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लोग नदी और तालाब में सिक्का क्यों फेंकते हैं?

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आप में से बहुत से लोगों ने देखा होगा अक्सर मंदिर आदि में मौजूद जलाशय आदि में सिक्के फेंकते हैं। इस संदर्भ में विभिन्न मान्यताएं प्रचलित है। मगर जो अधिक प्रसिद्ध है उसके अनुसार पावन नदियों में सिक्का डालने तथा भगवान से अपनी इच्छा की प्रार्थना करने से इच्छा की पूर्ति होती है। मगर अगर किसी से पूछा जाए ऐसा  करने के पीछे असल कारम क्या है तो शायद ही किसी को पता होगा। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं आखिर नदी में सिक्के डालने का असल कारण क्या है और क्या इससे कोई पौराणिक कारण जुड़ा हुआ है। कुछ ऐसे लोग हैं जो ऐसी कई बातों व परंपराओं को अंध विश्वास समझते हैं, इन्हीं परंपराओं में से एक है पानी में सिक्के डालने की परंपरा। जिसे बहुत से लोग अंधविश्वास का नाम देकर इसके बारे में जानने तक की कोशिश तक नहीं करते। तो आपको बता दें ऐसा सोचना बिल्कुल सही नहीं है। जी हा, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सालों से निभाई जाने वाली इस पंरपरा से न केवल वैज्ञानिक बल्कि ज्योतिष कारण भी जुड़े हुए हैं। 

तो इस वजह से नदी में लोग सिक्का डालते हैं?

अगर ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र की बात करें इसमें किए वर्णन के अनुसार ऐसा करने से जातक के जीवन में पैदा हर तरह का दो। दूर हो जाता है। इसमें ये भी बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति सिक्कों के साथ-साथ पावन नदियों में पूजा की कुछ सामग्री भी प्रवाहित करता है तो शुभ प्रभाव मिलता है। इसके अलावा बहने पानी में चांदी का सिक्का प्रवाहित करने से कुंडली में मौज़ूद चंद्र दोष खत्म हो जाता है। इतना ही नहीं वास्तु और ज्योतिष दोनों ही शास्त्र में पानी में सिक्का डालना किसी दान से कम नहीं माना जाता है। अपने जीवन में ये दान करने से कुंडली के ग्रह शांत होते हैं और शुभ प्रभाव देने लगते हैं। अगर इस परंपरा के प्रचलन में आने की करें तो कहा जाता है कि जब ये पंरपरा शुरू हुई तब तांब के सिक्के चला करते थे। बताया जाता है तांबा का इस्तेमाल पानी के प्यूरीफिकेशन के लिए किया जाता है। यही कारण है लोग जब भी नदी या किसी तालाब के आसपास से गुजरते थे तो उसमें तांबे का सिक्का डाल दिया करते थे। 


चाहे आज तांबे के सिक्के प्रचलन में नहीं हैं परंतु फिर भी ये परंपरा आज भी लोगों द्वारा निभाई जाती है। वैैज्ञानिक नजरिए की बात करें तो रात्रि में किसी तांबे के बर्तन में पानी डालकर रख सुबह उस पानी को ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है बल्कि कहा जाता है कि ये पानी उबाले हुए पानी से भी कई हद तक शुद्ध होता है। साथ ही साथ ये भी बताया जाता है कि तांबे के बर्तन में रखा पानी स्वास्थ्य के संदर्भ से भी अच्छा होता है इससे  पाचन शक्ति मज़बूत होती है। इससे जुड़ी 1 धार्मिक मान्यता ये भी है कि असल में ये प्रथा दान का ही एक दूसरा रूप है, जल जीवनदाता होता है और इसका संबंध विभिन्न देवी-देवताओं से होता है। जब नदी या जलाशय आदि में सिक्का डालते हैं तो ये उसके दैवीय स्वरूप को एक भेंट चढ़ाने का तरीका होता है। यही कारण है कि लोग ये मान्यता है कि पानी में सिक्का फेंकने से जीवन की सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है। 


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