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कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग

 
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आपने अक्सर कई लोगों को कहते सुना होगा कि किसी भी चीज की अति हमेशा नुकसानदायक होती है। ऐसा ही कुछ हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों के साथ भी होता है। अनियमित आहार इसका एक प्रमुख कारण है। अनियमित आहार की वजह से कभी-कभी कुछ तत्व हमारे शरीर में इतने अधिक हो जाते हैं, जिससे कई बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इन्ही में से एक है कोलेस्ट्रोल, जो हृदय से संबंधित कई समस्याओं का कारण बनता है। कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग एक बेहतरीन विकल्प है।इस लेख में हम आपको हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग कैसे फायदेमंद है, इस बारे में विस्तार से बताएंगे।

कोलेस्ट्रोल क्या है? 
अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर विकास के लिए शरीर को कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। हालांकि, सभी पोषक तत्व हमें खाद्य पदार्थों से मिल जाते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिनका निर्माण हमारा शरीर खुद करता है। कोलेस्ट्रॉल भी इन्हीं में से एक है। यह वसा का एक प्रकार है। यह दिखने में वैक्सी (मोम) और वसा की तरह चिपचिपा होता है। इसका निर्माण मुख्य रूप से लिवर में होता है। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल को खाद्य पदार्थों (डेयरी प्रोडक्ट्स, जो इसके वैकल्पिक स्रोत हैं) से लेने की जरूरत नहीं होती । ऐसे में कोलेस्ट्रोल का नियंत्रण बहुत जरूरी हो जाता है। अनियंत्रित कोलेस्ट्रोल के कारण हृदय रोग से संबंधित कई जोखिमों (जैसे – खून का गाढ़ापन, मोटापा, हाई बीपी, हार्ट स्ट्रोक) का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, कोलेस्ट्रोल का स्तर सामान्य होना जरूरी है।

कोलेस्ट्रॉल में कैसे लाभदायक है योग –
आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए व्यायाम के साथ संतुलित आहार लेने की सलाह दी जाती है। बेशक, स्वास्थ्य के लिए व्यायाम और संतुलित आहार जरूरी है, लेकिन कुछ स्थितियों में सिर्फ इससे कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। ऐसे में डॉक्टर अपनी दिनचर्या में कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए व्यायाम के साथ योग करने की सलाह भी देते हैं। वहीं, इस संबंध में किए गए एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि योग करने से खराब कोलेस्ट्रोल (LDL) की मात्रा कम होती है और अच्छे कोलेस्ट्रोल (HDL) की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। इससे हाई कोलेस्ट्रोल की स्थिति में पैदा होने वाले जोखिमों (जैसे :- खून का गाढ़ापन, मोटापा, हाई बीपी, हार्ट स्ट्रोक) को कम किया जा सकता है । इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि योग इस समस्या से राहत पाने का अच्छा उपाय साबित हो सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल का इलाज के लिए योग के लाभ जानने के बाद अब हम इस समस्या में लाभदायक कुछ खास योगासनों के बारे में बात करेंगे।

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग – 
हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग के कई आसनों को इस्तेमाल में लाया जाता है, जिनमें से कुछ के बारे में हम आपको बता रहे हैं। वहीं, लाभ की बात करें, तो योग के ये सभी आसन शरीर की उपापचय प्रक्रिया को मजबूत कर खराब कोलेस्ट्रोल (LDL) की मात्रा को कम और अच्छे कोलेस्ट्रोल (HDL) की मात्रा को बढ़ाते हैं। इससे हमारे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है ।

