भारतीय युवा आज तेजी से अपने जीवन जीने के अंदाज में बदलाव ला रहें हैं। ऐसे में आधुनिक संस्कृति के किसी भी रूप को अपनाना उनके लिए बड़ी बात नहीं है। लिव-इन रिलेशन इस आधुनिक संस्कृति का ही एक हिस्सा है।
आज के कई युवा शादीशुदा जिंदगी जीने से बेहतर लिव इन रिलेशन को मानते हैं, लेकिन लिव इन रिलेशन और शादी में बहुत फर्क है। आज के दौर में बढ़ी संख्या में युवा पीढ़ी शादी और लिव इन रिलेशनशिप को एक जैसा ही मानती है। उनका मानना है कि इन दोनों में ही हम सामने वाले से कुछ वादे कर, उनके साथ रहते हैं। बस शादी में समाज और कानून की मान्यता होती है और लिव इन में ऐसा कुछ नहीं होता। लेकिन इसको थोड़ी बारीकी से समझने की ज़रुरत हैं।
तो आइए जानें लिव इन रिलेशन क्या है, इस पर भारत में कानून क्या है, इसके फायदे, नुकसान और समाज में इसको लेकर लोगों के बीच क्या मान्यताएं हैं -
लिव इन रिलेशनशिप क्या है -
जब दो युवक और युवती शादी किए बिना स्वेच्छा से एक ही छत के नीचे पति-पत्नी की तरह रह रहें हो तो उस रिश्ते को लिव इन रिलेशनशिप कहते हैं।
आज भारतीय समाज में लिव इन रिलेशनशिप एक विवाद का मुद्दा है। कई लोग इसके कुछ फायदें बताते हैं तो कुछ नुकसान। जहां एक बड़ा वर्ग इसे समाज और मान्यवीय मूल्य के लिए खतरा बताता है, दूसरी ओर एक ऐसा भी वर्ग है जो इसको पुरातन परंपरा में हुए बदलाव के रूप में देखकर इसको अपनी आजादी से जोड़कर अच्छा बताता है।
अब बात करते हैं कि आखिरकार लिव इन रिलेशनशिप और शादी में फर्क क्या है -
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लिव इन रिलेशनशिप और शादी में अंतर -
लिव इन रिलेशन का मतलब किसी महिला व पुरुष का शादी के बिना आपसी सहमति के बाद एक ही घर में पति-पत्नी की तरह रहना होता है। महानगरों में लिव इन रिलेशनशिप की शुरुआत शिक्षित और आर्थिक तौर पर स्वतंत्र, ऐसे लोगों ने की जो कि विवाह की ज़कड़न से छुटकारा चाहते थे। इस रिश्ते को दूसरे पक्ष की सहमति के बिना कभी भी समाप्त किया जा सकता है।
जबकि दूसरी ओर शादी न सिर्फ दो व्यक्तियों का बल्कि दो परिवारों का भी मिलन है। शादी में लड़का-लड़की को सामाजिक तौर एक सूत्र में बधने की मान्यता प्राप्त होती है। विवाह में स्त्री व पुरुष दोनों का सम्मान व प्रतिष्ठा निहित है। विवाह की परंपरा भारतीय समाज के आरंभ से चली आ रही है। आमतौर पर शादी अविवाहित पुरुष और अविवाहित महिला के बीच होती है।
अब बात करते हैं कि आखिरकार लिव इन रिलेशनशिप पर भारत का कानून क्या केहता है -
लिव इन रिलेशनशिप पर कानून -
भारतीय कानून में इन रिलेशनशिप को स्वीकृति दी गयी है। अगर एक युवक और युवती स्वेछा से लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं तो ये गैर-कानूनी नहीं हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अनुसार एक रिश्ते को कानूनी तौर पर लिव इन रिलेशनशिप माना जाने के लिए चार बाते सिद्ध होनी चाहिए -
- इस तरह लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवक युवतियों को पति-पत्नी के तौर पर ही रहना होगा।
- लड़के व लड़की की उम्र शादी के लिए कानून तय उम्र पूरी होनी चाहिए। (और पढ़ें- शादी के लिए सही उम्र)
- इसके अलावा शादी के लिए सही उम्र के अलावा बाकी जरूरी सभी योग्यताओ को पूरा करना चाहिए, जैसे - दोनों ही अविवाहित होने चाहिए।
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुष व महिला को लंबी अवधि के लिए पति-पत्नी की तरह रहना होगा।
लिव इन रिलेशनशिप के फायदे -
लिव इन रिलेशनशिप के कुछ लाभ इस प्रकार हैं -
पार्टनर को जानने में आसानी
लिव इन रिलेशनशिप में आपको पार्टनर को जानने के लिए पूरा समय मिलता है। इसमें आप पार्टनर के हर व्यवहार को बेहद करीब से देखते और समझते हैं। इसके अलावा आपको उनके व्यक्तित्व के बारे में भी जानने में मुश्किल नहीं होती। जबकि शादी में एक या दो दिन मिलने से आप सामने वाले के बारे में कुछ भी नहीं जान पाते हैं।
आर्थिक रूप से निर्भर
इस तरह के रिलेशनशिप में आर्थिक रूप से किसी भी पक्ष को किसी के ऊपर बोझ बनने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि संबंध खत्म होने पर भी किसी पर भी कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है। इस रिश्ते में आप अपनी मर्जी से अपने पार्टनर पर पैसे खर्च कर सकते हैं। सामने वाले पर पैसे खर्च करने के लिए आप बाध्य नहीं होते हैं।
