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क्या अँग्रेजी भाषा योग्यता का मापदंड है ?

-bhaasha-yogyata


हमारे देश में अक्सर देखने को मिलता है कि किसी की भी खराब अँग्रेजी का मखौल उड़ाया जाता है, ऐसा प्रतीत होता है कि बंदे ने कुछ भी हासिल कर लिया हो पर अगर अँग्रेजी नहीं आती तो वो कुछ नहीं कर पायेगा। 

लगता है अँग्रेजी ही उसे वो सारी योग्यता देगी जिससे वो कुछ भी करने में सक्षम हो पाएगा नहीं हो नहीं, कुछ उदाहरण देखते हैं –

  • अगर कोई IAS बन जाये – (बेशक बहुत कठिन परीक्षा है बहुत मेहनत है) अगर उसे अँग्रेजी बोलना ठीक से ना आए तो कहेंगे – कैसे बन गया अँग्रेजी तो आती नहीं है ठीक से ?? हाँ जैसे सिर्फ अँग्रेजी ही तो फैसले लेने की ताकत देगी और अँग्रेजी ही तो उसमें योग्यता भर देगी। 
  • कोई मंत्री बन गया – चाहे उसने कितने ही अच्छे काम किए हों, पर भाई अँग्रेजी में गलती नहीं कर सकता, गलती की तो अब वो योग्य नहीं है । 
  • कोई लेखक है जो अच्छा लिखता है पर अँग्रेजी में गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 
  • कोई खिलाड़ी बन गया – हम उसे भी नहीं छोड़ेंगे, भाई योग्यता तो अँग्रेजी से ही आती है ना। 
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पर इन सब में एक बात अजीब है कि हिन्दी नहीं आने पर कोई कुछ नहीं कहता, मज़े की बात है कि अपने रिशतेदारों के सामने अपने बच्चों के लिए (जो अँग्रेजी माध्यम में पढ़ते हैं) कहते है बड़े गर्व की अनुभूति होती है कि “इसे हिन्दी कम आती है स्कूल में तो पूरी अँग्रेजी ही है” रिश्तेदार भी “गजब, बहुत ही बढ़िया, ये सही किया आपने उस स्कूल में पढ़ाकर“

चलिये अब कुछ आंकड़ो पर नज़र डाल ली जाये, कि आखिर हिन्दी वालों की संख्या कितनी है, आमतौर पर तो सुनने को मिलता है कि अब कौन पूछता है हिन्दी को ?

आंकड़े-

पूरी दुनिया में हिन्दी बोलने वालों की संख्या 64 करोड़ है और भारत में हिन्दी बोलने वालों की संख्या लगभग 62 करोड़ है।  कुछ आंकड़े देखिये –
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यहाँ हमें पढे लिखे और इंटरनेट प्रयोग करने वाले 22 करोड़ ऐसे लोग मिले जो इंटरनेट भी प्रयोग करते हैं और जिनकी भाषा हिन्दी है, इन 22 करोड़ लोगों को जनसख्या के हिसाब से लगा दिया जाए तो ये छ्ठे नंबर का सबसे बड़ा देश बन जाएगा, यानि ये जनसंख्या बहुत बड़ी है !

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यदि हम हिन्दी बोलने वालों की संख्या को देखें तो ये दुनिया में तीसरे नंबर पर आतेहै। 
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यहाँ जनगणना 2011 के हिन्दी भाषा से संबधित आंकड़े दिखाई दे रहे है। 
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2021 में फिर से जनगणना होने वाली है जिसके आंकड़े फिर सामने आएंगे । 

अब कुछ और आंकड़े

जर्मन लोग इंग्लिश बोलना पसंद नहीं करते चाहे उन्हें आती हो, अगर आप उनसे अँग्रेजी में बात करेंगे तो वो बुरा मानतेहै। 
चाइना, कोरिया, जापान सभी देश अपनी भाषा में बोलना और पढना पसंद करते हैं, इनकी पूरी पढ़ाई इन्हीं की भाषा में है अब जो लोग कहते हैं कि तकनीक की भाषा अँग्रेजी है तो इन देशों ने कैसे इतनी तरक्की कर ली ?? वो भी तकनीक में। 

तो आखिर हिन्दी का ये हाल क्यूँ ?

