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टॉन्सिल के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

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अगर कभी किसी को गले में खराश या जलन महसूस हो, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हो सकता है कि यह टॉन्सिल के लक्षण हों। यह समस्या खान-पान के कारण हो सकती है। दरअसल, कई खाद्य व पेय पदार्थों में बैक्टीरिया होते हैं, जो हमें दिखाई नहीं देते, लेकिन ये गले में मौजूद टॉन्सिल को संक्रमित कर सकते हैं। टॉन्सिल में संक्रमण के कारण गले में सूजन, दर्द, खराश और जलन हो सकती हैं। इस लेख में हम बताएंगे कि टॉन्सिल क्या है। साथ ही टॉन्सिल्स के घरेलू नुस्खे से जुड़ी कई रोचक जानकारियां आपको देंगे। यहां जो घरेलू उपचार बताए गए हैं, वो टॉन्सिल की समस्या से राहत दिला सकते हैं। वहीं, अगर किसी में टॉन्सिल की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, तो बिना देरी किए डॉक्टर से इलाज करवाना ही बेहतर होगा।

टॉन्सिल क्या है? – 
टॉन्सिल गले में मौजूद टिश्यू का जोड़ा होता है। यह जीभ के पीछे होता है, जहां नाक और मुंह की ग्रंथियां मिलती हैं। ये ग्रंथियां शरीर में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को अंदर जाने से रोकती हैं। टॉन्सिल में संक्रमण का असर वोकल कार्ड (स्वर यंत्र) पर दिखाई देता है। अगर यह किसी व्यक्ति को हो जाएं, तो उसे ज्यादा बात करने में परेशानी हो सकती है। अगर वह अधिक बात करने की कोशिश करता है, तो उसे गले में अधिक दर्द महसूस हो सकता है।

टॉन्सिल्स के प्रकार –
टॉन्सिल के प्रकार को उसके लक्षण के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है।

एक्यूट टॉन्सिल- इसे टॉन्सिल में आई सूजन के रूप में भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से संक्रमण के कारण होता है। टॉन्सिल का यह प्रकार फैरिंक्स यानी जीभ के पीछे के भाग (गले का एक हिस्सा) को प्रभावित करता है। टॉन्सिल का यह प्रकार ज्यादातर युवाओं को प्रभावित करता है ।

रिकरेंट टॉन्सिल- टॉन्सिल की समस्या को एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से ठीक किया जा सकता है, लेकिन कुछ बच्चों में यह समस्या बार-बार उत्पन्न हो जाती है, जिसे रिकरेंट टॉन्सिल कहा जाता है। फिलहाल, यह बताना मुश्किल है कि कुछ बच्चों को यह समस्या क्यों होती है (3)।

क्रोनिक टॉन्सिल- यह टॉन्सिल का कठिन संक्रमण हो सकता है। इस कारण गले में टॉन्सिल स्टोन (एक प्रकार का चिकना पदार्थ जमा होना) बनने लगते हैं (4)।

पेरिटॉन्सिलर एब्सेस- पेरिटॉन्सिलर एब्सेस भी एक प्रकार का टॉन्सिल है, जो सिर और गर्दन में अधिक संक्रमण होने के कारण होता है। टॉन्सिल का यह प्रकार अधिकतर युवाओं को प्रभावित करता है (5)।

टॉन्सिल के कारण – 
हाथों की सफाई न होने या अनहाइजेनिक खान-पान के कारण बैक्टीरिया और संक्रमण को बढ़ावा मिलता है, जो टॉन्सिल्स का कारण बन सकते हैं। टॉन्सिल्स होने के मुख्य कारण निम्न प्रकार से हैं।
  • बैक्टीरिया
  • वायरल इन्फेक्शन
टॉन्सिल के लक्षण – 
शरीर में कोई भी रोग होता है, तो उसके लक्षण पहले से ही नजर आने लगते हैं। उसी तरह टॉन्सिल के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। आइए, इनके बारे में थोड़ा जान लेते हैं
  • निगलने में कठिनाई
  • कान में दर्द
  • बुखार
  • सिरदर्द
  • गले में खराश (जो दो दिन से अधिक समय तक हो)
  • सांस लेने में समस्या
  • खाने-पीने में तकलीफ
टॉन्सिल्स के घरेलू इलाज – 
जब लोगों को किसी तरह का रोग होता है, तो सबसे पहले लोग उसे घरेलू तरीके से ठीक करने के बारे में सोचते हैं। ऐसे ही कुछ टॉन्सिल के घरेलू नुस्खे के बारे में हम बताएंगे, जिन्हें अपना कर इस समस्या में काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। हां, अगर समस्या गंभीर हो, तो बिना देरी किए डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही घरेलू उपचार का इस्तेमाल करना चाहिए।

