मालकांगनी को ज्योतिष्मती के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद है। परंपरागत रूप से, इस जड़ी-बूटी को 'ब्रेन क्लीयरर' कहा जाता है और माना जाता है कि यह बुद्धि (इंटेलीजेंस) को बेहतर बनाने में सहायक है। इसे कई अन्य स्थितियों के प्रबंधन में भी फायदेमंद माना जाता है जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस, अस्थमा, कुष्ठ रोग, गाउट इत्यादि।
आयुर्वेद में, मालकांगनी को एक ऐसी गर्म जड़ी बूटी कहा जाता है जो पित्त और कफ दोष को कम करता है। यूनानी डॉक्टरों का सुझाव है कि इस जड़ी बूटी को गर्म मौसम में ज्यादा खुराक में नहीं लेना चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि भारत के कुछ हिस्सों में इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल सर्दियों में गर्माहट पाने के लिए किया जाता है।
मालकांगनी पौधे में एंटीफर्टिलिटी गुण होने का भी संकेत मिला है और यह गर्भान्तक (abortifacient: ऐसी दवा जो गर्भपात करने में सहायक होती है) के रूप में भी कार्य कर सकता है। इसकी ज्यादा खुराक लेने पर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। किसी भी रूप में इस जड़ी बूटी का उपयोग करने से पहले एक अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करें।
मालकांगनी के बारे में कुछ सामान्य जानकारी :
वानस्पतिक नाम : सेलसट्रस पैनिकुलेटस (Celastrus paniculatus)
फैमिली : सेलस्ट्रासै (Celastraceae)
सामान्य नाम/अंग्रेजी नाम : इंटेलेक्ट ट्री, ब्लैक ऑयल ट्री, क्लाइम्बिंग-स्टाफ प्लांट
हिंदी नाम : मालकामनी, मालककनी
संस्कृत नाम : ज्योतिष्मती, स्वर्णलता, स्फुटबंधनी, कंगनी, स्वर्णलता, अमृता, कटुम्भी, ज्योतिष्का, वनहिरुचि, मेध्या, मति प्रिया
पौधे के इस्तेमाल किए जाने वाले हिस्से : मुख्य रूप से बीज, बीज का तेल और पत्तियां व जड़ें, फल और तना
भौगोलिक विस्तार : मालकांगनी मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, चीन, मालदीव, कंबोडिया, मलेशिया, ताइवान, थाईलैंड, नेपाल, प्रशांत द्वीप और भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है। भारत में, मालकांगनी आमतौर पर ओडिसा, महाराष्ट्र और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में देखा जाता है।
मालकांगनी के पौधे की पहचान क्या है? -
मालकांगनी में साधारण अंडाकार पत्तियां होती हैं जो तने पर एक-एक करके उगती हैं। इन पत्तियों का किनारा दांतदार होता है। इन पौधों में पीले, हरे-पीले या हरे-सफेद रंग के फूल होते हैं जो गुच्छों में निकलते हैं। इस पौधे में पीले-नारंगी रंग के फल आते हैं। प्रत्येक फल में लगभग एक से छह पीले या लाल-भूरे रंग के बीज होते हैं जो आकार में अंडाकार होते हैं। इनसे बुरी गंध आती है और यह स्वाद में कड़वे होते हैं।
मालकांगनी पौधे की छाल लाल-भूरी या बाहर से खुरदरी सतह वाली होती है, जबकि अंदर से यह हल्के पीले रंग की होती है।
मालकांगनी के फायदे -
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए लाभकारी है मालकांगनी -
मालकांगनी को मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लाभों के लिए जाना जाता है। इस पौधे के बीज से बना काढ़ा पारंपरिक रूप से सिरदर्द और यहां तक कि अवसाद के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। पारंपरिक रूप से पानी के साथ मालकांगनी के बीज का चूर्ण तंत्रिका विकारों के प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा मालकांगनी तंत्रिका तंत्र के लिए कुछ अन्य तरीकों से भी फायदेमंद है :
नूट्रॉपिक : पशु आधारित अध्ययन बताते हैं कि मालकांगनी के बीज का जलीय अर्क एसिटाइलकोलिनेस्टरेज को रोककर यादद्दाश्त में सुधार करता है। यह एक तरह का एंजाइम है, जो न्यूरोट्रांसमीटर एसिटाइलकोलाइन को तोड़ता है।
इसी तरह के परिणाम एक प्रीक्लिनिकल अध्ययन में भी सामने आए थे, जिसमें रिसर्च के लिए पूरे मालकांगनी पौधे का उपयोग किया गया था।