इसका एक बड़ा कारण है हमारी सोच जो अभी तक अंग्रेज़ो के शासन से आज़ाद नहीं हो पायी है, पहले हम सीधे सीधे गुलाम थे, अब भाषायी साम्राज्यवाद के शिकार हैं – इसे पूरा जानने के लिए आप ये पोस्ट पढ़ सकते हैं – भाषायी साम्राज्यवाद क्या है ?

हमने हमेशा अंग्रेज़ो को अपने से ऊपर समझा, और उन्होने ऐसा समझा के भी रखा, अब उनके जाने के बाद भी उनका प्रभाव कम नहीं हुआ, चूंकि हम एक तो भाषायी साम्राज्यवाद के प्रभाव में अभी तक हैं और हमने अँग्रेजी को अपनी भाषा से ऊपररखा। 

देखिये 1935 में Lord Macauley ने क्या कहा था –
एक अच्छे यूरोपीय पुस्तकालय का एक शेल्फ भारत और अरब के पूरे देशी साहित्य के बराबर है – 

और कुछ लोगों ने इन सोच को सही मान लिया पर क्या आपको पता है ?

हम इतने ही खराब हैं तो हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत को जर्मनी में पढ़ाया जा रहा है, जर्मनी की 16 Top Universities ने इसे अपनाया है, इसके अलावा 1200 से अधिक स्कूलों में संस्कृत पढ़ाई जा रहीहै। 

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हमें ये समझ क्यूँ नहीं आता कि –
भाषा कभी किसी का बौद्धिक स्तर निर्धारित नहीं करती नहीं तो आचार्य चाणक्य, भगवान बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, आर्यभट्ट, इन सभी को वैश्विक स्तर पर सम्मान नहींमिलता। 

सबसे मज़े की बात ये है कि वैसे तो जी हिन्दी को कौन पूछता है पर जब कमाने की बारी आए तो सबको हिन्दी सीखनी है, हाँ आपसे वो कहते रहेंगे कि हिन्दी बेकार है, जब फिल्म बनाएँगे तो हिन्दी में पर इंटरव्यू देंगे अँग्रेजी में, जब सामान्य ज़िंदगी में वरीयता देंगे तो अँग्रेजी को “हिन्दी वालों से तो बस पैसे कमाने हैं, वैसे वो लोग अनपढ़ हैं जिन्हें अँग्रेजी ठीक से नहीं आती, पर पैसे उन्हीं से कमाने हैं“

हिन्दी ने किस-किस को नंबर एक बनाया है वो देखिये
  • हिन्दी फिल्म Industry – सबसे बड़ी फिल्म Industry, जिस हिन्दी में हमें लगता है कि भविष्य नहीं हैं उसी को सीखकर लोग यहाँ से करोड़ों कमाते हैं उदाहरण के लिए, आप कैटरीना कैफ और जैकलिन को देख सकते हैं !
  • हिन्दी अखबार – दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण सबसे ज़्यादा बिकने वाले अखबार। 
  • हिन्दी न्यूज़ चैनल – आज तक, इंडिया टीवी , स्टार न्यूज़ , सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले चैनल। 

  • हिन्दी YouTube Channel – T-Series 188Million Subscribers (दुनिया का सबसे बड़ा चैनल हिन्दी में ही है) इसके अलावा दुनिया के टॉप 10 में 3 हिन्दी चैनल हैं और टॉप 50 में 9 हिन्दी चैनलहै। 
ये देख कर भी आँखें ना खुली हों तो फिर कोई कुछ नहीं कर सकता जो मर्जी कर लीजिये फिर तो, आगे एक पोस्ट इसी शृंखला में अँग्रेजी माध्यम के स्कूलों पर भी आएगी। 



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