पैनक्रीएटिक कैंसर बहुत ही गंभीर बीमारी होती है। अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं के जन्म के कारण पैनक्रीएटिक कैंसर की शुरूआत होती है। यह अधिकतर 60 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों को होती है। लेकिन आजकल ये बीमारी कम उम्र के लोगों को भी होने लगी है। आपको बता दें कि, इस कैंसर के होने की औसतन उम्र 72 साल है।
महिलाओं के मुकाबले पैनक्रीएटिक कैंसर पुरूषों में पाई जाती है। पुरुषों के धूम्रपान करने के कारण इसके होने का ज्यादा खतरा रहता है। धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर के होने का खतरा दो से तीन गुने तक बढ़ जाता है। रेड मीट और चर्बी युक्त आहार का सेवन करने वालों को भी पैनक्रीएटिक कैंसर होने की आशंका बनी रहती है।
अग्नाशय कैंसर के लक्षण
अग्नाशय कैंसर को ‘मूक कैंसर’ भी कहा जाता है। इसे मूक कैंसर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण छिपे हुए होते हैं और आसानी से नजर नहीं आते।
- पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना।
- स्किन, आंख और यूरिन का कलर पीला हो जाना।
- भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टियां होना।
- कमजोरी महसूस होना और वजन का घटना।
अग्नाशय कैंसर का उपचार
यदि आप नियमित रूप से अपना स्वास्थ्य परीक्षण और स्क्रीनिंग कराते हैं तो इस रोग के खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है। आजकल कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के द्वारा डॉक्टर अग्नाशय कैंसर का उपचार करते हैं। इससे कई रोगियों को जीवन मिला है। फिर भी इस प्रकार के कैंसर से बचाव के कुछ घरेलू उपाय निम्न लिखित हैं।
फलों का रस: ताजे फलों का और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सब्जियों का सेवन करने से अग्नाशय कैंसर में फायदा मिलता है।
ब्रोकोली: पैनक्रीएटिक कैंसर के उपचार के लिए ब्रोकोली को उत्तम माना जाता है। ब्रोकोली के अंकुरों में मौजूद फायटोकेमिकल, कैंसर युक्त कोशाणुओं से लड़ने में सहायता करते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं और रक्त के शुद्धिकरण में भी मदद करते हैं।
अंगूर: अग्नाशय कैंसर के खतरे से बचाने में अंगूर भी कारगर होता हैं। अंगूर में पोरंथोसाईंनिडींस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है और फेफड़ों के कैंसर के साथ अग्नाशय कैंसर के उपचार में भी लाभ मिलता है।
जिन्सेंग: जिन्सेंग एक प्रकार की जड़ी बूटी है और शरीर में बाहरी तत्वों के खिलाफ प्रतिरोधक शक्ित का निर्माण करता है।
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