गोण्डा। जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा जनपद के समस्त कृषकों को जानकारी दी जा रही है कि, वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश से लगे सीमावर्ती राज्यों जैसे राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के झासी, मथुरा, इलाहाबाद एवं देवीपाटन मण्डल के चारों जनपदो में फसलों को नुकसान पहुचाने वाला मुख्य कीट टिड्डी दल का आक्रमण हुआ था। इसको देखते हुए हमे भी सर्तक रहने की आवश्यकता है । हमे अपने खेतो में बोई गई जायद की प्रमुख फसलों जैसे मूगं उर्द एवं हरी सब्जियों आदि फसलों एवं साथ ही साथ खरीफ की मुख्य फसल धान की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है । टिड्डी या टिड्डा एकिडीडी परिवार के ऑर्थोप्टेरा गण का कीट है। सम्पूर्ण संसार मे इसकी केवल छः प्रजातिया पायी जाती हैं। भारत में मुख्य रूप से रेगिस्तानी टिड्डी और प्रवासी टिड्डी पायी जाती है। इस कीट की उड़ान हजारों मील तक पाई जाती है। टिड्डीयों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लम्बे पैरों से पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती हैं तो उतनी खतरनाक नहीं होती है लेकिन झुण्ड मे रहने पर ये बहुत खतरनाक और आकामक हो जाती है तथा फसलों का एक बार मे सफाया कर देती है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि, आपकी फसल पर किसी ने एक बड़ी सी चादर बिछा दी हो। टिड्डीयां फसलों के फूल , फल, पत्ते, तने, बीज और पेड़ की छाल सब कुछ खा जाती है एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। टिड्डीयों का जीवन काल कम से कम 40 से 85 दिनों का होता है1। टिड्डीयों को भगाने एवं नियंत्रित करने के लिये निम्नलिखित उपाय करना चाहिये। टिड्डी दल को भगाने के लिये थालिया, ढोल, नगाड़े अन्य माध्यमों से ध्वनी करना चाहिये जिसकी आवाज सुनकर खेत से टिड्डीया भाग जाये, रासायनीक कीटनाशक मेलाथियॉन 5 प्रति धूल की 25 किग्रा ० मात्रा का बुरकाव या क्विनालफॉस 25 प्रति ० ई ० सी की 1.5 ली मात्रा को 500 से 600 ली 0 पानी में घोलकर प्रति हक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें, टिड्डी दल सुबह 10 बजे के बाद अपना डेरा बदलता है। इस लिये इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिय लैम्डा सायहेलोथिन 5 प्रति ० ई ० सी ० की 1 ली 0 मात्रा या क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रति ० ई ० सी ० की 1 ली 0 मात्रा को 500 से 600 ली 0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर सुबह 10 बजे से पूर्व छिड़काव करे, नीम के तेल की 40 एम ० एल ० मात्रा को 10 ग्राम कपड़े धोने के पाउडर के साथ मिलाकर प्रति टंकी पानी में डालकर छिड़काव करने से टिड्डी फसलों को नहीं खा पाती है,फसल की कटाई के बाद मई-जून में खेत की गहरी जुताई करने से सूर्य की तेज किरणों से भूमि में पड़े टिड्डीयों एवं अन्य कीटों के अण्डे व प्यूपा को नष्ट किया जा सकता हैं,बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होता है। अतः टिड्डी दल के आकमण से सम्भावित ऐसी मिटटी वाले क्षेत्रों में जुताई करवा दें एवं जल भराव कर दें। ऐसी दशा मे टिड्डी के विकास की सम्भावना कम हो जाती है और कृषक भाई टिड्डी दल के प्रकोप से सम्बंधित किसी भी प्रकार की सहायता हेतु दिये गये कार्यालय दूरभाष नं 0 9936898070 पर कार्यायल दिवस मे प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक सम्पर्क कर सकते है।
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