‘फाइलेरिया’ नामक बीमारी पर आधारित है। इस लेख को पढ़ने वाले कुछ पाठकों को शायद इसके बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी हो। वहीं हो सकता है कि कुछ लोग इस बीमारी का बस नाम मात्र ही जानते हों। इसलिए, इस लेख में वैज्ञानिक प्रमाण सहित ‘फाइलेरिया’ रोग के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश की गई है। लेख के जरिए आप जान पाएंगे कि फाइलेरिया के कारण क्या हैं और इसके लक्षण क्या हैं। साथ ही इस लेख में फाइलेरिया रोग का उपचार किस प्रकार किया जा सकता है, इस संबंध में भी जानकारी दी गई है।
फाइलेरिया क्या है? –
फाइलेरिया एक पैरासाइट डिजीज है। यह बीमारी निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के कारण होती है। ये परजीवी मच्छरों की कुछ प्रजातियों (Wuchereria Bancrofti or Rugia Malayi) और खून चूसने वाले कीटों के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इस बीमारी को फाइलेरिया (Filaria) या फिलेराइसिस (Filariasis) भी कहा जाता है आगे लेख में इस बीमारी के प्रकार, इसके कारण और इससे संबंधित उपचार के विषय में जानकारी दी गई है।
फाइलेरिया के प्रकार –
फाइलेरिया तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं :
लिम्फेटिक फाइलेरिया (Lymphatic filariasis) : यह फाइलेरिया का सबसे आम प्रकार है, जो वुकेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria bancrofti), ब्रुगिया मलाई (Brugia malayi) और ब्रुगिया टीमोरि (Brugia Timori) नामक परजीवियों की वजह से होता है। ये कीड़े लिम्फ नोड्स सहित लसीका प्रणाली (Lymphatic System यानी सर्कुलेटरी सिस्टम का एक अंग) को प्रभावित करते हैं। लिम्फेटिक फाइलेरिया को एलीफेनटायसिस (Elephantiasis) भी कहा जाता है
सबक्यूटेनियस फायलेरियासिस (Subcutaneous filariasis) : यह लोआ लोआ (आई वॉर्म), मैनसनैला स्ट्रेप्टोसेरका और ओन्कोसेरका वॉल्वुलस (Onchocerca Volvulus) नामक परजीवियों के कारण हो सकता है। यह त्वचा की निचली परत को प्रभावित करता है
सीरस कैविटी फाइलेरिया (Serous Cavity Filariasis) : यह भी फाइलेरिया के प्रकार की श्रेणी में आता है (4)।
नोट : ऊपर बताए गए फाइलेरिया के दो प्रकार (सबक्यूटेनियस और सीरस कैविटी फाइलेरिया) दुर्लभ हैं। इनके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। वहीं, लिम्फेटिक फाइलेरिया सबसे आम प्रकार है। इसलिए, आर्टिकल में लिम्फेटिक फाइलेरिया के बारे में विस्तार से बताया गया है।
फाइलेरिया के कारण –
फाइलेरिया का इलाज तब और आसान हो सकता है, जब इसके कारण के बारे में पता लग जाए। अगर फाइलेरिया के कारण की बात की जाए, तो इस बारे में लेख के शुरुआत में बताया गया है कि यह निमेटोड परजीवियों के कारण होता है। ये परजीवी मच्छरों व अन्य रक्त पीने वाले कीटों के जरिए एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में दाखिल हो सकते हैं। नीचे हम उन अन्य कीड़ों के नाम बता रहे हैं, जो फाइलेरिया का कारण बन सकते हैं
- बैन्क्रॉफ्टी
- ब्रुगिया मलाई
- ब्रुगिया टीमोरि
- मैनसोनेल्ला
- ओन्कोसेरका वॉल्वुलस
अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि फाइलेरिया का पता कैसे चलता है। लेख के इस भाग में हम फाइलेरिया के लक्षण के बारे में ही बता रहे हैं।
फाइलेरिया के लक्षण –
फाइलेरिया के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
- बार-बार बुखार आना
- अंगों, जननांगों और स्तनों में सूजन
- हाइड्रोसील (Hydrocele – अंडकोष में होने वाली सूजन)
- त्वचा का एक्सफोलिएट होना
- हाथों और पैरों में सूजन
नोट : हालांकि, फाइलेरिया के लक्षण इसके प्रकार के हिसाब से बदल भी सकते हैं। इतना ही नहीं, हो सकता है कि कुछ व्यक्तियों में इसके लक्षण न भी दिखें।
फाइलेरिया के जोखिम कारक –
नीचे जानिए फाइलेरिया के जोखिम कारक। ये जोखिम कारक सीडीसी (Centers For Disease Control And Prevention) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च आर्टिकल से लिए गए हैं
