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सूर्य नमस्कार के फायदे, नियम और करने का तरीका

 
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योग के माध्यम से शरीर को निरोगी रखा जा सकता है। वहीं, शरीर के विभिन्न भागों पर व्यापक और अनुकूल प्रभाव के लिए योग के अलग-अलग आसनों का प्रयोग किया जाता है। इन आसनों में सबसे प्रभावशाली है, सूर्य नमस्कार। कारण यह है कि सूर्य नमस्कार योग को कई आसनों के मेल से बनाया गया है। इस कारण इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और कई गंभीर बीमारियों को दूर रखने में मदद कर सकता है।  इस लेख में हम सूर्य नमस्कार योग क्या है, यह बताने के साथ-साथ सूर्य नमस्कार के फायदे और सूर्य नमस्कार करने का तरीका के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। योग व सूर्य नमस्कार के फायदे तभी हो सकते हैं, जब साथ में संतुलित मात्रा में खान-पाना किया जाए।

सूर्य नमस्कार क्या है? – 
सूर्य नमस्कार दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें सूर्य का अर्थ सूरज से हैं। वहीं, नमस्कार का अर्थ होता है नमन या प्रार्थना करना। यही कारण है कि प्राचीन समय से ही लोग सुबह उठकर सूर्य की प्रार्थना करने के लिए सूर्य नमस्कार योग से दिन की शुरुआत शुभ मानते हैं। इस योग की प्रक्रिया 12 चरणों में पूरी होती हैं और हर चरण में एक अलग आसन का अभ्यास किया जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक ही योग में 12 योगासनों की क्रमबद्ध शृंखला को सूर्य नमस्कार कहा जाता है।

सूर्य नमस्कार के फायदे – 
1. पल्मोनरी फंक्शन में सुधार
जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया हैं कि सूर्य नमस्कार ऐसा योगासन है, जिसमें क्रमबद्ध 12 योगासनों को उपयोग में लाया जाता है। इन आसनों को करने का शरीर के प्रत्येक हिस्से पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही इस योग प्रक्रिया के दौरान हर चरण में सांस लेने और छोड़ने की क्रिया विशेष रूप से फेफड़ों की क्रियाशीलता को बढ़ाने में मददगार मानी जाती हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सूर्य नमस्कार के लाभ पल्मोनरी फंक्शन (फेफड़ों की कार्यक्षमता) के लिए सहायक साबित हो सकते हैं (1)।

2. वजन घटाने का मंत्र
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ योग द्वारा किए गए शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि सूर्य नमस्कार हृदय स्वास्थ्य और श्वसन संबंधी स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ वजन को कम करने में भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वजन घटाने की इच्छा रखने वालों के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास फायदेमंद साबित हो सकता है (2)।

3. रेस्पिरेटरी प्रेशर में सुधार
रेस्पिरेटरी प्रेशर (श्वसन दबाव) का सीधा संबंध फेफड़ों की कार्यक्षमता (पल्मोनरी फंक्शन) से जुड़ा हुआ है। जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि योग की इस प्रक्रिया में 12 चरणों के अंतर्गत 12 अलग-अलग योगासनों को अभ्यास में लाया जाता है, जिनमें सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया अहम भूमिका निभाती है। इस कारण श्वसन तंत्र मजबूत होता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होता है । वहीं, फेफड़ों की कार्यक्षमता मजबूत होने पर सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया में फेफड़ों पर अधिक दबाव नहीं पड़ता और रेस्पिरेटरी प्रेशर सामान्य बना रहता है । इस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि रेस्पिरेटरी प्रेशर (श्वसन दबाव) को नियंत्रित रखने में सूर्य नमस्कार के लाभ सहायक साबित हो सकते हैं।

4. मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाए
कई योगासनों का समायोजन सूर्य नमस्कार को शारीरिक मजबूती प्रदान करने में भी सहायक बनाता है। दरअसल, इस योग में अपनाए जाने वाले अलग-अलग चरणों का शरीर के अलग-अलग अंगों से जुड़ी मांसपेशियों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इस कारण इसका निरंतर अभ्यास मांसपेशियों की गतिविधी बढ़ाकर उनकी कार्यक्षमता में सुधार करता है और उनमें धीरे-धीरे मजबूती आने लगती है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास मांसपेशियों को मजबूती प्रदान कर शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ा सकता है ।

