अधिकतर महिलायें अपने योनि स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहती हैं। जिससे जुड़ी समस्यायें वो हर किसी से साझा नहीं कर पातीं। यद्यपि यह महिलाओं की आयु पर कुछ हद तक निर्भर करता है।
योनि का पीएच स्तर आम तौर पर अम्लीय होता है जिसमें लाभदायक बैक्टीरिया प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं जो संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं और स्वाभाविक रूप से स्नेहक (Lubricant) का काम भी करते हैं।
एक स्वस्थ योनि से कम मात्रा में डिस्चार्ज (Discharge) होता है। कुछ महिलाओं को इसके बारे में भी जानकारी नहीं होती है, जबकि कुछ को एक चम्मच या एक चमचे की मात्रा के बराबर डिस्चार्ज होता है। कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में महिला यौन चिकित्सा कार्यक्रम के निदेशक लि मिलहेसर कहते हैं - "डिस्चार्ज एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है जो मूल रूप से गर्भाशय ग्रीवा और योनि कोशिकाओं से स्रावित होता है।"
डॉ. मिलहेसर कहते हैं, "अगर महिलाओं को योनि से दुर्गन्ध आने का अनुभव होता है, तो उनके डिस्चार्ज का रंग बदल जाता है और श्रोणि या योनि में असुविधा भी होती है जैसे खुजली या जलन।"
अपनी योनि को स्वस्थ रखने के लिए निम्न नियमों का पालन करें:
योनि का पीएच स्तर बनाये रखें -
आम तौर पर योनि का पीएच लगभग 3.8 से 4.5 होता है लेकिन डूशिंग (douching) योनि के पीएच स्तर में अम्लता (acidity) को कम करती है और एक स्वस्थ योनि में बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ कर संक्रमण का कारण बन सकती है।
यदि आपकी योनि में अप्रिय गंध आती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। योनी पर या योनि के अंदर कठोर साबुन का उपयोग करने से बचें क्योंकि ये भी स्वस्थ योनि के पीएच संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं।
स्वस्थ योनि के लिए खायें स्वस्थ आहार -
संतुलित और पौष्टिक आहार के साथ पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने से योनि और प्रजनन दोनों स्वस्थ रहते हैं। वास्तव में कुछ खाद्य पदार्थ तो योनि स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में भी प्रभावी होते हैं।
दही संभावित रूप से यीस्ट संक्रमण से बचाव और उसके इलाज में मदद करता है। "दही प्रोबायोटिक्स (पेट के बैक्टीरिया का लाभकारी रूप) से भरपूर होता है। इसलिए जब भी कोई महिला यीस्ट संक्रमण से संक्रमित होती है तो प्रोबायोटिक्स लेने और नियमित रूप से दही खाने से संक्रमण में मदद मिलती है।
जुलाई 2012 में आंतरिक चिकित्सा अनुसंधान अभिलेखागार में प्रकाशित जर्नल के अनुसार, यदि आपको मूत्र पथ संक्रमण की संभावना है तो नियमित रूप से क्रैनबेरी (लाल रंग की खट्टी बेरी) का सेवन लाभदायक होगा।
हानिकारक बैक्टीरिया को दूर रखने के लिए बनायें सुरक्षित यौन सम्बन्ध -
पुरुष या महिला दोनों में से किसी के द्वारा भी, सेक्स के दौरान कंडोम का उपयोग करने से यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) जैसे एचआईवी, जननांग दाद (Genital herpes), सिफलिस (syphilis), गोनोरिया (Gonorrhea), जननांग मस्से (Genital warts) और क्लैमाइडिया (Chlamydia) आदि से बचाव में मदद मिलती है। इनमें से कुछ जैसे एचआईवी और जननांग दाद का कोई इलाज नहीं है और अन्य जैसे ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी), जननांग मस्सों का कारण बनता है जिसके कारण कैंसर भी हो सकता है।
योनि स्वास्थ्य के लिए करायें स्त्रीरोग परीक्षण -
योनि स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से स्त्री रोग परीक्षण करवाती रहें I अमेरिकन कॉंग्रेस के ऑब्स्टेट्रिकियन और स्त्रीरोग विशेषज्ञ के अनुसार, 21 वर्ष की उम्र में महिलाओं की पहली स्त्रीरोग जांच होनी चाहिए। और इसी उम्र में महिलाओं को योनि कोशिकाओं में परिवर्तन की जांच स्वरुप, पैप स्मीयर परीक्षण कराने से कैंसर की मौजूदगी का पता चल सकता है। स्त्रीरोग विशेषज्ञ और कई चिकित्सकों को योनि और प्रजनन प्रणाली से सम्बंधित बीमारियों और विकारों का पता लगाने के लिए ही प्रशिक्षित किया जाता है।
