मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) का मतलब है एक महिला को मासिक धर्म या पीरियड्स होना बंद हो जाना। एक साल तक पीरियड्स न होने पर इसे रजोनिवृत्ति माना जाता है। हर वर्ष करोड़ों महिलाएं मेनोपॉज की स्थिति से गुजरती हैं। ये एक ऐसी प्रक्रिया है, जो 50 की उम्र के आस-पास होती है और इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
रजोनिवृत्ति से महिलाओं में ओवुलेशन बंद हो जाता है और वे गर्भवती नहीं हो सकतीं। मेनोपॉज के कुछ लक्षण होते हैं, जैसे योनि का सूखापन, हॉट फ्लैशेस, नींद न आना, कामेच्छा की कमी और सिरदर्द। स्थिति के आधार पर, कुछ महिलाओं को अधिक गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे हड्डियों में दर्द और ऑस्टियोपोरोसिस।
रजोनिवृत्ति के लक्षणों को अधिकतर नियंत्रित किया जा सकता है। अगर ये नियंत्रित न हों, तो इनके लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी उपलब्ध है, जिससे कुछ हद तक आराम मिलता है। हालांकि, इन चिकित्साओं के भी अपने दुष्प्रभाव होते हैं, जिसमें कैंसर होने का जोखिम भी शामिल है।
इसी कारण, मेनोपॉज के लिए कोई इलाज लेने से बेहतर है आप इस प्राकृतिक प्रक्रिया के लक्षणों का सामना करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लें और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
इस लेख में हमने मेनोपॉज में होने वाले लक्षणों और उन्हें नियंत्रित करने के लिए उपायों के बारे में बताया है। इसके साथ ही यहां मेनोपॉज की सही उम्र और इसके उपचार के बारे में भी बताया गया है।
मेनोपॉज की सही उम्र -
मेनोपॉज की सही उम्र महिला के स्वास्थ्य, हार्मोन और उनके भौगोलिक क्षेत्र पर निर्भर करती है। ये उम्र हर महिला में अलग-अलग होती है। भारतीय महिलाओं को पश्चिमी देशों की महिलाओं से पहले रजोनिवृत्ति होने की संभावना होती है।
विश्वभर में महिलाओं को मेनोपॉज होने की औसतन उम्र 51 होती है, लेकिन भारत की महिलाओं के लिए ये उम्र 46.2 साल है। आपको 45 से 50 साल तक की उम्र में कभी भी मेनोपॉज हो सकता है। समय से पहले मेनोपॉज होना भी चिंता का विषय हो सकता है।
समय से पहले मेनोपॉज होने से न केवल प्रजनन क्षमता में कमी आती है, बल्कि इससे ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसी कारण, ये आवश्यक है कि आप अपने आप को मानसिक रूप से मेनोपॉज के लिए तैयार रखें, ताकि इसके लाक्षाओं को नियंत्रित किया जा सके।
रजोनिवृत्ति का पता असामान्य मासिक धर्म से लगाया जा सकता है, जैसे अनियमित मासिक धर्म, या महावरी के समय या रक्तस्त्राव में असामान्य बदलाव आना।
बॉडी मास इंडेक्स ज्यादा होना, शरीर के ऊपरी भाग में फैट अधिक होना या गर्भनिरोधक गोलियां लेने से मेनोपॉज होने की उम्र बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि जिन महिलाओं के शरीर का निचला हिस्सा अधिक भारी है, उन्हें मेनोपॉज जल्दी होने की संभावना होती है। इसके अलावा, निम्न वर्ग की महिलाओं को और उन महिलाओं को जल्दी मेनोपॉज होने की संभावना होती है, जिन्होंने बच्चा पैदा नहीं किया है।
समय से पहले मेनोपॉज होने के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए मेनोपॉज से पहले स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार महिलाओं को विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। हालांकि, इन सप्लीमेंट्स को डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। इसके अलावा, समय पर जीवनशैली के बदलाव करना भी जरुरी होता है।
रजोनिवृत्ति के कारण -
रजोनिवृत्ति होने का कारण होता है उन हॉर्मोन गतिविधियों में बदलाव होना, जिनके कारण ओवुलेशन और मासिक धर्म होता है। जैसे-जैसे एक महिला की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे उनके शरीर में हर महीने विकसित होने वाले फॉलिकल्स की मात्रा कम होने लगती है, जिससे मेनोपॉज होने से पहले असामान्य मासिक धर्म के लक्षण उत्पन्न होते हैं। फॉलिकल्स के कारण ही अंडाशय से अंडे रिलीज़ होते हैं। 40 की उम्र के बाद कम फॉलिकल्स विकसित होने शुरू हो जाते हैं और ये धीरे-धीरे कम होते चले जाते हैं। अंत में ये फॉलिकल्स विकसित होना बंद हो जाते हैं, जिससे मासिक धर्म आना बंद हो जाता है।
