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थायराइड के लिए 10 आसान योगासन

 
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सरल, सहज और स्वास्थ्य से भरपूर जीवन जीने का एकमात्र तरीका योग है। भारतवर्ष में वर्षों से योग किया जा रहा है। योग करने से न सिर्फ शरीर स्वास्थ्य होता है, बल्कि मन भी शांत रहता है। हालांकि, इन दिनों योग करने के कई तरीके प्रचलित हो चुके हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य स्वस्थ तन और मन से है। जिस तरह आजकल हमारा जीवन अति व्यस्त और विभिन्न कठिनाइयों से भरा हुआ है, उसके मद्देनजर योग का महत्व और बढ़ जाता है। हमारी एक गलती कई तरह की शारीरिक परेशानियों को जन्म दे देती है और थायराइड भी उन्हीं में से एक है। इन दिनों जिसे देखो, उसे थायराइड है।  इस लेख में हम थायराइड के लिए योग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। यहां हम बताएंगे कि किसी तरह के योग करने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

क्या है थायराइड – 
थायराइड कोई रोग न होकर गर्दन में पाई जाने वाली एक ग्रंथि का नाम है। यह ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। हम जो कुछ भी खाते हैं, यह ग्रंथि उसे ऊर्जा में बदलने का काम करती है। साथ ही ह्रदय, हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है। इसके अलावा, यह ग्रंथि दो तरह के हार्मोन का भी निर्माण करती है। एक है टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और दूसरा टी4 यानी थायरॉक्सिन है। जब ये दोनों हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन बढ़ने या कम होने लगता है, जिसे आम बोलचाल में थायराइड कहा जाता है। थायराइड दो तरह के होते हैं हाइपो थायराइड व हाइपर थायराइड ।

थायराइड के लिए योग – 
इससे पहले कि आप यह जाने कि थायराइड के लिए योग कौन-कौन से हैं, उससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि योग का फायदा तभी होता है, जब उसे मन से किया जाए। योग का प्रथम नियम यही है कि इसे बिना कष्ट व जोर लगाए करना चाहिए। यहां हम एक-एक करके विभिन्न योग के बारे में विस्तार से बताएंगे ।

1. सर्वांगासन :
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यह तीन शब्दों से बना है। ‘सर्व’ का अर्थ सभी, ‘अंग’ का शरीर और ‘आसन’ का अर्थ मुद्रा से है। नाम के अनुसार ही इस योगासन के फायदे भी अनके हैं। यह कंधों के सहारे किया जाने वाला योग है। इसे करते हुए पूरे शरीर का भार कंधों पर आता है और इससे पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है। यह आसन करते समय गर्दन व कंधों पर खिंचाव महसूस होता है, जिससे ये मजबूत होते हैं और कमर में लचीलापन आता है। सर्वांगासन करने से थायराइड व हाइपोथेलेमस ग्रंथियों को फिर से सक्रिय व क्रियाशील करने में मदद मिलती है। साथ ही हार्मोंस संतुलित होते है, जिससे थायराइड की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। इस आसन को करने से पाचन तंत्र भी ठीक से काम कर पाता है और मानसिक तनाव भी कम होता है। इसे ‘योगासन की रानी’ भी कहा जाता है।

करने की प्रक्रिया
  • सबसे पहले तो जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को शरीर के साथ सीधा सटाकर रखें।
  • फिर अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए पीछे की तरफ ले जाएं।
  • इसके बाद अपने कूल्हों व कमर को भी ऊपर की ओर उठा लें।
  • इसके बाद कोहनियों को जमीन पर टिकाते हुए पीठ को अपने हाथों के जरिए सहारा दें और पैरों व घुटनों को ऊपर की ओर बिल्कुल सीधा कर दें। घुटने व पैर आपस में मिले हुए होने चाहिए। इस दौरान, शरीर का पूरा भार आपके कंधों, सिर व कोहनियों पर होना चाहिए। साथ ही ठोड़ी छाती पर लगे।
  • इसी मुद्रा में करीब एक-दो मिनट तक रहें और लंबी-गहरी सांस लेते रहें।
  • अब वापस पैरों को पीछे की ओर ले जाएं व हाथों को सीधा करते हुए कमर को जमीन से सटाएं और पैरों को धीरे-धीरे वापस जमीन पर ले आएं।
सावधानी : जिन्हें गंभीर थायराइड, उच्च रक्तचाप, कमर में दर्द, हर्निया, कमजोरी या फिर गर्दन व कंधे में चोट लगी है, तो उन्हें किसी प्रशिक्षक की देखरेख में यह आसन करना चाहिए।

