ज्ञान (चिन) मुद्रा का अर्थ है, 'अंतर्ज्ञान की स्थिति'। चिन शब्द 'चित' से बना है, जिसका अर्थ है, 'चेतना'। इस प्रकार ज्ञान (चिन) मुद्रा चेतना की अतीन्द्रिय (आंतरिक चेतना की) स्थिति है।
प्रतीकात्मक रूप से कनिष्ठा, अनामिका और मध्यमा उंगलियां प्रकृति के तीन गुणों - तमस, रजस और सत्त्व का बोध कराती हैं। चेतना को अज्ञान से ज्ञान लोक में ले जाने के लिए इन तीन अवस्थाओं को पार करना आवश्यक है।
तर्जनी जीवात्मा की प्रतीक है और अंगूठा परम चेतना का। ज्ञान और चिन मुद्राओं में जीवात्म (तर्जनी), परम चेतना (अंगूठे) के प्रति नतमस्तक होता है और उसकी अपार शक्ति को स्वीकारता है।
ज्ञान (चिन) मुद्रा के फायदे -
ज्ञान मुद्रा के लाभ कुछ इस प्रकार हैं –
- ज्ञान मुद्रा ध्यान लगाने में मदद करती है और यह निराशा, उत्साह की कमी और रचनात्मकता के लिए बेहतरीन उपाय मानी जाती है।
- यह मुद्रा मस्तिष्क को उत्तेजित करती है और रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है, जिससे स्मरणशक्ति बढ़ने लगती है।
- जो लोग अल्जाइमर रोग, तंत्रिका तंत्र की समस्याओं, चक्कर के विकार और अन्य मस्तिष्क से सम्बंधित समस्या से पीड़ित हैं, वो इस ध्यान की प्रक्रिया से ठीक हो सकते हैं।
- ज्ञान मुद्रा हाइपर थाइरॉइडिस्म, हाइपो थाइरॉइडिस्म, हाइपो अड्रेनलिस्म (Hypoadrenalism), हाइपो पिटूइटेरिस्म (Hypopituitarism) और अन्य समान बीमारियों का इलाज करने में मदद करती है। (और पढ़ें - थायराइड में परहेज)
- यह मुद्रा श्वसन संबंधी समस्याओं का इलाज करती है।
- ज्ञान मुद्रा मांसपेशियों की परेशानियों के लिए भी बहुत बेहतरीन उपाय है।
ज्ञान (चिन) मुद्रा करने का तरीका -
ज्ञान मुद्रा करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से बता रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें –
- सबसे पहले किसी सुविधाजनक आसन में बैठ जाएं।
- दोनों तर्जनी उंगलियों को इस प्रकार मोड़ें कि उनका स्पर्श अंगूठे के आधार से हो।
- दोनों हाथों की अन्य तीन उंगलियों को इस प्रकार सीधा रखें कि वे एक-दूसरे से अलग और शिथिल रहें।
- हाथों को घुटनों पर इस प्रकार रखें कि हथेलियां नीचे की ओर रहें।
- हाथों और कंधों को अब आराम दें।
ज्ञान (चिन) मुद्रा का आसान रूपांतर -
इस मुद्रा को करने में नए-नए अभ्यासियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है, क्योंकि लम्बे समय तक ध्यान में बैठने पर जब शरीर की चेतना खत्म होने लगती है, तब अंगूठे और तर्जनी एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। इस मुद्रा को आप पहले कुछ समय के लिए करें, फिर धीरे-धीरे इसके समय को बढ़ाते रहें।
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