1. नमक वाले पानी से कुल्ला
सामग्री:
  • आधा चम्मच नमक
  • एक कप गुनगुना पानी
उपयोग की विधि:
  • गुनगुने पानी में नमक को अच्छे से मिला लें।
  • फिर उससे गरारे करें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 3 बार कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है:
जब भी गले में किसी भी तरह की परेशानी होती है, तो सबसे पहले गरारे करने कि सलाह दी जाती है। टॉन्सिल में नामक और पानी के मिश्रण से गरारे करने से आपको फायदा हो सकता है। नमक में एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव पाया जाता है, जो बैक्टीरिया को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है । वहीं, पानी संक्रमण के कारण बंद नाक को खोलने का काम कर सकता है, जिससे सांस लेने में किसी तरह कि समस्या नहीं होती । ऐसे में टॉन्सिल के घरेलू उपाय में नमक वाले पानी किए जाने वाले गरारे शामिल हैं।

2. मेथी बीज
सामग्री:
  • दो चम्मच मेथी के बीज
  • एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
  • पानी में मेथी के बीज को मिलाकर गर्म करें।
  • 5 मिनट गर्म होने के बाद थोड़ी देर ठंडा होने दें।
  • फिर उस पानी से गरारे कर लें।
  • कितनी बार करें:
  • दिन में 3 से 4 बार करें।
कैसे फायदेमंद है:
टॉन्सिल का घरेलू इलाज में मेथी के बीज का उपयोग किया जा सकता है (8)। जैसा कि ऊपर लेख में बताया गया है कि बैक्टीरिया और वायरल इन्फेक्शन के कारण ही टॉन्सिल होता है। वहीं, मेथी के बीज में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं , जो टॉन्सिल में संक्रमण उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया को दूर कर इस समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं।

3. दूध
सामग्री:

  • एक कप दूध
  • आधा चम्मच हल्दी पाउडर
  • एक चुटकी काली मिर्च पाउडर
उपयोग की विधि:
  • दूध को गर्म करें और उसमें काली मिर्च व हल्दी पाउडर डाल लें।
  • फिर अच्छे से मिलाकर पी लें।
कितनी बार करें:
  • हर रात में सोने से पहले पिएं।
कैसे फायदेमंद है:
दूध का सेवन करने से गले में खराश की समस्या से निजात पाई जा सकती है। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो गले की खराश से राहत पहुंचाने का काम कर सकता है। चूंकि, गले की खराश टॉन्सिल्स का एक लक्षण है। इस कारण दूध टॉन्सिल से राहत दिलाने में सहायक माना जा सकता है। साथ ही इसमें मिलाई जाने वाली हल्दी और काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं , जो टॉन्सिल के लक्षण को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

4. गाजर, ककड़ी और चुकंदर का रस
सामग्री:
  • 150 मिलीलीटर गाजर का जूस
  • 50 मिलीलीटर ककड़ी का जूस
  • 50 मिलीलीटर चुकंदर का जूस
उपयोग की विधि:
  • तीनों जूस को अच्छे से मिला लें।
  • फिर उसे पी लें।
  • कितनी बार करें
  • दिन में एक बार उपयोग करें।
कैसे फायदेमंद है:
गाजर, ककड़ी और चुकंदर के रस को टॉन्सिल की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण टॉन्सिल होता है। वहीं, गाजर, ककड़ी और चुकंदर में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं । इस कारण यह माना जा सकता है कि गले के टॉन्सिल का इलाज में ये संयुक्त रूप से मददगार साबित हो सकते हैं। गाजर, ककड़ी और चुकंदर का रस किस प्रकार टॉन्सिल में सहायक है, इस संबंध में अभी कोई स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

