माइग्रेन ऐसा मानसिक विकार है, जिसमें पीड़ित सिर में असहनीय दर्द से जूझता है। माइग्रेन से वाले दर्द के कुछ खास कारण होते हैं, जिनके नजर आते ही तुरंत जांच करवानी चाहिए। आर्टिकल में हम ऐसे कारणों के बारे में विस्तार से बताएंगे। माइग्रेन का दर्द पीड़ित के आधे सिर में महसूस होता है। इसके अलावा, कभी-कभी मरीज में मतली और कमजोरी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। इस समस्या से पीड़ित लोगों में रोशनी और आवाज को लेकर असहजता यानी घबराहट भी देखी जाती है । वैसे तो इसके इलाज के लिए डॉक्टर कुछ खास दवाओं का उपयोग करने की सलाह देते हैं, लेकिन माइग्रेन के लिए योग भी बेहतर विकल्प हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए योग करने के साथ-साथ निश्चित समय पर दवाई और पौष्टिक आहार का सेवन करना जरूरी है। इस लेख में हम माइग्रेन के घरेलू उपाय के तौर पर इस्तेमाल में लाए जाने वाले कुछ खास योगासन से आपको अवगत कराएंगे।
माइग्रेन के लिए योग के विभिन्न आसन जानने से पहले जरूरी होगा कि हम यह जान लें कि योग माइग्रेन में कैसे लाभदायक है।
कैसे माइग्रेन में लाभदायक है योग? –
माइग्रेन से बचने के लिए योग कैसे सहायक हो सकता है, इस बात को समझने के लिए हमारा यह जानना जरूरी है कि योग एक प्राचीन कला है। इसका उपयोग केवल माइग्रेन ही नहीं, बल्कि कई गंभीर समस्याओं के उपचार के तौर पर किया जाता रहा है। योग शारीरिक, मानसिक और श्वसन क्रिया (सांस लेनी की प्रक्रिया) को नियंत्रित करने का काम करता है। साथ ही यह शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर करता है। जब शरीर के सभी अंग बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं और शारीरिक थकान के साथ-साथ मानसिक तनाव भी दूर हो जाता है, तो माइग्रेन की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है। आपको बता दें कि माइग्रेन का एक अहम कारण मानसिक तनाव भी है।
यह तो हो गई आम बात, लेकिन इस संबंध में किए गए वैज्ञानिक शोध में भी इस बात को प्रमाणित किया जा चुका है कि योग करने से माइग्रेन जैसी विकट समस्या से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
माइग्रेन के लिए योग –
बता दें कि योग के कई प्रकार हैं, जो माइग्रेन से संबंधित जोखिम कारक जैसे:- अवसाद, चिंता, अनिद्रा और ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर कर इस विकार को ठीक करने में सहायक होते हैं। ऐसे ही कुछ खास योगासनों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
1. पद्मासन-
कैसे है लाभदायक :
पद्मासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों का समावेश है। इसमें पद्म का अर्थ है कमल का फूल। वहीं आसन का अर्थ मुद्रा (बैठने का तरीका) से है। इसे कमल आसन भी कहा जाता है। योग की यह प्रक्रिया अनिद्रा, तनाव व जोड़ों से संबंधित समस्या और पाचन प्रक्रिया में सुधार के लिए सहायक मानी जाती है। इस कारण माइग्रेन से बचने के लिए योग में पद्मासन काफी लाभकारी माना जा सकता है। उदाहरण के लिए, शरीर में प्रोटीन का स्तर असंतुलित होने पर भी माइग्रेन की समस्या हो सकती है। ऐसे में पद्मासन करने से शरीर प्रोटीन को अवशोषित करने में सक्षम होने लगता है, जिस कारण माइग्रेन के लक्षण कुछ हद तक कम हो सकते हैं।
करने का तरीका :
- सबसे पहले समतल जमीन पर योग मैट बिछाकर बैठ जाएं।
- अब दाएं पैर को दोनों हाथों की सहायता से बाईं जांघ पर रखें।
- इसी तरह बाएं पैर को दाहिनी जांघ पर रखें।
- सिर, गर्दन और कमर को सीधा रखें।
- वहीं, हाथों को घुटनों के ऊपर रखकर ज्ञानमुद्रा में आ जाएं।
- अब इस स्थिति में गहरी सांस लें और फिर उसे धीरे-धीरे छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।
- शुरुआती दौर में इस प्रक्रिया का दो से तीन मिनट तक अभ्यास करें। बाद में अभ्यास का समय 10 से 15 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।
सावधानी :
