नावासन का नाम नाव शब्द पर रखा गया है, जिसका मतलब होता है नौका। नावासन आपके एबेस के लिए बहुत अच्छा आसन है। इसको लगातार करने से आपके एब्स बहुत मज़बूत हो जाएँगे।
आगे इस लेख में जानिए कि नावासन कैसे करें, लाभ और इस आसन को करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही इस लेख में हमने नावासन का विडियो भी दिया गया है।
नावासन के फायदे -
हर आसन की तरह नावासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:
- पेट, कूल्हे फ्लेक्सर, और रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है नावासन।
- गुर्दे, थायराइड और प्रोस्टेट ग्रंथियों, और आंतों को उत्तेजित करता है।
- नावासन तनाव से छुटकारा पाने में मदद करता है।
- नावासन से पाचन में सुधार होता है।
नावासन करने से पहले यह आसन करें -
नवासन करने से पहले आप यह आसन कर सकते है इनसे आपकी हम्स्ट्रिंग,कूल्हे,और जांघे पर्याप्त मात्रा में खुल जाएगें।
- पश्चिमोत्तानासन
- पूर्वोतानासन
- अर्ध बद्ध पद्या पश्चिमोत्तानासन
- जानुशीर्षासन
- मरीच्यासन
नावासन करने का तरीका -
नावासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- दंडासन में बैठ जायें। हल्का सा हाथों से ज़मीन को दबाते हुए, और श्वास अंदर लें रीढ़ की हड्डी को लंबा करने की कोशिश करें।
- श्वास छोड़ते हुए दोनो टाँगों को एक साथ उपर उठायें। तकरीबन 60 डिग्री तक उपर ले आयें। हथेलियों के नीचे लगाए रखें।
- साँस अंदर लेते कूल्हे के जोड़ों से पीछे की ओर झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। पीछे झुकते समय साँस अंदर लें।
- अब दोनो हाथों को उठा कर घुटनों के करीब ले आयें। ऊपर दिए गये चित्र को देखें इस आसन की मुद्रा समझने के लिए।
- कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
- पाँच बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए हाथों को ज़मीन पर टीका लें, साँस छोड़ते हुए धड़ को सीधा कर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
- दोनो टाँगों को नीचे कर लें। दंडासन में समाप्त करें।
नावासन करने का आसान तरीका -
- अगर आपको हाथों को उपर रख कर नावासन ज़्यादा कठिन लगता है, तो हथेलियों को ज़मीन पर सहारे के लिए टीका सकते हैं। समय के साथ ताक़त बढ़ने पर हाथों को उपर रख सकते हैं।
- अगर हॅम्स्ट्रिंग में लचीलापन कम हो तो नावासन करने में दिक्कत आ सकती है। अगर ऐसा हो तो टाँगों को ज़रा सा मोड़ कर रख सकते हैं।
- क्योंकि नावासन कठिन है, आप चाहें तो पहले इसे सिर्फ़ 10-20 सेकेंड के लिए करें। फिर धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं।
नावासन करने में क्या सावधानी बरती जाए -
जिन्हे अस्थमा,हृदय की समस्याओ,निम्न रक्तचाप,अनिद्रा की परेशानी हो वह नवासन न करे।
- अगर आपकी गर्दन में दर्द या चोट हो तो दीवार के करीब बैठे जायें और जब पीछे की ओर झुके तब सिर को दीवार पर टीका कर सहारा दे।
- मासिक धर्म गर्भावस्था के दौरान नवासन ना करे।
- यदि आपको दस्त या सिरदर्द हो तो नवासन ना करे।
- अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाये।
नावासन करने के बाद आसन-
- बद्ध कोणासन
- हलासन
- सर्वागासन
- शीर्षासन
- बालासन
नावासन का वीडियो -
नावासान करने का तरीका इस वीडियो में दिखाया गया है:


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