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प्रोजेस्टेरोन का स्तर घटने-बढ़ने के लक्षण, कारण और उपचार

 
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प्रोजेस्टेरोन, महिला स्टेरॉयड हार्मोन (वह हार्मोन जो जननांगों की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं) है जो अंडाशय, अधिवृक्क ग्रंथियों (Adrenal glands) और गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा में उत्पन्न होते हैं। प्रोजेस्टेरोन का कार्य महिला प्रजनन प्रणाली से जुड़ा है और गर्भावस्था में यह बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। 

प्रोजेस्टेरोन प्रजनन कार्यों को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। महिलाओं में प्रजनन के समय इसके स्तर में निम्नलिखित कारणों से उतार चढ़ाव होता है:
  • छोटी लड़कियों के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कुछ कम होता है क्योंकि उनमें मासिक धर्म की शुरुआत नहीं होती है।
  • रजोनिवृत्ति होने के पूर्व के समय में और गर्भवती महिलाओं में अकसर प्रोजेस्टेरोन का स्तर अधिक होता है। 
  • जिन महिलाओं में रजोनिवृत्ति हो चुकी होती है उनमें भी प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है क्योंकि फिर उन्हें माहवारी नहीं होती।
महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन तब उत्पन्न होता है जब अंडा रिलीज़ होता है। यह गर्भाशय में अंडे के निषेचन के लिए उत्पादित होता है। यदि अंडा निषेचित नहीं होता है तो गर्भाशय का अस्तर पीरियड्स के रूप में बाहर निकल जाता है।

गर्भावस्था और मासिक धर्म चक्र के अलावा भी प्रोजेस्टेरोन कई अन्य कार्य करता है। यदि प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी होती है तो बांझपन और माहवारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन स्तर का संतुलित होना जरूरी है। 

प्रोजेस्टेरोन असंतुलन - 
प्रोजेस्टेरोन असंतुलन, शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोनों के सही अनुपात में होने वाले उतार चढ़ाव को कहते हैं। महिला स्वास्थ्य प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के संतुलन पर निर्भर करता है। इनके संतुलन में गड़बड़ी आने पर आपको असहनीय दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

जब शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर सामान्य से कम या अधिक होता है, उस स्थिति को प्रोजेस्टेरोन असंतुलन कहते हैं। हार्मोन रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो शरीर में वसा कोशिकाओं के माध्यम से घूमते हैं और निर्देश देने का काम करते हैं। इसलिए खासकर महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन बहुत अधिक असुविधा उत्पन्न कर सकता है। 

हालांकि प्रोजेस्टेरोन का स्तर रजोनिवृत्ति, गर्भावस्था और ओवुलेशन के दौरान जल्दी जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। 

महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का महत्व - 
  • प्रोजेस्टेरोन, खून के थक्के जमने, मसूड़ों के स्वास्थ्य और माहवारी आदि के अलावा कई शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि प्रोजेस्टेरोन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी गर्भावस्था के लिए महिला शरीर को तैयार करना और यह सुनिश्चित करना होता है कि गर्भ निषेचित अंडा प्राप्त करने के लिए तैयार है या नहीं।
  • प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर रजोनिवृत्ति के बाद माहवारी न होने पर कामेच्छा पर प्रभाव डालता है।
  • प्रोजेस्टेरोन योनि में म्यूकस उत्पन्न करता है जो योनि संक्रमण से सुरक्षा करता है। 
  • मासिक धर्म के ठीक पहले, प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर गर्भाशय के आंतरिक अस्तर को निषेचित अंडे के लिए तैयार करता है।
  • यदि गर्भाशय में अंडे का निषेचन नहीं होता तो प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है और गर्भाशय की परत माहवारी के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है।
  • प्रोजेस्टेरोन गर्भाशय की प्रतिरक्षा को कम करता है जिससे स्पर्म अंडे से निषेचन के लिए शरीर के प्रवेश कर सकते हैं।
  • प्रोजेस्टेरोन का कम स्तर भ्रूण को गर्भाशय से बाहर निकालने के लिए लचीलापन लाने का काम करता है। इसके विपरीत प्रसव के दौरान भ्रूण को बाहर निकलने के लिए प्रोजेस्टेरोन का कम स्तर आवश्यक होता है।
  • प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर गर्भावस्था के दौरान माँ में दूध बनने (Lactation) से रोकता है जबकि प्रोजेस्टेरोन का निम्न स्तर गर्भावस्था के बाद दूध बनाने में मदद करता है।
  • रजोनिवृत्ति के दौरान, प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी से शरीर का तापमान कम हो सकता है और हॉट फ्लैशेस, रात में पसीना आने जैसी समस्यायें हो सकती हैं।
  • प्रोजेस्टेरोन का निम्न स्तर पीरियड्स होने से भी रोकता है। जब प्रोजेस्टेरोन गर्भावस्था के लिए गर्भाशय को तैयार करने में असफल होता है तब माहवारी नहीं होती। 
  • प्रोजेस्टेरोन नई हड्डियों के निर्माण को प्रेरित करता है और अस्थि घनत्व (Bone density) को बढ़ाता है।
  • प्रोजेस्टेरोन पित्ताशय की गतिविधि को कम कर देता है जो पित्ताशय की बीमारी को रोकने और पाचन तंत्र को स्वस्थ्य रखने का काम करता है।
  • प्रोजेस्टेरोन अनुत्तेजक पदार्थों (Anti inflammatory agents) के स्तर में वृद्धि करता है जो एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली में योगदान देते हैं।
  • प्रोजेस्टेरोन खून के थक्के जमाने और कोशिका के ऑक्सीकरण (Cell oxidation) में सहायता करता है।
  • प्रोजेस्टेरोन में संग्रहीत वसा को ऊर्जा में बदलने में भी मदद करता है।
प्रोजेस्टेरोन लेवल टेस्ट - 
प्रोजेस्टेरोन परीक्षण में रक्त और लार में मौजूद प्रोजेस्टेरोन की मात्रा को मापते हैं। यह आवश्यक है कि प्रोजेस्टेरोन का स्तर मापते समय उच्च और निम्न दोनों स्तरों की जाँच की जाये क्योंकि दोनों ही स्तर शरीर पर अलग-अलग प्रकार से दुष्प्रभाव डालते हैं।