5. नियमित मासिक चक्र में सहायक
अनियमित मासिक चक्र की समस्या को दूर करने के साथ-साथ मासिक चक्र के दौरान होने वाली समस्याओं जैसे थकान, बदन दर्द, दिमागी तनाव व चिड़चिड़ेपन को दूर करने में भी सूर्य नमस्कार के लाभ हासिल हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूती प्रदान कर कई शारीरिक समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। इन समस्याओं में नियमित मासिक चक्र की प्रक्रिया में सुधार भी शामिल है । ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सूर्य नमस्कार मासिक चक्र की निरंतरता को बनाए रखने में सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।

6. चिंता दूर करे और मन को रखे शांत
सूर्य नमस्कार के शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसका नियमित अभ्यास शरीर के सभी तंत्रों की कार्यक्षमता में सुधार कर शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों की मौजूदगी को दूर करने में मदद करता है। साथ ही यह चिंता को दूर कर मन को शांत करने का काम कर सकता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास तनाव और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं को दूर कर मन को शांत रखने में मददगार साबित हो सकता है।

7. त्वचा और बालों के लिए लाभदायक
चिंता और तनाव शरीर से संबंधित कई विकारों का मुख्य कारण माने जाते हैं, जिनमें त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक योग ऐसी क्रिया है, जो चिंता को दूर कर मन को शांत रखने में सहायक साबित हो सकती है। इस कारण यह माना जा सकता है कि सूर्य नमस्कार के अंतर्गत अलग-अलग चरणों में आने वाले अलग-अलग 12 योगासनों का नियमित अभ्यास चिंता और तनाव जैसी समस्या को दूर कर बालों को मजबूती प्रदान करने के साथ त्वचा संबंधित कई समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकता है ।

सूर्य नमस्कार मुद्रा करने का तरीका –
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सूर्य नमस्कार करने का तरीका हम यहां क्रमवार बता रहे हैं, जिसमें आपको प्रत्येक चरण में निम्न आसनों को अपनाना पड़ेगा।

प्रणाम आसन : सबसे पहले आप योग मैट बिछाएं और सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को जोड़ते हुए अपनी छाती के करीब लाएं और नमस्कार करने की स्थिति में आएं।

हस्तउत्तानासन : अब गहरी सांस लेते हुए हाथों को जोड़े रखकर सिर के ऊपर उठाएं। ध्यान रहे कि इस स्थिति में दोनों भुजाएं आपके कानों को छूती रहें। अब कमर से नीचे के हिस्से को सीधे रखते हुए जितना हो सके पीछे की ओर शरीर के ऊपरी हिस्से को ले जाने का प्रयास करें।

पादहस्तासन : सांस छोड़ते हुए अब धीरे-धीरे दोनों हाथों को आगे लाते हुए पेट के बल आगे की ओर झुकें और दोनों हाथों को जमीन पर लगाने का प्रयास करें। ध्यान रहे, इस स्थिति में आपका माथा पैरों के घुटनों को स्पर्श करना चाहिए।

अश्व संचालनासन : अब सांस लेते हुए आपको अपने बाएं पैर पर बैठते हुए दाएं पैर को जितना हो सके पीछे की ओर जमीन पर ले जाते हुए रखना है। ध्यान रहे कि उस स्थिति में आपके दाएं पैर का घुटना जमीन पर स्पर्श करना चाहिए। छाती बाहर की तरफ निकली हो और ऊपर देखने का प्रयास करें।

पर्वतासन : इस आसन में आपको सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को भी पीछे की ओर ले जाना है। बांया और दांया पैर का पंजा समानांतर आने के बाद आप शरीर को बीच से उठाने की कोशिश करें और हथेलियों और पंजों को जमीन से सटा रहने दें। ध्यान रहे, इस स्थिति में आपके हाथ और पैर सीधे रहें।

अष्टांगासन : अब पर्वतासन से अष्टांगासन में परिवर्तन के लिए सबसे पहले आपको गहरी सांस लेनी होगी। इसके बाद अपने दोनों घुटनों को आपको जमीन से लगाना होगा। अब बिना सांस छोड़े छाती व ठुड्डी को जमीन से स्पर्श करें।

भुजंगासन : इस आसन में बिना सांस छोड़े कमर से ऊपर के हिस्से को नाभी तक उठाने की कोशिश करें। ध्यान रहे, इस स्थिति में हथेलियां जमीन से सटी रहनी चाहिए।

