सिस्ट या फुंसी एक कोष जैसी गांठ होती है, जिसमें हवा, तरल पदार्थ या अन्य पदार्थ भरे होते हैं। ज्यादातर मामलों में, अल्सर न हानिकारक होते हैं और न ही दर्दनाक। अल्सर, आकार में बहुत छोटे होते हैं। ये गांठें योनि या पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती हैं। योनि में गांठ या फुंसी, बच्चे के जन्म के समय योनि में चोट लगने या योनि में सौम्य ट्यूमर या तरल पदार्थ के जमने के कारण होता है। आइये जानते हैं इस लेख द्वारा योनि में होने वाली फुंसी के लक्षण कारण और इलाज के तरीके।
योनि में गांठ के प्रकार
योनि में होने वाली गांठ विभिन्न प्रकार की होती हैं। जो निम्नलिखित हैं:
- बर्थोलिन ग्रंथि की सिस्ट्स (Bartholin's gland cysts): ये तरल पदार्थ से भरे हुए अल्सर होते हैं जो बार्थोलिन ग्रंथियों पर बनते हैं। जो वेजिनल ओपनिंग के दोनों ओर होती हैं। ये ग्रंथियों उन तरल पदार्थों का उत्पादन करती हैं जो योनि को चिकना रखती हैं।
- इन्क्लूज़न सिस्ट्स (Inclusion cysts): आमतौर पर, योनि की दीवार के निचले हिस्से पर इस प्रकार की सिस्ट होती हैं। ये बहुत छोटी होती हैं और इनका पता भी जल्दी नहीं लग पाता। ये योनि में होने वाली सिस्ट्स के सबसे सामान्य रूपों में से एक है। ये बच्चे के जन्म या सर्जरी के दौरान लगने वाली चोट के कारण होती हैं।
- मुलेरियन सिस्ट्स (Mullerian cysts): यह एक अन्य सामान्य प्रकार की फुंसी है जो बच्चे के पैदा होने के बाद अंदर बचे हुए पदार्थ का परिणाम होती है। ये योनि की दीवारों पर कहीं भी बन सकती हैं और अक्सर इनमें म्यूकस होता है।
- गार्टनर डक्ट की सिस्ट्स (Gartner's duct cysts): यह तब होती हैं जब बच्चे के पैदा होने के बाद उसकी नलिकाएं (Ducts) गायब नहीं होतीं जो जन्म के बाद हो जानी चाहिए। इन बची हुयी नलिकाओं से योनि में अल्सर विकसित हो सकता है।
योनि में फुंसी के लक्षण -
वेजिनल सिस्ट्स, होने पर महिलाओं को ऐसे कोई लक्षण अनुभव नहीं होते जिनसे इनके होने की संभावना भी महसूस हो। आकार और स्थिति के अनुसार ये महसूस हो भी सकती हैं और नहीं भी।
अक्सर, एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ ही नियमित, वार्षिक परीक्षा के दौरान अल्सर की खोज करते हैं। सिस्ट या फुंसी एक ही आकार में भी रह सकती हैं या समय के साथ बड़ी भी हो सकती हैं।
अधिकतर सिस्ट्स दर्दनाक नहीं होती हैं। हालांकि, कुछ बड़ी फुंसियां या गांठें, सेक्स करने, पैदल चलने, व्यायाम करने या टेम्पॉन के उपयोग के दौरान असुविधा पैदा कर सकती हैं।
अगर इन सिस्ट्स में संक्रमण फ़ैल जाता है तो इनमें दर्द होने की अधिक संभावना होती है। त्वचा के सामान्य बैक्टीरिया या यौन संचारित रोगों के कारण उत्पन्न वेजिनल सिस्ट में संक्रमण होने पर उससे फोड़ा हो सकता है।
योनि में गांठ के कारण -
योनि में फुंसी आमतौर पर तब होती हैं जब एक ग्रंथि या नलिका, अंदर तरल या अन्य पदार्थ भर जाने के कारण भर जाती है। योनि सिस्ट का कारण इसके प्रकार पर निर्भर करता है।
इन्क्लूज़न सिस्ट्स, योनि की दीवारों पर हुए आघात या चोट से होती हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं को ये सिस्ट एपिसियोटॉमी (Episiotomy- सर्जरी में लगा चीरा जो प्रसव के दौरान लगाया जाता है) के बाद या उनकी योनि की परत पतली होने पर हुयी सर्जरी के समय होती है।
बर्थोलिन ग्रंथि की सिस्ट्स तब होती है जब बर्थोलिन ग्रंथि की ओपनिंग ब्लॉक हो जाती है- जैसे कि ग्रंथि पर त्वचा का आवरण आ जाने से वो ग्रंथि द्रव से भर जाती है। उन सिस्ट्स में बैक्टीरिया की संख्या अधिक होने के कारण, जो गोनोरिया या क्लैमाइडिया जैसे यौन संचारित रोगों के कारण होते हैं, फोड़ा भी हो सकता है। बैक्टीरिया आमतौर पर आंतों में पाए जाते हैं, जैसे ई. कोलाई (E. coli), भी बर्थोलिन के फोड़े का कारण होते हैं।
योनि में फुंसी का इलाज -
योनि अल्सर के ज्यादातर मामलों में, उपचार की ज़रूरत नहीं होती है। उपचार आमतौर पर तभी किया जाता है जब सिस्ट के आकार या संक्रमण के कारण, किसी व्यक्ति को अधिक परेशानी या दर्द का अनुभव होता है। यदि उपचार की आवश्यकता होती है, तो निम्न विकल्पों में से किसी एक का उपयोग किया जाता है:
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics): डॉक्टर आमतौर पर योनि सिस्ट के संक्रमित हो जाने पर या यौन संचारित संक्रमण होने का पता लगने पर इन्हें लेने की सलाह देते हैं। यदि एक फोड़ा बना है और पूरी तरह से सूखा है, तो एंटीबायोटिक दवाओं की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
- सिट्ज़ स्नान (Sitz baths): इसमें महिला को गर्म पानी के बाथ टब में एक दिन में कई बार, 3-4 दिनों के लिए स्नान करना पड़ता है। इस सोकिंग (soaking) अर्थात थोड़ी देर उस पानी में रहने से छोटी मोटी सिस्ट अगर संक्रमित भी हों तो भी सही हो जाती हैं उन्हें सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
- मार्सुपियालिज़ेशन (Marsupialization): ये अक्सर बार बार होने वाली या परेशान करने वाली सिस्ट्स होती हैं। इसका उपचार डॉक्टर द्वारा करना चाहिए।
- ग्लैंड रिमूवल (Gland removal): बर्थोलिन अल्सर के दुर्लभ मामलों में ग्लैंड को हटवाया भी जाता है। हालांकि, ऐसी नौबत बहुत ही कम आती है।
संक्रमित या बड़ी सिस्टस को निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यह अक्सर एनेस्थीसिया (Anesthesia) या सीडेशन (Sedation) की क्रिया द्वारा किया जाता है।
डॉक्टर सिस्ट में एक छोटा सा चीरा लगाते हैं, जिसे बाद में सूखा दिया जाता है। सिस्ट को निकालने के बाद, डॉक्टर उस चीरे में एक छोटी रबर ट्यूब डालते हैं। यह सिस्ट को कई हफ्तों तक खुले रह कर पूरी तरह सूखने में मदद करता है।
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