मेनोपॉज के लक्षण और इलाज -
रजोनिवृत्ति में हॉट फ़्लैश महसूस होना -
कई महिलाओं को रजोनिवृत्ति के दौरान महसूस होने वाला प्राथमिक लक्षण है हॉट फ़्लैश होना। इसमें शरीर में गर्माहट महसूस होने लगती है। ये आपको आपके शरीर के ऊपरी हिस्से या पूरे शरीर में महसूस हो सकती है। आप चेहरे और गर्दन पर लालिमा का अनुभव करते हैं और ऐसे में पसीना भी अधिक आता है।
हॉट फ़्लैश की समस्या कभी-कभी इतनी ज्यादा होती है कि आपको नींद से भी जगा सकती है। अधिकतर महिलाओं ने रजोनिवृत्ति के बाद 1-2 सालों तक इस लक्षण का अनुभव किया है। अगर ये असहनीय हो तो आप डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें वो आपको बेहतर उपाय बता सकते हैं।
रजोनिवृत्ति के दौरान वेजाइना का सूखापन और दर्द -
एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन (फीमेल हॉर्मोन) का कम उत्पादन योनि की बाहरी पतली परत (जो वेजाइना को नमी प्रदान करती है) को प्रभावित करता है। महिलाओं में वेजाइना का सूखापन कभी भी अनुभव किया जा सकता है, लेकिन रजोनिवृत्ति के दौरान ये विशेष समस्या होती है। इस दौरान आप योनि (vulva) के आसपास खुजली, चुभन, जलन आदि का अनुभव कर सकते हैं। वेजाइना में सूखापन, सेक्स के दौरान अत्यधिक दर्द का कारण बनता है और इसमें कभी कभी आपको जल्दी-जल्दी मूत्र भी आता है। इस सूखेपन से निपटने के लिए वैजाइनल मॉइस्चराइजर का उपयोग करें। अगर ऐसा करने के बाद भी आपको आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर से परामर्श लें। सेक्स या सेक्सुअल गतिविधियां करना उस स्थान पर रक्त परिसंचरण बढ़ा देता है जिससे वेजाइना सूखेपन की समस्या से बचा रहता है।
रजोनिवृत्ति के दौरान नींद न आना -
स्वस्थ्य रहने के लिए 7-8 घंटे की नींद बहुत ज़रूरी है, लेकिन रजोनिवृत्ति के दौरान नींद न आना आम समस्या है। कभी कभी आप जल्दी उठ जाते हैं या सोने के समय नींद ही नहीं आती। इसलिए जितना हो सके व्यायाम करें और स्वयं को व्यस्त रखें। सोते समय सेलफोन को दूर रखें क्योंकि उसकी लाइट नींद न आने का बहुत बड़ा कारण है। सोने से पहले नहाने, पढ़ने, मधुर संगीत सुनने से अच्छी नींद आती है। नींद लाने का सबसे अच्छा तरीका है कि समय पर सोने की आदत डालें और सोने से पहले ऐसे खाद्य पदार्थों को ग्रहण करने से बचें जो नींद को दूर भागते हैं जैसे - चॉकलेट, कैफीन, शराब आदि।
रजोनिवृत्ति के दौरान लगातार पेशाब आना -
रजोनिवृत्ति के दौरान अपने मूत्राशय पर नियंत्रण खो देना आम बात है। आपको मूत्राशय पूरा भरने से पहले ही मूत्र करने की भावना होने लगती है और इस दौरान दर्द भी होता है। यह रजोनिवृत्ति के कारण होता है क्योंकि इसमें आपकी वेजाइना और मूत्राशय लचीलापन छोड़ देते हैं व आसपास की पेडू की पेशियाँ भी कमज़ोर हो जाती हैं। लगातार पेशाब आने की समस्या से आराम पाने के लिए अधिक शराब के सेवन से बचें, खूब पानी पिएं और किगल एक्सरसाइज (Kegel Exercises) की मदद से पेल्विक मांसपेशियों को मज़बूत रखें। इसके बाद भी अगर समस्या कम नहीं हो रही है तो डॉक्टर से सलाह लें।
रजोनिवृत्ति के दौरान मूत्र मार्ग संक्रमण -
रजोनिवृत्ति के दौरान कुछ महिलाओं को मूत्र मार्ग के संक्रमण [Urinary tract infections (UTIs)] अनुभव होते हैं। इस समय एस्ट्रोजेन का कम स्तर और मूत्र मार्ग में परिवर्तन आपको इन्फेक्शन के योग्य बनाते हैं। इन्फेक्शन होने पर बिना देरी किये डॉक्टर से संपर्क करें।
रजोनिवृत्ति में वैजाइनल एट्रोफी (योनि शोष) -
वैजाइनल एट्रोफी (योनि शोष) ऐसी अवस्था है जिसमें एस्ट्रोजेन उत्पादन में कमी के कारण योनि की परत अत्यधिक पतली हो जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। इस दौरान सेक्स करने से असहनीय दर्द होता है। यह कामेच्छा में कमी का कारण बन सकता है। कुछ उपायों जैसे एस्ट्रोजेन थेरेपी, एस्ट्रोजेन क्रीम का उपयोग करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
रजोनिवृत्ति के दौरान अवसाद -
रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन में होने वाले परिवर्तनों के कारण महिलाओं में जल्दी जल्दी मूड बदलना, अवसाद, चिड़चिड़ापन, और एकदम से उत्तेजित हो जाना आदि लक्षण देखे जाते हैं। ध्यान रहे कि इन हार्मोन परिवर्तनों के कारण आपका मस्तिष्क भी प्रभावित हो सकता है जो कि आपके लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है। इस अवस्था से बचें।
रजोनिवृत्ति के समय कामेच्छा की कमी -
रजोनिवृत्ति के समय सेक्स के प्रति रुचि कम होना सामान्य है क्योंकि यह एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण होता है। कुछ महिलाओं को इस दौरान सेक्स में अधिक रूचि हो सकती है लेकिन अगर आपकी कामेच्छा में कमी किसी और वजह से है जैसे की सेक्स के दौरान दर्द होना आदि तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
रजोनिवृत्ति के दौरान बालों, त्वचा और अन्य ऊतक परिवर्तन -
आप जैसे-जैसे बड़े होते हैं स्वयं अपनी त्वचा और बालों में फर्क महसूस करते हैं। फैट टिश्यू और कोलाजन के कारण त्वचा सूखी और पतली हो जाती है और इसी कारण वेजाइना और मूत्रमार्ग की त्वचा में ढीलापन आता है। एस्ट्रोजन की कमी के कारण ही बालों के टूटने और रूखा होने की समस्या आती है। कृपया बालों में रासायनिक पदार्थों के उपयोग से बचें। रजोनिवृत्ति के लक्षण सदियों से चले आ रहे हैं। यदि ये लक्षण असहनीय हों तो डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।
मेनोपॉज के अन्य प्रभाव -
रजोनिवृत्ति के नकारात्मक लक्षणों के बारे में विस्तृत रूप से बात की जाती है, लेकिन इसके कुछ अच्छे लक्षण भी होते हैं। कुछ महिलाओं को, खासकर जिन्हें पहले बहुत ज्यादा पीरियड्स हुए हैं, उन्हें आमतौर पर मेनोपॉज के बाद बेहतर स्वास्थ्य अनुभव होता है। जिन महिलाओं को अनियमित महावरी होती है या जो गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, उन्हें मेनोपॉज के बाद आराम महसूस होता है। रजोनिवृत्ति का एक सकारात्मक प्रभाव ये है कि आपको गर्भनिरोधक की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, जिससे आपके यौन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मेनोपॉज के बाद महिलाएं अपने जीवन का एक-तिहाई समय बिताती हैं, इसीलिए ये आवश्यक हैं कि वह खुश और भावनात्मक रूप से संतुष्ट रहें।
मेनोपॉज का इलाज -
रजोनिवृत्ति शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसीलिए जिन महिलाओं को सही उम्र में मेनोपॉज होता है, उन्हें किसी इलाज की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, लक्षणों की गंभीरता के कारण कुछ महिलाएं इसका इलाज करवाती हैं। रजोनिवृत्ति के लिए निम्नलिखित उपचार उपलब्ध हैं:
हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)
हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी एक ऐसा असरदार इलाज है, जिससे मेनोपॉज के ज्यादातर लक्षणों में आराम मिलता है। इस थेरेपी में, केवल एस्ट्रोजेन या एस्ट्रोजेन व प्रोजेस्टिन को मिलाकर टेबलेट, पैचे या इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है। हालांकि, थेरेपी बंद करने के बाद लक्षण दोबारा आने लगते हैं और इस थेरेपी के अपने दुष्प्रभाव भी होते हैं, जिनमें ब्रैस्ट कैंसर व हृदय रोग का खतरा भी मौजूद है।
एस्ट्रोजेन क्रीम
त्वचा से संबंधित लक्षणों के लिए एस्ट्रोजेन क्रीम एक असरदार उपाय है, जैसे योनि का सूखापन। इस क्रीम को डॉक्टर की सलाह के अनुसार हफ्ते में दो या तीन बार उपयोग करना चाहिए।
फाइटोएस्ट्रोजेन और ब्लैक कोहोश
फाइटोएस्ट्रोजेन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं, जो मेनोपॉज के बाद होने वाले लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जैसे योनि का सूखापन और हॉट फ्लैशेस। इससे महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होता है। ज्यादातर फल और सब्जियों में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है, लेकिन सोयाबीन से बने पदार्थों में इनकी मात्रा पाई गई है।
मेनोपॉज के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ जड़ी बूटियों और प्राकृतिक पदर्थों को भी महिलाएं इस्तेमाल करती हैं, जैसे ब्लैक कोहोश। हालांकि, बिना डॉक्टर की सलाह के दवा या प्राकृतिक पदार्थ नहीं लेना चाहिए।
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