क्या अप जानते है कि रिवॉल्वर का आविष्कार किसने किया ? अगर नहीं जानते तो यह कि यह आर्टिकल आपके लिए कृपया इसे आखिर तक पढ़ें क्योंकि आज हम आपको रिवॉल्वर का आविष्कार किसने किया ? इसके बारे मे पूरी जानकारी देंगे।
रिवॉल्वर, कट्टा, घोडा ये अलग अलग जगहों पर अलग अलग नाम से जाना जाता है. इस रिवॉल्वर का इस्तेमाल करके जान को बचाया भी जा सकता है और जान को ले भी जा सकता है.
हमारे इंडिया में रिवॉल्वर का लाइसेंस इतना आसानी के सात नहीं मिलता लेकिन अगर वही US और दूसरे देशों में आप रिवॉल्वर को खरीद कर इस्तेमाल कर सकते है.
इसीलिए शायद उन Countries में रिवॉल्वर कल्चर बहुत ज़्यादा है और तकरीबन हर घर में रिवॉल्वर मौजूद रहता है.
रिवॉल्वर का आविष्कार किसने किया ?
रिवॉल्वर का इतिहास जानने से पहले रिवॉल्वर को चलाने वाला गनपाउडर के बारे में जानना ज़रूरी है. गनपाउडर बुल्लेट बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.
गनपाउडर तकरीबन हर तरह के फायरआर्म में इस्तेमाल किया जाता है. गनपाउडर की खोज खरीब 9 AD में चीन में किया गया था. इस खतरनाक पाउडर को उस ज़माने में जंग लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.
जैसा के हम जानते है कि पहले ज़माने में तीर का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा किया जाता था. इस तीर को खतरनाक बनाने के लिए गनपाउडर का इस्तेमाल किया जाता था.
धीरे धीरे चीन से गनपाउडर दूसरे देशों में पहलने लगा और बन्दूक बनना शुरू किया गया.
रिवॉल्वर का अविष्कार :
गनपाउडर के अविष्कार के बाद चीन में बम्बू का इस्तेमाल करके पहली बार रिवॉल्वर को बनाया था. इस बम्बू में गनपाउडर का इस्तेमाल करके भाला चलाते.
फायरलांस नाम का रिवॉल्वर बम्बू रिवॉल्वर के बाद इस्तेमाल किया गया था. ये भी बम्बू रिवॉल्वर की तरह ही था. जंग के वक़्त इन्हे इस्तेमाल किया जाता था
शुरुवात में इन गन्स को देखने के बाद सोंचा के बम्बू को लोहे से बदलने से और ज़्यादा मजबूत रिवॉल्वर को बना सकते है. इस तरह लोहे को रिवॉल्वर में इस्तेमाल करना शुरू किया गया था.
यूरोप में गनपाउडर :
हम ये बात तो जानते है के जब कभी कोई नयी तकनीक दुनिया में वजूद अति है तो सारे देश उसे हासिल करने में लग जाते है. नुक्लियर वेपन की ताकत को जानने के बाद हर देश अपने पास नुक्लियर वेपन को रखना चाहते है.
जंग के वक़्त गनपाउडर की अहमियत महसूस होने के बाद यूरोप इसे अपने पास लाकर वेपन्स बनाना चाह रहा था. शुरू में छोटे छोटे साइज में कैनन को बनाया जिसे हम तोप कहते है.
हर देश जब जंग लड़ने जाता तो तोप का इस्तेमाल ज़रूर करता क्यों की इससे बहुत ज़्यादा नुकसान होता है.
रिवॉल्वर का आविष्कार किसने किया
रिवॉल्वर का आविष्कार सैमुअल कोल्ट ने किया था। साल 1836 में सैमुअल कोल्ट ने दुनिया के सामने एक ऐसी बंदूक पेश की जिसमें एक बार में 5 गोलियां चलाई जा सकती थीं। जिसे आज हम रिवॉल्वर कहते हैं।
क्योंकि एक बार में एक बंदूक से एक ही गोली चलाई जाती है, जबकि डबल गन में एक के बाद एक दो गोलियां चलाई जा सकती हैं। बता दें कि सभी रिवॉल्वर और बंदूकें एक बुनियादी सिद्धांत पर काम करती हैं। इसके लिए बंदूक का ट्रिगर दबाया जाता है।
बंदूक में एक फायर पिन और एक प्राइमर होता है, और प्राइमर खुद गन पाउडर से भरा होता है। फायर पिन प्राइमर से टकराती है, प्राइमर गन पाउडर को गर्म करती है और यह गर्म पाउडर दबाव बनाता है। यह दबाव गोली को बंदूक के बैरल से नीचे धकेलता है और फिर यह गोली या गोली बंदूक से निकलकर लक्ष्य की ओर जाती है। बंदूक बीसवीं सदी तक सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रमुख हथियार था। इस्तेमाल किए गए बारह बोर कारतूस 70 मिमी और 65 मिमी लंबाई के हैं।
रिवॉल्वर काम कैसे करता है :
रिवॉल्वर में बुल्लेट को चलाने के लिए कम्बशन की ज़रुरत होती है, ये कम्बशन एक दबाव (high-pressure gas) बनता है. इस की वजह से बुल्लेट आगे बढ़ता है.
रिवॉल्वर का बैरल कुछ इस तरह बना हुआ होता है के ये बुल्लेट को स्टेबल तरीके से आगे बढ़ने में मदत करता है.
रिवॉल्वर के प्रकार:
रिवॉल्वर के अलग अलग प्रकार होते है जिन्हे अलग अलग मौखों पर इस्तेमाल किया जाता है.
वाटर रिवॉल्वर :
- जब कभी कही ऐसा माहोल हो जाता है जहा बहुत सारे लोग जमा हो गये है और किसी चीज़ की मांग कर रहे है तो सरकार उन्हें बिना नुक्सान पहुंचाहए दूर भेजने के लिए वाटर रिवॉल्वर का इस्तेमाल करते है. न्यूज़ में इन्हे आप काफी बार देखा होगा.
- इसी तरह स्प्रे गन्स पेंटिंग करके के लिए, टीज़र गनस इलेक्ट्रिक शॉक देने के लिए इस्तेमाल करते है.
- आज टेक्नोलॉजी बढ़ने के बाद अलग अलग प्रकार के रिवॉल्वर हमारे बीच मौजूद है, जिसमे से मशीन रिवॉल्वर को बहुत पावरफुल माना जाता है. इस रिवॉल्वर को अक्सर देश की पुलिस और मिलिटरी इस्तेमाल करते है
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