फ्लू के बारे में तो सभी जानते हैं। फ्लू भी अलग-अलग तरह का होता है। इसमें से एक है स्वाइन फ्लू। लेकिन इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। स्वाइन फ्लू एक जानलेवा बीमारी है। इसके बारे में जानना और समझना बहुत जरुरी है। यहाँ स्वाइन फ्लू के लक्षण हम आपको बताने जा रहे हैं। अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें। स्वाइन फ्लू में आपको बहुत सी बातों का ध्यान रखना होगा और इसकी रोकथाम करनी होगी। स्वाइन फ्लू ए टाइप के इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से फैलती है। स्वाइन फ्लू सुअरों के श्वसन तंत्र के जरिए संपर्क में आया था। स्वाइन फ्लू सबसे पहले मैक्सिको में आया था और उसके बाद एक देश से दूसरे देश में फैलता गया।
स्वाइन फ्लू के लक्षण:
- सिरदर्द होना।
- पूरे शरीर में जकड़न और दर्द होना।
- ठण्ड लगना और बुखार आना।
- थकान होना।
- लगातार खांसी होना।
- गले में खराश।
- उलटी और दस्त।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो उस इसका मतलब है कि आपको स्वाइन फ्लू है। आप इसकी जाँच कराएं और बिल्कुल लापरवाही न बरतें। कभी-कभी हम इन्हें मौसमी बुखार समझ कर नज़र अंदाज कर देते हैं। लेकिन ये लापरवाही ही हमें कई बार महंगी पड़ जाती है।
स्वाइन फ्लू कभी-कभी आम फ्लू जैसा ही लगता है लेकिन इसमें किसी एक लक्षणों के साथ बुखार आता है जैसे उलटी दस्त से शुरू होकर बुखार आना, खांसी और सर्दी के साथ बुखार आना, ठण्ड लगकर बुखार आना। इस प्रकार से अगर बुखार आता है तो वह स्वाइन फ्लू हो सकता है। स्वाइन फ्लू से अधिकतर प्रभावित होते हैं, 5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 से अधिक आयु के व्यस्क, गर्भवती महिलाएँ इत्यादि। स्वाइन फ्लू से स्वयं की रक्षा की जा सकती है। उसके लिए आपको थोड़ा सतर्क रहना होगा। जैसे:
बार-बार हाथों को धोयें:
स्वाइन फ्लू से रक्षा के लिए हाथ को बार-बार धोयें जिससे कीटाणु आपको प्रभावित न करें। हाथों को जितना हो सके साफ़ रखें। शरीर में हाथ एक ऐसा भाग है जिसका प्रयोग हम सबसे अधिक करते हैं। और हाथों के जरिये हम कई चीज़ों को छूते हैं। जिसकी वजह से कीटाणु हमारे हाथों के जरिये शरीर के कई भागों में लगते हैं। इसलिए हाथों को बार-बार साफ़ करते रहना चाहिए।
अगर पानी नहीं है तो हैंड सैनिटाइज़र का प्रयोग करें:
कई बार ऐसा होता है कि हमें हाथ धोने के लिए पानी नहीं मिलता तो उस स्थिति में हम सैनिटाइज़र का प्रयोग कर सकते हैं और अपने हाथों को साफ़ कर सकते हैं। सैनिटाइज़र बहुत ही आसानी से बाज़ार में उपलब्ध हो जाता है। इसलिए आप पानी की जगह हाथ साफ़ करने के लिए सैनिटाइज़र का प्रयोग कर सकते हैं।
मास्क:
फ्लू एक ऐसी बीमारी है जिसके कीटाणु हवा के संपर्क में आकर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचते हैं। तो आप हमेशा मास्क को मुँह पर लगायें। मास्क के द्वारा आप सीधे किसी भी स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से बच सकते हैं। हो सके तो स्वाइन फ्लू से प्रभावित व्यक्ति से थोड़ी दूरी से ही बात करें और उन्हें भी मास्क उपयोग करने की सालाह दें।
खांसते हुए रुमाल या टिशू का प्रयोग करें:
जब भी हम खांसते हैं उस समय हमें ध्यान रखना चाहिए। हमेशा खांसते समय मुँह पर टिशू या रुमाल रख लेना चाहिए जिससे कीटाणु हवा के संपर्क में न सकें। और हो सके तो टिशू का ही प्रयोग करें और उस टिशू को डस्टबिन में फेंक दें। इससे कीटाणु हवा में प्रवेश नहीं करेंगे।
पानी को उबाल कर पियें:
उबले हुए पानी में कीटाणु नहीं होते इसलिए हो सके तो उबला हुआ पानी पियें और गुनगुना पानी पियें। इससे आपके गले में हो रही खराश और खांसी दोनों ही कम होंगे और आपके शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल आते है। इसलिए हर मौसम में गुनगुना पानी ही पीना चाहिए।
खाने में तरल ज्यादा लें:
खाने में तरल ही ज्यादा लें। इससे आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी और तरल पचने भी आसान रहेगा। इसलिए जितना हो सके आप तरल ही लें। लेकिन ठंडा पानी न पियें ये आपके लिए नुकसानदायक होगा। आपको इसका विशेष ध्यान रखना है।
फलों का सेवन करें:
स्वाइन फ्लू में आप अनार जैसे फलों का सेवन करें तभी आपके शरीर में खून बनेगा और ताकत आएगी। फलों का सेवन बहुत ही जरुरी होता है इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा से आपका शरीर अच्छे से चलेगा और पानी ज्यादा से ज्यादा पियें।
स्टार्च वाले भोजन का सेवन कम करें:
अगर स्वाइन फ्लू से बचना है तो इसके लिए स्टार्च वाले भोजन जैसे चावल, आलू और शर्करा वाले भोजन का सेवन बहुत कम करना चाहिए। इससे स्वाइन फ्लू से रोकथाम हो सकती है। आपको स्वाइन फ्लू के दौरान और इससे बचने के लिए अपने खान पान को बदलना ही होगा।
काढ़ा:
काढ़ा पीने से स्वाइन फ्लू से राहत मिलती है। काढ़े में आप हल्दी पाउडर, कालीमिर्च, तुलसी के पत्ते, जीरा, अदरक और गुड़ को मिलकर अच्छे से उबाल लें। जब पानी आधा रह जाये तो इससे पियें इससे सर्दी, खांसी और बुखार में राहत मिलेगी। काढ़ा वैसे भी सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। और किसी भी प्रकार की सर्दी, खांसी में इससे राहत मिलती है।
तुलसी के पत्तों का सेवन:
अगर प्रतिदिन तुलसी के दो से तीन पत्तों का सेवन किया जाये तो इससे भी स्वाइन फ्लू में राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों से चर्म रोग भी दूर होते हैं और खांसी, बुखार भी दूर रहते हैं। गले की खराश भी तुलसी के पत्तों के सेवन से कम हो जाती है। इससे कई बीमारियाँ दूर होती हैं।
नीम की पत्ती:
नीम के अनगिनत गुण है। नीम की कोमल पत्तियों के सेवन से चर्म रोग दूर होते हैं और साथ ही स्वाइन फ्लू भी दूर होता है। नीम की पत्ती को पानी में डाल कर उबाल लें और इस पानी से नहायें। किसी भी प्रकार की बीमारी और चर्म रोग इससे दूर होता है। बुखार में भी नीम की पत्ती को सिरहाने रखने से बुखार में राहत मिलती है।
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