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अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का तरीका और फायदे

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‘प्राणायाम’ संस्‍कृत शब्‍द है जो ‘प्राण’ यानि की सांस और ‘आयम’ यानि की लेना और छोड़ना से लिया गया है। इस पूरे शब्‍द का मतलब सांस लेना और छोड़ना है। नाक से सांस लेना और छोड़ना ही प्राणायाम नहीं है बल्कि यह तो प्राण या जीवन शक्‍ति को नियंत्रित करने का स्रोत है।

प्राणायाम एक योगासन है एवं प्राचीन भारत में पांचवी और छठी शताब्‍दी से इसका संबंध है। ‘भगवत गीता’ में भी प्राणायाम का उल्‍लेख मिलता है। आज दुनियाभर में प्राणायाम किया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत भारत से ही हुई है। मन को शांत करने के अलावा प्राणायाम अनेक रोगों खासतौर से तनाव से संबंधित समस्‍याओं के इलाज में भी मददगार है। योगी और शोधकर्ता भी मस्तिष्‍क से जुड़े रोगों के इलाज के लिए प्राणायाम करने की सलाह देते हैं।

वैसे तो कई तरीके से प्राणायाम किया जाता है लेकिन ‘अनुलोम विलोम’ सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय और लाभकारी है। अनुलोम का अर्थ सीधा और विलोम का अर्थ उल्‍टा होता है। अनुलोम का संबंध नाक के दाहिना छिद्र और विलोम का नाक के बांए छिद्र से है। प्राणायाम के इस प्रकार में नाक के दाएं छिद्र से सांस अंदर ली जाती है और बाएं छिद्र से सांस बाहर छोड़ी जाती है। ये मस्तिष्‍क, हृदय और शरीर के लिए लाभकारी होता है।

तो चलिए जानते हैं प्राणायाम के फायदे, तरीके और सावधानी के बारे में। 

अनुलोम-विलोम प्राणायाम के फायदे - 
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ इस प्रकार हैं -
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम नाड़ियाँ या प्राणिक चैनलों को साफ कर देता है और प्राण का पूरे शरीर में प्रवाह बना देता है।
  • इतना ही नहीं, नाड़ियाँ शुद्ध कर देता है। अत: इस प्राणायाम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है।
  • यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
  • यह तनाव, अवसाद और दिल से संबंधित समस्याओं के लिए चिकित्सकीय है।
  • यह आपकी एकाग्रता में सुधार लाता है।
  • त्वचा में दमक को बढ़ाता है।
  • यह रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है और साथ ही साथ मन को शांत करता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से पहले यह आसन करें - 
अनुलोम-विलोम प्राणायाम को अपने आसन अभ्यास को समाप्त करने के बाद ही करें।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का तरीका -
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
  • किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। पद्मासन सबसे उत्तम है, परंतु सिद्धासन या वज्रासन भी ठीक है अगर आप पद्मासन नहीं कर सकते। अगर नीचे बैठना मुमकिन ना हो तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
  • अपने दाहिने हाथ के अंगूठे के साथ दाहिने नथुने को बंद करें। बाएँ नथुने से श्वास लें। श्वास धीरे-धीरे लें - मन में पाँच तक की गिनती करें। बायाँ हाथ बायें घुटने पर टिका होना चाहिए, इस हाथ से चिन मुद्रा बना कर रखें।
  • अब दाहिने नथुने को छोड़ दें, हाथ की रिंग फिंगर से बायें नथुने को बंद कर लें। पाँच की गिनती करते हुए बायें नथुने से श्वास छोड़ें।
  • यह पूरा हुआ एक तरफ का क्रम।
  • अब बायें नथुने से पाँच तक की गिनती करते हुए श्वास लें। फिर इस नातुने को छोड़ दें और दाहिने नथुने को बंद करें और उस से श्वास छोड़ें।
  • यह पूरा हुआ एक क्रम अनुलोम-विलोम प्राणायाम का।
  • इसे 1 मिनिट हो सके तो 1 मिनिट के लिए करें। ज़्यादा हो सके तो ज़्यादा देर करें। शुरुआत में 2 मिनिट से ज़्यादा ना करें। समय के साथ साथ अवधि और गिनती बढ़ायें।
  • ध्यान रहे की साँस बिल्कुल नहीं रोकनी है। साँस रोकना एक ज़्यादा मुश्किल रूप है प्राणायाम का जो आप शुरुआत में बिल्कुल ना करें।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का आसान तरीका - 
अगर 5 की गिनती ज़्यादा लगे तो उसे अपनी मुताबिक कम कर लें।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने में क्या सावधानी बरती जाए - 
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम खाली पेट करें।
  • हो सके तो सुबह करें, नहीं तो शाम को सूर्यास्त के समय करें। दोपहर के भोजन से कम से कम 3 घंटे के बाद ही करें।
  • इसे एक अच्छे योग गुरु के निरीशाण में शुरू करना चाहिए।

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