हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार इस धरती पर भागीरथी गंगा के आने से पहले ही पंच गंगाओं का धरती पर अवतरण हो चूका था। इन पंच गंगाओं का जहाँ अवतरण हुआ था वो जगह “पंचनद तीर्थ” कहलाती है।
आइए जानते है कैसे हुआ पंच गंगाओं का धरती पे आगमन ?
रिषी शालंकायन के पुत्र शिलाद मुनि बाल ब्रम्हचारी थे। वंश बेल को आगे बढाने के लिए उन्होंने शिवजी की तपस्या की शिव जी ने स्वयं अयोनिज पुत्र बनकर शिलाद मुनि के यहाँ जन्म लेने का शिलादमुनि को वरदान दिया। कुछ समय पश्चात शिलादमुनि यज्ञ करने के लिए यज्ञ क्षेत्र को जोत रहे थे, तभी हल का फल भूमि में फँस गया। उसी समय उन शिव की आग्या से उनका पुत्र रूप होकर प्रलयाग्नि के समान देदीप्यमान रूप में प्रकट हुआ। शिलादमुनि उस बालक को अपनी पर्णकुटी मे ले गये, उस बालक से मुनि को महा आनन्द प्राप्त हुआ इस लिए उसका नाम मुनि ने नन्दी रखा।
पाँच वर्ष की अवस्था में मुनि ने नन्दी जी को सांगोपांग वेदों का और शास्त्रों का अध्ययन कराया। सात वर्ष की अवस्था में नन्दी जी ने शिवजी की घोर तपस्या प्रारम्भ कर दी। तपस्या से खुश होकर शिव जी पार्वती सहित प्रकट हुए, और नन्दी जी को अजर अमर अविऩाशी रहने का वरदान दिया।
शिवजी ने अपने गले से कमलों की माला उतार कर नन्दीजी के गले में डाल दी। गले में माला पडते ही नन्दीजी के तीन नेत्र तथा दस भुजायें हो गईं। भगवान वृषभध्वज ने अपनी जटाओं से हार के समान निर्मल जल ग्रहण कर ” नदी हो ” ऐसा कहकर जल को नन्दी जी पर छिडक दिया।
उसी जल से पाँच शुभ गंगाओं का धरती पर अवतरण हो गया।
१— जटोदका गंगा
२— त्रिस्रोता गंगा
३— वृषध्वनि गंगा
४— स्वर्णोदिका गंगा
५— जम्बू नदी गंगा
यही पाँचो नदियाँ ” पंचनद ” नामक. परम पवित्र तीर्थ के नाम से जानी जाती हैं। जो शिव का पृष्ठदेश कहलाता है , जो जपेश्वर के समीप आज भी वर्तमान है।
पार्वती जी ने नन्दी को शिवजी के गणों का अधिपति बना दिया। कुछ समय के बाद ब्रम्हाजी ने मरूत् की कन्या सुयशा के साथ नन्दीजी का व्याह करा दिया। व्याह सम्पन्न हो जाने के बाद शिव जी ने नन्दी जी को अदभुत वरदान दिये।
शिवजी ने कहा :—– हे ! नन्दी तुम हमेशा हमारे प्रिय रहोगे तुम अजेय महाबली होकर पूजनीय होगे और ” जहाँ मैं रहूँगा वहीं तुम रहोगे “, ” जहाँ तुम रहोगे वहीं मै रहूँगा”। इसी वरदान के कारण जहाँ भी शिव प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित किया जाता है वहाँ नन्दी जी को जरूर स्थापित किया जाता है।
धन्य हैं भोलेनाथ धन्य है उनकी माया |
शिवजीकी माया में सारा ब्रम्हांड समाया ||
“अजय” चरण में पडा तुम्हारे ये भोले वरदानी |
अपनी भक्ती दे दो मुझको आके भवं भवानी ।।
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।