शिवलिंगी बीज को ब्रायोनिया लैसीनोसा के नाम से भी जाना जाता है। शिवलिंगी पौधे के पीले फूल और गोलाकार बीज होते हैं जो कि दिखने में बिलकुल हिंदू देवता शिव के प्रतीक शिवलिंग की तरह लगते हैं। इस पौधे का नाम भी शिवलिंगी इसीलिए रखा गया है क्योंकि इसके बीज दिखने में शिवलिंग की तरह होते हैं।
भारतीय लोक-साहित्य के अनुसार कई प्रजातियों की महिलाएं गर्भपात से बचने और गर्भधारण के लिए शिवलिंगी के बीजों का इस्तेमाल किया करती थीं। आुधनिक दवाओं के आने के बाद शिवलिंगी के बीजों की लोकप्रियता में कमी आई है लेकिन ये अभी भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। आज भी आयुर्वेद में बांझपन को दूर करने वाली प्रमुख जड़ी बूटियों में शिवलिंगी का नाम आता है। प्राचीन समय से शिवलिंगी का इस्तेमाल कामोत्तेजक और प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली जड़ी बूटी के रूप में किया जा रहा है।
शिवलिंगी के बीजों के बारे में तथ्य:
- वानस्पतिक नाम: ब्रायोनिया लैसीनोसा लिन
- कुल: कुकुरबिटेसी
- सामान्य नाम: शिवलिंगी, ईश्वरलिंगी
- संस्कृत नाम: लिंगिनी, बहुपत्रा, ईश्वरी
- उपयोगी भाग: पत्तियां, फल, बीज
- भौगोलिक विवरण: शिवलिंगी पौधा भारत के अधिकतर हिस्सों में पाया जाता है। इसके अलावा ये मॉरिशियस, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, मलय और अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
- गुण: गर्म। ये शरीर में पित्त को बढ़ाता है।
शिवलिंगी के बीज टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाते हैं -
टेस्टोस्टेरोन नर शरीर में सबसे उपयोगी हार्मोन में से एक है। पुरुषों के शरीर में प्राकृतिक रूप से उनकी किशोर अवस्था के दैरान सबसे अधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरोन उत्त्पन्न होता है। यह हार्मोन पुरुषों में माध्यमिक यौन विशेषताओं के विकास में भी मदद करता है, जैसे कंधो का चौड़ा होना, आवाज़ में भारीपन और दाढ़ी मूंछ बढ़ना आदि। शिवलिंगी के बीज ऐसी जड़ी बूटी है जिसका उपयोग प्राचीन काल से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में किया जाता है। इस जड़ी बूटी के उपयोग से पुरुषों की कई यौन समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है। इसका उपयोग करने से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है।
शिवलिंगी सीड्स फॉर प्रेगनेंसी -
शिवलिंगी बीज महिलाओं की प्रजनन क्षमता और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि बांझपन कम ओवरियरन रिजर्व (diminished ovarian reserve) के कारण होता है। कम ओवरियरन रिजर्व एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडे की कम संख्या या गुणवत्ता के कारण अंडाशय अपनी सामान्य प्रजनन क्षमता खो देते हैं। यह स्थिति बीमारी या चोट के कारण हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह समस्या उम्र बढ़ने के कारण होती है। शिवलिंगी बीज मासिक चक्र की समस्या को सामान्य करके कम ओवरियरन रिजर्व जैसी ओवुलेशन (ओवरी से अण्डे के बाहर आने की क्रिया) की समस्याओं का इलाज करने में मदद करते हैं।लेकिन अगर मासिक धर्म के दौरान रोगी को भारी रक्त प्रवाह होता है तो शिवलिंगी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
शिवलिंगी के बीज का उपयोग बढ़ाए यौन ऊर्जा -