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात का खतरा और ओवुलेशन भली प्रकार से कब हो सकता है, इसका पता लगाने में भी मदद करता है।

गर्भवती महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन का स्तर सामान्य महिलाओं की तुलना में दस गुना अधिक होता है। इस प्रकार प्रोजेस्टेरोन परीक्षण बेहद उपयोगी और ज़रूरी होता है।

प्रोजेस्टेरोन स्तर की जांच दो प्रकार से की जा सकती है। जो बहुत ही आसानी से कराये जा सकते हैं और इनका परिणाम भी आम तौर पर 24 घंटे से कम समय में तैयार हो जाता है।

रक्त परीक्षण (Blood test): जो महिलाएं रक्त परीक्षण करवाना चाहती हैं उन्हें परीक्षण से 24 घंटे पहले गर्भ निरोधक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। (और पढ़ें - आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग, फायदे और नुकसान)

लार परीक्षण (Saliva test): वैकल्पिक रूप से, प्रोजेस्टेरोन का स्तर लार से भी मापा जा सकता है। प्रोजेस्टेरोन का लगभग 3-5% भाग लार में पाया जाता है। लार परीक्षण अंडाशय द्वारा उत्पादित प्रोजेस्टेरोन की मात्रा की गणना के लिए और दो या अधिक महिलाओं के परिणामों की तुलना करने के लिए उपयोगी होता है।
  • जिन महिलाओं ने हाल ही में थायरॉयड या बोन स्कैन कराया हो उन्हें प्रोजेस्टेरोन टेस्ट नहीं कराना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
  • प्रोजेस्टेरोन टेस्ट के परिणाम मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के आधार पर भिन्न भिन्न हो सकते हैं। यह निम्न कारणों से भी प्रभावित हो सकता है:
  • एम्पीसिलीन (Ampicillin) और क्लोमीफीन (Clomiphene) महिलाओं के प्रोजेस्टेरोन स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।
  • पूरे दिन में प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार चढ़ाव होता रहता है।
अत्यधिक व्यायाम (आमतौर पर पेशेवर एथलीटों में) प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने का कारण बनता है।

प्रजनन क्षमता और मासिक धर्म चक्र से संबंधित गंभीर समस्याओं का मूल्यांकन रक्त या लार परीक्षण द्वारा किया जा सकता है।

प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने के लक्षण - 
प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने के लक्षण प्रत्तेक महिला में भिन्न-भिन्न प्रकार के होते है। कुछ महिलाओ में यह लक्षण हल्के और कुछ महिलाओ में अधिक होते है। प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने के लक्षण निम्नलिखित है। 
  • मूड बदलना
  • डिप्रेशन 
  • चिंता 
  • वजन का बढना
  • स्तन असहजता
  • म्यूढे की बीमारी
  • कामेच्छा में कमी
  • पित्ताशय रोग
  • एन्डोमेंट्रियल कैंसर
प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने के कारण - 
प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी कई विभिन्न कारणों, विशेष रूप से स्वास्थ्य और वर्तमान रजोनिवृत्ति के स्तर में भिन्नता के कारण आ सकती है। रजोनिवृत्त का अनुभव कर चुकी महिलाओं में अंडाशय धीमी गति से कार्य करने लगता है जो प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन की सामान्य मात्रा का केवल एक छोटा सा भाग उत्पादित होने पर होता है।

प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी तनाव, चिंता, या अपूर्ण आहार के कारण भी आ सकती है। प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी के कारणों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