- पैर में या घुटनों में दर्द होने की स्थिति में पैरों को मोड़ने की जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन को करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
- घुटनों व टखनों में चोट होने या कमर दर्द होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
2. उत्तानासन
कैसे है लाभदायक :
उत्तानासन दो शब्दों उत्तान और आसन से मिलकर बना है। उत्तान का अर्थ होता है खींचा हुआ और आसान का मतलब मुद्रा से है। योग का यह प्रकार पूरे शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करने का काम करता है। माना जाता है कि योग का यह प्रकार सिरदर्द, तनाव व कमर दर्द के साथ-साथ पेट, ब्लड प्रेशर और लिवर से जुड़ी बीमारियों को दूर करने का काम करता है। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि माइग्रेन के लिए योग में उत्तानासन काफी सहायक साबित हो सकता है।
करने का तरीका :
- सबसे पहले योग मैट बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं।
- इसके बाद गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को कमर पर ले जाएं।
- अब सांस को छोड़ते हुए आगे झुककर अपने शरीर के ऊपरी भाग को पैरों के पास ले जाएं। ध्यान रहे कि ऐसे करते वक्त आपका केवल कमर का हिस्सा ही मुड़े।
- अब अपने दोनों हाथों को कमर से हटाएं और जमीन को छूने की कोशिश करें। साथ ही सिर को घुटने से छूने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त आपकी गर्दन में कोई खिंचाव न हो।
- कुछ मिनट इसी अवस्था में रहें और सामान्य सांस लेते रहें।
- अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
सावधानी :
- अगर पीठ में या जांघों में दर्द हो, तो इसे न करें।
- अगर सांस से संबंधित कोई समस्या है, तो इस आसन को करने से बचें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
- ग्लूकोमा या रेटिना से संबंधित अन्य विकार हो, तो इस आसान को नहीं करना चाहिए।
3. अधोमुख श्वानासन
कैसे है लाभदायक :
योग का यह प्रकार चार शब्दों के समायोजन से बना है। इसमें अधो का अर्थ आगे, मुख का अर्थ चेहरा, श्वान का अर्थ कुत्ता और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इसका अर्थ यह हुआ कि कुत्ता जिस प्रकार आगे झुककर अपने शरीर को खींचते समय जिस मुद्रा में रहता है, इस आसन में वही मुद्रा बनाने की कोशिश की जाती है। योग की यह मुद्रा मांसपेशियों को लचीला और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में सहायक होती है। मुख्य रूप से इस आसन का उपयोग तनाव, अनिद्रा, ब्लड सर्कुलेशन और पाचन प्रक्रिया को ठीक रखने के लिए किया जाता है।
करने का तरीका :
- सबसे पहले आसन बिछाकर व्राजसन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब आगे की ओर झुकते हुए हथेलियों को जमीन पर सटा लें।
- इसके बाद सांस छोड़ते घुटनों को सीधा करें और कमर को ऊपर की ओर उठाएं।
- फिर हाथों के सहारे शरीर को हल्का पीछे करें और जितना संभव हो सके कमर को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
- साथ ही एड़ियों को जमीन से सटाने का प्रयास करें और अपनी नाभि की ओर देखें।
- शरीर का पूरा वजन हाथों और पैरों पर होगा।
- कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य सांस लेते रहें।
- फिर सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और सामान्य अवस्था में आ जाएं।
सावधानी :
- कलाई में दर्द या दिक्कत होने की स्थिति में आपको सावधान रहने की आवश्यकता है, वरना तकलीफ बढ़ सकती है।
- कंधे, कमर, पीठ और भुजाओं में तकलीफ है, तो इस प्रक्रिया को नहीं करना चाहिए।
- इस आसन को करने के लिए गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
- आंख या कान में संक्रमण या ब्लड प्रेशर की समस्या हो, तो इस आसन को करने से बचें।
4. मार्जरी आसन
कैसे है लाभदायक :