5. अदरक
सामग्री:
  • एक इंच ताजा अदरक
  • एक कप पानी
  • एक चम्मच शहद (वैकल्पिक)
उपयोग की विधि:
  • अदरक को पानी में डालकर 5 मिनट तक गर्म करें।
  • गर्म होने के बाद उसे थोड़ी देर ठंडा होने दें।
  • फिर उसमें शहद मिलाकर पी लें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 3 से 4 बार तक इसे पी सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है:
टॉन्सिल का घरेलू इलाज करने के लिए अदरक का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, टॉन्सिल की समस्या बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होती है वहीं, अदरक में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव पाए जाते हैं , जो टॉन्सिल से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

6. अंजीर
सामग्री:

  • दो से तीन अंजीर
  • पानी
उपयोग की विधि:
  • अंजीर को पानी में उबाल लें।
  • फिर उसे पीसकर पेस्ट बनाकर गले में लगा लें।
  • 10 से 15 मिनट के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें, फिर पानी से धो लें।
  • आप दिन में तीन से चार अंजीर खा भी सकते हैं।
कितनी बार करें:
  • दिन में 1 से 2 बार उपयोग कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है:
अंजीर को टॉन्सिल की दवा के तरह उपयोग किया जा सकता है। अंजीर में फैनोलिक यौगिक पाए जाते हैं, जो एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों को दर्शाते हैं। इसके उपयोग से गले के अंदर की सूजन को कम किया जा सकता हैं। अंजीर में एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं। ये ओरल बैक्टीरिया यानी टॉन्सिलिटिस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इससे कि गले के टॉन्सिल का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

7. फिटकिरी
सामग्री:     
  • एक चम्मच फिटकरी
  • एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
  • पानी को गर्म करें और उसमें फिटकिरी पाउडर को मिला लें।
  • फिटकिरी को पानी में अच्छे से घोलने के बाद गरारे कर लें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 2 से 3 बार करें।
कैसे फायदेमंद है:
टॉन्सिल के उपाय में फिटकिरी को भी शामिल किया जा सकता है। जैसा कि आपको पहले भी बताया गया है कि बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण टॉन्सिल की समस्या उत्पन्न होती है, ऐसे में फिटकिरी में पाए जाने वाले एंटी बायोटिक गुण बैक्टीरिया को दूर रखने का काम कर सकते हैं। इससे टॉन्सिल से जुड़ी समस्या दूर हो सकती है फिलहाल, इस संबंध में और शोध की जरूरत है।

8. नींबू और शहद
सामग्री:
  • एक चम्मच नींबू का रस
  • एक चम्मच शहद
  • एक कप पानी
उपयोग की विधि:
  • पानी को थोड़ा गर्म कर लें।
  • फिर उसमें नींबू का रस और शहद मिला लें।
  • बाद में इस पानी से गरारे कर लें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 1 से 2 बार ऐसा करें।
कैसे फायदेमंद है:
गले के टॉन्सिल का इलाज नींबू और शहद के उपयोग से भी किया जा सकता है। नींबू में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो टॉन्सिल का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को दूर करने का काम कर सकते हैं (1)। इससे टॉन्सिल की समस्या को दूर किया जा सकता है । इसके अलावा, शहद गले से संबंधित समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है ।

9. लहसुन
सामग्री:
  • लहसुन की दो से तीन कलियां
  • एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
  • पानी को गर्म करें, फिर उसमें लहसुन को डाल दें।
  • कुछ समय तक पानी को ठंडा होने दें।
  • फिर उससे गरारे कर लें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 1 से 2 बार तक करें।
कैसे फायदेमंद है:
लहसुन को कई बीमारियों के घरेलू उपचार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि टॉन्सिल का कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है। वहीं, लहसुन में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि लहसुन का उपयोग टॉन्सिल की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है।

10. सेब का सिरका
सामग्री:
  • एक चम्मच सेब का सिरका
  • एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
  • पानी को गर्म कर लें, फिर उसमें सेब का सिरका मिला लें।
  • जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए, तो उससे गरारे कर लें।
  • आप इस पानी को पी भी सकते हैं।
कितनी बार करें:
  • दिन में 1 से 2 बार तक करें।
कैसे फायदेमंद है:
टॉन्सिल के उपाय में सेब का सिरके भी शामिल है। टॉन्सिल की समस्या के लिए बैक्टीरियल इन्फेक्शन को जिम्मेदार माना जाता है । वहीं, सेब के सिरके में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम हैं। इस कारण सेब का सिरका टॉन्सिल से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जा सकता है।