1. सर्वांगासन-
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करने का तरीका :
  • सबसे पहले योग मैट बिछाएं और पीठ के बल आराम से लेट जाएं। इस दौरान हाथों को कमर के अगल-बगल शरीर से सटाकर रखें।
  • अब धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाएं।
  • अब कमर व कूल्हों को अपने हाथों से सहारा दें और जमीन से उन्हें भी ऊपर उठा लें।
  • इसके बाद कोहनियों को जमीन पर सटाते हुए पीठ को अपने हाथों से सहारा दें और पैरों को सीधा करें।
  • ध्यान रहे कि ऐसा करते समय घुटने व पैर आपस में मिले हुए होने चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि इस दौरान शरीर का पूरा भार आपके कंधों, सिर व कोहनियों पर हो। साथ ही ठुड्डी छाती को छू रही हो।
  • इस मुद्रा में कुछ सेकंड तक बने रहने का प्रयास करें और धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • अब एक गहरी सांस छोड़ें और प्रारंभिक स्थिति में धीरे-धीरे वापस आ जाएं।
सावधानियां :
  • हर्निया की समस्या में इस आसन को बिल्कुल भी न करें।
  • गर्दन या कंधे में चोट या दर्द होने पर इस आसन को करने का प्रयास न करें।
  • थायराइड की समस्या होने पर प्रशिक्षक की निगरानी में ही इस आसन का अभ्यास करें।
  • हृदय संबंधी रोग होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
2. पश्चिमोत्तासन-
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करने का तरीका :
  • सबसे पहले जमीन पर योग मैट बिछाएं और पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
  • ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त घुटने सीधे रहें और पैर आपस में सटे हों।
  • सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  • अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे कि ओर झुकें और हाथों से पैरों के अंगुठों को पकड़ने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि आपके घुटने मुड़ें नहीं।
  • अब कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहने का प्रयास करें और धीरे-धीरे सांस लेते रहें।
  • इसके बाद एक गहरी सांस लेते हुए सीधे हो जाएं।
सावधानियां :
  • पीठ, कमर या किसी अन्य अंग का ऑपरेशन हुआ हो, तो यह आसन न करें।
  • डायरिया से पीड़ित लोगों को इस आसन से दूर रहना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • अस्थमा, अल्सर और स्लिप डिस्क (जोड़ों से संबंधित विकार) वाले लोगों को इस आसन से दूर रहना चाहिए।
3. कपालभाति प्राणायाम-
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करने का तरीका :
  • सबसे पहले योग मैट बिछाकर सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
  • अब लंबी गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ दें।
  • सांस छोड़ने की प्रक्रिया में ध्यान रखें कि ऐसा करते समय आपका पेट अंदर की तरफ जाए।
  • अब मुंह को बंद रखें और नाक से ही सांस को छोड़ते और लेते रहें। ऐसा करते समय आपका पेट अंदर की ओर जाएगा।
  • इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे और आराम से करें। जोर लगाने का प्रयास बिलकुल भी न करें।
  • जब तक संभव हो इस प्रक्रिया को करते रहें। थकान लगने पर थोड़ी देर रुके और फिर से प्रक्रिया को दोहराएं।
  • इस प्रकार आप कपालभाति के चार से पांच चक्र दोहरा सकते हैं।
सावधानियां :
  • पहली बार अभ्यास शुरू करने वाले विशेषज्ञ के साथ ही इस आसन को करें।
  • ब्लड प्रेशर, मिर्गी, माइग्रेन और हृदय संबंधी समस्या है, तो इस आसन को करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
  • गर्भवती महिलाओं को इस आसान को करने से बचना चाहिए।
  • कपालभाति से पूर्व कुछ भी न खाएं।
  • मासिक चक्र के दौरान इस आसन से बचें।
4. अर्धमत्स्येन्द्रासन-
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करने का तरीका :
  • सबसे पहले योग मैट बिछाएं और पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर बैठ जाएं।
  • अब अपने दाएं घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें।
  • फिर बाएं घुटने को मोड़ते हुए, बाईं एड़ी को दाएं कूल्हे के नीचे रखें।
  • ध्यान रहे कि इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
  • अब बाईं बाजू को दाएं घुटने के बाहर रखते हुए दाएं टखने को पकड़ने का प्रयास करें।
  • अब गर्दन और कमर को दाहिनी ओर घुमाएं।
  • कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में बने रहें।
  • बाद में इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं।
सावधानियां :
  • मासिक धर्म के दौरान महिलाएं इस आसन को करने से बचें।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन का अभ्यास न करें।
  • किसी भी प्रकार की सर्जरी हुई है, तो इस आसन को करने से बचें।
  • पेप्टिक अल्सर और हर्निया की समस्या में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • रीढ़ की हड्डी में दर्द या चोट लगी हो, तो इस आसन को न करें।
