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बुखार क्या है और इसकी वजह क्या हो सकती हैं?

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बुखार को ज्वर भी कहा जाता है। जब भी शरीर का तापमान सामान्य तापमान से अधिक हो जाता है वह ज्वर या बुखार कहलाता है। आमतौर पर बुखार कीटाणुओं के संक्रमण के कारण फैलता है। बुखार मष्तिष्क के केंद्र को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। बुखार के कई प्रकार होते हैं। और कई कारणों से बुखार होना संभव है। कई बार सर्दी और जुखाम के बाद बुखार आ जाता है और कई दिनों तक यह बुखार बना रहता है। खाँसी के साथ भी बुखार बना रहता है। इस प्रकार के बुखार का इलाज करवाना बहुत ही जरुरी है। अगर ज्यादा समय तक बुखार में लापरवाही बरती जाती है तो कई बार यह जानलेवा भी साबित होता है. इसलिए बुखार और खाँसी को कभी भी नज़रअंदाज न करें।

कभी-कभी ज्यादा शारीरिक रूप से कार्य करने पर भी शरीर का तापमान बढ़ जाता है लेकिन उसे हम बुखार नहीं कह सकते क्योंकि रात भर में वो तापमान सामान्य हो जाता है। इसके लिए आप बुखार को मापने वाली मशीन का प्रयोग कर सकते हैं। कुछ बुखार ऐसे होते हैं जिनका घरेलु उपचार संभव होता है लेकिन कुछ बुखार का घरेलु उपचार संभव नहीं है जैसे मलेरिया, टायफाइड इत्यादि। इनके लिए चिकित्सक की सलाह अनुसार ही दवाओं का सेवन करना होता है और यह जरुरी भी होता है।

बुखार के प्रकार:
बुखार के भी कई प्रकार होते हैं एवं इन बुखार को पहचान कर इनका इलाज संभव होता है। बुखार को उसकी प्रकृति और टेम्प्रेचर के अनुसार ही जाना समझा जाता है। वैसे तो बुखार को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है। और इसी से यह समझने में आसानी होती है कि बुखार किस प्रकार का है।

  • 99 से 100 डिग्री फॉरेनहाईट तक जब शरीर का तापमान हो जाता है तो वह कम बुखार की श्रेणी में आता है।
  • 100 से 103 डिग्री फॉरेनहाईट तक जब शरीर का तापमान जाता है तो वह मध्यम श्रेणी का बुखार होता है।
  • जब शरीर का तापमान 103 डिग्री से ज़्यादा होता है तो वह तेज़ श्रेणी का बुखार होता है।
  • इन तीनों का ही उपचार करवाना जरुरी होता है। सभी बुखार में शरीर पूर्ण रूप से टूटने लगता है। और सर दर्द, चिड़चिड़ापन,  शरीर में दर्द होना, उलटी, दस्त आदि भी बुखार के साथ होना संभव है। इसके अल्वा बुकर इस प्रकार के लक्षणों के साथ भी होता है। जैसे:

कपकपी के साथ होने वाला बुखार:
कई बार ऐसा होता है कि अचानक ठण्ड लगते हुए शरीर में कपकपी महसूस होती है और शरीर का तापमान अचानक बढ़ने लगता है। यह बुखार मलेरिया, मूत्र मार्ग संक्रमण या पीपवाला संक्रमण के कारण होता है। यह बुखार 2-3 घंटों में भी कम हो सकता है या पूरे एक दिन में भी कम हो सकता है।

निरंतर या उतार चढाव वाला बुखार:
निरंतर या उतार चढाव वाला बुखार मतलब कि अचानक से बुखार आना और अचानक से बुखार का कम हो जाना। और यह बुखार लगातार कई दिनों तक चढ़ता और उतरता रहता है। यह बुखार टायफॉईड की वजह से भी होना संभव है। इसलिए अगर यह बुखार 2 से 3 दिन तक निरंतर बना रहता है तो डॉक्टर की सलाह लें और खून की जाँच अवश्य करवायें।

लम्बे समय तक चलने वाला बुखार:
कुछ बुखार लम्बे समय तक चलने वाले बुखार होते हैं जो कई हफ़्तों या महीनों तक ठीक नहीं होते। इन्हें चिरकारी बुखार भी कहा जाता है। इन बुखार को ठीक होने में बहुत समय लग जाता है और व्यक्ति का शरीर बहुत ही कमजोर हो जाता है। इसका उदहारण मलेरिया और एड्स हैं।

ये कई प्रकार हैं जो बुखार के हो सकते हैं इन्हें हम बुखार के लक्षण के रूप में भी ले सकते हैं। तो अगर इस प्रकार का कोई बुखार आपको है या ऐसे कोई भी लक्षण आपको दिखाई दे रहे हैं तो उनका इलाज तुरंत ही करवाना चाहिए। इनका घरेलु इलाज संभव नहीं है। कुछ बुखार ऐसे होते हैं कि सर्दी, जुखाम और खांसी के कारण हो जाते हैं उनको घरेलु इलाज से ठीक किया जाना संभव है।

सामान्य बुखार के लिए घरेलु उपाय:
अगर बुखार सामान्य है तो उसके लिए आप घरेलु उपाय अपना सकते हैं जैसे:

तुलसी और अदरक का काढ़ा:
तुलसी शरीर के लिए बहुत ही गुणकारी होती है। अगर आपको सर्दी, जुखाम या सामान्य बुखार है तो आप उसके लिए तुलसी एवं अदरक वाला काढ़ा पी सकते हैं। इससे कई प्रकार के फायदे होते हैं। और कम तापमान वाला बुखार इसके द्वारा ठीक किया जा सकता है।

हल्दी और अदरक वाली चाय:
हल्दी और अदरक सेहत के लिए बहुत उम्दा माने जाते हैं। अगर सर्दी, खांसी, जुखाम और सामान्य बुखार में हल्दी और अदरक वाली चाय ली ली जाए तो उससे इन सभी में आराम मिलता है। साथ ही लम्बे समय तक सर्दी, बुखार और जुखाम नहीं होता। आप अगर चाय नहीं पीना चाहते तो हल्दी एवं अदरक वाला दूध भी पी सकते हैं। तीन दिन के सेवन में ही आपको फायदा समझ आ जायेगा।

नीम के पत्तों का सेवन:
नीम के अनगिनत गुण हैं। नीम के पत्तों के सेवन से कई प्रकार के रोग नष्ट होते हैं साथ ही सर्दी, खांसी एवं सामान्य बुखार में भी इससे राहत मिलती है। अगर आप रोजाना नीम की कोपलों का सुबह खाली पेट सेवन करते हैं तो आपको इससे मलेरिया, और भी अन्य बुखार नहीं होंगे और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।

ये सभी उपचार सामान्य बुखार से निजात दिला सकते हैं लेकिन अगर आपका बुखार बहुत अधिक है और नियमित बना हुआ है तो आपको खून की जाँच जरूर करवाना चाहिए और चिकित्सक की सलाह अनुसार दवाओं का सेवन करना चाहिए। बुखार का कम ज्यादा होना कई बार हमें विचलित कर देता है और समझ नहीं आता कि इस स्थिति में क्या करना चाहिए। इसके लिए जाँच करवाना बहुत ही आवशहयक होता है। कई बार व्यक्ति इस प्रकार के बुखार को नज़रअंदाज भी कर देता है जो बाद में तकलीफ दायक बन जाता है। इसलिए अगर आप बुखार से पीड़ित हैं तो आप चिकित्सक के पास जरूर जायें।


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