1- भगवान के सामने आरती इस प्रकार से घुमाते हुए करना चाहिए कि ऊँ जैसी आकृति बने।
2- अलग-अलग देवी-देवताओं के सामने दीपक को घुमाने की संख्या भी अलग है, जो इस प्रकार है।
भगवान शिव के सामने तीन या पांच बार घुमाएं।
भगवान गणेश के सामने चार बार घुमाएं।
भगवान विष्णु के सामने बारह बार घुमाएं।
भगवान रूद्र के सामने चौदह बार घुमाएं।
भगवान सूर्य के सामने सात बार घुमाएं।
भगवती दुर्गा जी के सामने नौ बार घुमाएं।
अन्य देवताओं के सामने सात बार घुमाएं।
यदि दीपक को घुमाने की विधि को लेकर कोई उलझन हो रही हो तो आगे दी गई विधि से किसी भी देवी या देवता की आरती की जा सकती है।
3- आरती अपनी बांई ओर से शुरू करके दाईं ओर ले जाना चाहिए। इस क्रम को सात बार किया जाना चाहिए। सबसे पहले भगवान की मूर्ति के चरणों में चार बार, नाभि देश में दो बार और मुखमंडल में एक बार घुमाना चाहिए। इसके बाद देवमूर्ति के सामने आरती को गोलाकार सात बार घुमाना चाहिए।
4- पद्म पुराण में आरती के लिए कहा गया है कि कुंकुम, अगर, कपूर, घी और चन्दन की सात या पांच बत्तियां बनाकर अथवा रुई और घी की बत्तियां बनाकर शंख, घंटा आदि बजाते हुए आरती करनी चाहिए।
5- भगवान की आरती हो जाने के बाद थाल के चारों ओर जल घुमाया जाना चाहिए, जिससे आरती शांत की जाती है।
06- भगवान की आरती सम्पन्न हो जाने के बाद भक्तों को आरती दी जाती है। आरती अपने दाईं ओर से दी जानी चाहिए।
07- सभी भक्त आरती लेते हैं। आरती लेते समय भक्त अपने दोनों हाथों को नीचे को उलटा कर जोड़ते हैं। आरती पर से घुमा कर अपने माथे पर लगाते हैं। जिसके पीछे मान्यता है कि ईश्वरीय शक्ति उस ज्योत में समाई रहती हैं। जिस शक्ति का भाग भक्त माथे पर लेते हैं। एक और मान्यता के अनुसार इससे ईश्वर की नजर उतारी जाती है। जिसका असली कारण भगवान के प्रति अपने प्रेम व भक्ति को जताना होता है।
2- अलग-अलग देवी-देवताओं के सामने दीपक को घुमाने की संख्या भी अलग है, जो इस प्रकार है।
भगवान शिव के सामने तीन या पांच बार घुमाएं।
भगवान गणेश के सामने चार बार घुमाएं।
भगवान विष्णु के सामने बारह बार घुमाएं।
भगवान रूद्र के सामने चौदह बार घुमाएं।
भगवान सूर्य के सामने सात बार घुमाएं।
भगवती दुर्गा जी के सामने नौ बार घुमाएं।
अन्य देवताओं के सामने सात बार घुमाएं।
यदि दीपक को घुमाने की विधि को लेकर कोई उलझन हो रही हो तो आगे दी गई विधि से किसी भी देवी या देवता की आरती की जा सकती है।
3- आरती अपनी बांई ओर से शुरू करके दाईं ओर ले जाना चाहिए। इस क्रम को सात बार किया जाना चाहिए। सबसे पहले भगवान की मूर्ति के चरणों में चार बार, नाभि देश में दो बार और मुखमंडल में एक बार घुमाना चाहिए। इसके बाद देवमूर्ति के सामने आरती को गोलाकार सात बार घुमाना चाहिए।
4- पद्म पुराण में आरती के लिए कहा गया है कि कुंकुम, अगर, कपूर, घी और चन्दन की सात या पांच बत्तियां बनाकर अथवा रुई और घी की बत्तियां बनाकर शंख, घंटा आदि बजाते हुए आरती करनी चाहिए।
5- भगवान की आरती हो जाने के बाद थाल के चारों ओर जल घुमाया जाना चाहिए, जिससे आरती शांत की जाती है।
06- भगवान की आरती सम्पन्न हो जाने के बाद भक्तों को आरती दी जाती है। आरती अपने दाईं ओर से दी जानी चाहिए।
07- सभी भक्त आरती लेते हैं। आरती लेते समय भक्त अपने दोनों हाथों को नीचे को उलटा कर जोड़ते हैं। आरती पर से घुमा कर अपने माथे पर लगाते हैं। जिसके पीछे मान्यता है कि ईश्वरीय शक्ति उस ज्योत में समाई रहती हैं। जिस शक्ति का भाग भक्त माथे पर लेते हैं। एक और मान्यता के अनुसार इससे ईश्वर की नजर उतारी जाती है। जिसका असली कारण भगवान के प्रति अपने प्रेम व भक्ति को जताना होता है।
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