2015 में हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने पाया कि जब घी के साथ मालकांगनी के बीज के तेल का प्रयोग किया जाता है, तो यह मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के प्रबंधन में मददगार होता है।
संज्ञानात्मक सुधार (इम्प्रूविंग कॉग्निशन): आयुर्वेदिक चिकित्सा में, मालकांगनी के बीज और इन बीजों के तेल का उपयोग इंटेलेक्चुअल फंक्शनिंग (बौद्धिक कामकाज) और यादद्दाश्त में सुधार के लिए किया जाता है। पहले हुए एक अध्ययन से पता चला है कि मालकांगनी के सप्लीमेंट से बच्चों के आईक्यू स्तर में सुधार हो सकता है।
अमेरिका में पहले किए गए एक अध्ययन ने इस बात की ओर इशारा किया है कि मालकांगनी का लंबे समय तक उपयोग करने से यादद्दाश्त और संज्ञानात्मक कार्यों में सुधार हो सकता है।
इंडियन जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, तनाव की वजह से संज्ञानात्मक असंतुलन होने पर मालकांगनी का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है। संज्ञानात्मक असंतुलन से मतलब संज्ञानात्मक हानि से है, जिसमें व्यक्ति को किसी चीज को याद करने, नई चीजें सीखने, ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में परेशानी होती है। यह स्थिति उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करती है।
अवसाद रोधी (एंटी-डिप्रेसेंट): भारत में किए गए एक शोध से पता चला है कि मालकांगनी के बीज के तेल में एंटी-डिप्रेसेंट गुण होते हैं। यह प्रभाव उन चूहों पर पता चला, जिनमें क्रोनिक माइल्ड स्ट्रेस था।
भारत के हरियाणा राज्य के कैथल शहर में किए गए एक अन्य अध्ययन से भी मिलते-जुलते परिणाम सामने आए, जिसमें पता चला कि मालकांगनी के बीज के तेल में अवसाद रोधी गुण मौजूद हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह जड़ी-बूटी मस्तिष्क में डोपामाइन और सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ा सकती है। बता दें, डोपामाइन और सेरोटोनिन के स्तर में कमी की वजह से अवसाद का जोखिम हो सकता है।
ट्रंक्वीलाइजिंग/ सिडेटिव एंड एंटीकंसल्वेंट इफेक्ट : बिल्लियों, बंदरों और चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि मालकांगनी बॉडी पर सिडेविट इफेक्ट करती है। सिडेटिव का मतलब है कि यह ब्रेन एक्टिविटी को बहुत धीमा कर देती है, जिससे बॉडी रिलैक्स हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस जड़ी-बूटी के बीजों का तेल यदि इंजेक्शन के माध्यम से मांसपेशियों में लगाया जाए तो यह चूहों पर भी सिडेटिव इफेक्ट्स दिखा सकता है।
जानवरों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि मालकांगनी में एंटीकॉन्वेलसेंट गुण भी मौजूद हैं, जो मिर्गी के दौरे को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यह जड़ी-बूटी चिंता (एंजाइटी) को कम करने में भी प्रभावी है।
अल्जाइमर रोधी (एंटी-अल्जाइमर): ईरानी जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार मालकांगनी बीज के अर्क में एंटीऑक्सिडेंट गुण हैं जो अल्जाइमर को ठीक करने में प्रभावी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट ऐसे यौगिक हैं जो फ्री रेडिकल्स यानी मुक्त कणों को बेअसर करके शरीर की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। यह मुक्त कण स्वाभाविक रूप से शरीर में विभिन्न चयापचय प्रक्रियाओं के कारण उत्पन्न होते हैं। हालांकि, तनाव और खराब जीवन शैली की वजह से इन मुक्त कणों का उत्पादन ज्यादा हो सकता है और ये इकट्ठा हो सकते हैं, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस नामक स्थिति हो सकती है।
गठिया में मालकांगनी है फायदेमंद -
गठिया में जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि, यह स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं होती है और लंबे समय तक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
