पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या पीसीओएस, इंडोक्राइन यानी हार्मोन से जुड़ी बीमारी है जिसमें महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन जैसे- टेस्टोस्टोरोन का उत्पादन प्रभावित होता है। वैसे तो पीसीओएस होने का सटीक कारण क्या है यह अब तक पता नहीं चल पाया है लेकिन वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि एक दूसरे हार्मोन- इंसुलिन (इंसुलिन की उच्च मात्रा या इंसुलिन प्रतिरोध)- का इससे कुछ संबंध हो सकता है।
वैसे तो इस बीमारी के नाम में 'सिस्ट' ये शब्द आता है लेकिन पीसीओएस से पीड़ित सभी महिलाओं की ओवरी में सिस्ट हो ऐसा जरूरी नहीं है। इसे साधारण शब्दों में इस तरह से समझ सकते हैं कि, पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जिसमें ओवरीज यानी अंडाशय बहुत सारे कूप (फॉलिकल्स) का उत्पादन करता है जो कभी भी अंडे बनने के लिए मैच्योर नहीं हो पाते हैं। इस वजह से इस बीमारी से पीड़ित कुछ महिलाएं कभी भी ऑव्यूलेट नहीं कर पातीं और इस स्थिति को ऐनोवुलेशन या डिंबक्षरण कहा जाता है। तो वहीं कुछ महिलाओं में अत्यधिक फॉलिकल्स की मौजूदगी की वजह से ओवरीज का आकार बड़ा हो जाता है।
पीसीओएस का घरेलू उपाय है दालचीनी -
पीसीओएस वाली महिलाओं में आमतौर पर इंसुलिन प्रतिरोध और डाइस्लिपिडेमिया की समस्या होती है और दालचीनी इन दोनों समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है। पीसीओएस से पीड़ित 66 महिलाओं में किए गए अध्ययन से पता चला कि जिस समूह ने 12 सप्ताह के लिए प्रतिदिन 1.5 ग्राम दालचीनी पाउडर का 10 मिलीग्राम मेडरॉक्सी प्रोजेस्टेरॉन एसिटेट के साथ रोजाना सेवन किया उनमें फास्टिंग इंसुलिन और इंसुलिन प्रतिरोध में कमी देखी गई उस ग्रुप की तुलना में जिन्होंने प्लेसबो का सेवन किया था।
एक और छोटी स्टडी जिसमें 15 महिलाएं शामिल थीं उसमें पाया गया कि 8 हफ्तों तक लगातार दालचीनी का सेवन करने से इंसुलिन प्रतिरोध कम हो गया। साथ ही दालचीनी का पाउडर मोटापे को भी कम करने में मदद करता है।
कैसे यूज करें दालचीनी
1 चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर रोजाना कुछ महीनों तक पिएं। इसके अलावा आप अपनी डेली डाइट जैसे- अनाज, दलिया, पनीर, मूंगफली, मक्खन, सैंडविच आदि में भी दालचीनी पाउडर छिड़कर उसका सेवन कर सकती हैं। ग्रीन टी में भी दालचीनी को डालकर उसे पीना फायदेमंद होता है क्योंकि ग्रीन टी वजन घटाने में और हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखने में मदद करती है जिससे पीसीओएस के लक्षण कम हो सकते हैं।
पीसीओएस का देसी नुस्खा है अलसी के बीज -
पीसीओएस से पीड़ित 31 साल की एक महिला की केस स्टडी सामने आयी जिसके मुताबिक अलसी के बीज ने महज 4 महीने के अंदर महिला के बीएमआई में सुधार करने के साथ ही इंसुलिन और टेस्टोस्टेरॉन के लेवल को भी कम करने में मदद की। यह महिला रोजाना 30 ग्राम अलसी के बीज को सप्लिमेंट के तौर पर ले रही थी। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो अलसी में लिग्नैन होता है जो हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है। लिग्नैन प्लांट पॉलीफेनॉल्स होते हैं और रिसर्च की मानें तो ये हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाकर कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं।