- लंबे वक्त से उष्णकटिबंधीय (Tropical) या उपोष्णकटिबन्ध (Sub-Tropical) क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को यह होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
- जो लोग इन जगहों की यात्रा करते हैं, लेकिन उनमें यह जोखिम कम रहता है।
- अब बारी आती है फाइलेरिया का इलाज जानने की। लेख के इस भाग में इससे संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश की गई है।
फाइलेरिया का इलाज –
नीचे पढ़ें फाइलेरिया का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है :
एंटीपैरासिटिक उपचार (Antiparasitic Treatment) : जैसा कि आर्टिकल में ऊपर बताया गया है कि निमेटोड कीड़े फाइलेरिया का कारण बनते हैं। ऐसे में इन्हें खत्म करने के लिए एंटी पैरासिटिक उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इसमें डॉक्टर मरीज को नीचे बताई गई दवाइयां दे सकते हैं
- एल्बेंडाजोल (Albendazole)
- आइवरमेक्टिन (Ivermectin)
- डॉक्सीसायक्लिन (Doxycycline)
- डायथिलकारबामैजिन साइट्रेट (DEC-डीईसी)
नोट : ध्यान रहे कि ये दवाइयां डॉक्टर के कहे अनुसार ही लें। इन्हें बिना डॉक्टरी परामर्श के उपयोग न करें। हो सकता है कि डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार इन दवाइयों में बदलाव भी करें।
सर्जरी : कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है और गंभीर रूप ले चुकी है, तो इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं। सर्जरी से काफी हद तक सुधार हो सकता है लेकिन सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा भी हो सकता है। इसलिए, बेहतर है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
फाइलेरिया का उपचार के साथ उचित आहार लेना भी जरूरी है। नीचे फाइलेरिया में आहार से संबंधित जानकारी देने की कोशिश की गई है।
फाइलेरिया आहार –
फाइलेरिया रोग का उपचार असरदार हो, इसके लिए सही आहार लेना भी जरूरी है। इसलिए, नीचे हम फाइलेरिया में आहार के सेवन की जानकारी दे रहे हैं।
- प्रोटीन युक्त आहार लें
- ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें।
नोट : इसके अलावा, आहार से संबंधित सटीक जानकारी मरीज को डॉक्टर से मिल सकती है। जैसा कि हमने ऊपर पहले ही बताया है कि फाइलेरिया के कई प्रकार हैं। ऐसे में डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए उन्हें आहार के बारे में जानकारी देते हैं।
फाइलेरिया से बचने के उपाय –
कई बार जानकारी के अभाव में व्यक्ति बीमारी से अपना बचाव नहीं कर पाता। ऐसे में लेख के इस भाग में हम हाथी पांव से बचाव के कुछ टिप्स पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं
- जैसा कि लेख में हमने ऊपर बताया है कि मच्छर और खून चूसने वाले कीट फाइलेरिया को फैलाने का काम कर सकते हैं। इसलिए, जितना हो सकते स्वयं को इनसे दूर रखें।
- शाम के वक्त बाहर या घर में पूरे कपड़े पहनें।
- सोने से पहले मच्छरदानी लगाएं।
- घर में मच्छर भगाने वाली लिक्विड दवाओं का उपयोग करें।
- बीच-बीच में बॉडी चेकअप के लिए भी डॉक्टर के पास जरूर जाएं।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख से आपको फाइलेरिया के कारण, लक्षण और अन्य जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर वक्त रहते इसके बारे में पता लग जाए, तो फाइलेरिया रोग का उपचार संभव है। साथ ही बेहतर है कि जितना हो सके फाइलेरिया से बचाव के लिए सावधानियां बरतें। परिवार में या किसी जान-पहचान के व्यक्ति में फाइलेरिया के लक्षण दिखें, तो उन्हें तुरंत डॉक्टरी उपचार की सलाह दें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा इस लेख को अन्य लोगों तक पहुंचाकर इस समस्या संबंधी जागरूकता को बढ़ाएं। इसके अलावा, इस लेख से जुड़ी अन्य जानकारी और सुझाव के लिए आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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