भारत में कुछ जनजातियों में मालकांगनी के बीज के तेल का उपयोग जोड़ों में आमवाती दर्द (लगातार बने रहने वाला दर्द) के इलाज के लिए किया जाता है। पारंपरिक रूप से इस पौधे का उपयोग गाउट के प्रबंधन के लिए भी किया जाता है।
जानवरों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि मालकांगनी के बीज आर्थराइटिस में प्रभावी हैं। चूहों पर हुए शोध के मुताबिक, मालकांगनी साइटोकाइन के अत्यधिक उत्पादन को रोकता है, जिससे सूजन कम होती है और गठिया के लक्षणों से राहत मिलती है।
एक पशु अध्ययन के अनुसार, मालकांगनी फूलों का मेथेनॉलिक अर्क दर्द और सूजन दोनों को कम करता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मा टेक रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मालकांगनी के अर्क में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण हैं जो कि जो आमतौर पर सूजन और दर्द को दूर करने में सहायक हैं।
रोगाणुरोधी है मालकांगनी -
कई अध्ययनों से पता चला है कि मालकांगनी के पौधे में एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया और कवक दोनों के खिलाफ प्रभावी हैं। जर्नल ऑफ एप्लाइड बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मालकांगनी पौधे का हाइड्रोएल्कोहॉलिक अर्क स्यूडोमोनास एरुगिनोसा (सर्जरी के बाद फेफड़ों और खून में संक्रमण का कारण) और स्टैफिलोकोकस ऑरियस (सॉफ्ट टिश्यू और स्किन इंफेक्शन का कारण) सहित बैक्टीरिया के विकास को दबाने में प्रभावी है। इसके अलावा यह एस्परजिलस नामक फंगस के खिलाफ भी असरदार है।
एक अन्य अध्ययन में, मालकांगनी पौधों के बीज के अर्क ई. कोलाई (दस्त और पेचिश को ट्रिगर करने वाला) और बेसिलस सबटिलिस (निमोनिया और सेप्टीसीमिया को ट्रिगर करने वाला) नामक बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।
इसके अलावा मालकांगनी का अर्क भी निमोनिया पैदा करने वाले बैक्टीरिया 'क्लेबसिएला न्यूमोनिया' के खिलाफ असरदार है। जीवाणु संक्रमण या फंगल संक्रमण के मामलों में इस जड़ी-बूटी की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए अब तक कोई नैदानिक अध्ययन नहीं किया गया है।
त्वचा और बालों के लिए असरदार है मालकांगनी/ज्योतिष्मती -
पारंपरिक रूप से मालकांगनी का उपयोग स्किन इंफेक्शन के उपचार के लिए किया जाता है। हर्बल थेरेपिस्ट मालकांगनी के बीज के तेल का उपयोग बालों के विकास और उन्हें चमकदार बनाने के लिए करते हैं। मालकांगनी पेस्ट को जब गर्म सरसों के तेल के साथ मिलाया जाता है तो यह खोपड़ी के लिए फायदेमंद होता है। त्वचा और बालों पर मालकांगनी के फायदों के बारे में बहुत अधिक वैज्ञानिक शोध नहीं हुआ है।
हालांकि, मालकांगनी पौधे की पत्तियों से प्राप्त ट्राइटरपीन (एक सक्रिय यौगिक) में घाव भरने वाले महत्वपूर्ण गुण पाए गए हैं।
एक अन्य अध्ययन में पता चला मालकांगनी के बीज के तेल से बना 5% जेल कोलेजन फाइबर, फाइब्रोब्लास्ट्स और रक्त कोशिकाओं में सुधार करता है, जिससे घाव भरने में मदद मिलती है। हालांकि, यह प्रभाव मानक दवाओं की तरह असरदार नहीं थे।
मनुष्यों पर यह जड़ी-बूटी कितनी सुरक्षित है और इसका प्रभाव कितना है, इस बारे में पर्याप्त क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुए हैं। इसलिए यह सबसे अच्छा है कि आप अपनी त्वचा और बालों पर किसी भी रूप में मालकांगनी का उपयोग करने से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श कर लें।
मालकांगनी के अन्य स्वास्थ्य लाभ -
मालकांगनी के कुछ अन्य लाभ निम्नलिखित हैं :
इस पौधे की जड़ की छाल का प्रयोग मलेरिया के उपचार में किया जाता है। पहले किए गए एक अध्ययन के मुताबिक मालकांगनी की जड़ की छाल और डंठल के अर्क में मलेरिया से बचाव करने वाले गुण होते हैं। ठंडल की तुलना में जड़ की छाल ज्यादा प्रभावी पाई गई। हालांकि, पारंपरिक रूप से मलेरिया-रोधी दवाओं के मुकाबले जड़ की छाल से निकाले गए ट्राइटरपीन कम प्रभावी पाया गया।
भारत में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मालकांगनी के बीज का अर्क खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।