अलसी को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि इसमें फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड अधिक मात्रा में होता है जिससे एंड्रोजेन के स्तर को कम करने और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को मैनेज करने में मदद मिलती है।
अलसी को कैसे करें यूज
आप चाहें तो 2 चम्मच अलसी के बीज को पानी से धोकर सीधे खा सकती हैं, लेकिन ऐसा करना मुश्किल हो सकता है इसलिए आप चाहें तो अलसी के बीज को अपनी स्मूदी में, दलिया में या किसी और चीज में भी मिलाकर खा सकती हैं।
पीसीओएस का घरेलू उपाय है पहाड़ी पुदीने की चाय -
स्पियरमिंट यानी पहाड़ी पुदीने की चाय पीने से लूटेनाइजिंग हार्मोन को बढ़ावा मिलता है और फॉलिकल को उत्तेजित करने वाले हार्मोन में कमी आती है और ये दोनों ही चीजें मासिक धर्म की उचित प्रक्रिया के लिए बेहद जरूरी हैं। साथ ही यह चाय एंड्रोजेन और हिर्सुटिज्म (अत्यधित अनचाहे बालों की समस्या) को भी कम करने में मदद करती है।
हाल ही में, जानवरों पर हुए एक छोटे अध्ययन में, पीसीओएस को एस्ट्रैडियोल इंजेक्शन के जरिए चूहों में प्रेरित किया गया था। इसके बाद, चूहों को चार समूहों में विभाजित किया गया। चूहों के जिस समूह का इलाज पहाड़ी पुदीना और अलसी के अर्क के साथ किया गया था, उनमें शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन में वृद्धि हुई और टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट आयी। इस अध्ययन को मार्च 2020 में जर्नल ऑफ ओवेरियन रिसर्च में प्रकाशित किया गया था।
पहाड़ी पुदीने का इस्तेमाल कैसे करें
पहाड़ी पुदीने की 2-3 पत्तियों को 1 कप गर्म पानी में 2-4 मिनट के लिए भिगोकर रखें। जितनी ज्यादा देर तक पत्तियां पानी में रहेंगी उनका उतना ही ज्यादा फ्लेवर आपको मिल पाएगा। आप चाहें तो इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए चुटकी भर चीनी भी डाल सकती हैं। लेकिन ज्यादा चीनी न डालें क्योंकि इस चाय को रोजाना 1 महीने तक पीना है।
पीसीओएस से छुटकारा पाने का तरीका है सेब का सिरका -
सेब का सिरका भी पीसीओएस (PCOS) से निपटने के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह रक्त शर्करा को नियंत्रित और आपके शरीर को बहुत अधिक इंसुलिन के उत्पादन से दूर रखने में मदद करता है। कम इंसुलिन का मतलब है कम टेस्टोस्टेरॉन। इसके अलावा, यह आपका वजन कम करने और आपके समग्र स्वास्थ्य का सुधार करने में मदद करेगा।
सेब के सिरके का कैसे करें इस्तेमाल
एक गिलास पानी में सेब के सिरके के दो चम्मच मिक्स करें। रोजाना सुबह खाली पेट इसे पिएं। कई हफ्तों तक रोजाना ऐसा करना जारी रखें या जब तक आपको कोई सुधार ना दिखना शुरू हो जाए। अगर आपको इसका स्वाद पसंद नही है तो आप इसमे संतरे या किसी अन्य फल के रस के साथ मिक्स करके भी पी सकती हैं।
पीसीओएस को दूर करता है मेथी -
मेथीदाना शरीर में ग्लूकोज चयापचय को बढ़ावा देती है और इंसुलिन को बढ़ने से रोकती है। इसके अलावा यह आपके हार्मोन संतुलन, कम कोलेस्ट्रॉल, वजन घटाने में सहायता और स्वस्थ दिल के कामकाज को बढ़ावा देने में भी मदद करती है।
मेथीदाना को कैसे करें यूज
6-8 घंटे के लिए पानी में मेथी के बीज के तीन चम्मच भिगोएं। आप खाली पेट हर सुबह शहद के साथ भीगे हुए मेथी के बीज की एक चम्मच लें। इसके अलावा एक चम्मच दोपहर के भोजन से 10 मिनट पहले और एक चम्मच रात के खाने से पहले लें। दैनिक रूप से कुछ हफ्तों के लिए इस उपचार को जारी रखें या जब तक आपको सुधार ना दिखना शुरू हो जाए। आप मेथी के बीज और पत्तियों को अपने नियमित आहार में भी शामिल कर सकती हैं।