5. अनुलोम-विलोम प्राणायाम-
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करने का तरीका :
  • सबसे पहले योग मैट बिछाएं और पद्मासन में बैठ जाएं। आप चाहें तो सुखासन, सिद्धासन या वज्रासन में भी बैठ सकते हैं।
  • अब अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाएं और अंगूठे से नाक के दाहिने छिद्र को बंद करें। फिर बाईं नाक से लंबी गहरी सांस लें।
  • इसके बाद अपने दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली व उसके साथ की उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस बाहर छोड़ें।
  • ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त आपका बायां हाथ घुटने पर ही रहेगा।
  • इस प्रक्रिया को करीब पांच मिनट तक दोहराएं।
सावधानियां :
  • हृदय रोग से पीड़ित इस अभ्यास को करते वक्त गहरी सांस न लें, नहीं तो तकलीफ बढ़ सकती है।
  • मासिक धर्म व गर्भावस्था के दौरान महिलाएं इसका अभ्यास न करें।
  • किसी अंग विशेष की सर्जरी हुई हो, तो इसका अभ्यास बिल्कुल भी न करें।
6. शलभासन-
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करने का तरीका :
  • सबसे पहले योगा मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • अपने दोनों पैरों को सीधा रखें और अपने पैर के पंजों को बाहर की ओर फैलाएं।
  • अब अपने दोनों हाथों से मुट्ठी बनाकर जांघों के नीचे दबा लें।
  • फिर सिर और मुंह को सीधा रखें और सामने की ओर देखें।
  • अब गहरी सांस लेते हुए दोनों पैरों को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि घुटनों को न मोड़ें।
  • जितना संभव हो पैरों को अपनी अधिकतम ऊंचाई तक ले जाएं।
  • जब तक संभव हो इसी स्थिति में बने रहने का प्रयास करें।
  • समय पूरा होने पर धीरे धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे लाते हुई अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं।
  • इन अभ्यास को एक बार में करीब तीन से चार बार दोहराएं।
सावधानियां :
  • इस आसन को करने से पहले कुछ भी न खाएं।
  • रीढ़, गर्दन और सिर में दर्द हो, तो इस आसन को करने का प्रयास न करें।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को बिल्कुल भी न करें।
  • कमर, पीठ और घुटने में दर्द होने पर इस आसन के अभ्यास के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
  • इस आसन को करते वक्त नाक से ही सांस लें, मुंह से सांस लेने का प्रयास न करें।
7. चक्रासन-
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करने का तरीका :
  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • इस स्थिति में सुनिश्चित करें कि आपके दोनों हाथ और पैर सीधे रहें।
  • अब अपने पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए कूल्हों के करीब लाएं।
  • अब अपनी हथेलियों को आकाश की ओर करते हुए सिर के पीछे ले जाकर जमीन पर टिकाएं।
  • अब गहरी सांस लें और अपने पैरों पर वजन डालते हुए कूल्हों को जमीन से ऊपर उठाएं।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुए अपने कधों को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे अपनी कोहनियों को भी सीधा करें।
  • ध्यान रखें कि दोनों पैरों के बीच की दूरी और दोनों हाथों की बीच की दूरी एक सामान रहे।
  • अब अपने हाथों को कोहनी से और पैरों को घुटनों से पूरा सीधा कर लें।
  • अब अपने सिर को कमर के नीचे जितना संभव हो उतना लाने का प्रयास करें।
  • ध्यान रहे कि सिर को कमर के नीचे लाने के लिए अपनी क्षमता से अधिक प्रयास न करें।
  • इस स्थिति में कुछ सेकंड रहने का प्रयास करें।
  • अंत में गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
सावधानियां :
  • कलाई में दर्द या कार्पल टनल सिंड्रोम (दबाव पड़ने पर मांसपेशियों का सुन्न होना) की समस्या होने पर इस आसन को न करें।
  • पीठ, कंधे और कमर में दर्द की स्थिति में इस आसन को करने से बचें।
  • हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें।
हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग कितना फायदेमंद है, यह तो आपको लेख के माध्यम से पता ही चल गया होगा। वहीं, आपको इस बात की भी जानकारी हासिल हुई होगी कि योग के माध्यम से कोलेस्ट्रोल नियंत्रण कैसे संभव है। लेख के माध्यम से हमने आपको योग के कुछ खास आसनों के बारे में और उन्हें करने के तरीकों के बारे में बताया है। इनके माध्यम से आप न केवल अपने शरीर को स्वस्थ बना सकते हैं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से खुद को दूर रख सकते हैं। अगर आप भी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं, तो फिर देर किस बात की। लेख में दी गई इस विषय से संबंधित सभी जानकारियों को अच्छे से पढ़ें और योगासन करें। अगर आप इस विषय से संबंधित कोई अन्य जानकारी चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं।


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