2. मत्स्यासन :
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जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसे करते समय शरीर मछली के आकार का हो जाता है। इसे इंग्लिश में कहते हैं। सर्वांगासन की तरह इस योग के भी कई लाभ हैं। इसे करने से कमर दर्द कम होता है, गर्दन से जुड़ी समस्या दूर होती है, पेट की चर्बी कम होती है और सबसे अहम बात, यह थायराइड में रामबाण की तरह काम करता है। इससे गर्दन, छाती व कंधों में खिंचाव महसूस होता है, जिससे इस हिस्से की मांसपेशियां से तनाव कम होता है। साथ ही सांस व फेफड़े से जुड़े रोग भी कम होते हैं। अगर आपको कब्ज की समस्या है, तो वो भी इससे ठीक हो सकती है। यह योग करने से पीठ के ऊपरी हिस्से में आराम मिलता है और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है। जिन्हें घुटनों व पीठ में दर्द रहता है, उन्हें भी इससे आराम मिल सकता है। यह योग आंखों के लिए भी अच्छा है।

करने की प्रक्रिया
  • जमीन पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और हाथों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पीठ के बल लेट जाएं।
  • अब हाथों की मदद से शरीर को ऊपर उठाएं और पैरों व सिर के बल पर शरीर को संतुलित कर लें।
  • इसके बाद बाएं पैर को दाएं हाथ से और दाएं पैर को बाएं हाथ से पकड़ लें।
  • इस दौरान, कोहनियां और घुटने जमीन से सटे होने चाहिए।
  • इस स्थिति में रहते हुए ही धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें।
  • करीब 30 सेकंड से एक मिनट तक इसी अवस्था में रहें।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए हाथों का सहार लेते हुए लेट जाएं और फिर उठते हुए प्रारंभिक अवस्था में आकर सीधे बैठ जाएं।
  • इस तरह के करीब तीन-चार चक्र करें।
सावधानी : अगर आप रीढ़ की हड्डी के किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं, घुटनों में दर्द है, हर्निया है या फिर अल्सर है, तो इस योगासन को बिल्कुल न करें।

3. विपरीत करनी :
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थायराइड के लिए योग के तहत यह आसन जरूर करना चाहिए। यह आसन लगभग सर्वांगासन की तरह ही होता है, लेकिन यह उसके मुकाबले थोड़ा सरल है। इसे करने से मानसिक तनाव दूर करने में आसानी मिलती है। अगर किसी को पैरों में थकान या दर्द महसूस हो रहा है, तो उसे यह आसन करने से आराम मिलेगा और पैरों की मांसपेशियों में आया खिंचाव भी दूर होगा। इसे करने से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से होता है। अनिंद्रा जैसी समस्या से भी राहत मिलती है। गर्दन, कंधे व पीठ की मांसपेशियों को आराम मिलता है। साथ ही थायराइड के रोगियों के लिए भी यह बेहद लाभकारी है। यह आसन करने से थायराइड की गतिविधि संतुलित होती है और इस बीमारी में होने वाली समस्याओं से राहत मिलती है। इसे करने से चेहरे पर भी चमक आती है।

करने की प्रक्रिया
  • आप दीवार के पास अपने योग मैट को बिछा लें और दीवार की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।
  • इसके बाद हाथों को सहारा लेते हुए पीछे की ओर झुक जाएं और कूल्हों व पैरों को ऊपर उठाकर बिल्कुल सीधे दीवार के साथ सटा लें।
  • बांहों को शरीर से दूर फैला लें और हथेलियां ऊपर की ओर रहें।
  • इस मुद्रा में करीब 5-15 मिनट तक रहें।
  • फिर घुटनों को मोड़ते हुए दाई और घूम जाएं और सामान्य अवस्था में बैठ जाएं।
सावधानी : अगर आपको पीठ या गर्दन में अधिक दर्द है, तो इस आसन को न करें। मासिक धर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।

