बक का मतलब बगुला या सारस है। इस आसन को करते समय आपके शरीर की मुद्रा बगुले की तरह हो जाती है इसलिए इसे बकासन कहा जाता है। इस आसन को शुरआत में करने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है लेकिन ये आसन आपके शरीर को उतने ही अधिक लाभ देने में मदद करता है। ये आसन आपके शरीर का रक्त परिसंचरण भी सुधारता है।
इस लेख में बकासन करने के तरीके व उससे होने वाले लाभों के बारे में बताया गया है। साथ ही लेख में यह भी बतायाा गया है कि बकासन के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
योग और आयुर्वेद को मानव सभ्यता की सबसे पहली चिकित्सा थेरेपी माना जाता है। प्राचीन काल से यानी कि जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ है, उस समय से प्रकृति को ही आधार मानने वाले ये दोनों विज्ञान फल-फूल रहे हैं।
योग विज्ञान का ऐसा ही एक ऐसा आसन वकासन/बकासन है। इस आसन को काकासन भी कहा जाता है। बकासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों को मिलाकर बना है। पहले शब्द बक का अर्थ है बगुला (crane) पक्षी, जबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ है बैठना। यानि कि इसका शाब्दिक अर्थ होता है बगुले की तरह बैठना।
वहीं इस आसन को काकासन भी कहा जाता है। काकासन शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है काक/काग जिसका अर्थ होता है 'कौआ पक्षी'। वजबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ है बैठना। यानि कि इसका शाब्दिक अर्थ होता है कौए की तरह बैठना।
इसीलिए इस आर्टिकल में मैं आपको वकासन/बकासन या काकासन क्या है, के अलावा बकासन के फायदे, बकासन करने का सही तरीका, विधि और सावधानियों के बारे में जानकारी दूंगा।
क्या है बकासन/काकासन?
एशिया में बगुले को प्राचीन काल से ही खुशहाली और युवावस्था का प्रतीक माना जाता है। वहीं चीन में बगुले को लंबी उम्र का प्रतीक माना जाता है। बकासन/काकासन इन तीनों ही प्रतीकों को समेटे हुए है, और इस आसन के अभ्यास से ये तीनों ही प्रमुख गुण आपकी पर्सनैलिटी का हिस्सा बनने लगते हैं।
इस आसन को पूरे विश्वास के साथ कर पाने में थोड़ा वक्त लगता है। लेकिन एक बार जब आप इसके अभ्यस्त हो जाएंगे तो यही आपको आसान और मजेदार लगने लगेगा। ये आसन जिंदगी जीने के प्रति आपका नजरिया बदल सकता है।
बकासन और काकासन में अंतर
बकासन को काकासन कहने के पीछे वजह ये भी है कि दोनों ही पक्षियों के बैठने की मुद्रा है। इसके अलावा दोनों ही आसनों में बहुत ही मामूली सा फर्क है। वकासन में योगी का शरीर बगुले की आकृति में होता है जबकि काकासन में शरीर कौए की आकृति में होता है।
काकासन में हाथों की स्थिति पैरों की तरफ थोड़ी अधिक झुकी हुई होती है, जिससे घुटने आपके ट्राईसेप्स के पास आ जाते हैं। जबकि वकासन में हाथों को थोड़ा सा सीधा रखना होता है।
बकासन करने के फायदे
बकासन इंटरमीडिएट/बेसिक लेवल की कठिनाई वाला हठ योग आसन है। इसे एक बार में अधिकतम 30 से 60 सेकेंड तक ही करना चाहिए। इसे करने से पीठ के ऊपरी हिस्से को स्ट्रेच मिलता है। जबकि आर्म्स, पेट का निचला हिस्सा और कलाईयां मजबूत होती हैं।
इस आसन को करने के लिए मजबूत कोर मसल्स मजबूत बेस तैयार करती हैं। मजबूत कोर मसल्स ही आपको अपने घुटनों को जमीन से उठाने और अपर आर्म्स के पास लाने की ताकत देती हैं। इसके लगातार अभ्यास से शरीर इतना हल्का होने लगता है कि पूरे शरीर का वजन झेलने की ताकत कलाइयों में आ जाती है।