समय पर संक्रमण का करें इलाज -
योनि संक्रमण तीन प्रकार के होते हैं: यीस्ट संक्रमण, बैक्टीरियल वेजिनोसिस, और ट्राइकोमोनीसिस। यदि आप यीस्ट संक्रमण से ग्रस्त हैं और आप लक्षणों को पहचानने में समर्थ हैं तो उससे निजात पाने के लिए उचित दवा का सेवन करें। लेकिन अगर लक्षण दूर नहीं हो रहे हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
जबकि योनि में यीस्ट संक्रमण एक प्रकार का फंगल संक्रमण है और बैक्टीरियल वेजिनोसिस, योनि में बैक्टीरिया की अतिवृद्धि के कारण होता है। ट्राइकोमोनीसिस परजीवी के कारण होने वाला संक्रमण है जो यौन संचारित भी होता है। इन संक्रमणों का इलाज करना जरुरी है क्योंकि इनका इलाज न करने से अप्रिय, दर्दनाक और गंभीर प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
पेट्रोलियम जेली को स्नेहक की तरह उपयोग न करें -
स्नेहन, संभोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना लेबिया (Labia) और योनि की त्वचा में असुविधा महसूस हो सकती है। महिलाओं में आमतौर पर कामोत्तेजना के दौरान स्वाभाविक रूप से योनि स्नेहन का उत्पादन होता है लेकिन कुछ महिलाओं में पर्याप्त प्राकृतिक स्नेहक पैदा नहीं होता। इस स्थिति में उन्हें कृत्रिम स्नेहक का उपयोग करना चाहिए।
यदि आप गर्भवती होना चाह रही हैं तो कुछ स्नेहक शुक्राणुओं की गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं और गर्भ धारण में बाधा डाल सकते हैं। यदि आप गर्भवती नहीं होना चाह रही हैं तो आवश्यकतानुसार, पानी आधारित (water based), सिलिकॉन आधारित (silicone based) और तेल आधारित (oil based) स्नेहक का उपयोग कर सकती हैं। मिलहेसर कहते हैं, "यदि आपको कम स्नेहक की आवश्यकता है, तो पानी आधारित, अगर योनि में अधिक शुष्कता अनुभव होती है तो सिलिकॉन आधारित या तेल आधारित स्नेहक का उपयोग करें।
यदि आप सुरक्षा के लिए कंडोम का उपयोग कर रही हैं, तो तेल आधारित स्नेहक का उपयोग न करें। ये कंडोम में लेटेक्स (latex) के टूटने का कारण बन सकते हैं। मिलहेसर ने ये चेतावनी भी दी है कि "अपनी योनि में कभी पेट्रोलियम जेली या बच्चों के तेल (Baby oil) का उपयोग न करें क्योंकि यह सूजन का कारण बनता है और संक्रमण उत्पन्न कर सकता है।"
ड्राई रहने के लिए करें सूती अंडरवियर का उपयोग -
योनि को साफ और सूखा रखना चाहिए और आप जो भी पहनती हैं उससे योनि पर प्रभाव पड़ता है। टाइट कपड़े योनि को गर्म और नम बनाते हैं जिसमें यीस्ट का विकास होता है। उचित फिटिंग और कॉटन के अंडरवियर का चयन करें। यदि आप यीस्ट संक्रमण से ग्रस्त हैं तो गीले स्विमिंग सूट और पसीने से भीगे कसरत वाले कपड़ों को तुरंत बदलने की आदत डालें।
डॉ. मिलहेसर के अनुसार, "यदि आप दिन में अत्यधिक डिस्चार्ज और नमी महसूस करती हैं, तो जब आप काम पर या स्कूल जाती हैं, अपने साथ दो जोड़ी अंडरवियर लेकर जायें और आवश्यकता पड़ने पर बदल लें। इससे आपको आरामदायक महसूस करने और संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी।"
स्वच्छ योनि के लिए स्वयं भी स्वच्छ रहें -
मलत्याग के बाद बैक्टीरियल संक्रमण से बचने के लिए आगे और पीछे अच्छी तरह से सफाई करें। इससे मूत्राशय के संक्रमण का खतरा कम होता है। मासिक धर्म के दौरान नियमित रूप से सैनिटरी पैड और टेम्पॉन बदलें। सामान्य योनि स्राव को अवशोषित करने के लिए आप पैंटी लाइनर्स (सेनेटरी पैड्स जैसे लेकिन पैड्स की तुलना में काफी पतले होते हैं) का उपयोग भी कर सकती हैं। लेकिन ध्यान रखिये कि हर समय इसे उपयोग करने से योनि में जलन का अनुभव भी हो सकता है।
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