मानव शरीर में पत्तागोभी के माध्यम से टेपवर्म (फीताकृमि) के पहुंचने के मामले सामने आते ही रहते हैं। ये आंतों में विकसित होने के बाद रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य हिस्सों में भी पहुंच जाते हैं। कई बार मस्तिष्क में भी आ जाते हैं। ऐसे में इन्हें नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। इसके बारे में जानकारी दे रही हैं स्वाति गौड़
कई लोग चीज मंगाते समय खाने में पत्ता गोभी को हटा देने को कहते हैं। खासतौर से बर्गर, चाऊमीन, मोमोज, स्प्रिंग रोल्स आदि लेते समय कुछ लोग ऐसा ही करते हैं। शायद आप ऐसे लोगों को भी जानते होंगे, जो पत्ता गोभी का नाम सुनते ही डर सा जाते हैं। और पत्ता गोभी के नाम से ही तौबा करने लगते हैं।
आखिर क्यों डरते हैं पत्ता गोभी से-
पत्ता गोभी को लेकर ऐसे तमाम लोगों के डर की वजह वह कृमि यानी कीड़ा है, जो पत्ता गोभी के सेवन से आपके शरीर में पहुंचता है और फिर दिमाग में प्रवेश कर जाता है। दिमाग में पहुंचने पर यह सूक्ष्म कृमि आपके लिए जानलेवा साबित हो जाता है। इस कीड़े को टेपवर्म यानी फीताकृमि कहते हैं।
धीरे-धीरे बढ़ता है खतरा-
भारत में टेपवर्म को लेकर खतरे की घंटी करीब 20-25 साल पहले बजनी शुरू हुई, जब देश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ मरीज सिर में तेज दर्द की शिकायत के साथ हॉस्पिटल पहुंचे। ऐसे कई मामलों में मरीज को मिर्गी की तरह दौरे भी पड़ रहे थे। इनमें से बहुतेरे रोगी बच नहीं पाए, क्योंकि रोगियों के दिमाग में ये काफी संख्या में पहुंच चुके थे। कुछेक रोगियों, जिनकी जान बच गयी, ने बाद में पत्ता गोभी खाना बिल्कुल ही बंद कर दिया था। जिन लोगों को ऐसे मामलों का पता चला, उन्होंने भी पत्ता गोभी से दूरी बनाने में ही भलाई समझी। रेस्तरां और स्ट्रीट फूड की दुकानों में बर्गर और चाऊमीन जैसी प्रचलित खाने-पीने की चीजों से लोग मुंह मोड़ने लगे। ऐसे में कुछ दुकानदारों ने पत्ता गोभी के बजाय लेट्यूस लीव्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया, जो देखने में पत्ता गोभी जैसी होती है, लेकिन उसमें टेपवर्म का खतरा नहीं होता। टेपवर्म के डर से पत्ता गोभी जैसी पोषक सब्जी से दूरी बनाना लोगों की मजबूरी हो गई और लोगों में धारणा बन गई कि इसे खाना हानिकारक हो सकता है। एशियाई देशों की तुलना में यूरोपीय देशों में इसका खतरा काफी कम देखा
जाता है। टेपवर्म के संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में पाए जाते हैं, लेकिन खाद्य पदार्थों के रखरखाव आदि के तरीकों में अंतर के कारण भारत में इसके संक्रमण के मामले कुछ ज्यादा पाए जाते हैं।
शरीर में कैसे पहुंचता है -
हमारे घरों में पत्ता गोभी कभी सब्जी के रूप में, तो कभी कच्चे सलाद के रूप में बहुत खाई जाती है। पत्ता गोभी के जरिये टेपवर्म हमारे शरीर में दो तरह से पहुंचता है। बेहद सूक्ष्म होने की वजह से यह हमें दिखाई नहीं देता और बेहद अच्छी तरह से धोने पर भी यह कई बार पत्ता गोभी पर चिपका रह जाता है। ऐसी स्थिति में जब हम कच्ची पत्ता गोभी का सेवन करते हैं तो हमारे शरीर में इसके पहुंचने की आशंका सबसे अधिक रहती है। जब भोजन अधपका रह जाता है तो भी यह हमारे शरीर में पहुंच जाता है। इसीलिए अब भारी संख्या में लोग पत्ता गोभी से परहेज करने लगे हैं। इसे लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम भी देखे जाते हैं।
क्या है यह कीड़ा-
यह कीड़ा आमतौर पर जानवरों के मल में पाया जाता है, जो कई अलग-अलग कारणों से पानी के साथ जमीन में पहुंच जाता है। बारिश के पानी या गंदे पानी के रूप में इसके जमीन में पहुंचने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। यही वजह है कि कच्ची सब्जियों के माध्यम से हमारे शरीर में इस कीड़े के पहुंचने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। इसके अलावा संक्रमित मिट्टी के माध्यम से और ऐसा दूषित पानी, जिसमें टेपवर्म के अंडे हों, से भी इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
दिमाग पर होता है हमला-
एक बार हमारे पेट में पहुंचने के बाद टेपवर्म का सबसे पहला हमला हमारी आंतों पर होता है। इसके बाद यह रक्त प्रवाह के जरिये हमारी नसों के माध्यम से हमारे दिमाग तक पहुंच जाता है। हालांकि टेपवर्म से हमारी आंतों को होने वाला संक्रमण (केवल एक या दो टेपवर्म का संक्रमण) आमतौर पर घातक नहीं होता, जबकि हमारे दिमाग पर इसके हमले के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसके लार्वा से होने वाला संक्रमण एक गंभीर समस्या बन जाती है।
दरअसल, टेपवर्म से होने वाले संक्रमण को टैनिएसिस कहा जाता है। टेपवर्म की तीन मुख्य प्रजातियां टीनिया सेगीनाटा, टीनिया सोलिअम और टीनिया एशियाटिका होती हैं। शरीर में प्रवेश करने के बाद यह कीड़ा अंडे देना शुरू कर देता है। इसके कुछ अंडे हमारे शरीर में भी फैल जाते हैं, जिससे शरीर में अंदरूनी अंगों में घाव बनने
लगते हैं।
कैसे फैल सकता है संक्रमण -
निजी साफ-सफाई का ध्यान न रखने वाले लोग वैसे भी किसी न किसी प्रकार के संक्रमण से ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसे में जरा सा भी दूषित पदार्थ आपके शरीर को संक्रमित कर सकता है। किसी पालतू पशु के टेपवर्म के संपर्क में आने से भी संक्रमण की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। खासतौर से ऐसी जगहों पर, जहां पशुओं और मानव के मल का उचित ढंग से निपटारा न किया जाता हो, खतरा अधिक होता है। कच्चा या अधपका मांस खाने से इसके संक्रमण की आशंका सबसे अधिक मानी जाती है, क्योंकि मीट को ठीक से न पकाए जाने पर उसमें उपस्थित लार्वा या अंडे जीवित रह जाते हैं।
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।