भारतीय चंदन (Santalum album) का संसार में सर्वोच्च स्थान है। इसका आर्थिक महत्व भी है। यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है तथा भारत के अन्य भागों में भी कहीं-कहीं पाया जाता है। भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं।
इस पेड़ की ऊँचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है। यह परोपजीवी पेड़, सैंटेलेसी कुल का सैंटेलम ऐल्बम लिन्न (Santalum album linn.) है। वृक्ष की आयुवृद्धि के साथ ही साथ उसके तनों और जड़ों की लकड़ी में सौगंधिक तेल का अंश भी बढ़ने लगता है। इसकी पूर्ण परिपक्वता में 8 से लेकर 12वर्ष तक का समय लगता है। इसके लिये ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकली मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी. तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
तने की नरम लकड़ी तथा जड़ को जड़, कुंदा, बुरादा, तथा छिलका और छीलन में विभक्त करके बेचा जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, तथा साजसज्जा के सामान बनाने में और अन्य उत्पादनों का अगरबत्ती, हवन सामग्री, तथा सौगंधिक तेज के निर्माण में होता है। आसवन द्वारा सुगंधित तेल निकाला जाता है। प्रत्येक वर्ष लगभग 3,000 मीट्रिक टन चंदन की लकड़ी से तेल निकाला जाता है। एक मीट्रिक टन लकड़ी से 47 से लेकर 50 किलोग्राम तक चंदन का तेल प्राप्त होता है। रसायनज्ञ इस तेल के सुगंधित तत्व को सांश्लेषिक रीति से प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
चंदन के प्रसारण में पक्षी भी सहायक हैं। बीजों के द्वारा रोपकर भी इसे उगाया जा रहा है। सैंडल स्पाइक नामक रहस्यपूर्ण और संक्रामक वानस्पतिक रोग इस वृक्ष का शत्रु है। इससे संक्रमित होने पर पत्तियाँ ऐंठकर छोटी हो जाती हैं और वृक्ष विकृत हो जाता है। इस रोग की रोकथाम के सभी प्रयत्न विफल हुए हैं।
पूरे विश्व में चन्दन की 16 प्रजातियाँ है . जिसमें सेंत्लम एल्बम प्रजातियाँ सबसे सुगन्धित तथा औषधीय युक्त है . इसके अलवा सफ़ेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडालो प्रजाति की चन्दन पायी जाती है .
चन्दन की खेती के लिए कैसी मिट्टी की जरुरत है ?
इसकी खेती सभी तरह की मिटटी में हो सकता है लेकिन रेतीली मिटटी, चकनी मिटटी, लाल मिटटी , काली दानेदार मिट्टी चन्दन के पौधे की लिए ज्यादा उपयुक्त है . चन्दन की खेती वैसे जगह पर नहीं करे जहाँ पर पानी का जमाव होता है , बर्फ गिरती है, रेत भरी मिटटी है इसके अलवा तीव्र ठंड चन्दन के लिए उपयुक्त नहीं है . इसकी खेती काश्मीर के लाद्दक तथा राजस्थान के जैसलमेर में नहीं किया जा सकता है . बाकि पूरे देश में चन्दन की खेती की जा सकती है .
चन्दन की खेती कैसे करें ?
खेती के लिए मिट्टी के साथ पौधे का चुनाव करना महत्वपूर्ण रहता है . सफ़ेद चन्दन की 375 पौधे एक एकड़ खेत में लगाया जा सकता है . चन्दन की पौधों में ज्यादा पानी नहीं लगना चाहिए इसके लिए खेत में मेड बनाकर रोपाई करना चाहिए . इसके लिए मेड से मेड की दूरी 10 फुट होना चाहिए तथा मेड के ऊपर पौधे से पौधे की दूरी 12 फुट की होनी चाहिए .
पौधे कैसे लगायें -
चन्दन की पेड़ अकेले नही लगाया जा सकता है अगर अकेले चन्दन का पेड़ लगाया गया तो यह सुख जायेगा . इसका कारण यह है की चन्दन अर्धपरजीवी पौधा है . मतलब आधा जीवन के लिए जरूरत खुद पूरा करता है तो आधे जरूरत के लिए दुसरे पौधे की जड़ों पर निर्भर रहता है इसलिए जब भी चन्दन की पेड़ लगाएं तो उसके साथ और भी पेड़ लगाएं . एक बात का ख्याल रखना होगा की चन्दन के कुछ खास पौधे उसके साथ है जिसे लगाने पर ही चन्दन का विकास सम्भव है . जैसे – नीम, मीठी नीम, सहजन, लाल चंदा इत्यादी .
जैसा की पहले बताया जा चूका है की चन्दन की पौधे अकेले जीवित नही रह सकता है . इसके लिए दूसरे पेड़ का होना जरुरी है . इसलिए एक एकड़ में 375 सफ़ेद चन्दन के पौधे लगाने के साथ ही 1125 चन्दन की होस्ट (साथी) पौधे को लगाना होगा . इसके लिए यह जानना जरुरी है की चन्दन की पौधे के साथ कौन – कौन से पौधे लगाना होगा यानि चन्दन की कौन – कौन सी पौधे साथी है .
एक एकड़ में चन्दन की पौधे के साथ उसके साथी पौधे को बोना चाहिए .
- प्राथमिक साथी – 375
- लाल चन्दन – 125
- कैजुराइना – 125
- देसी नीम – 125
- सेकेंडरी होस्ट – 750
- मीठी नीम – 375
- सहजन – 375
जलवायु-
चन्दन की खेती के लिए जिस क्षेत्रों का जलवायु मध्यम वर्षा, भरपूर मात्रा में धूप और शुष्क मौसम की लंबी अवधि वाले है उसे अच्छा माना गया है. जलवायु परिवर्तन के कारण निमाड़ का मौसम इसकी खेती के लिए उचित होता है . इसके पौधे के विकास के लिए एकदम सही तापमान 12° c to 30°c के बीच होता है . इसकी खेती के लिए ५०० से ६२५ मिमी.वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है.