मार्जरी आसान का नाम संस्कृत के मार्जार शब्द से लिया गया है। दरअसल, मार्जार का हिन्दी में अर्थ होता है बिल्ली। नाम की ही तरह इस आसन में हम बिल्ली की मुद्रा में अपनी पीठ पर तनाव डालने की कोशिश करते हैं। इस योगासन का उपयोग मुख्य रूप से तनाव, रीढ़, पीठ और गर्दन से संबंधित तकलीफ को दूर करने के लिए किया जाता है। इसलिए, माइग्रेन के लिए योग के इस तरीके का नियमित अभ्यास काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
करने का तरीका :
- सबसे पहले योग मैट बिछाकर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं।
- अब हाथों को आगे फैलाकर जमीन पर रखें और पीठ को सीधा करें।
- इस समय शरीर की मुद्रा किसी बिल्ली की भांति होनी चाहिए।
- अब सांस को छोड़ते हुए ठुड्डी को छाती की ओर लाएं और कमर को बाहर की तरफ गोल आकर में ले जाएं।
- इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ें और सिर को ऊपर की ओर उठाएं व कमर को नीचे की ओर दबाकर गोल आकार में ले आएं।
- इस मुद्रा में छाती और पीठ में तनाव महसूस होगा। जितनी देर हो सके इस दोनों स्थितियों में ठहरने का प्रयास करें।
सावधानी :
- इस आसान के दौरान कोहनियों को और भुजाओं को न मोड़ें।
- जांघे और भुजाएं सीधी रखें, अन्यथा दर्द हो सकता है।
- गर्दन, कमर या पैर में दर्द की स्थिति में इस आसन को करने से बचें।
5. पश्चिमोत्तासन-
कैसे है लाभदायक :
योग की इस प्रक्रिया का नाम तीन शब्दों के समायोजन से बना है। इसमें पश्चिम का अर्थ पीछे की ओर, उत्तान का अर्थ तनाव और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इस कारण इस योगासन का प्रयास करते समय रीढ़ की हड्डी में तनाव पैदा होता है। पाचन, अनिद्रा व तनाव के साथ-साथ यह आसन ब्लड प्रेशर और पेट से संबंधित विकारों को दूर करने में लाभकारी माना जाता है। साथ ही यह शरीर के तापमान को भी संतुलित करता है। इसलिए, माइग्रेन से बचने के लिए योग में यह आसन काफी मददगार साबित हो सकता है।
करने का तरीका :
- सबसे पहले जमीन पर योग मैट बिछाकर पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
- ध्यान रहे कि पैर आपस में सटे हों और घुटने सीधे रहें।
- गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे कि ओर झुकें और पैरों की उंगलियों तक हथेलियों को ले जाएं। ध्यान रहे कि घुटने मुड़ें नहीं।
- दोनों हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। साथ ही सिर को घुटनों पर सटाने की कोशिश करें।
- कुछ मिनट इसी अवस्था में रहें और सामान्य सांस लेते रहें।
- इसके बाद सांस लेते हुए सीधे हो जाएं।
सावधानी :
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- अस्थमा, अल्सर और स्लिप डिस्क (जोड़ों से संबंधित विकार) वाले लोगों को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
- पीठ, कमर या किसी प्रकार का ऑपरेशन हुआ हो, तो यह आसन नहीं करना चाहिए।
- डायरिया से पीड़ित लोगों को इस आसन से दूर रहना चाहिए।
6. सेतु बंधासन-
कैसे है लाभदायक :
अपने नाम के ही अनुरूप आसन की यह प्रक्रिया तीन शब्दों का समावेश है। इसमें सेतु का अर्थ पुल, बांध का अर्थ बांधना और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इस प्रक्रिया में शरीर को हम पुल की आकृति में बांधने का प्रयास करते हैं। योग का यह प्रकार तनाव और अवसाद को दूर करने के साथ-साथ मांसपेशियों को मजबूत करता है। साथ ही थायराइड, ब्लड प्रेशर और पाचन संबंधी विकारों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
करने का तरीका :
- सबसे पहले आप योग मैट बिछाकर जमीन पर पीठ के बल आराम से लेट जाएं।
- अब अपने घुटनों को मोड़ें और पैरों को कूल्हों के नजदीक लेकर आएं।
- इसके बाद दोनों हाथों से अपनी एड़ियों को पकड़ें और सांस लेते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं।
- इस अवस्था में आने के बाद ठुड्डी को छाती से लगाएं।
- कुछ देर ऐसे ही रहें और सामान्य सांस लेते रहें।
- फिर सांस छोड़ते हुए मूल अवस्था में आ जाएं।
