एस्ट्रोजन, हार्मोन होते हैं जो मुख्य रूप से महिलाओं में प्रजनन और यौन विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हें महिला सेक्स हार्मोन भी कहा जाता है। "एस्ट्रोजन" शब्द इस समूह के सभी रासायनिक रूप से समान हार्मोनों का संचालन करता है जैसे एस्ट्रोन (Estrone), एस्ट्रिऑल (Estriol) और एस्ट्राडियोल (Estradiol) हैं। यह हार्मोन हर महीने महिलाओं के अंडाशय द्वारा कोलेस्ट्रॉल से निर्मित होता है। एस्ट्रोजन रक्त के माध्यम से सभी अंगों और ऊतकों तक पहुंचता है और यकृत (liver) में एंजाइमों द्वारा इसका चयापचय (Metabolised) किया जाता है।
एस्ट्रोजन का उत्पादन अंडाशय और कुछ मात्रा में एड्रिनल कोर्टेक्स (प्रत्येक किडनी के शीर्ष पर स्थित एड्रिनल ग्रंथि का बाहरी भाग), वृषण (Testes) तथा भ्रूण और प्लेसेंटा (Fetoplacental unit) द्वारा होता है।
एस्ट्रोजन प्रधानता (Estrogen dominance) पुरुषों और महिलाओं दोनों में होने वाले हार्मोन असंतुलनों में प्रमुख है। एस्ट्रोजन प्रधानता तब होती है जब किसी न किसी तरह एस्ट्रोजन की तुलना में प्रोजेस्टेरोन का अनुपात बहुत अधिक हो जाता है। एस्ट्रोजन प्रधानता में, प्रोजेस्टेरोन की तुलना में एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर भी देखने को मिलता है लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।
एस्ट्रोजन असंतुलन -
महिलाओं में, मासिक धर्म की शुरुआत से रजोनिवृत्ति तक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार चढ़ाव होने से प्रजनन की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। 35 से 40 साल की उम्र के आसपास अधिकतर महिलायें प्रीमेनोपॉज (Premenopause) के चरण से गुज़रती हैं। ऐसा प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में उतार चढ़ाव के कारण होता है।
प्रीमेनोपॉज के शुरु होने से 50 साल की उम्र तक, लगभग एस्ट्रोजन के स्तर में लगभग 35% की कमी और साथ ही प्रोजेस्टेरोन के स्तर में 75% की कमी होती है। लेकिन ऐसा होना सामान्य माना जाता है। हालांकि एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। प्रोजेस्टेरोन उत्पादन में इस प्रकार की कमी से ही एस्ट्रोजन प्रधानता के लक्षण उत्पन्न होते हैं। फिर एस्ट्रोजेन का स्तर पहले से ही कम क्यों न हो। महिलाओं को प्रोजेस्टेरोन के सामान्य या निम्न स्तर के साथ, एस्ट्रोजेन के स्तर में बढ़ोतरी का अनुभव भी हो सकता है। इसे भी एस्ट्रोजन प्रधानता माना जाता है। महिलाओं के लिए यह मासिक धर्म के वर्षों में अधिक सामान्य है।
एस्ट्रोजन हार्मोन के प्रकार -
एस्ट्रोजन हार्मोन तीन प्रकार के होते हैं:
एस्ट्रोन (E1): एस्ट्रोजन के इस मुख्य रूप का उत्पादन रजोनिवृत्ति के दौरान होता है। यह आपके लिवर और वसा कोशिकाओं में बनता है क्योंकि विषाक्त पदार्थ जैसे ज़ेनोएस्ट्रोजन (Xenoestrogens), भारी धातुयें (Heavy metals) और अन्य प्रदूषक आदि हार्मोन के स्तर को प्रभावित करने वाले कारक आपके यकृत और वसा कोशिकाओं में एकत्रित होते हैं।
एस्ट्राडियोल (E2): एस्ट्रोजन का अधिकतर भाग अंडाशय में बनता है। यह हार्मोन ऊर्जा, नींद, खुशी, सेक्स और स्वस्थ हड्डियों तथा बालों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह त्वचा, होंठ, आंखों और योनि को नमी प्रदान करने में भी मदद करता है। एस्ट्राडियोल बहुत अच्छा वृद्धि उत्तेजक है और इसका बढ़ा हुआ स्तर, स्तन या गर्भाशय में कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
