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गठिया (आर्थराइटिस) के लिए योग

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गठिया के सबसे आम प्रकार को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहा जाता है। यह एक जोड़ों का रोग है जिसमें स्वस्थ उपास्थि जो जोड़ों में हड्डियों को कुशन करता है, धीरे धीरे ख़तम होने लगता है। इससे जोड़ों में कठोरता, दर्द, सूजन, रेंज ऑफ मोशन भी कम हो जाती है। योग दर्द प्रबंधन को बढ़ा सकता है, जिससे अंगों की कार्यकौशलता में सुधार होता है।

कैसे गठिया में लाभदायक है योग - 
सौभाग्य से, जीवन शैली में परिवर्तन — ख़ास तौर से योग को अपनाना — ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य तरह के गठिया या आर्थराइटिस के लक्षणों को सुधारने में मदद कर सकता है। यहाँ दिए गये योगासन आपके जोसों पे सौम्य हैं, लेकिन किसी भी नए व्यायाम आहार शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें। किसी योग गुरु के निर्देशन में यह या अन्य आसन करना बेहतर होगा क्योंकि वह आपकी शारीरिक क्षमता के अनुसार इन आसनों में परिवर्तन कर सकते हैं।

सुक्ष्म व्यायाम करेगा गठिया की ट्रीटमेंट में फायदा - 
सुक्ष्म व्यायाम कुछ आसान स्ट्रेचिंग एक्सर्साइज़ होती हैं जो हमें हर योग अभ्यास सेपहले करनी चाहियें। यह जोड़ों और मासपेशियों पर सौम्या होती हैं और इन्हे कोई भी बिना ज़्यादा परेशानी के कर सकता है। सुक्ष्म व्यायाम गठिया के रोगियों के लिए ख़ास तौर से लाभदायक होता है क्योंकि यह संपूर्ण शरीर का व्यायाम करवा देता है। सुक्ष्म व्यायाम 4-5 मिनिट के लिए करें और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: सुक्ष्म व्यायाम करने का तरीका और फायदे)

पर्श्वोत्तनासन है गठिया का इलाज - 
पर्श्वोत्तनासन आपके कूल्हों, कंधों, कलाईयों और बाज़ुओं के लिए अच्छा होता है। अगर आपको इनमें से किसी भी अंग में परेशानी हो तो इस आसन को ज़रूर करें। ध्यान रहे की शुरुआत में थोड़ी कम देर करें और अगर परेशानी ना बढ़े तो अवधि बढ़ा सकते हैं। पर्श्वोत्तनासन को 1-2 मिनिट के लिए करें, और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: पर्श्वोत्तनासन करने का तरीका और फायदे)

उत्तानासन है गठिया में लाभदायक - 
हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों के लिए अच्छा होता है। अगर आपको टाँगों या हिप्स में परेशानी हो तो इस आसन को ज़रूर करें। ध्यान रहे की शुरुआत में थोड़ी कम देर करें, ज़्यादा नीचे ना झुकें और अगर परेशानी ना बढ़े तो अवधि बढ़ा सकते हैं या ज़्यादा नीचे झुक सकते हैं। उत्तानासन को 1-2 मिनिट के लिए करें, और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: उत्तानासन करने का तरीका और फायदे)

वीरभद्रासन है गठिया में लाभदायक - 
जाँघ, पिंडली, टख़नों और कंधों के लिए लाभदायक होता है। अगर आपको टाँगों या कंधों में परेशानी हो तो इसका अभ्यास करें। ध्यान रहे की शुरुआत में ज़्यादा देर के लिए ना करें, टाँगों को ज़्यादा ना मोड़ें (ख़ास तौर से अगर घुटनों में दर्द हो) और अगर परेशानी ना बढ़े तो अवधि बढ़ा सकते हैं या ज़्यादा टाँगों को मोड़ सकते हैं। वीरभद्रासन को शुरुआत में सिर्फ़ 1-2 मिनिट के लिए ही करें। (और पढ़ें: वीरभद्रासन करने का तरीका और फायदे)

अर्ध मत्स्येन्द्रासन है गठिया के लिए फायदेमंद - 
रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों के जोड़ों के लिए अच्छा होता है। अगर आपको इनमें से किसी भी अंग में परेशानी हो तो इसका अभ्यास करें। ध्यान रहे की शुरुआत में थोड़ी देर के लिए ही करें, पीठ को ज़्यादा ना मोड़ें (ख़ास तौर से अगर पीठ में दर्द हो) और अगर परेशानी ना बढ़े तो अवधि बढ़ा सकते हैं या ज़्यादा टाँगों को मोड़ सकते हैं। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को शुरुआत में सिर्फ़ 1 मिनिट के लिए ही करें। (और पढ़ें: अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका और फायदे)

शवासन करेगा गठिया की ट्रीटमेंट में फायदा - 
शवासन में आपका शरीर सबसे अधिक आराम की स्तिथि में होता है। इस आसन को योगाभ्यास के अंत में ज़रूर। इस आसन को भी 5-10 मिनिट के लिए करें।

इन बातों का खास तौर से ध्यान रखें:
  • याद रहे की योगाभ्यास से आराम निरंतर अभ्यास करने के बाद ही मिलता है और धीरे धीरे मिलता है।
  • आसन से जोड़ों का दर्द बढे नहीं, इसके लिए अभ्यास के दौरान शरीर को सहारा देने वाली वस्तुओं, तकियों व अन्य उपकरणों की सहायता जैसे ज़रूरी समझें वैसे लें।
  • अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न दें। अगर दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत योगाभ्यास बंद कर दें और चिकित्सक से परामर्श करें।
  

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