राजा गिफ़ाड एक शांतिपूर्ण और शक्तिशाली राज्य पर शासन करते थे। उनकी प्रजा उन्हें पूजती थी और पूरी तरह उनपर विश्वास करती थी। साम्राज्य बहुत सुखी था।
राजा का एक युवा पुत्र राजकुमार जोनाश था। बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और खूबसूरत युवक जोनाश कुछ दिनों से गहरी अप्रसन्नता की स्थिति में था। अनेक प्रयासों के बाद भी राजा समझ नहीं पा रहा था कि उसका पुत्र हर समय इतना दुखी क्यों रहता है। राजकुमार अकसर अपने कमरे कीखिड़की के पास बैठकर शून्य दृष्टि से खिड़की से बाहर देखता रहता। उसे अपने आस-पास घट रही घटनाओं में कोई दिलचस्पी नहीं थी। भव्य समारोहों और शाही उत्सवों में भी वह अप्रभावित-सा रहता।
राजा गिफ़ाड बहुत दिनों तक यह सहन नहीं कर पाए और उन्होंने अपने पुत्र से यह पूछने का निर्णय किया कि कौन-सी बात उसे परेशान कर रही है।
“जोनाश, कौन-सी बात तुम्हें इतना खाए जा रही है? तुम्हारे पास किस चीज़ की कमी है? कौन-सी चीज़ तुम्हें इतना परेशान कर रही है? कुछ समय से तुम खुश नहीं हो! मुझे बताओ, मैं तुम्हारी मदद करने की कोशिश करूँगा।”
युवा राजकुमार ने बस कंधे उचका दिए।
“क्या किसी हसीना ने तुम्हें सम्मोहित कर लिया है? महल में भटकने की बजाय उसके लिए अपना प्रेम प्रदर्शत करने के इससे बेहतर तरीके हैं।'
“नहीं पिता जी, यह लड़की की बात नहीं है। सच में मैं नहीं जानता कि मैं इतना दुखी क्यों हूँ। मैं किसी चीज़ में खुशी महसूस नहीं करता। मैं खुश रहना चाहता हूँ, लेकिन नहीं जानता कि ऐसा कैसे करूँ।”
राजा को यह बात समझ नहीं आई, परंतु उसे यकीन था कि यदि राजकुमार ऐसे ही दुखी रहा, तो वह जीवित नहीं रह पाएगा। राजा ने महसूस किया कि अब राजकुमार जोनाश को चिकित्सा की ज़रूरत है। उसने अपने बेहतरीन चिकित्सकों, ज्योतिषियों और विद्वानों के लिए एक फ़रमान जारी किया कि वे बैठकर यह तय करें कि इस स्थिति में क्या किया जाना चाहिए।
लगातार तीन दिनों के विचार-विमर्श के बाद ज्योतिषियों ने आखिरकार एक हल निकाला।
मुख्य ज्योतिषी जांकलो ने कहा, “महाराज, हमने इस मुद्दे पर काफ़ी विचार किया है। अपने राजकुमार को सहायता करने के लिए, हमें एक ऐसा व्यक्ति खोजना होगा जो पूरी तरह सुखी हो; जो जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हो।”
राजा थोड़ा चौंके, “मुझे एक संतुष्ट और सुखी व्यक्ति ढूँढ़ना होगा!”
“हाँ महाराज, और जब आप उस सुखी व्यवित को ढूँढ़ लें, आपको उसकी कमीज अपने बेटे के लिए खरीदनी होगी। इसके बाद सब ठीक हो जाएगा।''
राजा ने इसपर विचार किया और अंततः इसके लिए तैयार हो गया। उसने पूरे राज्य में इश्तिहार लगवा दिए कि जो भी एक पूर्णत: सुखी व्यक्ति के बारे में बताएगा, उसे बड़ा इनाम मिलेगा। उसने घोषणा की और अपने संदेशवाहकों को दूर-दूर तक ऐसे व्यक्ति की तलाश में भेजा, जिसकी कमीज़ उसके पुत्र को फिर से जीवंत बना सके। जल्दी ही लोगों ने राजा से मिलने के लिए भीड़ लगाना शुरू कर दिया।
राजा के सामने पेश किया जानेवाला पहला व्यक्ति एक पुजारी था।
“क्या आप सुखी हैं?” पुजारी के लिए राजा का प्रश्न सरल और प्रासंगिक था।
“हाँ महाराज, मैं बहुत सुखी हूँ।'”
“ठीक है, तो आप क्या शाही पुजारी बनना चाहेंगे?'' राजा ने पूछा।
यह सुनकर पुजारी का चेहरा चमक उठा।
“बिलकुल महाराज, आपकी सेवा करने से अधिक प्रसन्नता की बात कुछ नहीं हो सकती।'' राजा को क्रोध आ गया। वह गुस्से से चिल्लाया, “इससे पहले कि मैं तुम्हें जेल में डलवा दूँ, निकल जाओ मेरे महल से! तुम झूठे हो। तुम पूरी तरह संतुष्ट या सुखी नहीं हो। तुममें और अधिक पाने की इच्छा शेष है। मेरे किले से निकल जाओ!”