एस्ट्रिऑल (E3): यह लिवर और स्तन कोशिकाओं में बनता है। मुख्य रूप से यह गर्भावस्था के दौरान प्लेसेन्टा द्वारा निर्मित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि एस्ट्रोजेन का यह रूप (एस्ट्रिऑल) यह पता लगाने के काम भी आता है कि कौन सी कोशिकायें एस्ट्रोजन के लिए काम कर रही हैं और कौन सी नहीं। यह एस्ट्रोजन का अत्यधिक सुरक्षात्मक रूप है जो कोशिकाओं के वृद्धि कारकों और अतिरिक्त एस्ट्रोजन को कम करता है। एस्ट्रिऑल अधिक एस्ट्राडियोल को कम करता है और कैंसरजनक विकिरणों से स्तनों की रक्षा करता है।
आम तौर पर शरीर में 90% एस्ट्रिऑल, 7% एस्ट्राडियोल और 3% एस्ट्रोन मौजूद होना चाहिए।
एस्ट्रोजन हार्मोन का महत्व -
एस्ट्रोजन हार्मोन शारीरिक बदलाव लाने में मदद करता है जो एक लड़की को महिला में बदल देते हैं। जीवन के इस समय को यौवनारंभ कहा जाता है। ऐसे कुछ परिवर्तन इस प्रकार हैं:
- स्तनों का विकास
- जननांगों और बगलों में बालों की वृद्धि
- मासिक चक्र की शुरुआत
- एस्ट्रोजन मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है और गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण है। इस हार्मोन के अन्य कार्य इस प्रकार हैं:
- यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।
- महिलाओं और पुरुषों दोनों में हड्डियों की सुरक्षा करता है।
- आपके दिमाग, हड्डियों, हृदय, त्वचा और अन्य ऊतकों को प्रभावित करता है।
मासिक चक्र में एस्ट्रोजन हार्मोन की भूमिका -
महिला सेक्स हार्मोन मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करते हैं और अपने आप इनका स्तर घटता बढ़ता रहता है। माहवारी चक्र एक गतिशील प्रक्रिया है जो औसतन हर 28 दिन में दोहरायी जाती है। एस्ट्रोजन इस चक्र में प्रमुख भूमिका निभाता है।
दिन 1: पीरियड
मासिक चक्र के इस समय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर सबसे कम होता है।
दिन 5: अंडे का चयन
अंडाशय के अंदर अंडा, आवरण (Follicle) के भीतर मौजूद होता है। फॉलिकल एक ऐसी संरचना होती है जिसमें अंडे का विकास होता है। यह एस्ट्रोजन के बढ़े हुए स्तर का उत्पादन करती है।
दिन 6-14: ओवुलेशन की तैयारी
इस चरण के अंत तक एस्ट्रोजन का स्तर धीरे धीरे और फिर तेज़ी से बढ़ता है। (और पढ़ें - ओवुलेशन क्या है)
लगभग 14वें दिन: ओव्यूलेशन
अंडे के आस-पास का आवरण हट जाता है और अंडाशय फैलोपियन ट्यूब में अंडे को रिलीज करता है ताकि इसे शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जा सके। और आवरण अंडाशय में ही रहता है। (और पढ़ें - ओवुलेशन से जुड़े मिथक और तथ्य)
दिन 15-28: ओव्यूलेशन के बाद
ओव्यूलेशन के बाद, प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होती है। यदि अंडा रिलीज़ तो होता है लेकिन निषेचित नहीं होता, तो लगभग 2 सप्ताह के बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी आ जाती है और गर्भाशय की परत निकलने के लिए तैयार हो जाती है। अगले पीरियड्स शुरू होते हैं और चक्र फिर से शुरू हो जाता है।
एस्ट्रोजन संभवतः मासिक धर्म के पूर्व अनुभव होने वाले लक्षणों (पीएमएस) और प्रीमेंसट्रूअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, पीएमएस या पीएमडीडी अनुभव करने वाली महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर आम तौर पर सामान्य होता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान पीएमएस या पीएमडीडी का अनुभव करने वाली महिलायें एस्ट्रोजन के स्तर में सामान्य परिवर्तन से भी प्रभावित हो सकती हैं।
एस्ट्रोजन लेवल टेस्ट -
प्रसिद्ध एस्ट्रोजन शोधकर्ता, डॉ. हेनरी लेमन ने पाया कि ई 3 (E3) यदि ई 1 (E1) और ई 2 (E2) की तुलना में अधिक है तो एस्ट्रोजन के कारण कैंसर होने का खतरा कम रहता है।
एस्ट्रोजन भागफल (Estrogen Quotient) निकालने के लिए सूत्र है:
कुल ई 3 / (कुल ई 1 + कुल ई 2) = Total E3/(Total E1+Total E2)