4. हलासन :
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जिन्हें मधुमेह, मोटापा व थायराइड की शिकायत है, उन्हें हलासन जरूर करना चाहिए। यह आसन करते समय शरीर की मुद्रा खेत में जोते जाने वाले हल की तरह हो जाती है, इसलिए इसे हलासन कहा जाता है। बेशक, इसे करना आसान नहीं है, लेकिन इसके फायदे अनके हैं। यह मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित कर बढ़ते वजन को कम करने में सक्षम है। गले की बीमारी, सिरदर्द और बवासीर की शिकायत में भी इस आसन को करने से फायदा मिलता है। इससे कब्ज जैसी समस्या भी ठीक हो सकती है। जब हम यह आसन करते हैं, तो रक्त का प्रवाह सिर में ज्यादा होने लगता है। इस कारण बालों को पर्याप्त मात्रा में खनिज तत्व मिलते हैं और बालों का झड़ना कम होने लगता है। यह आसन करना आसान नहीं है, इसलिए किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें और अगर शुरुआत में करने में परेशानी हो रही हो, तो अर्द्धहलासन कर सकते हैं।

करने की प्रक्रिया
  • सबसे पहले तो योग मैट पर पीठ के बल सीधा लेट जाएं और हाथों को भी शरीर से सटाकर सीधा रखें।
  • अब पैरों को घुटने से मोड़े बिना धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए पीठ को उठाते हुए पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। पैरों की अंगुलियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि इस अवस्था में हाथ बिल्कुल सीधे रहने चाहिए।
  • इस मुद्रा को ही हलासन कहते हैं। करीब एक मिनट तक इस अवस्था में रहते हुए धीरे-धीरे मूल अवस्था में आ जाएं।
  • इस तरह के करीब तीन-चार चक्र प्रतिदिन करें।
सावधानी : जिन्हें सर्वाइकल व उच्च रक्तचाप है, वो इसे न करें।

5. उष्ट्रासन :
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उष्ट्र और आसन शब्दों को मिलाकर इसका नाम उष्ट्रासन पड़ा है। उष्ट्र का अर्थ होता है ऊंट। जब हम यह आसन करते हैं, तो हमारी मुद्रा लगभग ऊंट जैसी होती है, इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। इसे करने से सभी तरह के शारीरिक विकार व क्रोध कम होते हैं। जब हम यह आसन करते हैं, तो गर्दन पर खिंचाव महसूस होता है, जिस कारण यह थायराइड में लाभदायक होता है। इसके अलावा, पेट से चर्बी कम करने, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और डायबिटीज को भी नियंत्रित करने में सहायक है। अगर किसी को स्लिप डिस्की की समस्या है या फिर फेफड़ों से संबंधित कोई बीमारी है, तो उष्ट्रासन करने से इन समस्याओं से आराम मिलता है।

करने की प्रक्रिया
  • इस योगासन को करने से पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • इस मुद्रा में घुटनों व पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी होनी चाहिए।
  • अब आप घुटनों के बल खड़े हो जाएं और सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें।
  • दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रख दें।
  • ध्यान रहे इस दौरान गर्दन में किसी तरह का झटका न आए।
  • इसके बाद जांघें फर्श से समकोण दिशा में होनी चाहिए और सिर पीछे की ओर झुका होना चाहिए। इस मुद्रा में शरीर का पूरा भार बांह व पैरों पर होना चाहिए।
  • इसी अवस्था में रहते हुए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
  • करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
सावधानी : जिन्हें उच्च रक्तचाप है, हर्निया की समस्या है, अधिक कमर दर्द है, ह्रदय रोग से पीड़ित हैं, उन्हें यह योगासन नहीं करना चाहिए।

6. धनुरासन :
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जहां अभी तक हमने कमर के बल लेटकर या फिर पीठ के बल झुकने वाले आसन बताए, वहीं यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसे करने से शरीर धनुष के समान लगाता है, इसलिए इसका नाम धनुरासन पड़ा है। इसे करने से थायराइड ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं, जिससे हार्मोंस बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं। इसलिए, यह योगासन थायराइड के मरीजों के लिए सबसे उपयुक्त है। इसके अलावा, यह योग मोटापे, डायबिटीज व कमर दर्द से जूझ रहे लोगों के लिए रामबाण की तरह काम करता है। जिन्हें कब्ज रहती है या फिर जिनकी नाभी अपनी जगह से बार-बार हिल जाती है, उन्हें भी यह आसन जरूर करना चाहिए। इस आसन को करते समय सीने में खिंचाव महसूस होता है और फेफड़े अच्छी तरह काम कर पाते हैं। इसलिए, यह अस्थमा के मरीजों के लिए लाभदायक है।

