अडूसा को संस्कृत में वासा या वसाका और इंग्लिश में मालाबार नट कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम अधाटोडा वासिका (Adhatoda Vasica) है। यह भारत के अधिकांश भागों में एक जंगली झाड़ी के रूप में पाया जाता है और इसे बाड़ बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। अडूसा के पत्ते, फूल, जड़ों और छाल का आयुर्वेद में हजारों साल से प्रयोग होता आया है। इसमें जीवाणुरोधी, सूजन को कम करने वाले और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। मालाबार नट श्वसन रोगों के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य औषधीयों में से एक है। इसके उपयोग से ब्रोंकाइटिस, कफ, ठंड, दमा आदि रोगों में बहुत लाभ होता है। अडूसा सदाबहार झाड़ी होती है जिसकी ऊंचाई 2.2 - 3.5 मीटर तक होती है। इसके फुल सफ़ेद रंग के होते हैं। यह पहाड़ी क्षेत्र छोड़ कर पूरे भारत में पाया जाता है।
अडूसा के नुकसान -
अधिक सेवन से जलन और उल्टी हो सकती है।
इस जड़ी बूटी को अन्य दवाओं या खुराक के साथ ले जाने पर सावधानी रखनी चाहिए।
मधुमेह वाले रोगियों को इस दवा का उपयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है।
1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में इसका उपयोग करना सुरक्षित है।
स्तनपान और गर्भावस्था में सुरक्षा को लेकर वसाका के कच्चे रूप के लिए कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं है। आयुर्वेद में, अदरक के साथ वसाका का उपयोग मतली, उल्टी, एसिडिटी के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। इसलिए कम समय के लिए उपयोग गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सुरक्षित हो सकता है।
अडूसा वासा करे दूर ब्रोंकाइटिस की परेशानी -
ब्रोन्कियल ट्यूबों के लिए वसाका के एंटीसेप्टिक प्रभाव होते हैं। यह ब्रोन्कियल ट्यूबों की सूजन को कम कर देता है और इसके कफोत्सारक प्रभावों के कारण जमे हुए बलगम को कम कर देता है। यह ब्रोन्कियल ट्यूब्स को साफ करता है और खांसी, थकान, श्वास और ब्रोंकाइटिस से जुड़ी सीने की परेशानी को कम कर देता है।
वसाका पाउडर है अल्सर में उपयोगी -
वैज्ञानिक अध्ययन और विश्लेषण के अनुसार, वसाका में एंटीअल्सर गुण होते हैं। एस्पिरिन सहित NSAIDs के कारण इसकी पत्तियां अल्सर को कम कर सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, यह रक्तस्राव विकारों और अल्सरेशन में फायदेमंद होता है। यह पेप्टिक और डुओडानल अल्सर में मदद कर सकता है। इसके लिए 1 ग्राम वसाका पाउडर, 1 ग्राम मुलेठी और 250 मिलीग्राम शतावरी पाउडर के मिश्रण का सेवन करें।
अडूसा के औषधीय गुण करें एसिडिटी को दूर -
वासा अपच, गैस्ट्रिटिस या एसिडिटी में अच्छे परिणाम देता है। यह पेट में एसिड के गठन को कम कर देता है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह गैर-अल्सर अपच, अतिसुरक्षा और जठरांत्र वाले मरीजों में हेयरी सेल ल्यूकेमिया को कम कर देता है। वसाका पाउडर, मुलेठी पाउडर, आवला पाउडर को बराबर मात्रा में लेकर मिक्स कर लें और दैनिक रूप से सेवन करें।
वसाका के फायदे हैं गले की खराश के लिए -
1 चम्मच वासा रस को दो चम्मच शहद के साथ भोजन के बाद दिन में दो बार लेने से गले की खराश में आराम मिलता है।
अडुळसा औषधी लिवर की समस्या के लिए -
भोजन के बाद शहद के साथ इसके पत्तो का रस पीने से रस (1-2 चम्मच) लिवर की समस्या में आराम मिलता है।
वासा फूल की पंखुड़ी है आँखों के लिए उपयोगी -
इसके फूलों की पंखुड़ी को घी में भून लें। ठंडा होने पर 20 मिनट के लिए आँखों पर रखें।
अडूसा का पौधा यूरैमिया के लिए -
यूरैमिया रक्त में ऊंचे यूरिया स्तर और नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थ की एक कंडीशन होती है यह आमतौर पर तीव्र गुर्दे की चोट और क्रोनिक गुर्दे की विफलता में होता है। ऐसे मामले में, गुर्दे इन विषैले अपशिष्टों को खत्म करने में असमर्थ हो जाते हैं।
अडुळसा काढा है ब्लीडिंग में उपयोगी -