प्राकृतिक कारण (Natural causes): जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि ये शरीर के भीतर स्वाभाविक रूप से होने वाले परिवर्तन होते हैं जिनसे बचा नहीं जा सकता क्योंकि इन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता। उदाहरण के लिए, गर्भावस्था के तुरंत बाद प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर में अचानक से गिरावट आती है। 

प्रेरित करने वाले कारण (Induced causes): इन कारकों पर आपका नियंत्रण होता है जैसे अपूर्ण आहार लेना आदि।

प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के लक्षण - 
जब महिलाओं में अंडे का उत्पादन नहीं होता है या वो गर्भवती नहीं होती हैं तब उनमें प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है। जिस कारण उन्हें कई अप्रिय लक्षणों का सामना करना पड़ता है। हालांकि लक्षणों की गंभीरता हर महिला में अलग अलग होती है। उच्च प्रोजेस्टेरोन के स्तर से जुड़े कुछ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षण इस प्रकार हैं:
  •     उंघना (Drowsiness)
  •     मूड बदलना
  •     हॉट फ्लैशेस
  •     योनि संक्रमण
  •     कामेच्छा में कमी (और पढ़ें - कामेच्छा बढ़ाने के उपाय)
  •     असंयम (Incontinence)
प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण - 
प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के दो सबसे बड़े कारण हैं - ओवुलेशन और गर्भावस्था। जिसके दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर ज़रूर बढ़ता है। रजोनिवृत्ति के दौरान, जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों का उत्पादन कम होता है तब प्रोजेस्टेरोन प्रबलता (Progesterone dominance) हो सकती है।

खराब स्वास्थ्य के कारण भी प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के बिना शरीर के लिए हार्मोन संतुलित रखना थोड़ा मुश्किल होता है।

प्रोजेस्टेरोन असंतुलन का उपचार - 
प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के उपचार के तीन तरीके इस प्रकार हैं:
  •     जीवन शैली में बदलाव
  •     वैकल्पिक चिकित्सा
  •     हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी)।
जीवन शैली में बदलाव-
तनाव में कमी के लिए योग और ध्यान, नियमित व्यायाम और संतुलित भोजन से हर महिला में सकारात्मक बदलाव होते हैं। विशेष रूप से आहार महत्वपूर्ण है और कुछ खाद्य पदार्थ प्रोजेस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से आवश्यक होते हैं।

जब एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है, प्रोजेस्टेरोन का स्तर घट जाता है। अध्ययन के अनुसार, ऐसे खाद्य पदार्थ जो एस्ट्रोजन के स्तर को संतुलित रखते हैं जैसे सोया, सेब, अल्फाल्फा (Alfalfa), चेरी, आलू, चावल, गेहूं और रतालू (yams) आदि प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के लक्षणों को नियंत्रित करने या रोकने में भी मदद करते हैं। 

वैकल्पिक चिकित्सा-
वैकल्पिक चिकित्सा, प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के इलाज के लिए एक अत्यंत प्रभावी तरीका हो सकता है। इन तरीकों में कई अलग अलग उपचार शामिल हैं जिनमें हर्बल उपचार सबसे लोकप्रिय विकल्प है। दांग क्वाई [यह एक चीनी जड़ी बूटी है जो महिलाओं के स्वस्थ्य से जुड़ी समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग की जाती है (Dong quai)], मेथी, यूनिकॉर्न जड़ और जंगली रतालू आदि सभी प्रोजेस्टेरोन संतुलन के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं।

प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के इलाज के लिए दो प्रकार की जड़ी बूटियों का उपयोग किया जा सकता है: फाइटोइस्ट्रोजेन्स और हार्मोन नियंत्रक की खुराक।

फाइटोइस्ट्रोजेन्स जैसे ब्लैक कोहोश (Black cohosh) से हार्मोनल असंतुलन का इलाज होता है। हालांकि बाहरी तरीकों से हार्मोन का स्तर बढ़ाकर, शरीर की स्वाभाविक रूप से हार्मोन तैयार करने की क्षमता को नुकसान पहुंचता है जो आगे हार्मोन में कमी का कारण बन सकता है।

इसके विपरीत, हार्मोन नियंत्रक की खुराक में कोई एस्ट्रोजेन नहीं होता है। ये जड़ी बूटियां अंतःस्रावी ग्रंथियों को पोषण प्रदान करने के साथ साथ हार्मोन उत्पादन को प्रोत्साहित करती हैं। जिससे उन्हें प्राकृतिक हार्मोन उत्पन्न करने में मदद मिलती है। हार्मोन नियंत्रक की खुराक जैसे मैकेफेम (Macafem) को प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के लक्षणों को स्वाभाविक रूप से कम करने का सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है।

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी-
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी (एचआरटी) हार्मोनल असंतुलन से निपटने का तेज़ और अचूक तरीका है लेकिन इसके गंभीर और संभावित दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। यह कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा भी बढ़ाता है।

डॉक्टर इन तीन उपचार के तरीकों के अलावा भी प्रोजेस्टेरोन के स्तर को संतुलित करने के लिए, अन्य उपायों का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करना आपकी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है।


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