सावधानी :
- गर्भवती महिलाएं विशेषज्ञ की देखरेख में ही इस आसन का उपयोग करें।
- घुटना, कंधा, पीठ और कमर में दर्द की स्थिति में इस आसन का अभ्यास न करें।
- इस आसान का अभ्यास करते समय सिर को स्थिर रखने पर विशेष ध्यान दें। अन्यथा गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है।
- सबसे अहम बात यह है कि योग की यह प्रक्रिया खाली पेट ही करनी चाहिए।
7. बालासन-
कैसे है लाभदायक :
यह आसन दो शब्दों बाल और आसन का समावेश है। यहां बाल का अर्थ बच्चे और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इस आसन की खास बात यही है कि इसमें बच्चे जैसी मुद्रा में जाने का प्रयास किया जाता है। इस आसन का उपयोग रक्त संचार को बेहतर करने और तनाव को ठीक करने के साथ-साथ कमर, पीठ और रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद माना जाता है।
करने का तरीका :
- योग मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को सीधा सिर के ऊपर उठा लें।
- अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। ऐसा करते समय ध्यान रखें कि कूल्हों के जोड़ों पर ही जोर आए, न कि कमर के जोड़ों पर।
- जब आगे झुकें, तो हथेलियां, कोहनी व सिर जमीन को स्पर्श करे।
- अब आप बालासन की मुद्रा में हैं, इसी मुद्रा में थोड़ी देर रहें और धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
- फिर सांस लेते हुए उठें और हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। इसके बाद हथेलियों को जांघों पर रखकर आराम करें।
सावधानी :
- अगर आप डायरिया की समस्या से ग्रस्त हैं, तो इस आसन को करने से बचें।
- घुटने में चोट या दर्द हो, तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन को नहीं करने की सलाह दी जाती है।
- हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत वाले लोग इस आसन को न करें।
8. शवासन-
कैसे है लाभदायक :
शवासन में दो शब्दों का समावेश मिलता है। एक है शव, जिसका अर्थ होता है मृत शरीर। वहीं दूसरा शब्द है आसन यानी कि मुद्रा। इसलिए, इस आसन में मृत व्यक्ति की अवस्था को हासिल करने का प्रयास किया जाता है। इस आसन के इस्तेमाल से तनाव कम होने के साथ-साथ ऊर्जा और एकाग्रता हासिल होती है। वहीं, ब्लड प्रेशर की समस्या में भी योग का यह प्रकार काफी लाभकारी माना जाता है।
करने का तरीका :
- जमीन पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
- अपनी हथेलियों को शरीर से कुछ दूरी पर रखें।
- हथेलियों की दिशा को आसमान की तरफ रखें।
- दोनों पैरों को सीधा रखें और उनके बीच कुछ दूरी बनाए रखें। साथ ही पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
- अब अपनी आंखों को बंद कर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें।
- हल्की-हल्की सांस लें और विचार करें कि आपका शरीर पूरी तरह से हल्का हो गया है।
- इस दौरान मस्तिष्क को पूरी तरह से शांत रखने पर विशेष ध्यान दें।
- इस स्थिति में करीब चार से पांच मिनट तक रहें। बाद में आराम की अवस्था में वापस आ जाएं।
सावधानी :
- ध्यान रहे योग की यह प्रक्रिया करते समय आप सोएं नहीं।
- अगर आप गर्भवती हैं, तो गर्दन के नीचे तकिये का इस्तेमाल कर सकती हैं।
अब तो आप अच्छे से जान ही गए होंगे कि माइग्रेन के लिए योग कितना लाभकारी है। साथ ही आपको लेख के माध्यम से माइग्रेन से बचने के लिए योग के कुछ खास आसनों के बारे में भी पता चल गया होगा। ऐसे में अगर आप भी माइग्रेन की समस्या से ग्रस्त हैं या शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग को नियमित इस्तेमाल में शामिल करना चाह रहे हैं, तो जरूरी होगा कि आप पहले लेख में दी गई सभी जानकारियों को अच्छे से पढ़ें। इस विषय में किसी अन्य प्रकार के सुझाव और सवालों के लिए आप हमसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
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