गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

नवजात शिशु को गैस हो जाए तो क्या करना चाहिए

Image SEO Friendly

अक्सर देखा जाता है कि दूध पीने के दौरान या दूध पीने के बाद ज्यादातर बच्चे दूध उगलते हैं, लेकिन यह सामान्य माना जाता है। जबकि कुछ बच्चे बिना किसी कारण दूध की उल्टी करते हैं, जोकि बच्चे के शरीर का विकास और वजन बढ़ने के कारण होता है। लेकिन यदि आपका बच्चा मुंह से रोजाना अधिक मात्रा में दूध उगलता है तो इससे बच्चे के शरीर के विकास पर असर पड़ता है और इसे गैस्ट्रोएसोफैजियल रिफ्लक्स रोग के नाम से जाना जाता है। नवजात शिशु के पेट में गैस बनने को रिफ्लक्स कहते हैं। पेट में गैस होने पर बच्चा सही तरीके से दूध नहीं पी पाता है और सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक रोता है। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि नवजात बच्चे को गैस हो जाए तो क्या करना चाहिए।

नवजात बच्चे में गैस के लक्षण –
नवजात शिशु के शरीर में कोई भी समस्या होने पर सबसे पहले वह रोना शुरू करता है, जिसके आधार पर यह पहचाना जाता है कि शिशु को कोई तकलीफ है। आइये जानते हैं कि नवजात शिशु को गैस होने के मुख्य लक्षण क्या होते हैं।
  • शिशु पूरे दिन रोता है और दूध पीने या कुछ खिलाने के बाद उसे काफी बेचैनी होती है।
  • शिशु के गले में कफ बन जाना और गला जाम होना।
  • नवजात शिशु का स्तनपान न करना या दूध की बॉटल के निप्पल को मुंह में न लेना।
  • दूध न पच पाना और दूध पीने के बाद उल्टी होना।
  • पेट के बल लेटाने पर दर्द होना।
  • पेट में खूब मरोड़ होना और बार-बार बच्चे की नैपकीन बदलने की जरूरत पड़ना।
  • शिशु को डकार और हिचकी आना, सांस लेने में गले से घरघराहट की आवाज आना।
  • नवजात शिशु को भूख न लगना और उसका वजन न बढ़ना।
  • शिशु को छींक आना, नींद न आना और सांस लेने में तकलीफ होना।
  • कान में संक्रमण होना।

नवजात बच्चे में गैस के कारण –
सबसे पहले यह जानें कि नवजात शिशुओं में कुछ हद तक गैस की समस्या होती ही है। इसका कारण यह है कि बड़े बच्चों की अपेक्षा नवजात शिशुओं का पाचन तंत्र अपरिपक्व होता है। नवजात शिशु में पेट से भोजन नली को अलग करने वाली स्फिन्टक्टर मसल्स (sphincter muscle) अविकसित होती है और नियमित रूप से खुलती है जिससे पेट का गैस गले तक पहुंच जाता है और इसके कारण डकार आने और बच्चे के पेट में दर्द की समस्या हो जाती है।

जैसे ही शिशु का मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र विकसित होता है, उनकी तंत्रिकाओं की क्रियाएं बहुत धीमी होती हैं जिसके कारण शिशु के पेट में गैस बनती है और उसे बेचैनी महसूस होती है।

नवजात शिशु को गैस की समस्या से बचाने के लिए घरेलू उपाय – 
पेट में गैस की सममस्या सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि नवजात शिशुओं को भी होती है। ऐसी स्थिति में कुछ माताएं अपने नवजात शिशु के स्वास्थ्य को लेकर बहुत परेशान हो जाती हैं। अगर आपके शिशु को भी गैस की समस्या है तो इन आसान घरेलू उपायों से करें उपचार।

अरंडी का तेल नवजात शिशु के पेट में गैस होने पर – 
अरंडी के तेल में डिटॉक्सिंग गुण पाया जाता है जो बच्चे के पेट में गैस उत्पन्न करने वाले सभी पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। एक कॉटन के कपड़े को अरंडी के तेल में भिगोएं और इस कपड़े को बच्चे के पेट पर लपेटें और ऊपर से एक प्लास्टिक से ढक दें ताकि ऑयल इधर उधर न फैले। एक घंटे बाद पेट के ऊपर से कपड़ा हटा दें। इसके बाद बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं। अरंडी के तेल से मालिश करने पर शिशु के पेट को गर्माहट मिलता है और गैस की समस्या खत्म हो जाती है।

