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बाइफोकल लैंस का आविष्कार किसने और कब किया

 
baiphokal

बाइफोकल लैंस के आविष्कारकर्ता के रूप में अमेरिका के नागरिक बेंजमिन फ्रेंकलिन को श्रेय दिया जाता है। इसका आविष्कार उन्होंने सन् 1824 ई० में किया। उस समय के अमेरिकी इतिहासकारों ने आपस में पत्र-व्यवहार करते हुए एक-दूसरे को इस बात की प्रसन्नता प्रकट करते हुए जानकारी दी कि बेंजामिन फ्रेंकलिन द्वारा बाइफोकल लैंस का आविष्कार कर लिया गया है। जार्ज वैथली (George Whathly) और जॉन फेनो (John Fenno), जो कि उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र द गजेट (The Gazette) के सम्पादक थे, उन्होंने समाचार-पत्र में समाचार लिखकर खुलासा किया था कि फ्रेंकलिन द्वारा बाइफोकल लैंस का आविष्कार कर लिया गया है।

बेंजामिन फ्रेंकलिन ने खुद बाइफोकल लैंस युक्त चश्मा का इस्तेमाल करते हुए अपने मित्रों, परिचितों को इस बात की सूचना दी थी कि उनके द्वारा बाइफोकल लैंस का प्रथम आविष्कार और प्रयोग किया गया है।

जॉन आइजक हॉकिन्स (John Isaac Hawkins), जो ट्राई फोकल लैंस के आविष्कारकर्ता हैं, उनके द्वारा भी इस बात को लिखा गया है कि बाइफोकल लैंस का आविष्कार सन् 1824 ई० में बेंजामिन फ्रेंकलिन द्वारा किया गया। 

बाइफोकल लैंस युक्त चश्मे का इस्तेमाल उन लोगों द्वारा किया जाता है, जिनकी नज़दीक की दृष्टि के साथ दूर की दृष्टि भी कमजोर होती है। दूर और नजदीक की दृष्टि कम होने पर दूर की दृष्टि के लिए अलग, नजदीक की दृष्टि के लिए अलग-अलग लेंस का चश्मा पहना जाता था। इस तरह उन्हें दो चश्मे रखने पड़ते थे। (ऐसा वर्तमान में भी सामान्यतः लोगों द्वारा किया जाता है।) बाइफोकल के आविष्कार के बाद एक ही शीशे में दूर और पास के लैंस लगाए जाने लगे। बाइफोकल की इजाद से पूर्व भी दोहरे शीशे की व्यवस्था थी। इस व्यवस्था में दूर और पास के अलग-अलग लैंस के शीशों को बीच में जोड़ दिया जाता था। बाइफोकल ने शीशों को जोड़ने से मुक्ति दे दी-एक ही शीशे में ऐसी व्यवस्था हो गयी कि दूर और पास की चीजों को स्पष्ट देखा या पढ़ा जा सके।

बाइफोकल लेंसयुक्त शीशों का इस्तेमाल बहुतायत में लोग करते हैं परन्तु कुछ लोग इसके पक्ष में नहीं हैं। उनके अनुसार, बाइफोकल लेंस दृष्टि भ्रम पैदा करता है। दुर्घटना की सम्भावना बनी रहती है। वे दूर और पास की दृष्टि के लिए अलग-अलग चश्मे के पक्ष में हैं।

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