यदि एस्ट्रोजन भागफल 1.0 से कम है तो स्तन कैंसर का खतरा उस व्यक्ति की तुलना में अधिक है जिसका एस्ट्रोजन भागफल 1.0 से अधिक है। अच्छा अनुपात जो स्तन ऊतक के लिए सबसे अधिक सुरक्षात्मक माना जाता है वह 1.5 से अधिक हो तो सर्वोत्तम एस्ट्रोजन भागफल होता है। यह भागफल हार्मोनल स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं को निर्धारित करने के लिए भी उपयोगी हो सकता है और ऑटोइम्यूनिटी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हार्मोन्स के लेवल के बारे में पता करने के लिए कई प्रकार के टेस्ट किये जाते हैं | संभव है कि आपके डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। आपके रक्त में फोलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH) को टेस्ट किया जा सकता है जो ओवरी में एस्ट्रोजन के नियमन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है |
- टेस्ट करवाने से पहले आपके द्वारा पहले से ली जा रही दवाओं और सप्लीमेंट की जानकारी डॉक्टर को दे देनी चाहिए | अगर आप गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग करती हैं तो उसकी जानकारी भी डॉक्टर को दे देनी चाहिए क्योंकि ये आपके टेस्ट को प्रभावित कर सकती हैं | आपको थायराइड रोग (Thyroid disease), हार्मोन ट्यूमर, ओवेरियन सिस्ट (Ovarian cyst) और असामान्य योनि रक्तस्राव जैसी स्थितियों के बारे में भी डॉक्टर से विचार-विमर्श करना चाहिए क्योंकि ये एफएसएच (FSH) लेवल को प्रभावित कर सकती हैं |
- फोलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट आमतौर पर आपके पीरियड के दूसरे या तीसरे दिन किया जाता है |
- आमतौर पर एस्ट्राडियोल की टेस्ट द्वारा गणना की जाती है और प्रीमीनोपॉजल महिला के लिए इसकी सामान्य रेंज 60-400 पिको ग्राम/मिलीलीटर होती है ( जो आपके मासिकधर्म की स्थिति पर निर्भर करती है) और पोस्टमीनोपॉजल महिलाओं में इसकी सामान्य रेंज 130 पिकोग्राम/मिलीलीटर होती है |
- लार की जांच करके भी एस्ट्रोजन के स्तर का पता लगाया जाता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के लक्षण -
जिन लड़कियों में यौवनारंभ (Puberty) नहीं हुआ है और जिन महिलाओं में रजोनिवृत्ति होने वाली है उनमें एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने की संभावना होती है लेकिन सभी उम्र की महिलाओं में एस्ट्रोजन विकसित कर सकते हैं।
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के निम्नलिखित लक्षण होते हैं :
- योनि स्नेहन (Vaginal lubrication) की कमी के कारण सेक्स के समय दर्द का अनुभव।
- मूत्रमार्ग के पतले होने के कारण मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) में वृद्धि। (और पढ़ें – यूरिन इन्फेक्शन के कारण)
- मूड बदलना।
- स्तन असहजता।
- सिरदर्द या पहले से मौजूद माइग्रेन फिर से होना।
- एकाग्रता में कमी।
आपकी हड्डियों में फ्रैक्चर या अधिक आसानी से टूटना हड्डियों के घनत्व (Bone density) में कमी के कारण हो सकता है। एस्ट्रोजन हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कैल्शियम, विटामिन डी, और अन्य खनिजों के साथ मिलकर काम करता है। यदि आपके एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम है, तो आपकी बोन डेंसिटी में कमी आ सकती है।
यदि एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने पर कोई उपचार नहीं किया गया तो यह महिलाओं में बांझपन की समस्या पैदा कर सकता है। (और पढ़ें – बांझपन का घरेलू इलाज)
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के कारण -
एस्ट्रोजन हार्मोन मुख्य रूप से अंडाशय में निर्मित होता है इसलिए अंडाशय को प्रभावित करने वाले कारक एस्ट्रोजन उत्पादन को भी प्रभावित करते हैं।