11. प्याज
सामग्री:
  • एक प्याज
  • आधा कप पानी
  • एक चम्मच शहद
उपयोग की विधि:
  • आधे कप पानी में प्याज को पीस कर मिला लें।
  • फिर उसमें शहद डाल दें।
  • इस मिश्रण को पी लें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 1 बार इसका उपयोग करें।
कैसे फायदेमंद है:
टॉन्सिल के घरेलू उपाय के तहत प्याज भी आपके काम आ सकता है। जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा टॉन्सिलिटिस के लिए बैक्टीरियल इन्फेक्शन मुख्य कारण होता है। वहीं, प्याज में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया से निपटने में मदद कर सकते हैं । साथ ही इसमें पाया जाने वाला एंटीइंफ्लेमेटरी गुण टॉन्सिल की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है

12. कैमोमाइल चाय
सामग्री:
  • एक चम्मच कैमोमाइल पाउडर
  • एक कप पानी
  • एक चम्मच शहद
उपयोग की विधि:
  • पानी को गर्म करें और फिर उसमें कैमोमाइल को डालें।
  • 5 से 10 मिनट गर्म होने दें।
  • फिर उसमें शहद डाल दें और थोड़ी देर ठंडा होने दें।
  • फिर इसे पी लें।
कितनी बार करें:
  • दिन में 2 से 3 बार तक उपयोग करें।
कैसे फायदेमंद है:
टॉन्सिल के कारण गले में सूजन हो जाती है। इससे बैक्टीरिया को बढ़ावा मिल सकता है। कैमोमाइल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जो टॉन्सिल के कारण होने वाली सूजन को कम करने के साथ-साथ दर्द से भी राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं। टॉन्सिल का मुख्य कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है, जो लेख में ऊपर भी बताया जा चुका है। इसलिए, कैमोमाइल चाय को घरेलू उपचार के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

13. मिंट टी
सामग्री:
  • मुट्ठीभर पुदीने के पत्ते
  • एक कप पानी
  • एक चम्मच शहद
उपयोग की विधि:
  • पुदीने को कुचल कर पानी में डालकर गर्म कर लें।
  • 5 मिनट गर्म होने के बाद पानी को कप में छान लें और उसमें शहद डालकर सेवन करें।
कितनी बार करें:
  1. दिन में 3 से 4 बार तक पिएं।
कैसे फायदेमंद है:
गले में टॉन्सिल का इलाज पुदीने की चाय से किया जा सकता है। दरअसल, टॉन्सिल की समस्या का एक कारण मुंह का संक्रमण भी हो सकता है। वहीं, पुदीने में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं । ये इस समस्या से छुटकारा दिलाने के साथ-साथ दर्द को भी कम करने में सहायता कर सकते हैं।

14. सरसों का पाउडर
सामग्री:
  • एक चम्मच सरसों का पाउडर
  • एक कप पानी
उपयोग की विधि:
  • पानी को गर्म करें और उसमें सरसों का पाउडर मिला लें।
  • फिर उस गुनगुने पानी से गरारे कर लें।
कितनी बार करें:
  • इसे दिन में 3 बार कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है:
सरसों के पाउडर का उपयोग टॉन्सिल की समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है। टॉन्सिल होने का मुख्य कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है। चूंकि, सरसों के पाउडर में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि सरसों के पाउडर का इस्तेमाल टॉन्सिल से राहत दिला सकता है।]\

15. दही

  • एक कप दही
उपयोग की विधि:

  1. इसका सेवन खाने के साथ या फिर ऐसे ही किया जा सकता है।
कितनी बार करें:
दही को दिन में एक से दो बार तक खाया जा सकता है।
कैसे फायदेमंद है:
जैसा कि लेख में पहले बताया गया है कि बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण टॉन्सिल्स की समस्या होती है। वहीं, दही में एंटी-बायोटिक गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरियल इन्फेक्शन से राहत पहुंचाने का काम कर सकते हैं।

16. ओरिगैनो
सामग्री:

  • एक चम्मच ओरिगैनो
  • एक कप पानी
  • शहद
उपयोग की विधि:

  • पानी में ओरिगैनो को मिलाएं और 5 मिनट तक गर्म करें।
  • फिर उसमें शहद डालकर पी लें।
कितनी बार करें:

  • दिन में 3 बार तक इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है:
ओरिगैनो में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो टॉन्सिल का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, इसे गले में टॉन्सिल का अच्छा घरेलू उपचार माना जा सकता है ।

17. जौ
सामग्री:

  • एक से दो कप जौ
  • एक से दो लीटर तक पानी
उपयोग की विधि:

  • पानी में जौ को डालकर थोड़ी देर तक गर्म करें।
  • फिर इसे ठंडा होने दें।
  • ठंडा होने के बाद इस पानी को किसी बर्तन में रख लें और नियमित रूप से इस्तेमाल में लाएं।
  • वहीं, आप जौ का पेस्ट बनाकर गले पर लगा भी सकते हैं।
कितनी बार करें:

  • दिन में एक से दो बार तक इसका उपयोग करें।
कैसे फायदेमंद है:
जौ का उपयोग कर गले में टॉन्सिल का उपचार किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं और जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण टॉन्सिल होता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि जौ का घरेलू उपचार टॉन्सिल में मददगार साबित हो सकता है ।

18. नारियल तेल
सामग्री:

  • एक चम्मच नारियल का तेल
उपयोग की विधि:

  • नारियल के तेल को मुंह में डालकर कुछ मिनट तक गरारे करें।
  • फिर उसे थूक दें।
  • कितनी बार करें:
  • दिन में दो बार तक करें।
कैसे फायदेमंद है:
नारियल के तेल में एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरियल इन्फेक्शन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। दरअसल, बैक्टीरियल इन्फेक्शन गले में टॉन्सिल का कारण बन सकता है। इसलिए, गले में टॉन्सिल से राहत दिलाने के लिए नारियल का तेल मदद कर सकता है।

19. अनानास का रस

  • सामग्री:
  • एक चौथाई भाग अनानास
  • एक कप पानी
उपयोग की विधि:

  • अनानास को अच्छे से पीस कर उसे पानी में मिला लें।
  • फिर इसे पी लीजिए।
कितनी बार करें:
दिन में एक बार इस जूस को पिया जा सकता है।
कैसे फायदेमंद है:
एक शोध के अनुसार ,अनानास में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जैसा कि ऊपर आपने पढ़ा बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण टॉन्सिल में समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि गले में टॉन्सिल की समस्या को होने से रोकने के साथ-साथ बैक्टीरिया से भी छुटकारा दिलाने में भी नारियल तेल मददगार साबित हो सकता है 

20. सूप और शोरबा
सामग्री:
  • 100 ग्राम कटी हुई 
  • मिक्स सब्जियां, मशरूम या चिकन (सूप बनाने के लिए आप इनमें से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं)
  • एक चम्मच मक्खन
  • हरे धनिया की कुछ पत्तियां
  • आधा नींबू
  • नमक स्वादानुसार
  • एक चौथाई चम्मच काली मिर्च
  • आधा छोटा चम्मच अदरक पेस्ट
उपयोग की विधि:

  • ऊपर बताई गए सभी सामग्रियों को मिलाकर सूप तैयार कर लें।
  • फिर सूप को हल्का ठंडा हो जाने दें। उसके बाद सूप का सेवन करें।
कितनी बार करें:

  • दिन में एक बार सूप को पीने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है:
विशेषज्ञों के मुताबिक, टॉन्सिल्स की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप सूप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। माना जाता है कि यह गले को राहत पहुंचाने के साथ-साथ गले को हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकता है। इससे टॉन्सिल्स के कारण होने वाली चुभन और दर्द से राहत मिल सकती है।

नोट : ऊपर टॉन्सिल के संबंध में जितने भी घरेलू नुस्खे बताए गए हैं, उन पर वैज्ञानिक शोध बेहद सीमित हैं और अधिकतर का परीक्षण जानवरों पर किया गया है।

टॉन्सिल का निदान/परीक्षण – 
टॉन्सिलिटिस के परीक्षण करने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट कर सकता है, जो निम्न प्रकार से है (36) :

गले की जांच- गले की जांच कर टॉन्सिलिटिस का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि टॉन्सिल से गर्दन में सूजन हो जाती है।