पर्वतासन : अब आपको पुनः पर्वतासन में आना होगा। इसके लिए आप सांस छोड़ते हुए अपने शरीर के बीच के हिस्से को ऊपर उठाने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि इस आसन को करते समय आपके दोनों हाथ सीधे रहें मुड़ें नहीं और अपनी एडियों को जमीन पर स्पर्श कराने का प्रयास करें। साथ ही नाभि की तरफ देखने का प्रयास करें।

अश्व संचालनासन : अब आप गहरी सांस लेते हुए अपने दाएं पैर को आगे की ओर लाकर उस पर बैठ जाएं। वहीं, बाएं पैर को सीधा रखें और घुटने को जमीन से स्पर्श कराएं।

पादहस्तासन : इसके सांस छोड़ते हुए अपने बाएं पैर को आगे की ओर लाएं। अब अपने हाथों को जमीन से सटाए रखते हुए पैरों को सीधा करें और माथे को घुटनों से स्पर्श करने का प्रयास करें।

हस्तउत्तानासन : अब एक गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों को आपस में जोड़ते हुए जितना हो सके पीछे की ओर झुकने की कोशिश करें।

प्रणाम आसन : अंत में पुनः आपको प्रणाम आसन में आना है। इसके लिए आप बिल्कुल सीधे हो जाएं और हाथों को जोड़ते हुए नमस्कार करने की स्थिति में आएं।

सूर्य नमस्कार करने का तरीका जानने के बाद लेख के अगले भाग में हम शुरुआती लोगों के लिए सूर्य नमस्कार करने की कुछ टिप्स देने जा रहे हैं।

शुरुआती लोगों के लिए सूर्य नमस्कार करने के लिए टिप्स –
अगर आप पहली बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने जा रहे हैं, तो कुछ बातों को विशेष रूप से ध्यान में रखना होगा, जो इस प्रकार हैं:

  • सूर्य नमस्कार हमेशा सूर्योदय के समय और पूर्व यानी सूर्य निकलने की दिशा की ओर मुख रख कर किया जाता है।
  • साथ ही आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसके प्रत्येक चरण को ऊर्जा और जोश के साथ किया जाए।
  • साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि सूर्य नमस्कार के प्रत्येक चरण के आसनों को बारीकी से समझें और उनके प्रत्येक चरण को धीरे-धीरे और आराम से करें।
  • सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर आपको विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा।
  • पीछे की ओर झुकने, पैरों को फैलाने और आगे की ओर झुकते वक्त ध्यान रखें कि शरीर पर किसी प्रकार का झटका न आए। साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आप अपनी क्षमता के हिसाब से इन चरणों को
  • पूरा करने का प्रयास करें। मांसपेशियों पर अधिक जोर देने की आवश्यकता नहीं है।
  • वहीं किसी ट्रेनर के साथ अगर इसका शुरुआती अभ्यास किया जाए, तो बेहतर होगा।
सूर्य नमस्कार के लिए कुछ सावधानियां – 
सूर्य नमस्कार के अभ्यास से पूर्व आपको निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने का प्रयास न करें।
  • हर्निया और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को इस आसन से दूर रहना चाहिए।
  • कमर में दर्द होने की स्थिति में आपको सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • मासिक चक्र के दौरान भी महिलाओं को सूर्य नमस्कार नहीं करने की सलाह दी जाती हैं।
सूर्य नमस्कार योग क्या है और सूर्य नमस्कार के लाभ क्या-क्या हो सकते हैं, इस बात को तो आप अच्छे से समझ गए होंगे। वहीं, आपको लेख के माध्यम से सूर्य नमस्कार की प्रक्रिया के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी उचित जानकारी हासिल हो गई होगी। वहीं, पहली बार जो लोग सूर्य नमस्कार करने जा रहे उनके लिए भी कुछ सुझाव लेख में दिए गए हैं, जिनके बारे में जानकारी होना जरूरी है। ऐसे में अगर आप भी सूर्य नमस्कार के फायदों से प्रभावित हैं और इसका नियमित अभ्यास करने के बारे में सोच रहे हैं, तो बेहतर होगा कि पहले आप लेख में दी गई सभी जरूरी बातों को अच्छे से पढ़ लें। इसके अलावा, अगर इस विषय से जुड़ा कोई अन्य सवाल या सुझाव आपके मन में है, तो उसे आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।


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