गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

आज भी है रहस्य बरकरार सोमनाथ मंदिर का 'बाणस्तंभ'

-baanastambh


गुजरात में सोमनाथ के मंदिर में स्थित भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक और पहला ज्योतिर्लिंग है। आक्रमण के पहले सोमनाथ मंदिर का इतिहास बड़ा ही विलक्षण और गौरवशाली था।

कहते हैं कि इस मंदिर के प्रांगण में 'बाणस्तंभ' नाम से एक स्तंभ है। मंदिर तो नया है लेकिन स्तंभ बहुत ही प्राचीन है जिसका मंदिर के साथ-साथ जीर्णोद्धार किया गया है। लगभग 6ठी शताब्दी से इस स्तंभ का इतिहास में उल्लेख मिलता है। मतलब 1420 वर्ष पहले इस स्तंभ के होने उल्लेख मिलता है। इसका मतलब यह कि यह स्तंभ 6ठी सदी में पहले से ही विद्यमान था तभी तो उसका उस काल में उल्लेख हुआ। कहते हैं कि यह उससे भी सैकड़ों वर्ष पहले से यह विद्यमान था।

जानकारों के अनुसार यह एक दिशादर्शक स्तंभ है जिस पर समुद्र की ओर इंगित करता एक बाण है इसीलिए इसे बाणस्तंभ कहते हैं। इस बाणस्तंभ पर लिखा है- 'आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव पर्यंत, अबाधित ज्योर्तिमार्ग।'

अर्थात 'इस समुद्र के अंत तक से दक्षिण ध्रुव पर्यंत तक बिना अवरोध का ज्योतिर मार्ग है।' मतलब यह कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में एक भी अवरोध या बाधा नहीं है। इसका मतलब यह कि इस मार्ग में कोई भूखंड का टुकड़ा नहीं है। सरल अर्थ यह कि सोमनाथ मंदिर के उस बिंदु से लेकर दक्षिण ध्रुव तक (अर्थात अंटार्कटिका तक) एक सीधी रेखा खींची जाए तो बीच में एक भी भूखंड नहीं आता है। हालांकि श्लोक में भूखंड का उल्लेख नहीं है लेकिन अबाधित मार्ग का मतलब यह कि बीच में कोई भी पहाड़ का नहीं होना।

लेकिन क्या यह सच है? जानकार लोग कहते हैं कि बिलकुल ही सीध में एक भी ऐसा बड़ा भूखंड नहीं है, जहां लोग रहते हों। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि जब यह स्तंभ लगाया गया था तब निश्‍चित ही छोटा या बड़ा किसी भी प्रकार का भूखंड न रहा हो लेकिन वक्त के साथ प्रकृति और भूगोल बदला है तो थोड़ा बहुत हेरफेर जरूर हुआ होगा। लेकिन फिर भी यह सबसे बड़ी बात है कि उस दौर के खगोलविदों को यह जानकारी जरूर थी कि दक्षिणी ध्रुव किधर है और धरती गोल है।

इसका अर्थ यह है कि 'बाणस्तंभ' के निर्माण काल में भारतीयों को 'पृथ्वी गोल है' इसका ज्ञान भी था। इतना ही नहीं, पृथ्वी का दक्षिण ध्रुव किस ओर है, इसका भी अच्छे से ज्ञान था। जब दक्षिणी ध्रुव का ज्ञान था तो निश्‍चित ही उत्तरी ध्रुव का भी ज्ञान होगा ही।

लेकिन यह कहना कि इस स्तंभ की सीध में एक भी भूखंड नहीं है, यह बड़ी बात है। क्योंकि यह ज्ञान तो किसी विमान में चढ़कर ही प्राप्त किया जा सकता है या आजकल ड्रोन कैमरे चले हैं तो वे भी यह बता सकते हैं। हां, सैटेलाइट से भी यह जाना जा सकता है। पृथ्वी का 'एरियल व्यू' इसे बता सकता है। आप गूगल मैप पर जाएं और खुद ही चेक कर लें।

chek-kar


इससे यह पता चलता है कि हमारे पूर्वज (भारतीय) नक्शा बनाने में निष्णात थे। लेकिन भारतीय ज्ञान का कोई सबूत न मिलने के कारण धरती का पहला नक्शा बनाने का श्रेय ग्रीक वैज्ञानिक 'एनेक्झिमेंडर' (611-546) को दिया गया। लेकिन यह नक्शा अपूर्ण था, क्योंकि उस नक्शे में उत्तर और दक्षिण ध्रुव नदारद थे। नक्शे में वही भूखंड दिखाया गया था, जहां मनुष्य की आबादी थी। बाकी भूखंड का क्या? वास्तविक नक्शा तो हेनरिक्स मार्टेलस ने 1490 के आसपास बनाया था।

प्राचीन सोमनाथ मंदिर के निर्माण काल में दक्षिण ध्रुव तक दिशादर्शन उस समय के भारतीयों को था, यह तो सभी समझते हैं लेकिन दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में समुद्र में कोई अवरोध नहीं हैं, ऐसा खोज लेना बहुत ही अद्भुत था जिसे आज हम गूगल मैप के माध्यम से हम स्पष्ट देख सकते हैं।

दक्षिण ध्रुव से भारत के पश्चिम तट पर बिना अवरोध के सीधी रेखा जहां मिलती है, वहां पहला ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया। लेकिन उस श्लोक की एक पंक्ति 'अबाधित ज्योर्तिमार्ग' अभी तक समझ से परे है। कोई बाधित मार्ग नहीं है लेकिन ज्योर्तिमार्ग होना खोज का विषय है। मार्ग समझ में आता है लेकिन यह ज्योर्तिमार्ग क्या है?


No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"