लार का सैंपल- टॉन्सिल की समस्या को जानने के लिए विशेषज्ञों द्वारा जीभ के पिछले भाग से रूई की मदद से लार के सैंपल लेकर परीक्षण किया जा सकता है। इससे टॉन्सिल के बारे में जाना जा सकता है।

सफेद धब्बा- मुंह को अच्छे से खोलकर देखने से उसमें सफेद धब्बे दिखाई देते हैं, तो इससे टॉन्सिल का पता लगाया जा सकता है।

टॉन्सिल का इलाज – 
टॉन्सिल्स के इलाज की बात करें, तो डॉक्टर इसके लिए कुछ दवाओं का उपयोग करने की सलाह देते हैं। इसके उपचार के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली कुछ दवाएं निम्न प्रकार से हैं:

इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन- जो टॉन्सिल के दर्द से राहत और बुखार कम करने में मदद कर सकती है।
एंटीबायोटिक्स दवाओं का उपयोग (बैक्टीरियल इन्फेक्शन को दूर करने के लिए)।

टॉन्सिल से बचाव – 
  • टॉन्सिल से बचाव के कुछ उपाय निम्न प्रकार से हैं :
  • हाथों को साफ रखें।
  • खराश, सर्दी और श्वसन तंत्र से पीड़ित लोगों से दूरी बनाए रखें।
  • धूम्रपान न करें।
  • बच्चों को समय पर आवश्यक टीके लगवाएं।
टॉन्सिल्स के दुष्प्रभाव –
टॉन्सिल्स के कारण कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके बारे में यहां हम निम्न बिन्दुओं के माध्यम से जानेंगे ।   
  • शरीर में कमजोरी और बुखार होना।   
  • कान में दर्द।    
  • मुंह खोलने में तकलीफ। 
  • बात करते समय गले में तकलीफ महसूस होना। 
  • गले में खराश और सूजन।
टॉन्सिल की समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है, यह तो आप इस लेख के माध्यम से समझ ही गए होंगे। ऊपर दिए गए 20 घरेलू उपायों को अपनाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा, लेख में टॉन्सिल्स से बचने के कुछ टिप्स भी बताए गए हैं, जो इस समस्या को दूर रखने में मदद करेंगे। उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग करके आप टॉन्सिल्स की समस्या को खुद से दूर रखेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

टॉन्सिल पर सफेद धब्बे हों, तो क्या करें?
अगर टॉन्सिल पर सफेद धब्बे दिखाई दें, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें। यह टॉन्सिलाइटिस जैसी समस्या का लक्षण हो सकता है 

बच्चों को टॉन्सिलिटिस होना कितना आम है?
टॉन्सिलिटिस की समस्या दो साल से अधिक उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा होती है। लगभग सभी बच्चे को कम से कम एक बार इस समस्या से गुजरना पड़ता है। 5-15 वर्ष की आयु वाले बच्चों में बैक्टीरिया के कारण होने वाली टॉन्सिलिटिस की समस्या अधिक होती है।

टॉन्सिलिटिस कितने समय तक रहता है?
यह टॉन्सिलिटिस की गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर यह समस्या अधिक गंभीर है, तो इसे ठीक होने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं। वहीं, सामान्य अवस्था में डॉक्टर द्वारा बताए गए एंटीबायोटिक दवाई की मदद से कुछ दिनों में इसे ठीक किया जा सकता है।

क्या ज्यादा तकलीफदेह है – टॉन्सिलिटिस या स्ट्रेप थ्रोट?
टॉन्सिल में सूजन के कारण टॉन्सिलिटिस की समस्या होती है। ऐसा बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन के कारण होता है । स्ट्रेप थ्रोट, गले से संबंधित एक समस्या है, जो गले में खराश का कारण बनती है। यह समस्या एक संक्रमण है, जो ए. स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होती है । ये दोनों गले से संबंधित समस्याएं होती हैं, जिसके लिए बैक्टीरिया जिम्मेदार होता है। इन दोनों में कौन-सी समस्या ज्यादा तकलीफदेह है, यह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है।

क्या टॉन्सिल के बिना स्ट्रेप थ्रोट हो सकता है?
कई मामलों में बिना टॉन्सिल के भी स्ट्रेप थ्रोट की समस्या हो सकती है, लेकिन स्ट्रेप थ्रोट के ज्यादातर मामले टॉन्सिल से जुड़े होते हैं।

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