पीसीओएस का घरेलू उपाय है कैमोमाइल चाय -
कैमोमाइल की चाय सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं होती बल्कि कई फायदों वाली भी होती है। रात के खाने के बाद अगर एक कप कैमोमाइल की चाय पी ली जाए तो शरीर रिलैक्स हो जाता है और अच्छी नींद आती है। इसके अलावा मासिक धर्म के दौरान इस चाय का एक कप दर्द और मेन्स्ट्रुअल क्रैम्प्स को कम करने में मदद करता है। इस चाय में ब्लड शुगर को कम करने और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है जिस वजह से यह पीसीओएस वाली महिलाओं के लिए फायदेमंद होती है। चूहों में की गई एक स्टडी में पाया गया कि जिन चूहों को कैमोमाइल का अर्क दिया गया उनमें फॉलिक्यूलर सिस्ट में कमी देखने को मिली।
इसके अलावा 80 महिलाओं को एक ट्रायल में शामिल किया गया जिसमें से 40 महिलाओं को 3 महीने तक रोजाना 370 मिलिग्राम कैमोमाइल टैबलेट दी गई जबकी 40 महिलाओं को एक प्लेसबो। इससे पता चला कि कैमोमाइल टैबलेट खाने वाली महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल कम हो गया।
कैमोमाइल को कैसे यूज करें
1 चम्मच कैमोमाइल की चाय या कैमोमाइल चाय के 1 टीबैग को 1 कप गर्म पानी में डालें और कप को ढक्कन से अच्छी तरह से ढंक लें। करीब 4-5 मिनट तक चाय को पानी में ही भीगने दें और फिर इसे पी लें।
पीसीओएस कम करने का तरीका है मछली का तेल -
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली का तेल एण्ड्रोजन को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद करता है। क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अमेरिकन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड एण्ड्रोजन के स्तर का संतुलन बना कर पीसीओएस के लक्षणों में सुधार करता है। साथ ही, अपने आहार में मछली या मछली के तेल की खुराक लेना सूजन को कम करने, शरीर में वसा को कम करने और पुराने रोगों के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है। मछली के तेल की खुराक के लिए कोई मानक दैनिक खुराक नहीं है। आप एक से तीन कैप्सूल दिन में दो या तीन बार ले सकती हैं या अपने चिकित्सक के द्वारा दिए गये सुझाव के अनुसार लें।
पीसीओएस का घरेलू उपाय है मुलेठी -
मुलेठी में ग्लिसाइरिजिक एसिड होता है जो खून में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन के लेवल को कम करने में मदद करता है लेकिन सिर्फ तभी जब आप लगातार 2 महीने या इससे ज्यादा समय तक रोजाना 3.5 ग्राम मुलेठी का सेवन करें। साल 2012 में इंटरनैशनल जर्नल ऑफ फार्मासूटिकल एंड फाइटोफार्माकोलॉजिकल रिसर्च में प्रकाशित एक रिव्यू आर्टिकल के लेखकों की मानें तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुलेठी 17-हाइड्रॉक्सिस्टेरॉयड डिहाइड्रोजीनेज और 17-20 लाइएज (एंटी-एंड्रोजेन इफेक्ट) को रोकने में मदद करती है जिसका पीसीओएस से लिंक माना गया है। इसके अलावा मुलेठी, 11 बीटा-हाइड्रॉक्सिस्टेरॉयड डिहाइड्रोजीनेज 2 नाम के इंजाइम को भी रोकती है जिसकी वजह से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल और एंड्रोजेन का लेवल शरीर में कम हो जाता है।
फ्रंटियर्स इन इंडोक्रिनोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि मुलेठी में एंटी-एंड्रोजेन, एस्ट्रोजेन जैसी एक्टिविटी होती है जो पीसीओएस को मैनेज करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा मुलेठी लिवर को डीटॉक्स यानी साफ करने में भी मदद करती है और लिवर विषाक्त पदार्थों और अत्यधित हार्मोन्स को बाहर निकालकर हार्मोनल संतुलन में मदद करता है।