तलाश जारी रही, किंतु ऐसा कोई नहीं मिला। दो सप्ताह बाद, एक पड़ोसी राजा के बारे में सूचना मिली, जिसे असाधारण रूप से सुखी व्यक्ति माना जाता था। उसकी एक खूबसूरत रानी और कई राजकुमार थे। उसका कोई शत्रु नहीं था और उसका राज्य शांतिपूर्ण और शक्तिशाली था। राजा ने यह सोचकर कि शायद अब उसको प्रार्थनाओं का फल मिले, अपना दूत उसके पास भेजा।
उस राजा ने दूत को बताया, “यह सच है कि मेरे पास वह सबकुछ है, जो मैं इच्छा कर सकता हूँ। मेरी एकमात्र चिंता यह है कि मैं जल्दी ही मृत्यु को प्राप्त हो जाऊँगा और यह सब खो दूँगा। यह बात मुझे इतनी चिंतित करती है कि यह मुझे रातों को जगाए रखती है।”
यह सुनते ही दूत को लग गया कि इस राजा की कमीज़ ले जाने का कोई लाभ नहीं है।
दूत से उस राजा का सच जान राजा गिफ़ाड बहुत निराश और परेशान हुआ। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे! उसका पुत्र दुख की प्रतिमूर्ति था और राजा उसके लिए कुछ नहीं कर सकता था, जब तक कि उसे वह कमीज़ नहीं मिलती।
अपना दिमाग शांत करने के लिए, राजा ने शिकार पर जाने का फ़ैसला किया। मैदान में, उसने कुछ मीटर दूर एक खरगोश पर तीर चलाया। तीर, चौंके हुए खरगोश को केवल स्पर्श करके निकल गया और वह जंगल में भाग गया। खरगोश का पीछा करते-करते राजा अपने दल से अलग भटक गया। कुछ मिनटों बाद उसने खरगोश का पीछा करने का इरादा छोड़ दिया और अन्य लोगों के पास लौटने का फ़ैसला किया, लेकिन रास्ते में किसी चीज़ ने उसे रोक लिया। उसकी बाईं ओर से एक अजीब-सी आवाज़ आ रही थी। जब वह आवाज़ के पास पहुँचा, तो राजा को पता चला कि कोई सीटी बजा रहा था।
उसके सामने सरकंडों के बीच एक खूबसूरत युवक लेटा हुआ था। वह युवक पीठ के बल लेटा हुआ आसमान में तैरते बादलों को निहार रहा था।
“हे युवक! सुनो, क्या तुम देश के राजा के व्यक्तिगत सलाहकार के पद पर नियुक्त होना चाहोगे ?” राजा ने पूछा।
“मैं...! सलाहकार!” युवक आराम की मुद्रा में बैठकर अपनी ठुड्डी खुजाने लगा, “वह तो बहुत परेशानीवाला पद है। मेरी उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं जैसा हूँ, अच्छा हूँ।'!
राजा का चेहरा खुशी से चमकने लगा। उसने स्वीकारा, “तुम ही वह सुखी व्यक्ति हो। ईश्वर का शुक्र है कि आखिरकार एक पूरी तरह खुश व्यक्ति मिला! जल्दी से खड़े हो जाओ, युवक!”
राजा उस युवक को अपने सेवकों के पास ले गया, “मेरा पुत्र अब बच जाएगा! अब भी मेरे बेटे के लिए उम्मीद बची है!” वह युवक की ओर मुड़ा और गर्मजोशी से कहा, “तुम मुझसे कुछ भी माँग सकते हो युवक, परंतु मुझे भी तुमसे कुछ चाहिए।''
युवक ने विचित्र निगाहों से राजा की ओर देखा, “आपको मुझसे जो भी चाहिए, आप ले लीजिए, महाराज!"
“मेरा पुत्र जोनाश मर रहा है और सिर्फ़ तुम ही उसे बचा सकते हो। यदि मैं तुम्हारी कमीज़ उसे पहना दूँ, तो वह बच जाएगा। तुम थोड़ा मेरे समीप आओ।”
राजा ने मुसकराते हुए युवक के कंधे थपथपाए और उसकी कमीज़ के बटन खोलने के लिए हाथ आगे बढ़ाए, फिर अचानक रुक गया। उसके हाथ नीचे आ गए।
सुखी व्यक्ति ने कमीज़ ही नहीं पहनी हुई थी।
राजा को अहसास हो गया कि असली खुशी किसी और से खरीदी नहीं जा सकती। अपने सामने खड़े युवक को, जिसका जीवन उसके पुत्र के जीवन से बहुत अलग था, देखते हुए राजा ने महसूस किया कि असली संतोष और खुशी अंदर से आती है और उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है कि हमारे पास कितना धन है।
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