करने की प्रक्रिया
  • जमीन पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ लें और दोनों हाथों से दोनों टखनों को कसकर पकड़ लें।
  • अब सांस लेते हुए सिर, छाती और जांघ को ऊपर उठाने की कोशिश करें। जितना संभव हो सके शरीर को उतना ही ऊपर उठाएं।
  • ऐसा करते समय अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ दूरी आ जाएगी, जिसे इस अवस्था में पहुंचने के बाद थोड़ा कम करने का प्रयास करें।
  • कुछ देर इसी मुद्रा में रहते हुए आराम से सांस लेते और छोड़ते रहें।
  • फिर लंबी गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे लाएं और मूल स्थिति में आ जाएं।
सावधानी : जिन्हें पथरी की शिकायत हो या फिर हर्निया और अल्सर हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।

7. उज्जायी प्राणायाम :
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जिन्हें थायराइड है, उन्हें उज्जायी प्राणायाम जरूर करना चाहिए। इस आसन को करते समय गर्दन में मौजूद थायराइड ग्रंथियों में कंपन होता है, जिससे यह ग्रंथियां ठीक से काम करती हैं। इसके अलावा, यह आसन करने से चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर नजर नहीं आता। इसे करने से मस्तिष्क की गर्मी दूर होती है और ठंडक का अहसास होता है। साथ ही पाचन क्षमता में भी सुधार होता है। अगर आपको लीवर से जुड़ी कोई परेशानी या फिर खांसी और बुखार है, तो उज्जायी प्राणायाम करने से फायदा होता है। इतना ही नहीं यह आसन करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। अगर कोई बच्चा तुतलाता है, तो वह भी यह आसन कर सकता हैं। वहीं, जिन्हें सोते हुए खर्राटे लेने की आदत है, वो भी उज्जायी प्राणायम जरूर करें।

करने की प्रक्रिया
  • आप जमीन पर पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं।
  • गले को टाइट करके शरीर के अंदर सांस भरें। इस तरह सांस भरते समय एक आवाज आती है।
  • सांस लेते समय सीने को फुलाने की कोशिश करें।
  • इसके बाद अगर आप चाहें तो जालंधर बंध भी लगा सकते हैं। इसमें ठोड़ी को छाती के साथ चिपका देते हैं।
  • अब जब तक संभव हो सांस को रोककर रखें।
  • फिर दाहिनी अंगुठे से दाईं नासिका को बंद करें और धीरे-धीरे बांईं नासिका से सांस को छोड़ें।
  • इसके अलावा, आप दाईं नासिका को बंद किए बिना, दोनों नासिकाओं से भी सांस छोड़ सकते हैं।
सावधानी : जिनका रक्तचाप कम है, उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

8. कपालभाति :
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यह तो सभी जानते हैं कि हर बीमारी की जड़ पेट में होती है। अगर पेट खराब है, तो किसी भी तरह की बीमारी हो सकती है। थायराइड भी उन्हीं में से एक है। ऐसे में पेट को ठीक करने के लिए कपालभाति सबसे अच्छा प्राणायाम है। अगर इसे नियम से प्रतिदिन किया जाए, तो जल्द ही अच्छे परिणाम नजर आने लगते हैं। कपालभाति से न सिर्फ थायराइड से मुक्ति मिलती है, बल्कि पाचन तंत्र अच्छा होता है, कब्ज, गैस व एसिडिटी जैसी समस्या जड़ से खत्म हो जाती है। इसके अलावा, फेफड़े व किडनी अच्छे से काम करते हैं, स्मरण शक्ति तेज होती है, बालों का झड़ना कम हो जाता है। साथ ही वजन नियंत्रित होता है, अस्थमा से राहत मिलती है और चेहरे पर निखार नजर आने लगता है।