युवा महिलाओं को एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी का अनुभव निम्न कारणों से हो सकता है:
- अत्यधिक व्यायाम
- आहार संबंधी विकार जैसे एनोरेक्सिया (भूख न लगना)
- कम उपयोगी पिट्यूटरी ग्रंथि
- समय से पूर्व ओवेरियन फेलियर, जो अनुवांशिकता, विषाक्त पदार्थों और ऑटोइम्यून समस्याओं के कारण हो सकता है।
- टर्नर सिंड्रोम (इससे ग्रस्त लड़कियां छोटी होती हैं और उनके अंडाशय ठीक से काम नहीं करते हैं।)
- क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease)
- 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर में कमी, रजोनिवृत्ति का संकेत हो सकती है।
- पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) के दौरान भी आपके अंडाशय एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं। जब तक रजोनिवृत्ति नहीं हो जाती तब तक धीमी गति से इसका उत्पादन होता रहेगा। जब एस्ट्रोजन का उत्पादन बंद हो जाता है तब आपको रजोनिवृत्ति (Menopause) हो जाती है।
एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाने के तरीके -
जिन महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है उन्हें हार्मोनल उपचार से लाभ हो सकता है।
एस्ट्रोजन थेरेपी (Estrogen therapy)
25 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने पर उनके लिए एस्ट्रोजन की उच्च मात्रा निर्धारित की जाती है। यह हड्डियों में होने वाले नुकसान, हृदय रोग, और अन्य हार्मोनल असंतुलन के जोखिम को कम करता है।
एस्ट्रोजन की वास्तविक मात्रा रोग की गंभीरता और डोज़ देने की विधि पर निर्भर करती है। एस्ट्रोजन निम्न प्रकार से शरीर में पहुंचाया जा सकता है:
- मुंह से (Orally)
- स्थानिक (Topically)
- योनि द्वारा (Vaginally)
- इंजेक्शन के माध्यम से
कुछ मामलों में, एस्ट्रोजन स्तर सामान्य होने पर भी लंबे समय तक उपचार की आवश्यकता होती है। एस्ट्रोजन थेरेपी रजोनिवृत्ति के लक्षणों की गंभीरता और फ्रैक्चर के जोखिम को कम कर सकती है।
दीर्घकालिक एस्ट्रोजन थेरेपी उन महिलाओं के लिए प्राथमिक उपचार है जो रजोनिवृत्ति से गुज़र रही होती हैं या हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) करवा चुकी होती हैं। अन्य सभी मामलों में, एस्ट्रोजेन थेरेपी केवल एक से दो साल के लिए की जाती है क्योंकि इससे कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
एचआरटी का उपयोग आपके शरीर के प्राकृतिक हार्मोन के स्तर को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यदि आपकी रजोनिवृत्ति का समय निकट है तो डॉक्टर आपको एचआरटी की सलाह दे सकते हैं। रजोनिवृत्ति एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर को लगातार कम करती है। एचआरटी इन स्तरों को सामान्य करने में मदद करता है।
इस थेरेपी में भी एस्ट्रोजन उपर्युक्त प्रकार से ही शरीर में पहुंचाया जाता है।
जिन महिलाओं को रजोनिवृत्ति के उपचार के लिए एचआरटी ट्रीटमेंट दिया जाता है उनमें हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। इस उपचार से खून के थक्के जमने, स्ट्रोक, और स्तन कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने के लक्षण -
जब आपके शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य नहीं होता है, तो आपमें निम्नलिखित लक्षण विकसित हो सकते हैं :
- सूजन।
- स्तनों में सूजन और असहजता।
- कामेच्छा में कमी। (और पढ़ें - कामेच्छा बढ़ाने के उपाय)
- अनियमित माहवारी।
- सिर दर्द।
- मूड बदलना।
- स्तन में गांठ का विकास।
- वजन बढना
- बाल झडना
- हाथ-पैर ठंडे रहना
- थकान और ऊर्जा में कमी महसूस करना
- कमजोर यादाश्त
- नींद न आना
- पीएमएम के लक्षण
