वीरभद्रासन — जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है — के तीन प्रकार हैं। उनमें से जिस आसन की हम आज बात करेंगे उसे वीरभद्रासन 2 कहा जाता है। वीरभद्र, एक वीर योद्धा, भगवान शिव का अवतार था। इस आसन का नाम उस योद्धा के नाम पर रखा गया है। तो यह सुन कर आश्चर्य होता है कि एक योद्धा के नाम पर इस आसन का नाम रखा गया क्योंकि आख़िर योग में युध और हिंसा का कोई स्थान नहीं है! वास्तव में “वीरभद्रासन” नाम रखने का उदेश्य है कि हर योगी को “आध्यात्मिक योद्धा” बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
वीरभद्रासन 2 के फायदे -
हर आसन की तरह वीरभद्रासन 2 के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:
- पैरों और टख़नों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।
- छाती और फेफड़ों, कंधों, व ग्राय्न में खिचाव पैदा करता है।
- शारीरिक सहनशक्ति बढ़ जाती है। (और पढ़ें - मेडिटेशन के लाभ)
- पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।
- कमर दर्द से राहत दिलाता है, ख़ास तौर से गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में।
- कार्पल टनल सिंड्रोम, फ्लैट पैर, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइटिका के लिए चिकित्सीय है।
वीरभद्रासन 2 करने से पहले यह आसन करें -
वीरभद्रासन 2 करने से पहले आप यह आसन कर सकते हैं इनसे आपकी हॅम्स्ट्रिंग, कूल्हे, जांघे और कंधे पर्याप्त मात्रा में खुल जाएँगे।
- पर्श्वोत्तनासन
- उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन
- अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन
- उत्कटासन
- वीरभद्रासन 1
वीरभद्रासन 2 करने का तरीका -
वीरभद्रासन 2 करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और 3.5 से 4 फीट पैर खोल लें।
- अपने बायें पैर को 45 से 60 दर्जे अंदर को मोड़ें, और दाहिने पैर को 90 दर्जे बहार को मोड़ें। बाईं एड़ी के साथ दाहिनी एड़ी संरेखित करें।
- धीरे से अपने हाथ उठाएँ जब तक हाथ सीधा आपके कंधों की सीध में ना आ जायें।
- ध्यान रखें की आपकी पीठ सीधी रहे। अगर पीठ मुडी होगी तो पीठ के निचले हिस्से में समय के साथ दर्द बैठ सकता है। अपने बाईं एड़ी को मज़बूती से ज़मीन पर टिकाए रखें और दाहिने घुटने को मोड़ें जब तक की घुटना सीधा टखने की ऊपर ना आ जाए। अगर आप में इतना लचीलापन हो तो अपनी जाँघ को ज़मीन से समांतर कर लें।
- सिर को 90 दर्जे दाहिनी ओर मोड़ लें ताकि आप दृष्टि को दाहिने हाथ की उंगलियों पर रख सकें। कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
- जब 5 बार साँस लेने के बाद आप आसान से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए सिर को सीधा कर लें, फिर दाहिनी जाँघ को उठायें, हाथ नीचे कर लें, धड़ को वापिस सीधा कर लें और पैरों को वापिस अंदर ले आयें ख़तम ताड़ासन में करें।
- दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें ।
वीरभद्रासन 2 का आसान तरीका -
अगर आपको अपने आप को स्थाई रखने या नीचे की तरफ जाने में परेशानी हो तो आप एक कुर्सी का सहारा ले सकते हैं। आसन शुरू करने से पहले कुर्सी को अपने बाएँ पैर की करीब रखें। जब आप नीचे की ओर जाने लगें, तो कुर्सी को अपनी बाएँ जाँघ के नीचे ले आयें। ऐसा करने से आपको सहारा मिल जाएगा और आप आसानी से वीरभद्रासन 2 में रह पाएँगे। कुर्सी की उँचाई अपने कद के हिसाब से चुन लें। यह आप अपने दाहिने ओर भी कर सकते हैं।
वीरभद्रासन 2 करने में क्या सावधानी बरती जाए -
- जिन्हे हाई बीपी या दस्त की समस्या हो, वह वीरभद्रासन 2 ना करें। (और पढ़ें - दस्त के लिए घरेलू उपचार)
- अगर आपकी गर्दन में परेशानी हो तो हाथ की तरफ देखने के लिए अपना सिर ना मोड़ें। सामने की ओर ही देखते रहें।
- अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।
वीरभद्रासन 2 करने के बाद आसन -
- दंडासन
- पश्चिमोत्तानासन
- पूर्वोतानासन
- अर्ध बद्ध पद्मा पश्चिमोत्तानासन
वीरभद्रासन 2 का वीडियो -
वीरभद्रासन 2 को ठीक से करने के लिए यह वीडियो ध्यान से देखें।
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