5 ग्राम हरतकी, 5 ग्राम विटिस विनीफेरा और 5 ग्राम अडूसा के पत्तो को 400ml पानी में उबाले काढ़ा बनाने के लिए और जब पानी 100ml रह जाए तो पानी को ठंडा कर लें। और काढ़े में 1 चम्मच शहद मिलाएँ और दिन में दो बार पिएं। इसके अलावा अडूसा की जड़ की छाल और पत्तों का काढ़ा बराबर की मात्रा में मिलाकर 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से नाक और आंतरिक रक्तस्राव की तकलीफ दूर होती है।
वसाका के अन्य फायदे -
बिच्छू के जहर को निकालने के लिए काले अडूसे की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर काटे हुए स्थान पर इसका लेप करें।
मुँह में छाले हो जाने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उसके रस को चूसने से फ़ायदा होता है। पत्तों को चूसने के बाद थूक दें।
वसाका की लकड़ी से नियमित रूप से ब्रश करने से दांत और मुंह के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।
वासा के पके हुए पत्तों को गर्म करके सिंकाई करने से जोड़ों का दर्द, लकवा और दर्दयुक्त चुभन में आराम मिलता है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, वासा, गिलोय, कटुकी, पिपली की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े में 20 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है। (और पढ़ें – बुखार का घरेलू इलाज)
अडूसा के पत्ते हैं सर्दी खाँसी के लिए लाभकारी -
अडूसा के पत्तों को एक स्पून ताज़ा रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से खांसी और रक्त स्राव में राहत मिलती है। इसके अलावा इस पौधे के 7-8 पत्तों को पानी में उबाल लें। उसके बाद पानी को छान कर शहद के साथ लें।
अडूसा में जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। इसलिए यह श्वसन प्रणाली के विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया संक्रमणों में सहायक होता है। अडूसा के एंटीवायरल औषधीय गुण इसको वायरल रोगों में प्रभावी बनाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग सामान्य सर्दी में करते हैं।
जिनको साइनस की परेशानी और एलर्जी है, वे वासा की ताजी पत्तियों का रस निकालकर 3 - 4 बूँद रस को नाक में डालें। इससे साइनस में लाभ होगा।
अडूसा के फायदे करें अस्थमा में मदद -
अडूसा में सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। यह अस्थमा में मदद करता है और वायुमार्ग और फेफड़ों की सूजन को कम करता है। इसके अलावा, अडूसा में पाया गया वासीसीन कम्पाउन्ड ब्रोन्कोोडिलेटर है, जो साँस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और अस्थमा के कारण हो रही घरघराहट को कम करता है। इसके लिए 5ml अडूसा की पत्तों का रस, 2.5ml अदरक का रस और 5ml हनी को मिक्स करके लें।
अडुळसा उपयोग करे तपेदिक में
अडूसा टी.बी. या तपेदिक में बहुत लाभ करता है इसका किसी भी रूप में नियमित सेवन करने वाले को खांसी से छुटकारा मिलता है। तपेदिक में वासा के पत्तों के रस को शहद और अदरक के रस के साथ दिन में तीन बार लें। इसके अलावा 10 ग्राम अडूसा के फूलों का चूर्ण और इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 गिलास दूध के साथ सुबह शाम 6 महीने तक नियमित रूप से खाएँ।
अडूसा का उपयोग है मासिक धर्म में फायदेमंद -
मासिक धर्म में अधिक रक्त स्राव से बचने के लिए दिन में दो बार 15ml अडूसा की पत्तियों का रस 15 ग्राम गुड़ के साथ लेना चाहिए।
अडूसा के गुण दिलाएँ गठिया दर्द से राहत -
इसके पत्तों में जीवाणुरोधी और सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। पत्तियों से लेप तैयार करें और प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएँ। यह जीवाणुरोधी होने के कारण घाव को ठीक करने में भी मदद करता है। लेप लगाने से गठिया के लक्षणों से राहत मिलती है। वसाका भी जोड़ो के दर्द को कम कर देती है। यह अन्य जड़ी-बूटियों के साथ, यूरिक एसिड को कम करने में मदद करती है और गाउट के साथ जुड़ी दर्द और कोमलता में मदद करती है। इसका उपयोग गिलोय और एमाल्टस (कैसिया फास्ट्यूला) के साथ गाउट संधिशोथ में किया जाता है।
मालाबार नट है दस्त के उपचार के लिए -
दस्त और पेचिश के उपचार के लिए में इसकी पत्तियों का रस 2 से 4 ग्राम की मात्रा देना चाहिए। इसके अलावा पाइल्स में अडूसा के काढ़े को पीने से आराम होता है।
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