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे :
- हार्मोन असंतुलन, जब प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है।
- कुछ दवाओं का सेवन (जैसे एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी और जन्म नियंत्रण की गोलियां)
- कम टेस्टोस्टेरोन या प्रोजेस्टेरोन का स्तर जो शरीर में हार्मोन संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।
- कम फाइबर युक्त आहार (एस्ट्रोजन आंत में उत्सर्जित किया जाता है जिस कारण कब्ज की समस्या हो सकती है)
- लिवर में गड़बड़ी।
- ड्रग्स या अल्कोहल का दुरुपयोग।
- ज़ेनोएस्ट्रोजन की अधिकता के कारण- यह मानव निर्मित रसायन है जो शरीर में एस्ट्रोजन की नकल करता है और हार्मोनल संतुलन को बाधित करता है।
एस्ट्रोजन का स्तर कम करने के उपाय -
एस्ट्रोजन का स्तर कम करने के निम्नलिखित उपाय हैं :
- त्वचा देखभाल उत्पादों में कई रसायन जैसे रासायनिक सनस्क्रीन, फ्थेलेट्स (Phthalates) और पेट्रोलियम केमिकल्स मौजूद होते हैं जैसे ज़ेनोएस्ट्रोजन। इसलिए उन ब्रांड की खोज करें जो प्राकृतिक और जैविक सामग्री का उपयोग करते हैं जिनसे एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि नहीं होती है।
- अध्ययनों से पता चलता है कि कई कीटनाशक हार्मोन स्तर में कमी लाते हैं इसलिए सब्ज़ियों और फलों को उपयोग करने से पहले धो लें क्योंकि उनमें कार्बनिक कीटनाशकों के अवशेष भी हो सकते हैं।
- शरीर के पाचन को दुरुस्त बनाये रखने के लिए आपको पर्याप्त फाइबर की आवश्यकता होती है। अधिक पत्तेदार साग, नट (Nuts), बीज, फलों और बीन्स का सेवन करें।
- प्लास्टिक की बोतलें, भोजन के कंटेनर, बैग इत्यादि में हानिकारक रसायन होते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन की नकल करते हैं। कांच या सिरेमिक कंटेनर में एकत्रित और माइक्रोवेव और डिब्बाबंद भोजन आदि से बचना चाहिए।
- सिरेमिक या लोहे के बर्तनों में खाना पकाने की कोशिश करें क्योंकि नॉनस्टिक बर्तन ज़ेनोएस्ट्रोजन का अच्छा स्रोत हैं। ये यदि ज़रूरत से ज्यादा गरम हो जायें तो भोजन में अंतःस्रावी ग्रंथि को खराब करने वाले तत्व उत्पन्न कर देते हैं। एक स्वस्थ भोजन के लिए सिरेमिक या लोहे के बर्तनों में खाना पकायें।
- सोया से बचें। यद्यपि यह रासायनिक एस्ट्रोजन नहीं है, यह पौध आधारित एस्ट्रोजन है और आपके हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकता है।
- व्यायाम करें। अध्ययनों के अनुसार व्यायाम से एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, 2011 के एक अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में 300 मिनट के लिए एरोबिक अभ्यास करने वाली प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं ने लगभग 19 प्रतिशत एस्ट्रोजन का स्तर कम कर दिया था। 2013 के एक अध्ययन के मुताबिक एरोबिक व्यायाम शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम करने में मदद करता है।
- पर्याप्त नींद लें। जब आप पर्याप्त नींद नहीं ले पाते तो नींद हार्मोन मेलाटोनिन (Melatonin) का स्तर बाधित होता है। ऐसा मन जाता है कि मेलाटोनिन में एस्ट्रोजन के विरूद्ध एक सुरक्षात्मक प्रभाव होता है। 1999 का एक अध्ययन में यह पाया गया कि मेलाटोनिन एस्ट्रोजेन के कारण बनने वाली कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करता है।
- पीने के पानी के लिए फिल्टर का उपयोग करें। सार्वजनिक स्थानों में मिलने वाले जल में अकसर क्लोरीन, फ्लोराइड और अन्य औद्योगिक रसायन होते हैं जो ज़ेनोएस्ट्रोजन के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए एक अच्छी गुणवत्ता वाले फिल्टर का उपयोग करें।
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