे में घर में बातें कर सकते हैं और बच्चों को भी बात करने में शर्म नहीं आएगी। इससे यदि कोई रिश्तेदार बच्चों का यौन उत्पीड़न करता है तो कम से कम बच्चा अपने माता पिता से बताने में संकोच नहीं करेगा।

सेक्स एजुकेशन के फायदे अच्छी सेक्स लाइफ के लिए –
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यौन शिक्षा देने का एक अन्य फायदा यह होता है कि इससे हर उम्र के बच्चों को यह पता चल पाता है कि सेक्स का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। यौन शिक्षा से बच्चों का ज्ञान विस्तृत होता है और साथ में सेक्स से जुड़े मिथक और भ्रांतियों से भी उन्हें बाहर निकलने में मदद मिलती है। इसके अलावा बच्चों को  इस बात का भी ज्ञान होता है कि किस उम्र में सेक्स करना फायदेमंद होता है और कब नुकसानदायक होता है।

यौन शिक्षा के लाभ गुड टच और बैड टच पहचानने के लिए –
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स्कूल, ट्यूशन में और किसी रिश्तेदार के हाथ बच्चों का यौन उत्पीड़न होना बहुत आम बात है। ज्यादातर बच्चे इतने डरे होते हैं कि वे इस बारे में अपने घर में नहीं बता पाते हैं। इस स्थिति में बच्चों को यौन शिक्षा देने का यह फायदा होता है कि बच्चों को यह पता चल जाता है कि अच्छे तरीके से छूने और गलत तरीके से छूने में क्या अंतर है। इससे बच्चों को जब भी कोई गलत मकसद से छूता है तो वे तुरंत इसके बारे में अपने माता पिता से बता सकते हैं।


सेक्स शिक्षा के फायदे टीनएज प्रेगनेंसी से बचने के लिए –
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अक्सर देखा जाता है कि किशोरावस्था में प्रवेश करते ही लड़के लड़कियों की तरफ आकर्षित होने लगते हैं और उनके साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा लड़कियां भी खुद को कंट्रोल नहीं कर पाती हैं और कम उम्र में ही असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार होती हैं। सेक्स एजुकेशन देने का एक फायदा यह होता है कि लड़के लड़कियों के शरीर में होने वाले परिवर्तन को समझते हैं और जानकारी होने पर भद्दे कमेंट नहीं करते हैं। इसके अलावा लड़कियां भी टीन एज प्रेगनेंसी से बच जाती हैं।

सेक्स एजुकेशन के नुकसान –
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आमतौर पर बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने वाले शिक्षक विशेषज्ञ नहीं होते हैं। वे बच्चों को कभी कभी बहुत गलत तरीके से और भ्रामक यौन शिक्षा देते हैं जिसके कारण बच्चों के मस्तिष्क पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।

यौन शिक्षा देना वास्तव में कोई आसान काम नहीं होता है। अपने शरीर के प्राइवेट पार्ट्स के बारे में सुनने में बच्चों को तो शर्म आती ही है साथ में शिक्षक को भी काफी संकोच होता है। इसलिए इसका नुकसान यह हो सकता है कि बच्चे इसे सुनने या ग्रहण करने में रुचि नहीं ले सकते हैं।

शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जानने के बाद बच्चों को इंटरनेट पर पोर्न वीडियो देखने की भी लत लग सकती है।

कहा जाता है कि अधूरा या थोड़ा ज्ञान ज्यादा घातक होता है। ज्यादातर सेक्स एजुकेटर बच्चों को शारीरिक शिक्षा या स्वास्थ्य कक्षाओं में ही सेक्स एजुकेशन देते हैं। पर्याप्त जानकारी न देने के कारण बच्चे खुद ही कोई न कोई प्रयोग करके सीखने लगते हैं जो काफी नुकसानदायक होता है।


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