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गोण्डा-टीबी मरीजों को मिलेगा इंजेक्शन के दर्द से छुटकारा, अब टैबलेट ही बनेगा उपचार का सहारा

 

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-एमडीआर के नए मरीजों को अब इंजेक्शन की जगह छह माह तक खिलाई जाएगी 
बिडाक्यूलीन दवा रू डॉ एके उपाध्याय

-एमडीआर मरीज वे होते हैं जिन पर रिफाम्पसिन समेत टीबी की कोई भी दवा हो जाती है बेअसर

गोण्डा। क्षय रोग का 2025 तक देश से पूरी तरह उन्मूलन करने के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार प्रतिबद्ध है द्य इसको लेकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सरकार और स्वास्थ्य महकमे की ओर से नित नए प्रयास किये जा रहे हैं। प्रयासों की इसी कड़ी में एक नयी कवायद की गयी है, इसमें टीबी के एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) मरीजों को हर रोज इंजेक्शन का दर्द झेलने से निजात दिलाने का काम किया गया है। अब टीबी के एमडीआर मरीजों को इंजेक्शन की जगह केवल बिडाक्यूलीन दवा ही खिलाई जाएगी। उक्त जानकारी शुक्रवार को जिला चिकित्सालय स्थित राजकीय टीबी क्लीनिक में टीबी के एमडीआर मरीजों को बिडाक्यूलीन दवा देने की शुरुआत किये जाने के दौरान प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एके उपाध्याय ने दी। उन्होंने बताया कि अभी तक एमडीआर के मरीजों को 6 से 9 महीने तक रोजाना एक इंजेक्शन लगाया जाता था और इसके साथ 18 महीने तक दवाएं लेनी पड़ती थीं द्य इंजेक्शन लगने पर मरीज को उस स्थान पर काफी सूजन आ जाती थी द्य साथ ही इसके और भी दुष्प्रभाव सामने आए हैं। डॉ उपाध्याय ने कहा कि इंजेक्शन के डर से कई मरीज दवा का कोर्स पूरा नहीं करते थे। ऐसे में मरीजों की बीमारी बढ़ती ही थी। इसमें स्वास्थ्य कर्मियों की दिक्कत भी बढ़ जाती थी द्य स्वास्थ्य कर्मी मरीजों के घर जाकर या मोबाइल पर बात कर दवा का कोर्स बीच में छोड़ने की वजह पता लगाते थे और इलाज का कोर्स दोबारा से शुरू कराते थे द्य लेकिन अब इंजेक्शन न लगाए जाने से मरीजों को दर्द से राहत मिलेगी। टीबी की बीमारी ऐसे बन जाती है एमडीआर-टीबी क्लीनिक के चेस्ट फिजीशियन डॉ एके उपाध्याय के अनुसार, एमडीआर मरीज वे होते हैं जिन पर रिफाम्पसिन समेत टीबी की कोई भी दवा बेअसर हो जाती है। अभी तक ऐसे मरीजों को दवा खाने के साथ-साथ 120 दिन तक रोजाना कैनामाइसिन इंजेक्शन भी लगवानी पड़ती थी, लेकिन अब 25 अप्रैल 2022 के बाद से मिलने वाले एमडीआर मरीजों को इंजेक्शन लगवाने की परेशानी से निजात मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल मरीजों को उपचार कराने में आसानी होगी बल्कि विभाग को भी टीबी के सभी मरीजों का समय से समुचित इलाज करने और पूरा कोर्स कराने में मदद मिलेगी द्य उन्होंने बताया कि जिले में एमडीआर मरीजों की संख्या 125 है। वहीं जिला समन्वयक विवेक सरन ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, केवल ऐसे मरीज जिनका पहले से इंजेक्शन का कोर्स चल रहा है, उन्हें ही अब इंजेक्शन लगाई जाएगी द्य बता दें कि पहले एमडीआर टीबी मरीजों को बिडाक्यूलिन दवा रीजनल ट्रीटमेंट सेंटर बस्ती में ही दी जाती थी। इस मौके पर डिस्ट्रिक्ट पीएमडीटी ऐंड टीबी-एचआईवी कोऑर्डिनेटर अरविन्द कुमार मिश्रा, सूरज व रितेश सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। 


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