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सुद्युम्न को हर माह माता पार्वती के कारण बदलना होता था अपना जेंडर

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ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वतमनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध।

जैसा कि ऊपर लिखा गया है कि इल सबसे बड़ा था लेकिन इसका लड़का नहीं लड़की के रूप में जन्म हुआ था। कैसे? दरअसल, वैवस्वत मनु को कोई संतान नहीं हो ही थी तो उन्होंने गुरु वशिष्ठ के कहने पर पुत्र की कामने से यज्ञ कराया। लेकिन उनकी पत्नी श्रद्धा चाहती थी कि पहलेपूल लड़की ही हो। ऐसा कहते हैं कि तब उन्होंने पुरोहित से यज्ञ के समय कान में कहा कि लड़की के हेतु ही आहुति डालें। पुरोहित ने श्रद्धा की बात मान ली और बाद में एक बिटिया का जन्म हुआ जिसका नाम इला रखा गया।

यह देखकर वैवस्वत मनु प्रसन्न नहीं हुए और उन्होंने गुरु वशिष्ठ से कहा कि लड़के का संकल्प करने के बाद भी लड़की कैसे हो गई इसका आप उत्तर दें गुरुवर। गुरुवर ने सारा माजरा वैवस्वत मनु को समझा दिया। उन्होंने कहा कि पुरोहित ने लड़की का संकल्प पढ़ा इसलिए ऐसा हुआ। लेकिन चूंकि मैंने लड़का होने का आशीर्वाद दिया है तो मैं तुम्हारी लड़की को लड़का बना दूंगा। गुरु वशिष्ठ ने कुछ वर्ष बाद ऐसा ही किया।

गुरु वशिष्ठ ने अपने योगबल से इला को लड़का बना दिया और उसका नाम रखा सुद्युम्न। एक दिन सुद्युम्न अपने कुछ साथियों के साथ शिकार करने घने जंगल गए। संयोग से उस जंगल में शंकरजी देवी पार्वती के साथ प्रेम के क्षण में मगन थे। उसी दौरान कुछ ऋषि मुनि उनसे मिलने आ धमके। देवी पार्वती को शर्म महसूस हुई और तब उनके जाने के बाद रुष्ठ होकर शिवजी से कहा कि यह तो अच्छा नहीं हुआ। इस तरह व्यक्तिगत क्षणों में किसी को आप कैसे मिलने की अनुमति देते हैं और कोई कैसे आपसे मिलने जा जाता है। क्या उसे मर्यादा का ध्यान नहीं रखना चाहिए?

भगवान शंकर से देवी के क्रोध के देखते हुए कहा कि अब से जो भी पुरुष इस जंगल में आएगा वह स्त्री बन जाएगा। ऐसे में जब इला जंगल में था तो वह स्‍त्री बन गया। उसे गुरु वशिष्ठ ने पुरुष बनाया था, लेकिन शिव के वचन के चलते वह स्त्री बन गया। जब यह बात गुरु वशिष्ठ को पता चली तो उन्होंने भगवान शंकर से विनती की और कहा कि सुद्युम्न कर दीजिए उसे पुन: पुरुष बना दीजिए। तब भगवान शंकर ने कहा कि ऐसा तो संभव नहीं है। गुरु वशिष्ठ ने बहुत विनय किया तब भगवान शंकर ने कहा कि यह एक माह पुरुष और एक माह स्त्री बनकर रहेगा। बस मैं इतना ही कर सकता हूं।

एक बार बुध देवता ने सुद्युम्न को लड़की रूप में देखा और उन्हें उससे प्यार हो गया। तब दोनों ने विवाह किया और उनका पुरुरवा नाम का एक बेटा हुआ।

स्रोत: श्रीमद्भागवत महापुराण, नवम स्कंद, प्रथम अध्याय

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