इसके अलावा भी बकासन का अभ्यास करने के ढेरों फायदे हैं। जैसे,
- ये आपकी कलाइयों और हाथों को मजबूत बनाता है।
- रीढ़ की हड्डी टोंड और मजबूत बनती है।
- अपर बैक को अच्छा स्ट्रेच मिलता है।
- इस आसन से आपके शरीर का बैलेंस और फोकस सुधरता है।
- आपका दिमाग और शरीर चुनौतियों के लिए तैयार होने लगता है।
- पेट की निचली मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पाचन क्रिया में सुधार आता है।
- जांघ की भीतरी मांसपेशियां मजबूत होने लगती हैं।
- रोज अभ्यास करने पर आप मजबूत और आत्मविश्वास से भरपूर महसूस करते हैं।
बकासन/काकासन करने का सही तरीका
शुरुआत में, आपको अपने हिप्स को ऊंचा उठाते समय एड़ी से दूर रखना होगा। लेकिन आसन करते समय एड़ियों और हिप्स को पास ही रखना होगा। जब आप पैरों को फर्श से उठाने के लिए तैयार हो रहे हों, उस समय हाथों के ऊपरी हिस्से को पिंडली पर दबाना होगा। जबकि ग्रोइन को पेल्विस में दबाना होगा ताकि आप आसानी से खुद को उठा सकें।
बकासन/काकासन करने की विधि
- बकासन की शुरुआत पर्वतासन (Mountain Pose) से करें।
- अपने दोनों पैरों को करीब लाएं और हाथों को जमीन पर लगाएं।
- ध्यान रहे कि आपके दोनों हाथ कंधे की चौड़ाई के बराबर ही जमीन पर लगे हों।
- अब अपने हिप्स को ऊपर की तरफ उठाएं।
- टेंशन कोर मसल्स में होगी क्योंकि घुटने अपर ट्राइसेप्स के करीब आ रहे हैं।
- काकासन के लिए कुहनी को थोड़ा मोड़ें ताकि घुटने अपर आर्म्स पर टिक सकें।
- सामने की तरफ देखें और अपने पैरों को धीरे से फर्श से उठाएं।
- शरीर का वजन धीरे-धीरे हाथों पर लेकर आएं।
- इस मुद्रा में कुछ सेकेंड तक बने रहें।
- अगर बकासन करना है तो हाथों को ज्यादा मजबूत बनाना होगा।
- धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं और उत्तानासन में बैठ जाएं।
बकासन/काकासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें
- 1. बकासन/काकासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए। लेकिन अगर आप शाम के वक्त ये आसन कर रहे हों तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।
- 2. ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
बकासन/काकासन करने में क्या सावधानी बरती जाए
अगर आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो बकासन/काकासन का अभ्यास करने से बचें।
- 1. कार्पल टनल सिंड्रोम
- 2. कलाई या शरीर की किसी मसल्स में दर्द
इसके अलावा कोई अन्य गंभीर मेडिकल समस्या होने पर बकासन के अभ्यास से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इस योगासन का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
बकासन करने से पहले ये आसन करें-
- अधो मुख श्वानासन
- बद्ध कोणासन
- बालासन
- चतुरंग दंडासन
- वीरासन
बकासन करने के बाद ये आसन करें-
- 1. अधो मुख श्वानासन
- 2. चतुरंग दंडासन
- 3. फलकासन
बकासन करने के लिए इस वीडियो की मदद लें-
निष्कर्ष -
बकासन, योग विज्ञान का बहुत अच्छा आसन है। बकासन को करने के लिए आपके हाथ इतने मजबूत होने चाहिए कि पूरे शरीर का वजन उठा सकें। लेकिन सबसे पहले आपको अपने मन के डर पर जीत हासिल करनी होगी कि, कहीं आप अभ्यास करते हुए गिर न पड़ें। अगर गिर भी जाएं तो गहरी सांस लें और कोशिश के लिए अपनी तारीफ करें और दोबारा अभ्यास करें। इसके अलावा बकासन करने के लिए जरूरी है आप पहले से योग करते रहे हों।
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