मुलेठी को कैसे करें यूज
इसके लिए 1 चम्मच मुलेठी की जड़ या मुलेठी पाउडर को 1 कप गर्म पानी में अच्छी तरह से मिक्स करें और रोजाना दिन में एक बार पिएं। लंबे समय तक इस नुस्खे का फायदा आपको मिलता रहे इसके लिए 2 महीने या इससे ज्यादा समय तक इस प्रक्रिया को रोजाना दोहराएं।
(नोट : मुलेठी की जड़ हाई बीपी या दिल, किडनी या लीवर की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए उपयुक्त नहीं होती है।)
पीसीओएस को ठीक करने का उपाय है तुलसी -
तुलसी की पत्तियां अपने एंटी-एंड्रोजेनिक गुणों के कारण पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। यह इंसुलिन के स्तर के संतुलन और वजन घटाने में मदद करती है। तुलसी एक उत्कृष्ट तनाव रिलीवर है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट और सूजन को कम करने वाले गुण भी लाभकारी होते हैं।
तुलसी को कैसे करें यूज
दैनिक रूप से सुबह के समय खाली पेट 8 से 12 पवित्र तुलसी की पत्तियां खाएं। एक अन्य विकल्प के लिए दिन में कई बार आप तुलसी की चाय पी सकती हैं। कुछ महीनों के लिए इस उपाय का पालन करें।
पीसीओएस को दूर करने के लिए अन्य औषधीय पौधे
आयुर्वेद से लेकर सिद्ध और नैचरोपैथी तक, भारतीय पारंपरिक दवा सिस्टम में ऐसे कई पौधों की प्रजातियां हैं जो पीसीओएस में हार्मोन्स को संतुलित बनाने में मदद कर सकते हैं। इनमें से कुछ पौधे ये हैं:
- शतावरी में फाइटोएस्ट्रोजन होता है जो शरीर में महिला सेक्स हार्मोन के संतुलन को बेहतर बनाता है। यह पौधा खून में हाइपरइन्सुलिनेमिया या खून में अतिरिक्त इंसुलिन की समस्या में सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। चूंकि इंसुलिन प्रतिरोध पीसीओएस से जुड़ा है, इसलिए अतिरिक्त इंसुलिन से लड़ने का शतावरी का यह गुण भी आपकी मदद कर सकता है।
- गुडुची या गिलोय रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है- जो बदले में वजन को नियंत्रित करने और पीसीओएस में डायबिटीज की समस्या को होने से रोकने में मदद करता है। इसके अलावा गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटी प्रॉपर्टीज भी पायी जाती है।
- सौंफ, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और सूजन (इन्फ्लेमेशन) को कम करने के लिए जाना जाता है। साथ ही सौंफ को, फाइटोएस्ट्रोजन का स्रोत भी कहा जाता है।
आखिर में ये बातें याद रखें -
पीसीओएस होने पर व्यायाम और आहार ये दोनों ही चीजें समान रूप से महत्वपूर्ण होती हैं। इसलिए आप चाहें तो पीसीओएस की समस्या दूर करने के लिए योग कर सकती हैं या फिर सप्ताह में 4-5 बार दिन में 30 मिनट के लिए कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज कर सकती हैं। स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए वेट ट्रेनिंग भी एक शानदार तरीका है। एक्सरसाइज का सही लाभ मिल सके इसके लिए किसी प्रशिक्षित फिटनेस एक्सपर्ट से बात करें।
आपको अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में भी बात करनी चाहिए जिन्हें लेना आपके लिए जरूरी है क्योंकि ये घरेलू उपाय या जड़ी बूटियां, दवाइयों का विकल्प नहीं हो सकते। इसकी बजाय, इन नुस्खों और हर्बल तरीकों को एक जटिल बीमारी को मैनेज करने के लिए अतिरिक्त कदम के रूप में देखा जाना चाहिए जो प्रजनन क्षमता, मेटाबॉलिज्म और सेहत के कई दूसरे पहलुओं को प्रभावित करता है।
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