शिवलिंगी बीज को इसके नर-हार्मोन संबंधी गतिविधि के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा कामोद्दीपक औषधि माना जाता है। इन बीजों के उचित मात्रा में सेवन करने से पुरुष सेक्स अंग जैसे अधिवृषण (epididymis), वृषण (testes) और प्रोस्टेट का वजन बढ़ता है। यह न केवल शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करते हैं बल्कि यह शुक्राणु कोशिकाओं में फ्रक्टोज को बढ़ाकर शुक्राणु द्रव के पोषण स्तर को भी बढ़ाते हैं। यह प्रजनन क्षमता के लिए बेहद फायदेमंद बदलाव हैं जिनके कारण यौन ऊर्जा बढ़ती है।
शिवलिंगी के बीज के फायदे फॉर फीवर -
शिवलिंगी में एंटीप्रेट्रिक, एंटी-फीवर और एनोडीन गुण होते हैं। शिवलिंगी बीज का आयुर्वेद में इसके ज्वर हटाने वाले और पीड़ा-नाशक प्रभावों के लिए उपयोग किया जाता है। शिवलिंग के पत्तों की ज्वरनाशक क्रिया पेरासिटामोल के समान होती है।
शिवलिंगी के बीज का प्रयोग कब्ज के लिए -
शिवलिंगी में ग्लूकोमानन (glucomannan) नामक एक प्राकृतिक आहार फाइबर होता है जो पानी में घुलनशील फाइबर है। यह पानी को अवशोषित करके मल त्याग को आसान बनाता है। इस प्रकार "खासकर बच्चों में" कब्ज के लिए यह एक प्रभावी इलाज के रूप में कार्य करता है।
शिवलिंगी बीज बेनिफिट्स हैं वजन कम करने में -
शिवलिंगी बीज का सेवन मोटापा भी कम करता है। जब इसे नियमित रूप से और सही मात्रा में लिया जाता है तो यह बीज बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index) और शरीर के वजन को कम करने में काफी हद तक मदद करता है। यह कार्य ग्लूकोमानन के कारण हो सकता है जो स्वस्थ रूप से मल त्यागने में मदद करता है।
शिवलिंगी बीज साइड इफेक्ट्स इन हिंदी
यदि शिवलिंगी के बीजों का उपयोग उचित मात्रा में और चिकित्सक की सलह के अनुसार किया जाये तो इसके कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। इसे अधिक मात्रा में उपयोग न करे क्योंकि अधिक मात्रा में उपयोग करने से परेशानी कम होने की बजाय और बढ़ सकती है। शिवलिंगी के बीजों का उपयोग सावधानी से ही करें।
शिवलिंगी बीज एंड पुत्रजीवक बीज का उपयोग कैसे करें - How to take shivlingi beej and putrajeevak in hindi
अधिक प्रभावी परिणाम पाने के लिए आयुर्वेद में शिवलिंगा बीजों को पुत्रजीवक बीज के पाउडर के साथ लेने का सुझाव दिया गया है जो गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए फायदेमंद है और महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करता है।
इसके लिए आप पुत्रजीवक और शिवलिंगी के बीज को मिला लें और उनका अच्छी तरह से पाउडर बना लें। अब आप एक चम्मच पाउडर को ऐसी गाय के दूध के साथ मिला लें जिसने हाल ही में बछड़े को जन्म दिया हो। आप इसे नाश्ते से एक घंटे पहले और फिर रात के भोजन से एक घंटे पहले लें।
ध्यान दें - किसी भी पारंपरिक दवा का सेवन सावधानी से करना चाहिए इसलिए इसके सेवन से पहले चिकित्सक से या आयुर्वेद डॉक्टर से संपर्क करें।
शिवलिंगी बीज लेने से लड़का होने की सम्भावना बढ़ जाती है, क्या यह धारणा सही है? -
शिवलिंगी बीज फॉर मेल चाइल्ड की धारणा सही नहीं है। जैविक रूप से (Biologically) एक महिला में केवल X क्रोमोज़ोम होता है और पुरुष में X और Y दोनों क्रोमोज़ोम होते हैं। बेटा तब पैदा हो सकता है जब पिता का Y क्रोमोज़ोम संभोग के दौरान माता के X क्रोमोज़ोम के साथ जुड़ता है। इसमें शिवलिंगी बीज कोई भूमिका नहीं निभा सकते, वह तो केवल गर्भधारण की संभावना को बढ़ाते हैं।
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