खाद प्रबंधन -
चन्दन की खेती के लिए जैविक खाद (उर्वरक) की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. शुरू में फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है. लाल मिट्टी के 2 भाग, खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है . (गाद) भी पौधों के लिए बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है.
सिंचाई प्रबंधन-
बरसात के समय तो चन्दन के पेड़ का काफी तेजी से विकास होता है लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी सिंचाई अधिक करनी होती है. सिंचाई मिट्टी में नमी सोख लेना करने की क्षमता तथा मौसम पर निर्भर करता है. शुरुआत में बरसात के बाद दिसंबर से मई तक सिंचाई करते रहना चाहिए . रोपण के बाद जब तक बीज का 6 से 7 सप्ताह में अंकुरण शुरू ना हो जाये तब तक सिचाईं को रोकना नहीं चाहिए. चन्दन की खेती में पौधों के विकास के लिए मिट्टी का हमेशा नम और जल भराव होना जरुरी होता है . अंकुरित होने के बाद केवल एक छोड़कर दिन पर हीं सिंचाई करे .
खरपतवार -
चन्दन की खेती करते समय, चंदन के पौधे की पहले साल में सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है .पहले साल में पौधों के इर्द-गिर्द की काफी कर के खरपतवार को हटा देना चाहिए । यदि आवश्यक हो तो दूसरे वर्ष में भी साफ सफाई कर देना उचित रहता है . किसी भी तरह का पर्वतारोही या जंगली छोटा कोमल पौधा के चारों ओर हो तो कटौती कर के उन्हें हटा दें.
कीट व रोग नियंत्रण-
सैंडल स्पाइक- नाम का एक रोग है जो की चन्दन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन कहलाता है. इस रोग के लगने से चन्दन के पेड़ सभी पत्ते ऐंठा कर छोटे हो जाते हैं साथ हीं पेड़ टेढ़े मेढ़े हो जाते है . अब तक इस रोग के बचाव के लिए सभी प्रयत्न विफल साबित हुए हैं. अभी तक इसका कोई इलाज नहीं इजाद हुआ है, पर मेरा मानना है की प्रकर्ति में ही सब कुछ उपाय और उसका इलाज उपलब्ध है.
जब भी आप चंदन के पेड़ लगाये, उसके 5 से 7 फिट की दूरी पर एक नीम का पौधा लगा दे ताकि कई तरह के किट-पतंग से चंदन के पेड़ की सुरक्षा हो सके . कोशिश करे की हर 3 चंदन के पेड़ के बाद एक नीम का पौदा जरुर लगा दे, और खर पतवार को पौधे के आस पास नहीं जमा होने दें .
फसल की कटाई -
चंदन के पेड़ की जड़े भी बहुत ख़ुशबूदार होते है इसलिए इसके पेड़ को काटने के बजाय जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है . पौधे को रोपने के 5 साल बाद से चन्दन के रसदार लकड़ी बनना शुरू हो जाते है . चंदन के पेड़ को काटने के बाद उसकी लकड़ी मे से दो भाग निकलते है एक जिसे रसदार लकड़ी कहा जाता है और दूसरा सूखी लकड़ी . दोनो ही लकड़ियों का मूल्य अलग – अलग होता है. चन्दन के पेड़ जब 14 से 15 वर्ष पुराना हो जाते है तब जा कर इसके पेड़ से लकड़ी प्राप्त की जाती है . पेड़ को जड़ सहित उखाड़ लेने के बाद इसे टुकड़े में काट कर इससे Hart wood को अलग कर लिया जाता है .
खेती के लिए पौधे कहाँ से खरीदें ?
चन्दन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं | इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक संस्थान (institute of wood science & technology) बेंगलोर में है . यहाँ से आप चन्दन की पौधे प्राप्त कर सकते हैं .
इसका पता है -
Tree improvement and genetics division institute of wood science and technology
o.p. malleshwaram
bangalore – 506003 (india)
E-mail – tip_iwst@icfre.org
tel no. – 00 91-80 – 22-190155
fax number – 0091-80-23340529
इसके अलवा उत्तर प्रदेश में भी एक नर्सरी है जहाँ से इसकी जानकारी तथा पौधे प्राप्त कर सकते हैं . जो albsan aegrofrestry प्राईवेट लिमटेड के नाम से है .
इनका मोबाईल नंबर – 8429102442 , 7233920101 है .
चन्दन की खेती से जुड़े कुछ अफवाह के बारे में जानना जरुरी है .
इसकी खेती करने वाले किसानों में एक भ्रांतियां रहती है की इसकी खेती करने के लिए सरकार से लाईसेंस लेने की जरुरत पड़ती है . किसान समाधान आप सभी किसान को आश्वस्त करना चाहता है की चन्दन की खेती के लिए किसी भी तरह का कोई लाईसेंस लेने की जरूरत नहीं है . केवल पेड़ की कटाई के समय राज्य वन विभग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होगा जो आसानी से मिल जाता है और यह सभी तरह के पौधे में काटने से पहले लेना होता है .
चन्दन के पौधे में सांप लिप्त रहता है – एसा कुछ भी नही है जो कहावत है उसका मतलब यह होता है की चन्दन की पेड़ से सांप लिपटने के बाबजूद भी पेड़ में बिष नहीं जाता है यानि चन्दन अपना गुण नहीं छोड़ता है . इसलिए जो ईच्छुक किसान है वह चन्दन की खेती करें तथा अधिक से अधिक मुनाफा कमायें .
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