भारत के एक राज्य आंध्र प्रदेश में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि मालकांगनी के बीज का अर्क ह्यूमरल (humoral) और सेल-मेडिएटेड (cell-mediated) दोनों तरह की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करता है। ये दोनों एडेप्टिव इम्यून सिस्टम के दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं (जिसे आप संक्रामक एजेंटों के संपर्क में आने के बाद प्राप्त करते हैं)।
हिमालयन मेडिसिन में मालकांगनी का उपयोग बवासीर में ब्लीडिंग को रोकने के लिए भी किया जाता है।
कुछ लोक चिकित्सा प्रणालियों में मालकांगनी की जड़ का इस्तेमाल निमोनिया के इलाज के लिए किया जाता है। उत्तर प्रदेश में कैंसर के प्रबंधन के लिए मालकांगनी की पीसी हुई जड़ उपयोग में लाई जाती है।
हिमाचल प्रदेश में मालकांगनी पौधे का उल्लेख पेट फूलने को कम करने और कार्डियोटोनिक (दक्षता बढ़ाने और हृदय की मांसपेशियों के संकुचन में सुधार करने वाली दवा) के रूप में किया गया है।
मालकांगनी का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में कब्ज, एनोरेक्सिया और खांसी से राहत के लिए किया जाता है। इसे कामोत्तेजक और इमेटिक (शरीर में विषाक्त पदार्थों के जाने के बाद आपातकालीन स्थितियों में आमतौर पर एमेटिक दवा लेने की सलाह दी जाती है) के रूप में भी जाना जाता है।
मालकांगनी के तेल की तीन बूंदों में अंडे की जर्दी मिलाकर इस्तेमाल करने से पेट की गैस और एसिडिटी से राहत मिल सकती है।
मालकांगनी के पौधे की जड़ का उपयोग मासिक धर्म में होने वाले दर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है।
मालकांगनी की जड़ को लंबी काली मिर्च (पिप्पली) के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें और इसे दिन में दो बार लें, इससे ल्यूकोरिया और शुक्राणुनाशक का उपचार किया जा सकता है।
इसकी जड़ की छाल को जब गाय के दूध के साथ दिया जाता है, तो यह लिकोरिया के खिलाफ प्रभावी माना जाता है।
आयुर्वेद में, मालकांगनी को ओपिओइड एडिक्शन के खिलाफ एंटीडोट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह मांसपेशियों के दर्द, चिंता और नाक बहने जैसे लक्षणों को दूर करने में सहायक है। आमतौर पर इस जड़ी-बूटी को 'विष्टिनुक वटी' नामक दवा के साथ दिया जाता है। इसे दूध और गाय के घी के साथ लिया जाता है।
मालकांगनी बीज और तेल के फायदे -
मालकांगनी का उपयोग मुख्य रूप से बीज, बीज के पाउडर या तेल के रूप में किया जाता है।
मालकांगनी के बीज का सेवन : मालकांगनी के बीजों को पानी या घी या दूध के साथ मिश्रित पाउडर के रूप में लिया जा सकता है, वैसे यह इस बात पर निर्भर करता है कि डॉक्टर क्या सलाह देते हैं।
मालकांगनी बीज के तेल का उपयोग : मालकांगनी बीज के तेल का टॉपिकली (त्वचा के ऊपर से) उपयोग किया जाता है और विभिन्न आयुर्वेदिक तरीकों से इसका सेवन किया जा सकता है।
खुराक : 'अंतरराष्ट्रीय पत्रिका आयुष' में प्रकाशित एक लेख में निम्नलिखित डोज में मालकांगनी की खुराक ली जा सकती है :
तेल : 5 से 15 बूंद
बीज : 5 से 15 बीज
बीज पाउडर : 1 से 2 ग्राम
मालकांगनी के नुकसान -
मालकांगनी के पौधे को गर्भनिरोधक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है, यही वजह है गर्भवती महिलाओं को इस जड़ी-बूटी के सेवन से बचने या किसी भी रूप में लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। (और पढ़ें - गर्भनिरोधक गोलियों के नाम)
मालकांगनी की हाई डोज (2 ग्राम से अधिक) मतली और उल्टी का कारण बन सकती है। इसलिए सुनिश्चित करें इसका सेवन सावधानी से करें।
अधिकांश जड़ी-बूटियां अन्य दवाओं के कामकाज में बाधा डालती हैं। यदि आप स्वास्थ से संबंधित किसी समस्या से लंबे समय से जूझ रहे हैं या आप कोई दवा ले रहे हैं, तो सबसे अच्छा रहेगा कि पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें।
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