करने की प्रक्रिया
  • इसके लिए आप या तो सुखासन में बैठ जाएं या फिर संभव हो सके तो पद्मासन में भी बैठ सकते हैं।
  • अब पहले धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ दें।
  • फिर नाक से धीरे-धीरे सांस बाहर फेंके। ऐसा करते समय आपका पेट अंदर की तरफ जाएगा।
  • इस दौरान, मुंह को बंद रखें। मुंह से न तो सांस लेनी है और न ही छोड़नी है।
  • ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें, किसी भी प्रकार का जोर लगाने की जरूर नहीं है। अन्यथा फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है।
  • जब तक संभव हो इसे करते रहें और जब थकने लगें, तो रुक जाएं। थोड़ी देर बाद फिर से करें।
  • इस तरह के चार-पांच चक्र कर सकते हैं।
सावधानी : अगर आपको उच्च रक्तचाप, हर्निया, सांस संबंधी कोई बीमारी या फिर अल्सर है, तो इसे बिल्कुल न करें।

9. जानुशीर्षासन :
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इस योगासन का नाम दो शब्दों जानु यानी घुटना और शीर्ष यानी सिर के संयोग से बना है। इसे करने से कंधे पेट, कमर, कूल्हों और घुटनो में खिंचाव महसूस होता है और लचीलापन आता है। इस लिहाज से यह थायराइड के लिए उपयुक्त योगासन है। इसे करने से शरीर में हार्मोंस का प्रभाव नियमित हो जाता है, जिस कारण थायराइड से राहत मिलती है। इसके अलावा, यह योग पाचन तंत्र में भी सुधार करता है और थकान, मानसिक तनाव व सिरदर्द से राहत देकर दिमाग को शांत करता है। इस योगासन के नियमित अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म की समस्याओं से आराम मिलता है।

करने की प्रक्रिया
  • योग मैट पर आराम से बैठ जाएं और पैरों को सामने की ओर फैला लें। रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें।
  • अब बाएं घुटने को मोड़ते हुए बाएं तलवे को दाहिने जंघा के पास रखें और बाएं घुटने को जमीन से सटा दें।
  • इसके बाद सांस भरते हुए हाथों को सिर के ऊपर सीधा उठाएं और कमर को दाहिनी तरफ घुमाएं।
  • फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके और दाएं पैर के अंगुठे को हाथ से पकड़ने की कोशिश करें। साथ ही कोहनियों को जमीन से और सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें।
  • कुछ देर सांस रोककर इसी स्थिति में रहें।
  • इसके बाद सांस लेते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें और जब बिल्कुल सीधे हो जाएं, तो हाथों को नीचे कर लें।
  • इस प्रकार एक चक्र पूरा हो जाएगा और फिर पूरी प्रक्रिया को दूसरे पैर से दोहराएं।
सावधानी : जिन्हें पीठ के निचले हिस्से या घुटनों में दर्द है, वो यह आसन न करें। साथ ही दस्त होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए।

10. शवासन :
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इसे शवासन इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसे करते समय शरीर मृत व्यक्ति के समान होता है। सभी प्रकार के योगासन करने के बाद इसे अंत में किया जाता है। शरीर को आराम देने और मन को शांत व एकाग्र करने के लिए यह आसन सबसे उपयुक्त है। इससे शरीर के सभी हार्मोंस अच्छी तरह काम करते हैं, दिमाग शांत होता है, याददाश्त बेहतर होती है, सभी मांसपेशियों को आराम मिलता है और रक्तचाप नियंत्रित होता है। बेशक, यह आसन देखने में आसान लगता है, लेकिन करना थोड़ा मुश्किल भरा है।

करने की प्रक्रिया
  • योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर से कुछ दूरी पर रखें। हथेलियों ऊपर की ओर होनी चाहिए।
  • पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी रखें।
  • सिर को सीधा रखें और आंखों को बंद कर लें।
  • अब धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
  • इस दौरान मस्तिष्क में आ रहे विचारों पर ध्यान न दें। इसकी जगह अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें और खुद को तनाव मुक्त रखें।
  • जब तक आप चाहें इस अवस्था में रह सकते हैं।
सावधानी : यही एकमात्र आसन है, जिसे कोई भी कर सकता है।

नोट : अगर आप पहली बार योगासन कर रहे हैं, तो हमारी सलाह यही है कि इसे प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।

उम्मीद करते हैं कि आपको थायराइड के लिए योग  से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी मिल गई होगी। अगर आप इन योगासनों को नियमित रूप से अभ्यास करते हैं, तो न सिर्फ आपकी थायराइड की समस्या कम होगी, बल्कि अन्य तरह की बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाएगा। यह लेख आपको कैसा लगा और इन योगासनों को करने से आपको किसी प्रकार का लाभ हुआ, इस बारे में नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।


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