सामाजिक दायित्वों से आजादी
लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला ही आपको सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों से मुक्ति देता है। इस रिश्ते में सामाजिक और पारिवारिक नियम आप पर लागू नहीं होते हैं। ऐसे में इनको मानने का भी आपके ऊपर कोई दबाव नहीं होता है। साथ ही आपके पास खुद के लिए भी पूरा समय मिल पाता है।
किसी भी विषय पर जवाबदेही नहीं होती
आप लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद किसी बात के लिए जवाबदेह नहीं रहते हैं। बेशक इस रिश्ते पर रहते हुए आप अपने कार्यों के बारे में खुल कर बात करते हों, फिर भी आपको आप ऐसा कार्य क्यों कर रहें हैं। इस बात के लिए किसी को जवाब देने की जरूरत नहीं होती है।
कानूनी मामलों में फंसने से मुक्ति
लिव इन रिलेशनशिप में आप शादी की तरह कानूनी प्रक्रिया से नहीं गुजरते हैं। इसके अलावा शादी के टूटने पर आपको कई तरह की कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, लेकिन इसमें आपको रिश्ते को खत्म करने में इतनी मुश्किल नहीं होती है।
एक दूसरे को सम्मान देना
इस तरह के रिश्ते में किसी को भी किसी भी तरह की परेशानी होने पर वो व्यक्ति रिश्ते आसानी से बाहर जा सकता है। रिश्ते से बाहर निकलने की पूरी आजादी होने के कारण दोनों ही पार्टनर को एक दूसरे के सम्मान का पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
लिव इन रिलेशनशिप के नुकसान -
लिव इन रिलेशनशिप के कुछ नुकसान भी होते हैं। वह इस प्रकार हैं -
अविश्वास का डर
लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों में अविश्वास का डर हमेशा ही सताता रहता है। इस रिश्ते में दोनों ही पार्टनर रिश्ते से बाहर आने के लिए आजाद होते हैं इसलिए दोनों में ही यह डर सताता रहता है और इस कारण ही वह अपनी जिंदगी को खुलकर खुशी खुशी व्यतीत नहीं कर पाते हैं।
रिश्ता टूटने में आसान
लिव इन रिलेनशिप की वैसे तो यह खासियत है, लेकिन कुछ लोग इसको बुरा भी मानते हैं। कई बार एक पार्टनर दूसरे को आहत कर आगे बढ़ जाता है। इस रिश्ते में वादे और कसमें तो हैं पर सब अपनी इच्छा पर निर्भर करते हैं। रिश्ते के टूटने में आसानी है इसलिए आप इससे आसानी से बाहर आ जाते हैं। जबकि शादी में आपको रिश्ते से बाहर में कई तरह की कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और कई बार तो कानूनी प्रक्रिया में सालों भी लग जाते हैं।
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रिश्ते का महत्व कम होना
लिव इन रिलेशनशिप में कई मामलों में दोनों ही पार्टनर में रिश्ते के सम्मान व महत्व को कम देखा जाता है। इसकी बड़ी वजह है दोनों के ही मन में यह बात पहले से ही होती है कि वो इस रिश्ते से कभी भी बाहर आ सकते हैं। इस तरह के रिश्ते में अपनी आर्थिक और व्यक्तिगत आजादी के लिए शादी करने के फैसले को टालते रहते हैं।
बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ना
देखा जाता है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अमूमन इनके बच्चों में नियमों के प्रति सम्मान नहीं होता। इसके अलावा वो समाज में दूसरे बच्चों से ज्यादा असुरक्षित महसूस करते हैं। यदि उनके मा बाप किसी कारण वश अलग हो जाते हैं तो उनको पारिवारिक मान्यताओं व उसकी जरूरत के बारे में सही से कुछ पता नहीं चल पाता है।
सामाजिक निंदा का सामना करना
भले ही आज के समाज में लिव इन रिलेशनशिप तेजी से युवाओं के बीच प्रचलन में हो, लेकिन आज भी भारतीय समाज में इसको सामाजिक मान्यता नहीं मिल पाई है। इसलिए इस रिलेशनशिप में रहने वालों को खराब दृष्टि से देखा जाता है। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को कोई आसानी से अपना कमरा किराए पर भी नहीं देता।
औरतों के लिए बन जाता है बड़ी मुश्किल
भारतीय समाज में आज लोगों की मानसिकता मे पुरुष प्रधान सोच में थोड़ी तो कमी आई है परंतु फिर भी इस मानसिकता को कई लोग बढ़ावा दे रहें हैं। ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप से यदि पुरुष साथी चला जाएं, तो महिला समाज में कई तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा महिला को फिर दोबारा पार्टनर मिलने में भी मुश्किल होती है।
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