मोशन एक्सरसाइज शिशु को गैस से बचाने के लिए –
अगर आप अपने नवजात शिशु को गैस की समस्या से बचाना चाहती हैं तो आपको उसे मोशन एक्सरसाइज करानी चाहिए। इसके लिए बच्चे को बिस्तर पर एकदम सीधे लेटाएं और उसके पैरों को ऊपर ले जाएं और उसे इस तरह हिलाने डुलाने का अभ्यास कराएं जैसे साइकिल चलायी जाती है। नियमित रूप से कुछ दिनों तक नवजात शिशु को यह एक्सरसाइज कराएं, इससे बच्चे का पाचन बेहतर होता है और उसके पेट में गैस नहीं बनती है। लेकिन यह ध्यान रखें कि बच्चे को दूध पिलाने के आधे घंटे पहले या दूध पिलाने के तुरंत बाद मोशन एक्सरसाइज न कराएं।

जीरा नवजात शिशु में पेट की गैस दूर करने के लिए – 
छोटे बच्चों में पेट की गैस को दूर करने के लिए जीरे का पानी काफी प्रभावी तरीके से काम करता है। चूंकि नवजात शिशु को जीरे का पाउडर नहीं खिलाया जा सकता इसलिए जीरे को पानी में उबालकर और छानकर पानी को ठंडा करके शिशु को पिलाएं। प्रतिदिन दो चार चम्मच जीरा पानी शिशु को पिलाने से पेट में गैस बनने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है और शिशु रोना भी बंद कर देता है।

शिशु के पेट का गैस ठीक करने के लिए दूध पिलाने की पोजीशन बदलें –
नवजात शिशु को दूध पिलाने के दौरान और दूध पिलाने के बाद यह ध्यान रखें कि शिशु लंबवत पोजीशन (vertical position) में हो। अगर आप बच्चे को बॉटल से दूध पिला रही हों तो उसे अपने पेट से चिपका कर ना लेटाएं। लेकिन यदि आप स्तनपान करा रही हैं तो बच्चा आपके शरीर से 40 डिग्री के कोण पर होना चाहिए। दूध पिलाने के दौरान और बाद में कम से कम आधे घंटे तक इसी पोजीशन में बनी रहें। ऐसा करने से दूध सीधे बच्चे के पेट में जाता है और उसे गैस की समस्या नहीं होती है।

नवजात शिशु को गैस से बचाने के लिए प्रोबायोटिक खिलाएं –
बच्चे के पेट में अच्छे बैक्टीरिया (good bacteria) की कमी हो जाने पर बड़ी मात्रा में खराब बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण पाचन संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं और बच्चे के पेट में गैस बनने लगती है। ऐसी स्थिति में आपको अपने नवजात शिशु को प्रोबायोटिक खिलाना चाहिए। प्रोबायोटिक पाउडर के रूप में भी आते हैं, जिन्हें पानी के साथ बच्चे को खिलाया जाता है। इसके अलावा प्रोबायोटिक को स्तन के दूध में मिलाकर बॉटल में भरकर शिशु को पिलाया जा सकता है। यदि नवजात शिशु बॉटल से दूध नहीं पीता तो प्रोबायोटिक पाउडर को अपने निप्पल पर लगाकर उसे स्तनपान कराएं।

नारियल तेल नवजात शिशु में पेट की गैस के लिए –
नवजात शिशु के पेट में गैस की समस्या होने पर एक चम्मच वर्जिन कोकोनट ऑयल को गुनगुने पानी में मिलाकर शिशु को दिन में तीन बार पिलाएं, इससे पेट में गैस की समस्या खत्म हो जाती है। नारियल के तेल में एंटी इंफ्लैमेटरी गुण पाया जाता है जो पेट में दर्द होने से बचाता है। नारियल के तेल में लौरिक एसिड (lauric acid) और एंटी माइक्रोबियल गुण पाया जाता है जो नवजात शिशु की इम्यूनिटी को बढ़ाता है तेल चिकना होता है। नवजात शिशु को गैस होने पर बिना देर किए आपको यह घरेलू नुस्खा आजमाना चाहिए।

अगर ये उपाय करने के बाद भी आपके शिशु को गैस से राहत नहीं मिल रही हो तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जायें।

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"